रेल मंत्रालय
भारतीय रेलवे ने अपने सबसे कठिन घाट खंडों में से एक, सकलेशपुर-सुब्रमण्य रोड का विद्युतीकरण पूरा किया:
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि हम इस मार्ग से मंगलुरु तक वंदे भारत ट्रेन चला सकेंगे
प्रविष्टि तिथि:
30 DEC 2025 8:00PM by PIB Delhi
भारतीय रेलवे ने सकलेशपुर-सुब्रमण्य रोड घाट खंड के विद्युतीकरण को पूरा करके इंजीनियरिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह खंड भारतीय रेलवे नेटवर्क के सबसे कठिन और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण भूभागों में से एक है।
28 दिसंबर 2025 को सफल इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव परीक्षण के साथ यह उपलब्धि हासिल हुई। इसके साथ ही, यह खंड अब इलेक्ट्रिक रेलगाड़ियों के परिचालन के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस घाट खंड के विद्युतीकरण के साथ, समूचा बेंगलुरु-मंगलुरु रेल मार्ग अब पूर्णतः विद्युतीकृत हो गया है। इससे क्षेत्र में रेल संपर्क, परिचालन दक्षता और स्थिरता में सुधार होगा। यह परियोजना वंदे भारत और अन्य तीव्र गति वाली इलेक्ट्रिक रेलगाड़ियों के परिचालन को भी सक्षम बनाएगी, जिससे तटीय क्षेत्र में तेज़, स्वच्छ और अधिक विश्वसनीय यात्रा संभव हो सकेगी।
सकलेशपुर और सुब्रमण्य रोड के बीच स्थित घाट खंड का विद्युतीकरण 55 किलोमीटर तक फैला हुआ है। यह भूभाग अत्यंत जटिल है और रेलवे ट्रैक तक पहुँचने के लिए कोई सड़क नहीं है। इसमें 1:50 की तीव्र ढलान, 57 सुरंगें, 226 पुल और 108 कठिन मोड़ शामिल हैं। यह क्षेत्र मानसून के दौरान भूस्खलन के लिए भी अत्यधिक संवेदनशील है। इसलिए इस खंड का विद्युतीकरण करना एक महत्वपूर्ण इंजीनियरिंग चुनौती थी।
विद्युतीकरण का कार्य दिसंबर 2023 में शुरू हुआ। इस परियोजना में पांच स्विचिंग स्टेशनों का निर्माण और पूर्ण ओवरहेड विद्युतीकरण शामिल था। सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए, ट्रैक्शन पोल के बीच अधिकतम दूरी 67.5 मीटर रखी गई थी।
सुरंगों के विद्युतीकरण पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता थी। 57 सुरंगों में 427 मुख्य ब्रैकेट और 427 अतिरिक्त ब्रैकेट लगाए गए हैं। राष्ट्रीय रॉक मैकेनिक्स संस्थान और बैंगलोर विश्वविद्यालय के सहयोग से विस्तृत भूवैज्ञानिक अध्ययन किए गए। दीर्घकालिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, एंकरिंग की मजबूती की जांच करने हेतु प्रत्येक ब्रैकेट के स्थान पर पुल-आउट परीक्षण किए गए।
तीव्र ढलानों के लिए विशेष उपकरणों और मजबूत इंजीनियरिंग समाधानों की आवश्यकता थी। भारी वर्षा, भूस्खलन, मिट्टी के कटाव और चट्टान गिरने से कार्य में कई बार व्यवधान आया। कई स्थानों पर, दूरस्थ और दुर्गम स्थलों तक सामान पहुँचाने के लिए रेल परिवहन का सहारा लेना पड़ा। पूरी परियोजना के दौरान कड़े सुरक्षा उपायों का पालन किया गया। तीव्र ढलानों के कारण, परियोजना के दौरान सुरक्षित और निर्बाध रेल संचालन सुनिश्चित करते हुए, काम को सावधानीपूर्वक योजना बनाकर पूरा किया गया।
विद्युतीकरण पूरा होने और परीक्षणों के सफल होने के साथ, घाट खंड अब पूरी तरह से इलेक्ट्रिक रेलगाड़ियों के लिए तैयार है। इससे ईंधन की खपत कम होगी, उत्सर्जन घटेगा और परिचालन अधिक कुशल होगा। यह क्षेत्र में वंदे भारत सेवाओं सहित आधुनिक इलेक्ट्रिक सुपरफास्ट रेल सेवाओं की शुरुआत में भी सहायक होगा।
घाट के इस महत्वपूर्ण हिस्से के विद्युतीकरण से देश की आईटी राजधानी बेंगलुरु और बंदरगाह शहर मंगलुरु के साथ-साथ अन्य तटीय वाणिज्यिक केंद्रों के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध मजबूत होंगे। इलेक्ट्रिक ट्रेनों के शुरू होने से लोगों और व्यावसायिक यात्राओं की सुगमता बढ़ेगी, जिससे तटीय क्षेत्र में व्यापार, सेवाओं और संबंधित आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
इस उपलब्धि के महत्व का उल्लेख करते हुए, केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण एवं इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "अब हम इस मार्ग से मंगलुरु तक वंदे भारत ट्रेन चला सकेंगे।"
भारतीय रेलवे ने अपने ब्रॉड गेज नेटवर्क के 99% से अधिक हिस्से का पहले ही विद्युतीकरण कर लिया है। 2014 से पहले के लगभग छह दशकों में केवल 21,801 किलोमीटर मार्ग की तुलना में 2014 से अब तक 46,900 किलोमीटर से अधिक मार्ग का विद्युतीकरण किया जा चुका है। 2019 से 2025 के बीच लगभग 33,000 किलोमीटर मार्ग का विद्युतीकरण किया गया, जो लगभग जर्मनी के समूचे रेलवे नेटवर्क के बराबर है।
एक बार शेष छोटे खंडों के विद्युतीकरण पूरा होने के बाद, भारत विश्व के सबसे बड़े पूर्णतः विद्युतीकृत रेलवे नेटवर्क में से एक होगा। यह स्वच्छ ऊर्जा, कार्बन उत्सर्जन में कमी, ऊर्जा सुरक्षा और प्रतिदिन लाखों यात्रियों के लिए विश्वसनीय रेल यात्रा के प्रति भारतीय रेलवे की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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पीके/केसी/एनकेएस
(रिलीज़ आईडी: 2209985)
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