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भारतीय नौसेना में तीसरी पनडुब्बी रोधी उथले पानी का जहाज 'अंजदीप' शामिल किया गया

प्रविष्टि तिथि: 22 DEC 2025 5:13PM by PIB Delhi

गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आठ एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी पनडुब्बी रोधी उथले पानी के जहाजों में से एक यानी तीसरा अंजदीप जहाज, 22 दिसंबर 2025 को चेन्नई में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया।

एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी जहाजों को जीआरएसई और मेसर्स एल एंड टी शिपयार्ड, कट्टुपल्ली के सार्वजनिक-निजी-भागीदारी (पीपीपी) के तहत इंडियन रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के वर्गीकरण नियमों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है। यह सहयोगी रक्षा विनिर्माण की सफलता को दर्शाता है।

लगभग 77 मीटर लंबाई वाले ये जहाज भारतीय नौसेना के सबसे बड़े वाटरजेट युद्धपोत हैं और अत्याधुनिक हल्के टॉरपीडो, स्वदेशी रूप से निर्मित पनडुब्बी रोधी रॉकेट और उथले पानी के सोनार से सुसज्जित हैं।  यह पानी के नीचे के खतरों का प्रभावी ढंग से पता लगाने और उनसे निपटने में सक्षम हैं। ये जहाज नौसेना की पनडुब्बी रोधी, तटीय निगरानी और बारूदी सुरंग बिछाने की क्षमताओं को मजबूत करेंगे।

यह जहाज 2003 में सेवामुक्त पूर्ववर्ती पेट्या श्रेणी के युद्धपोत आईएनएस अंजदीप का पुनर्जन्म है। जहाज का नाम कर्नाटक के कारवार तट पर स्थित अंजदीप द्वीप से लिया गया है, जो भारत के विशाल समुद्री क्षेत्र की रक्षा की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

अंजदीप का शामिल किया जाना भारतीय नौसेना के स्वदेशी जहाज निर्माण के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह सरकार के 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को साकार करती है। इसमें 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। यह जहाज घरेलू रक्षा विनिर्माण इको-सिस्टम के विकास और आयात पर निर्भरता कम करने का प्रमाण है।

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पीके/केसी/वीके/एसवी


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