वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
प्रसंस्करण और ब्रांडिंग पर ध्यान केंद्रित करके कृषि निर्यात ₹4.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है: केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल
नए कृषि निर्यात जैसे जामुन, लीची और अनानास के साथ भारत अपने वैश्विक पदचिह्नों का विस्तार कर रहा है: श्री पीयूष गोयल
बूंद आधारित सिंचाई को जन आंदोलन होना चाहिए जिससे खेतों की उत्पादतका और पर्यावरण तन्यकशीलता में बढ़ोतरी हो: श्री पीयूष गोयल
किसानों की आय बढ़ाने, इनपुट लागत को नियंत्रित करने के लिए सब्सिडी का विस्तार करने सरकार प्रतिबद्ध है: श्री गोयल
Posted On:
09 JUL 2025 7:33PM by PIB Delhi
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में आईसीसी: कृषि विक्रम विषयगत चर्चा में संबोधन के दौरान कहा कि भारत का कृषि और मत्स्य निर्यात ₹4.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने जोड़ा कि कृषि निर्यात में ₹20 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की क्षमता है, बशर्ते देश अपने खाद्य प्रसंस्करण को सुदृढ़ करे और ब्रांडिंग तथा पैकेजिंग की गुणवत्ता में सुधार करे।
श्री गोयल ने साझा किया कि भारते कृषि निर्यात की झोली को नए उत्पादों जैसे लीची, अनानास, लौकी और जामुन से विस्तार मिला है- जो पारंपरिक रूप से निर्यात नहीं किए जाते थे- अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंच रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि जामुन हाल ही में यूके, और लीची पंजाब से दोहा और दुबई तक निर्यात की गई है। उन्होंने जोड़ा कि भारत के पदचिह्न वैश्विक बाजार जैसे यूएई, सऊदी अरब और गल्फ राष्ट्रों तक फैल रहे हैं।
उन्होंने रेखांकित किया कि दालों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वर्ष के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ग्लोबल पुश ने भारत के अन्न और उसके पोषक मूल्यों के प्रति पूरे विश्व का ध्यान खींचा है।
श्री गोयल ने रेखांकित किया कि पूरी कृषि में, बीज से लेकर उर्वरक, इनसेक्टिसाइड, कीटनाशक और पानी के पंप जैसे उपकरणों की एक तन्यकशील सप्लाई चेन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को कृषि आयात में किसी वैश्विक रुकावट के लिए तैयार रहना होगा और कृषि वस्तुओं के सभी पहलुओं पर अपनी आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करनी होगी।
मंत्री जी ने जोर देकर कहा कि बूंद के माध्यम से सिंचाई करना भारत की कृषि के लिए एक खेल बदलने वाली स्थिति हो सकती है, विशेषकर बारिश आधारित अर्थव्यवस्था में। उन्होंने कहा कि जल संचयन के तरीकों जैसे बूंद के माध्यम से सिंचाई को एक जन आंदोलन के तौर पर बढ़ाया जाना होगा। ग्राम स्तर पर छोटे जल आशयों और बूंद के माध्यम से सिंचाई को बड़े स्तर पर अपनाकर, भारतीय कृषि अनुमान के ज्यादा करीब और जलवायु परिवर्तन के प्रति कम असुरक्षित होगी। इन कदमों से न केवल उत्पादकता बढ़ेगी बल्कि फसल की विश्वसनीयता और नियमितता सुधारकर निर्यात में आसानी होगी।
उन्होंने पुराने हो चुके पंपों को छोटे और कम ऊर्जा वाले मॉडलों से बदलने के फायदों को रेखांकित किया। नए स्मार्ट पंप को मोबाइल फोन के जरिए किसी दूसरी जगह से भी नियंत्रित किया जा सकात है, पानी के इस्तेमाल की जानकारी भी इनसे मिलती है और ये सिंचाई को नियमित करने में किसानों की मदद करते है। बूंद के माध्यम से सिंचाई वाले सिस्टम को जोड़ने से, ये पानी के अपव्यय और अति-सिंचाई से होने वाले नुकसान को कम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि कम ऊर्जा वाले पंपों और बूंद आधारित सिंचाई को मिलाने से लगने वाली लागत में भी कमी आ सकती है और कृषि पद्धतियों के कुल संपोषण में सुधार हो सकता है। बिजली का कम इस्तेमाल करके और पानी की खपत को सुधारकर, ये तकनीकें किसानों को सीधे लाभ पहुंचाती हैं और लंबे समय के लिए उत्पादकता बढ़ाती हैं।
मंत्री जी ने कृषि उद्यमियों को इस क्षमता का लाभ उठाने के लिए किसानों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने हाल ही में हल्दी बोर्ड के गठन को मसाला निर्यात को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक कदम बताया। उन्होंने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में कॉफी का निर्यात दोगुना हो गया है, और जहां मसाला निर्यात में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं इसे और बढ़ाने के लिए और अधिक केंद्रित प्रयासों की आवश्यकता है।
उन्होंने इस विषय पर जोर दिया कि प्राकृतिक और जैविक खेती में अपार संभावनाएं हैं। सरकार ब्लॉकचेन तकनीक की मदद से जैविक उत्पादों के प्रमाणन मानदंडों को कड़ा कर रही है ताकि विश्वसनीयता और पता लगाने की क्षमता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने आगे कहा कि सरकार बेहतर पैकेजिंग और उत्पाद डिजाइन को भी प्रोत्साहन देगी जिससे भारत के कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अधिक विजिबिलिटी और प्रतिस्पर्धात्मकता मिल सके।
श्री गोयल ने कहा कि जब किसान, उद्योग और निर्यातक मिलकर काम करते हैं, तो चुनौतियों का समाधान बेहतर तरीके से होता है। उन्होंने कहा कि निर्यात बढ़ाने के लिए पैकेजिंग और डिजाइन सहायता के लिए सरकारी सहायता मिलेगी।
मंत्री जी ने कहा कि भारतीय कृषि में परिवर्तन कठिन और प्रेरणा भरा रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि कैसे भारत की मिट्टी की मजबूती, किसानों के अथक प्रयासों और निरंतर सरकारी सहयोग ने भारत को कृषि के क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने याद दिलाया कि लाल बहादुर शास्त्री के नारे "जय जवान, जय किसान" से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण तक, कृषि हमेशा से एक राष्ट्रीय प्राथमिकता रही है।
उन्होंने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार किसानों की आय और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि पीएम-किसान योजना के अंतर्गत, हर किसान को सालाना राशि मिलती है। सरकार ने सब्सिडी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी करके उर्वरक की बढ़ती कीमतों को भी रोका है।
उन्होंने बताया कि पारदर्शी तरीके से मूल्य तय करने की सुविधा के लिए 1,400 मंडियों को सुदृढ़ करके ई-नाम प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है। किसानों को मशीनीकरण तक पहुंच के लिए किसान उत्पादक संगठनों के माध्यम से सहायता दी जा रही है, और ₹1 लाख करोड़ का कृषि अवसंरचना कोष कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में मदद कर रहा है।
श्री गोयल ने ड्रोन दीदी पहल के बारे में भी बात की, जिसके अंतर्गत 1.5 लाख महिलाओं को उर्वरक छिड़काव के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने का प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार अंतर-फसल, बागवानी और फूलों की खेती को प्रोत्साहन दे रही है और कृषि उद्यमियों को अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं को सीखने और उन नवाचारों को भारतीय खेतों में लाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि सामूहिक प्रयास और नवीन दृष्टिकोणों से, भारतीय कृषि स्थानीय उपज को वैश्विक सफलता की कहानियों में बदल सकती है और राष्ट्रीय विकास का एक सच्चा इंजन बनकर उभर सकती है।
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