आयुष
azadi ka amrit mahotsav

आयुष के विज्ञापनों का जनसंचार माध्यमो में प्रचार

प्रविष्टि तिथि: 19 DEC 2025 9:23PM by PIB Delhi

आयुष मंत्रालय ने वर्ष 2021 में केंद्रीय क्षेत्रीय योजना-आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन सम्वर्धन योजना (AOGUSY) लागू की है। इस योजना का एक घटक आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी एवं होम्योपैथी (ASU & H) दवाओं के लिए फार्माकोविजिलेंस कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम देश भर में स्थापित एक राष्ट्रीय फार्माकोविजिलेंस केंद्र (NPvCC) के अलावा पांच मध्यस्थ फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (IPvCs) और 97 परिधीय फार्माकोविजिलेंस केंद्रों (PPvCs) के तीन-स्तरीय नेटवर्क के माध्यम से कार्य कर रहा है।

इन फार्माकोविजिलेंस केंद्रों के माध्यम से, आपत्तिजनक/भ्रामक विज्ञापनों के बारे में नियमित रूप से संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकारियों को विभिन्न अधिनियमों जैसे औषधि एवं जादू-टोना उपाय (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954, केबल टेलीविजन नेटवर्क (नियमन) अधिनियम 1995, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 आदि के उल्लंघन के लिए सूचित किया जाता है, ताकि उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई आरंभ की जा सके।

इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग विनियम 2022 तथा राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विनियम 2022 के अनुसार, सभी आयुष चिकित्सा प्रणालियों के लिए फार्माकोविजिलेंस एक अनिवार्य घटक है।

आयुष औषधियों के फार्माकोविजिलेंस प्रणाली को मजबूत करने के लिए, आयुष मंत्रालय ने 30 मई 2025 को आईटी-सक्षम ऑनलाइन पोर्टल “आयुष सुरक्षा” लॉन्च किया, ताकि भ्रामक विज्ञापनों/आपत्तिजनक विज्ञापनों (MLAs/OAs) को कैप्चर किया जा सके और आयुष चिकित्सा से संबंधित प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रियाओं (ADRs) की रिपोर्टिंग की जा सके। यह पोर्टल संदिग्ध ADRs का वास्तविक समय ट्रैकिंग करने के लिए एक केंद्रीकृत डैशबोर्ड प्रदान करता है तथा MLAs/OAs को कैप्चर करने की सुविधा देता है। इससे त्वरित नियामक कार्रवाई और व्यापक डेटा विश्लेषण संभव हो सके।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MoIB) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, निजी सैटेलाइट टीवी चैनलों पर प्रसारित सभी विज्ञापनों को केबल टेलीविजन नेटवर्क (नियमन) अधिनियम, 1995 और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित विज्ञापन संहिता का पालन करना आवश्यक है। विज्ञापन संहिता के नियम 7(5) में, अन्य बातों के अलावा, यह प्रावधान है कि ‘कोई भी विज्ञापन ऐसा संदर्भ न रखे जो जनता को यह अनुमान लगाने के लिए प्रेरित करे कि विज्ञापित उत्पाद या उसके किसी घटक में कोई विशेष, चमत्कारी या अलौकिक गुण या गुणवत्ता है और इसे सिद्ध करना कठिन हो।’ जब विज्ञापन संहिता के किसी प्रावधान का उल्लंघन पाया जाता है, तो निजी टीवी चैनलों के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जाती है। मंत्रालय समय-समय पर प्रसारकों को विज्ञापन संहिता का पालन सुनिश्चित करने के लिए सलाहकार जारी करता है।

औषधि नियम, 1945 के नियम 158-बी में आयुर्वेदिक, सिद्ध, यूनानी चिकित्साओं के निर्माण के लिए लाइसेंस जारी करने के नियामक दिशानिर्देश दिए गए हैं और औषधि नियम, 1945 के नियम 85 (क से इ) में होम्योपैथी चिकित्साओं के निर्माण के लिए लाइसेंस जारी करने के नियामक दिशानिर्देश दिए गए हैं। क्लिनिकल ट्रायल वर्तमान दिशानिर्देशों के अनुसार किए जाते हैं, जैसे कि ASU दवाओं के लिए गुड क्लिनिकल प्रैक्टिस दिशानिर्देश (GCP-ASU), बायो मेडिकल रिसर्च के लिए नैतिक दिशानिर्देश (ICMR) 2017, एकीकृत चिकित्सा में अनुसंधान के लिए नैतिक आवश्यकताओं पर 2025 का बाद का परिशिष्ट और पारंपरिक चिकित्साओं के लिए WHO दिशानिर्देश, जैसा आवश्यक हो।

यह जानकारी आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में आयुष के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री प्रताप राव जाधव द्वारा दी गई।

 

******

 

पीके/केसी/एमएम


(रिलीज़ आईडी: 2209487) आगंतुक पटल : 8
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English