वस्त्र मंत्रालय
वस्त्र मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा 2025
पीएम मित्रा योजना ने 2025 में महत्वपूर्ण प्रगति की, जिसमें बुनियादी ढांचे का कार्य शुरू हुआ, डीपीआर मंजूर हुए और धार में आधारशिला रखी गई
वस्त्र एवं परिधान के निर्यात में 2025 में वृद्धि दर्ज हुई, जो 37.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया और इसने वैश्विक व्यापार में भारत की उपस्थिति को मजबूत किया
वस्त्र उद्योग से संबंधित पीएलआई योजना के ठोस नतीजे आए हैं, जिसमें निवेश की सूचना, उत्पादन की शुरुआत और प्रोत्साहन का वितरण शामिल है
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद, डिजिटलीकरण और उत्पादकता संबंधी पहलों के जरिए किसानों की सहायता करने हेतु कपास क्षेत्र में सुधार
भारत टेक्स 2025 ने बड़े पैमाने पर वस्त्र क्षेत्र में भारत की ताकत, नवाचार और वैश्विक नेतृत्व को दर्शाया
प्रविष्टि तिथि:
24 DEC 2025 1:10PM by PIB Delhi

1. पीएम मित्रा:
सरकार ने ग्रीनफील्ड/ब्राउनफील्ड साइट्स पर 7 (सात) पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल रीजन और अपैरल (पीएम मित्रा) पार्क स्थापित करने को मंजूरी दे दी है, जिसमें विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तथा जोड़ो और चलाओ (प्लग एंड प्ले) की सुविधा शामिल है। इसके लिए 2027-28 तक सात साल की अवधि के लिए 4445 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। सरकार ने पीएम मित्रा पार्क स्थापित करने हेतु सात स्थलों - जैसे तमिलनाडु (विरुधनगर), तेलंगाना (वारंगल), गुजरात (नवसारी), कर्नाटक (कलबुर्गी), मध्य प्रदेश (धार), उत्तर प्रदेश (लखनऊ) और महाराष्ट्र (अमरावती) - का चयन किया है।

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- अब तक 27,434 करोड़ रुपये से अधिक के संभावित निवेश संबंधी समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। शत-प्रतिशत भूमि अधिग्रहित करके एसपीवी को सौंप दी गई है।
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- सरकार द्वारा स्थलों को मंजूरी मिलने के बाद, सभी सात राज्य सरकारों द्वारा पार्क के गेट तक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराने हेतु 2590.99 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे से संबंधित कार्य शुरू कर दिए गए हैं।
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- सभी पीएम मित्रा पार्कों के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिल गई है। मध्य प्रदेश के धार में पीएम मित्रा पार्क का शिलान्यास माननीय प्रधानमंत्री ने 17 सितंबर, 2025 को किया था।
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- मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना और महाराष्ट्र स्थित पीएम मित्रा पार्क के लिए 7024 करोड़ रुपये की डीपीआर को मंजूरी दे दी गई है।
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- मध्य प्रदेश और तमिलनाडु स्थित पीएम मित्रा पार्क के लिए भूमि आवंटन नीति को मंजूरी दे दी गई है और मध्य प्रदेश के धार में भूमि आवंटन का कार्य चल रहा है।
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- मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और तेलंगाना स्थित पीएम मित्रा पार्क को कुल 160 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
2. राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम)

सरकार ने 1,480 करोड़ रुपये के बजट के साथ राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) का शुभारंभ किया है। इसका मुख्य ध्यान अनुसंधान, बाजार विकास, शिक्षा और निर्यात संवर्धन पर है। इस मिशन का उद्देश्य अलग-अलग राष्ट्रीय कार्यक्रमों और रणनीतिक क्षेत्रों में तकनीकी वस्त्र के उपयोग को बढ़ाना है और इसे 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया है।
2.1 विशेष रेशे और अनुप्रयोग (जिसमें कार्बन फाइबर और एरामिड, वैकल्पिक सामग्री, कंपोजिट, मशीनरी शामिल हैं) से संबंधित 520 करोड़ रुपये के 168 अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
2.2 24 स्टार्टअप को मंजूरी दे दी गई है।
2.3 शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल विकास को समर्थन देने हेतु, आईआईटी और एनआईटी सहित विभिन्न शिक्षण संस्थानों से प्राप्त 45 प्रस्तावों को तकनीकी वस्त्र के तहत यूजी/पीजी के लिए नए डिग्री प्रोग्राम/पेपर शुरू करने के लिए समर्थन प्रदान किया गया है, जिसमें प्रयोगशाला एवं उपकरण को उन्नत करने और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए कुल 204 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।
2.4 68 तकनीकी वस्त्र से संबंधित सामानों पर 8 गुणवत्ता नियंत्रण आदेश।
- वस्त्र क्षेत्र में उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई)

वस्त्र क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना 24/09/2021 को अधिसूचित की गई थी। इसका उद्देश्य देश में एमएमएफ परिधान एवं फैब्रिक्स और तकनीकी वस्त्र के उत्पादों के उत्पादन को बढ़ावा देना था, ताकि वस्त्र उद्योग आकार एवं पैमाने की दृष्टि से बड़ी हो सके, प्रतिस्पर्धी बन सके, लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित कर सके और 10,683 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ एक व्यवहार्य उद्यम एवं प्रतिस्पर्धी वस्त्र उद्योग के निर्माण में मदद मिल सके। इस योजना में वित्त वर्ष: 2022-23 और वित्त वर्ष: 2023-24 तक दो वर्ष की उत्पादन पूर्व अवधि थी। यह योजन वित्त वर्ष 2029-30 तक जारी रहेगी; वित्त वर्ष 2028-29 प्रदर्शन का आखिरी वर्ष होगा।
3.1 इस योजना के तहत 74 आवेदनों का चयन किया गया। कुल प्रस्तावित निवेश 28,711 करोड़ रुपये का होगा। अनुमानित टर्नओवर 2,16,760 करोड़ रुपये और प्रस्तावित रोजगार सृजन 2,59,164 होगा।
3.2 40 प्रतिभागी कंपनियों ने निवेश की सूचना दी।
- 22 कंपनियों ने अपनी निवेश की निश्चित सीमा (थ्रेशहोल्ड इन्वेस्टमेंट) हासिल कर ली है।
- 30 प्रतिभागी कंपनियों ने उत्पादन शुरू किया और टर्नओवर की सूचना दी।
- वित्त वर्ष 2024-25 में अपनी निवेश की निश्चित सीमा (थ्रेशहोल्ड इन्वेस्टमेंट) और विक्री पूरी करने वाले दो आवेदकों को 54 करोड़ रुपये का अनंतिम प्रोत्साहन दिया गया।
- 5 कंपनियों ने 2024-25 में निवेश की निश्चित सीमा (थ्रेशहोल्ड इन्वेस्टमेंट) और टर्नओवर का लक्ष्य पूरा किया है।
3.3 74 कंपनियों में से 56.75 प्रतिशत तकनीकी वस्त्र (टीटी) के क्षेत्र में हैं। एमएमएफ परिधान और एमएमएफ फैब्रिक्स के दूसरे दो खंडों की तुलना में टीटी में अपेक्षाकृत अधिक पूंजीगत प्रोत्साहन है।
4. वस्त्र व्यापार संवर्धन (टीटीपी)

वस्त्र व्यापार संवर्धन (टीटीपी) अनुभाग ने ग्यारह निर्यात संवर्धन परिषदों के जरिए निर्यात संबंधी प्रदर्शन की निगरानी करके वैश्विक स्तर पर वस्त्र के क्षेत्र में भारत की पहचान को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है। वर्ष 2024 में, भारत वस्त्र एवं परिधानों का छठा सबसे बड़ा निर्यातक देश बनकर उभरा। इस क्षेत्र ने भारत के कुल निर्यात में 8.63 प्राइत्शत का महत्वपूर्ण योगदान दिया और वैश्विक व्यापार में 4.1 प्रतिशत की हिस्सेदारी की।
4.1 हस्तशिल्प सहित वस्त्र एवं परिधानों का निर्यात 2024-25 में 37.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जोकि पिछले वर्ष की तुलना में 5 प्रतिशत की वृद्धि है और इससे 28.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर का मजबूत व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) हासिल हुआ।
4.2 संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम जैसे पारंपरिक बाजारों का निर्यात में कुल 55 प्रतिशत की हिस्सेदारी थी, जबकि बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे उभरते हुए देशों का योगदान 20 प्रतिशत का था।
4.3 33 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के 500 से अधिक जिलों के सक्रिय रूप से शामिल होने के साथ, मंत्रालय ने विजन 2030 के तहत 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात का एक साहसिक लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को बेहतर व्यापारिक साझेदारी, बाजार विविधीकरण, और नवाचार एवं स्थिरता पर ठोस तरीके से ध्यान देखर से हासिल किया जाएगा - जो भारत की भारतीय वस्त्र शक्ति को दृढ़ता, कारीगरी और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के प्रतीक के रूप में दर्शाएगा।
5. समर्थ योजना

समर्थ योजना, जो वस्त्र मंत्रालय की कौशल विकास संबंधी प्रमुख पहल है, भारत की वस्त्र मूल्य श्रृंखला में कौशल संबंधी अंतराल को पाटने और नियोजनीयता को बढ़ाने में एक परिवर्तनकारी ताकत के रूप में उभरी है। यह प्रोसेसिंग, गारमेंटिंग और संबंधित सेक्टरों को कवर करने वाला एक व्यापक प्रशिक्षण इकोसिस्टम प्रदान करती है। साथ ही, संगठित उद्योगों के लिए उन्नत, दीर्घकालिक और प्रबंधन-स्तर के पाठ्यक्रम भी प्रदान करती है।
5.1 यह योजना हथकरघा और हस्तशिल्प जैसे पारंपरिक क्षेत्रों को आधुनिक बनाने हेतु तकनीक-आधारित प्रशिक्षण का उपयोग करती है और नवाचार को प्रोत्साहित करने हेतु उद्यमिता विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देती है।
5. समर्थ योजना के तहत अब तक लगभग 5.41 लाख लोगों को कुशल बनाया गया है, जिनमें से लगभग 4.76 लाख (88 प्रतिशत) महिलाएं हैं, और 4.05 लाख से अधिक (75 प्रतिशत) लोगों को सफलतापूर्वक रोजगार मिला है।
5.3 आगे की ओर देखते हुए, वित्त वर्ष 2025-26 में अतिरिक्त 2 लाख लोगों को कुशल बनने का इस योजना का लक्ष्य है, जो समावेशी विकास और भविष्य की जरूरतों के अनुरूप तैयार वस्त्र क्षेत्र में संलग्न श्रमशक्ति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है।
6. कपास क्षेत्र:

भारत की कृषि अर्थव्यवस्था की नींव माने जाने वाले कपास क्षेत्र, जो लगभग 6 मिलियन किसानों और मूल्य श्रृंखला में 40-50 मिलियन लोगों को समर्थन प्रदान करता है, वस्त्र उत्पादन और विदेशी मुद्रा अर्जित करने में अहम भूमिका निभा रहा है। वर्ष 2024-25 के कपास सीजन में, सरकार ने अपने नोडल एजेंसी वस्त्र मंत्रालय के तहत भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई) के जरिए एमएसपी के तहत 525 लाख क्विंटल बीज कपास (100 लाख गांठ) की सफलतापूर्वक खरीद की है और किसानों को 37,450 करोड़ रुपये का भुगतान किया है - जो कुल आवक का 38 प्रतिशत और राष्ट्रीय उत्पादन का 34 प्रतिशत है।
1. पारदर्शिता बढ़ाने हेतु, कपास किसान मोबाइल ऐप का शुभारंभ किया गया, जिससे किसानों को खुद पंजीकरण करने और स्लॉट बुक करने की सुविधा मिली।
2. कच्चे कपास के आयात पर सीमा शुल्क में छूट (अगस्त-दिसंबर 2025) ने इनपुट लागत कम करके, कीमतों को स्थिर करके और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाकर वस्त्र मूल्य श्रृंखला को महत्वपूर्ण राहत दी।
3. एमएसपी के तहत कपास की खरीद के डिजिटलीकरण के जरिए सुधार- स्लॉट बुकिंग और पंजीकरण हेतु ‘कपास किसान’ ऐप। पता लगाने हेतु ब्लॉकचेन-आधारित क्यूआर-कोड वाली गांठें (बीआईटीएस)। ई-इनवॉइसिंग, अनुबंध बनाने और बिक्री प्रबंधन हेतु ‘कॉटबिज’ प्लेटफॉर्म।
4. पैदावार बढ़ाने, ईएलएस किस्मों को बढ़ावा देने, स्थिरता सुनिश्चित करने और कपास की खेती को फार्म से विदेश तक के 5एफ विजन के साथ जोड़ने के लिए बजट में कपास उत्पादकता के लिए 5-वर्षीय मिशन की घोषणा की गई है।
5. कपास की गांठों के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) 2023 को अगस्त 2026 तक के लिए टाल दिया गया है।
6. भारतीय कपास की वैश्विक बाजार में स्वीकार्यता बढ़ाने हेतु, प्रमाणन, पता लगाने योग्य क्षमता और ब्रांडिंग के तीन स्तंभों पर आधारित ‘कस्तूरी कॉटन भारत’ कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया है। सामूहिक रूप से, ये उपाय किसानों के कल्याण को मजबूत करते हैं, बाजारों को स्थिर करते हैं और भारत के वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र को रोजगार और निर्यात में वृद्धि के चालक के रूप में मजबूत करते हैं।
7. ऊन क्षेत्र:

ऊन क्षेत्र के समग्र विकास हेतु, वस्त्र मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग की अवधि यानी वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 के दौरान लागू करने के लिए एकीकृत ऊन विकास कार्यक्रम (आईडब्ल्यूडीपी) बनाया है, जिसके लिए 15 जून 2021 को हुई एसएफसी की बैठक में कुल 126 करोड़ रुपये का वित्तीय आवंटन मंजूर किया गया है। वस्त्र मंत्रालय (एमओटी) की आईडब्ल्यूडीपी योजना ऊन क्षेत्र के विकास से संबंधित एक केन्द्रीय क्षेत्र की योजना है। इसके अलावा, आईडब्ल्यूडीपी के दिशानिर्देशों को एमओटी ने मंज़ूरी दे दी है और वस्त्र मंत्रालय के केंद्रीय ऊन विकास बोर्ड को सभी प्रमुख ऊन उत्पादक राज्यों में इस योजना को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी नियुक्त किया है।
7.1 लद्दाख क्षेत्र की पश्मीना ऊन को जीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया है।
7.2 मोटे ऊन के उपयोग हेतु ग्यारह अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) परियोजनाएं शुरू की गईं हैं।
7.3 लेह और श्रीनगर में डीएनए विश्लेषकों के जरिए पश्मीना के उत्पादों के परीक्षण की सुविधाएं स्थापित की गई हैं।
7.4 कई राज्यों में 211 कतरने की मशीनों (शीयरिंग मशीनों) की खरीद के लिए फंड दिया गया है।
7.5 ऊन की खरीद के लिए 400 लाख रुपये का रिवॉल्विंग फंड, खानाबदोशों के लिए 400 पोर्टेबल टेंट और 300 शिकारी से बचाव वाले बाड़े दिए गए हैं।
7.6 पश्मीना मार्क, इंडियन वूल मार्क और कालीन मार्क सहित ब्रांडिंग से संबंधित पहल शुरू की गई हैं।
7.7 ऊन की प्रोसेसिंग के लिए साझा सुविधा केन्द्रों (सीएफसी) स्थापित करने हेतु विभिन्न स्थानों पर छह परियोजनाएं मंजूर की गईं हैं।
8. रेशम क्षेत्र:

कच्चे रेशम का वार्षिक उत्पादन 2013-14 के 26,480 एमटी से बढ़कर 2024-25 में 41,121 एमटी हो गया है, जोकि 55.30 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उत्तर-पूर्वी (एनई) राज्यों में, कच्चे रेशम का उत्पादन 4,601 एमटी से बढ़कर 8,363 एमटी हो गया, जो 81.76 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। उच्च गुणवत्ता वाले बाइवोल्टाइन कच्चे रेशम का उत्पादन 2013-14 के 2,559 एमटी से बढ़कर 2024-25 में 10,160 एमटी हो गया, जो 297 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। भारत कुल रेशम उत्पादन के मामले में दुनिया भर में दूसरे स्थान पर बना हुआ है। प्रति हेक्टेयर कच्चे रेशम की पैदावार 2013-14 के 95.93 किलोग्राम की तुलना में 2024-25 में बढ़कर 112 किलोग्राम हो गई है, जिसमें 16.75 प्रतिशत का सुधार हुआ है। अनुमानित रोजगार सृजन 2013-14 के 78.50 लाख लोगों से बढ़कर 2024-25 में 97.30 लाख लोग हो गया है, जो 23.95 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
8.1 केन्द्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) की बेहतर कार्यकुशलता के लिए उसका संगठनात्मक पुनर्गठन किया गया है।
8.2 आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वचालित सिल्क रीलिंग मशीनों (एआरएम) के स्वदेशी निर्माण को बढ़ावा दिया गया है।
8.3 सैटेलाइट-आधारित जीआईएस डेटा का उपयोग करके संभावित रेशम उत्पादन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए सिल्क्स पोर्टल विकसित किया गया है।
8.4 किसानों और रीलर्स को एसएमएस के जरिए कोकून और कच्चे रेशम की कीमतों की वास्तविक समय में जानकारी देने की व्यवस्था लागू की गई है।
8.5 सीएसबी द्वारा विकसित ‘बुनियाद’ रीलिंग मशीन को तसर रीलिंग के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिससे जांघों से रीलिंग की प्रथा खत्म हुई है और महिलाओं की गरिमा की रक्षा हुई है।
8.6 भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र वस्त्र संवर्धन योजना (एनईआरटीपीएस) के जरिए उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में रेशम उत्पादन को आधुनिक बनाने हेतु 38 परियोजनाएं लागू की गई हैं।
8.7 बीज उत्पादन इकाइयों और चौकी पालन केन्द्रों के पंजीकरण, नवीनीकरण और वास्तविक समय में निरीक्षण हेतु वेब और मोबाइल प्लेटफॉर्म विकसित किए गए हैं।
8.8 घरेलू उद्योग की सुरक्षा हेतु कच्चे रेशम पर 15 प्रतिशत और रेशमी कपड़ों पर 20 प्रतिशत का मूल सीमा शुल्क बनाए रखा गया है।
9. जूट क्षेत्र:

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने जूट वर्ष 2024-25 (1 जुलाई, 2024 से 30 जून, 2025) के लिए पैकेजिंग में जूट के अनिवार्य उपयोग हेतु आरक्षण मानदंडों को मंजूरी दे दी है। इसके तहत खाद्यान्नों के लिए शत-प्रतिशत आरक्षण और चीनी की कुल मात्र का 20 प्रतिशत हिस्सा अनिवार्य रूप से जूट के थैलों में पैक किया जाएगा। इस आरक्षण को 31.12.2025 तक बढ़ा दिया गया है। जेपीएम अधिनियम के तहत आरक्षण संबंधी मानदंडों से जूट क्षेत्र में 3.70 लाख श्रमिकों और 40 लाख किसानों को प्रत्यक्ष रोजगार हासिल होगा।
1. जूट फसल वर्ष 2024-25 के दौरान, न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत, सरकार ने 209 करोड़ रुपये के खर्च पर 4.16 लाख क्विंटल कच्चा जूट खरीदा और 83,000 किसानों को फायदा पहुंचाया।
2. एमएसपी की प्रक्रिया में डिजिटलीकरण और तकनीकी उन्नयन हेतु, पैट-मिट्रो (खरीद स्वचालन और निगरानी) प्रणाली को वास्तविक समय में निगरानी एवं विश्लेषण के लिए विभागीय खरीद केन्द्रों (डीपीसी) में बढ़ाया गया है।
3. सरकार जूट क्षेत्र के विकास और उसे बढ़ावा देने हेतु एक समग्र कार्यक्रम, राष्ट्रीय जूट विकास कार्यक्रम (एनजेडीपी) लागू कर रही है। वर्ष 2025 के दौरान, सरकार ने एनजेडीपी की जूट-बेहतर खेती एवं उन्नत अपगलन प्रक्रिया योजना के तहत, उपज और फाइबर की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए 23,000 हेक्टेयर भूमि को कवर करते हुए 72,000 जूट किसानों को अभिप्रमाणित बीज वितरित किए हैं।
4. सरकार ने कारीगरों, बुनकरों, डब्ल्यूएसएचजी आदि को कौशल प्रशिक्षण, कच्चे जूट की आपूर्ति, जूट विविध उत्पाद (जेडीपी) की बिक्री को बढ़ावा दिया है। साथ ही, इस कार्यक्रम के तहत जूट मिलों/एमएसएमई-जेडीपी इकाइयों को उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन, संयंत्र और मशीनरी के लिए पूंजी सब्सिडी, देश व विदेश में प्रदर्शनियों, मेलों में भागीदारी के जरिए समर्थन दिया है।
5. हल्के जूट के थैले पेश किए गए हैं, जिनमें 12.78 प्रतिशत वजन कम किया गया है।
6. जूट पैकेजिंग सामग्री अधिनियम (जेपीएमए) के तहत बोरियों के लिए एक नया मूल्य निर्धारण फॉर्मूला और नीति लागू की गई है।
7. एनआरएससी, इसरो के सहयोग से विकसित जूट फसल सूचना प्रणाली (जेसीआईएस) को खेती वाले क्षेत्र और फसल के आकार के वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए लागू किया गया है।
8. दूरदराज के इलाकों में उपग्रह-आधारित निगरानी और मोबाइल खरीद को शुरू किया गया है।
10. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट)

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) ने 2025 में कई बड़ी उपलब्धियों के साथ फैशन से जुड़ी शिक्षा और नवाचार के मामले में अपनी अग्रता को और मजबूत किया है। वाराणसी में 19वें परिसर की स्थापना, एक अनूठे स्नातक पाठ्यक्रम की शुरुआत, और बेगूसराय एक्सटेंशन सेंटर के उद्घाटन से इसका अकादमिक दायरा बढ़ा है।
10.1 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, निफ्ट ने लंदन में इंटरनेशनल फाउंडेशन ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट्स के 27वें वार्षिक सम्मेलन में भारत की रचनात्मक उत्कृष्टता का प्रदर्शन किया, जहां इसका एक विद्यार्थी वैश्विक स्तर पर शोध–प्रबंध का एकमात्र प्रस्तुतकर्ता था। उद्योग के मोर्चे पर, दूसरा विज़ंक्स्ट ट्रेंड बुक और इंडियासाइज के तहत भारत-विशिष्ट साइज चार्ट जारी किए गए, जिससे फैशन संबंधी शोध और मानकीकरण के नए मानक स्थापित हुए।
10.2 ट्राईफ़ेड के साथ जनजातीय उत्पाद नवाचार और खुदरा संबंधी प्रशिक्षण सहित रणनीतिक सहयोग ने स्वदेशी शिल्प कौशल को और मजबूत किया।
10.3 निफ्ट फैशन जर्नल की शुरुआत ने एक विश्वसनीय शैक्षणिक मंच प्रदान किया, जबकि जॉर्डन, वियतनाम, इंडोनेशिया और दुबई में अंतरराष्ट्रीय प्लेसमेंट के विस्तार ने निफ्ट के स्नातकों की बढ़ती वैश्विक पहचान को रेखांकित किया। सामूहिक रूप से, ये पहल भविष्य की जरूरतों के अनुरूप हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी फैशन इकोसिस्टम को आकार देने में निफ्ट की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती हैं।
11. हथकरघा क्षेत्र

हथकरघा विपणन सहायता और संबंधित योजनाओं ने बाजार को बढ़ावा, कल्याण और कच्चे माल संबंधी समर्थन को मिलाकर भारत के हथकरघा इकोसिस्टम को काफी मज़बूत किया है।
11.1 बिक्री बढ़ाने हेतु 307 विपणन संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए गए, साथ ही 12 हकरघा उत्पादक कंपनियों का गठन किया गया और छह शिल्प हथकरघा गांवों की स्थापना की गई, जिसमें दो और पर काम जारी है। ये कदम शिल्प प्रोत्साहन को टूरिज्म के साथ एकीकृत करता है।
11.2 इसके अलावा, चार हथकरघा उत्पादों को जीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत किया गया, जबकि मेगा क्लस्टर विकास कार्यक्रम ने 4.80 करोड़ रुपये की सहायता दी जिससे 2,133 बुनकरों को फायदा हुआ।
11.3 बुनकरों की मुद्रा योजना के तहत, 11,544 कारीगरों ने ऋण लिया और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत 2.35 लाख नामांकन के साथ कल्याण कवरेज का विस्तार हुआ।
11.4 इन प्रयासों को पूरा करते हुए, कच्चे माल की आपूर्ति योजना ने 495.33 लाख किलोग्राम धागा सप्लाई किया, जिससे 5.38 लाख बुनकरों को फायदा हुआ और पूरे क्षेत्र में उत्पादकता, स्थायी आजीविका और बढ़ी हुई आय सुनिश्चित हुई।
11.5 पारदर्शिता और दक्षता के लिए मेला आवेदनों, क्लस्टर विकास प्रस्तावों और फील्ड यूनिट में ई-ऑफिस के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल लागू किए गए हैं।
11.6 बुनकरों के लिए 'ई-पहचान' कार्ड के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की गई है।
12. हस्तशिल्प क्षेत्र
वस्त्र मंत्रालय के तहत विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय देश भर में हस्तशिल्प क्षेत्र के समग्र विकास और उसको बढ़ावा देने हेतु दो योजनाएं लागू करता है, जिनके नाम हैं राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) और व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस)।
12.1 “पहचान” के तहत 1.30 लाख कारीगरों को पंजीकृत किया गया है और उन्हें कारीगर आईडी कार्ड जारी किए गए हैं।
12.2 67 हस्तशिल्प उत्पादक कंपनियों को मंजूरी दी गई है और इन कंपनियों को ज़रूरी सहायता दी जा रही है। कुल 59.13 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से देश भर में अलग-अलग हस्तशिल्प क्लस्टरों में 922 अलग-अलग उपायों को मंजूरी दी गई है, जिससे 32398 कारीगरों को फायदा हुआ है।
12.3 कुल 101.05 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से 462 विपणन संबंधी कार्यक्रम और 1225 सीडीएपी आयोजित किए गए हैं, जिससे 26873 कारीगरों को फायदा हुआ है। कुल 32.82 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से 746 डिजाइन विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिससे 28840 कारीगरों को फायदा हुआ है।
12.4 कुल 41.57 करोड़ रुपये की परियोजना लागत से 517 कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिससे 15510 कारीगरों को फायदा हुआ है। कुल 21.84 करोड़ करोड़ रुपये की परियोजना लागत से 162 अनुसंधान और विकास कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिससे 5495 कारीगरों को फायदा हुआ है।
12.5 IndiaHandmade.com ई-कॉमर्स पोर्टल लॉन्च किया गया है। भारतीय वस्त्र एवं शिल्प कोष पोर्टल का उद्घाटन किया गया।
12.6 महिला उद्यमियों ('शिल्पी दीदी') पर विशेष ध्यान दिया गया है।
- क्यूसीओ संबंधी सुधार

रसायन एवं पेट्रो-रसायन विभाग (डीसीपीसी) द्वारा जारी अनिवार्य गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) वाले उत्पादों के लिए अग्रिम प्राधिकार के तहत निर्यात संबंधी दायित्व (ईओ) की अवधि बढ़ा दी गई है। ईओ की अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 18 महीने कर दी गई है।
13.1 जनता/क्षेत्र को लाभ
i. एमएमएफ वस्त्र एवं तकनीकी वस्त्र के एक्सपोर्टर्स को लचीलापन प्रदान करता है।
ii. क्यूसीओ संबंधी जरूरतों के बावजूद शुल्क-मुक्त कच्चे माल तक बिना किसी रुकावट के पहुंच सुनिश्चित करता है।
iii. अग्रिम प्राधिकार पाने वाले उन लगभग 18 प्रतिशत लाभार्थियों को समर्थन प्रदान करता है जो वस्त्र क्षेत्र से हैं।
iv. इनपुट लागत के दबाव को कम करता है और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
13.2 मशीनरी पर क्यूसीओ - भारी उद्योग मंत्रालय (एमएचआई) ने बीआईएस के ज़रिए 2024 में एक क्यूसीओ जारी किया था, जिसमें करघे एवं कढ़ाई मशीनों सहित मशीनों के आयात पर रोक लगाई गई थी, जो 27 अगस्त 2025 से लागू होना था। उद्योग जगत की ओर से मिले सुझावों के बाद, एमएचआई ने अब 12 जून 2025 की एक अधिसूचना के जरिए इसे लागू करने की तारीख बढ़ाकर 1 सितंबर 2026 कर दी है ताकि उद्योग जगत की चिंताओं को दूर किया जा सके और संबंधित हितधारकों को तुरंत राहत मिल सके।
13.3 वीएसएफ पर क्यूसीओ - सरकार ने 18 नवंबर 2025 की अधिसूचना के जरिए विस्कोस स्टेपल फाइबर (वीएसएफ) के लिए गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (क्यूसीओ) की जरूरत को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है। वस्त्र मंत्रालय ने कहा कि वीएसएफ पर क्यूसीओ को हटाने से अच्छी गुणवत्ता वाले कच्चे माल तक बिना किसी रुकावट के पहुंच सुनिश्चित होने, वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ने और इन राष्ट्रीय लक्ष्यों का समर्थन करने हेतु उद्योग के नेतृत्व में विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- निर्यात आधारित सुधार:

संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के असर से निपटने हेतु, निम्नलिखित सुधार किए गए हैं:
14.1 निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्क एवं कर में छूट (आरओडीटीईपी) योजना को ईओयू/एसईजेड में स्थित इकाइयों और अग्रिम प्राधिकार वाली इकाइयों के लिए 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है।
14.2 पोशाक और मेड-अप निर्यात के लिए राज्य एवं केन्द्रीय कर एवं अधिभार पर छूट (आरओएससीटीएल) योजना को 31.03.2026 तक बढ़ा दिया गया है और इसे आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शुरू से अंत तक डिजिटलीकरण लागू किया गया है।
14.3 अग्रिम प्राधिकार के तहत निर्यात संबंधी दायित्व की अवधि क्यूसीओ छूट चाहने वाले मामलों के लिए 6 से 18 महीने तक बढ़ा दी गई है।
14.4 डेटा-आधारित, निर्यात करने वाले 520 जिलों की मैपिंग पूरी हो गई है।
14.5 सिंथेटिक सिलाई वाले फैब्रिक सामानों पर 31.03.2026 तक न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) लगाया गया है और एक कारगर आयात निगरानी प्रणाली विकसित किया गया है।
- जीएसटी सुधार:

वस्त्र क्षेत्र के संबंध में जीएसटी में अगली पीढ़ी का युक्तिकरण (जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक की सिफारिशों के अनुसार)
15.1 रेडीमेड पोशाक एवं मेड अप: रेडीमेड पोशाक एवं मेड अप की चीजों पर 2,500 रुपये प्रति पीस (पहले 1,000 रुपये) तक 5 प्रतिशत की जीएसटी दर (एचएस 63053200, 63053300, 6309 को छोड़कर)।
15.2 मानव-निर्मित फाइबर एवं धागे: जीएसटी 18 प्रतिशत→5 प्रतिशत (फ़ाइबर) और 12 प्रतिशत →5 प्रतिशत (धागे) कर दिया गया है। इससे उल्टी शुल्क संरचना [इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर (आईडीएस)] ठीक होगी, फाइबर-धागे-फ़ैब्रिक की दरें एक जैसी होंगी और निर्माताओं पर लंबे समय से चला आ रहा कार्यात्मक पूंजी का बोझ खत्म होगा।
15.3 कालीन और फ़्लोर कवरिंग (एचएस 5701–5705): जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे भदोही और श्रीनगर जैसे क्लस्टरों से निर्यात बढ़ेगा, पारंपरिक शिल्पों को मजबूती मिलेगी और घरेलू बाज़ारों में चीजें अधिक सस्ती होंगी।
15.4 हस्तशिल्प और हथकरघा: 36 हस्तशिल्प वस्तुओं, हथकरघा की सूती दरियों और एचएस 5705 के तहत हाथ से बुने हुए कालीनों पर जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इस कदम से कारीगरों को राहत मिलेगी, ग्रामीण आजीविका बढ़ेगी और भारत की समृद्ध शिल्प परंपराओं को समर्थन मिलेगा।
15.5 सिलाई मशीनें (घरेलू एवं औद्योगिक, एचएस 8452 के तहत): जीएसटी 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे टेलरिंग इकाइयों के लिए लागत कम होगी और घरेलू मैन्यूफ़ैक्चरिंग को बढ़ावा मिलेगा।
- नियामक और वैधानिक सुधार:

जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) विधेयक, 2025 के हिस्से के रूप में, वस्त्र मंत्रालय ने व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने और अनुपालन बोझ को कम करने हेतु प्रमुख कानूनों में दंडात्मक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाया है।
16.1 केन्द्रीय रेशम बोर्ड अधिनियम, 1948 - धारा 14A, 14(1) (a), 14(1) (b), और 14(1)(c) जिसमें कारावास या जुर्माने का प्रावधान है, को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव दिया गया है।
16.2 वस्त्र समिति अधिनियम, 1963 - धारा 17(2)(a), 17(2)(b), और 18(1) जिसमें दंडात्मक प्रावधान शामिल हैं, को आपराधिक देनदारियों को सिविल दंड में बदलने की सिफारिश की गई है।
16.3 हथकरघा (उत्पादन के लिए वस्तुओं का आरक्षण) अधिनियम, 1985 - धारा 10(a), 11(a), और 11(b) को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो नियामक विश्वास-आधारित शासन को बढ़ाने हेतु व्यापक सरकारी पहलों के अनुरूप है।
- भारत टेक्स 2025:

भारत का सबसे बड़ा वैश्विक वस्त्र कार्यक्रम 14 से 17 फरवरी, 2025 के दौरान नई दिल्ली के भारत मंडपम में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
17.1 यह कार्यक्रम 2.2 मिलियन वर्गफुट में फैला था और इसमें 5,000 से अधिक प्रदर्शक शामिल थे, जिन्होंने भारत के वस्त्र से जुड़े इकोसिस्टम की पूरी झलक पेश की। 120 से अधिक देशों से 1,20,000 से अधिक व्यापार से जुड़े आगंतुक, जिनमें वैश्विक स्तर के सीईओ, नीति-निर्माता और उद्योग जगत के प्रमुख शामिल थे, ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में 12000 से अधिक वस्त्र उत्पाद, 6000 से अधिक विदेशी खरीदार, 120,000 व्यापार से जुड़े आगंतुक और 70 से अधिक ज्ञान-सत्र।
17.2 भारत टेक्स 2025 ने सरकार के “फार्म टू फाइबर, फैब्रिक, फैशन और फॉरेन मार्केट्स” विजन को गति देने के लिए एक प्लेटफॉर्म के रूप में काम किया। भारत का वस्त्र निर्यात पहले ही 3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है और घरेलू मैन्यूफैक्चरिंग को मजबूत करके और वैश्विक पहुंच का विस्तार करके 2030 तक इसे तीन गुना बढ़ाकर 9 लाख करोड़ रुपये का करने का लक्ष्य है।
17.3 इस कार्यक्रम ने वस्त्र क्षेत्र में भारत के नेतृत्व एवं नवाचार, निरंतरता एवं वैश्विक सहयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाया।
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पीके/केसी/आर
(रिलीज आईडी : 2208051)
(रिलीज़ आईडी: 2208390)
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