वित्त मंत्रालय
पब्लिक सेक्टर बैंकों के बकाया एजुकेशन लोन का ग्रॉस एनपीए 7% से घटकर 2% रह गया, जो एसेट क्वालिटी में सुधार को प्रतिबिंबित करता है
पब्लिक सेक्टर बैंक अपने बोर्ड की ओर से मंजूरी की गई पॉलिसी के अनुसार, हर मामले के आधार पर 7.50 लाख रुपये से अधिक का कोलैटरल-फ्री एजुकेशन लोन देते हैं
प्रविष्टि तिथि:
15 DEC 2025 6:58PM by PIB Delhi
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मिली जानकारी के अनुसार, बकाया एजुकेशन लोन के मामले में, पब्लिक सेक्टर बैंकों (पीएसबी) का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) वित्त वर्ष 2020-21 में 7% से घटकर वित्त वर्ष 2024-25 में 2% रह गया, जिससे बीते कुछ वर्ष में एजुकेशन लोन की एसेट क्वालिटी में महत्वपूर्ण सुधार दिख रहा है। इस संबंध में राज्य-वार जानकारी आरबीआई द्वारा नहीं रखी जाती है।
विनियमित इकाइयों (आरई) के क्रेडिट से जुड़े मामले काफी हद तक अविनियमित हैं और ये संबंधित रेगुलेटरी और वैधानिक जरूरतों और उधारकर्ता और आरई के बीच लोन अनुबंध के नियमों और शर्तों के दायरे में आरई की बोर्ड की ओर से मंजूर की गई लोन पॉलिसी के माध्यम से शासित होते हैं। आरबीआई ने बैंकों को बोर्ड द्वारा मंजूर की गई लोन पॉलिसी लागू करने की सलाह दी है और वे रेगुलेशन के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुसार, उक्त पॉलिसी के अनुसार क्रेडिट संबंधी फैसले लेंगे।
इसके साथ ही, आरबीआई ने रिकवरी को बेहतर बनाने और बैंकों में शुरुआती/ स्थापित स्ट्रेस को हल करने के लिए कई पहल की हैं, जिसमें आरबीआई (कमर्शियल बैंक – स्ट्रेस्ड एसेट्स का समाधान) निर्देश, 2025 के अंतर्गत स्ट्रेस्ड एसेट्स के समाधान के लिए प्रूडेंशियल फ्रेमवर्क जारी करना शामिल है, जो एक सिद्धांत-आधारित फ्रेमवर्क है और समयबद्ध तरीके से डिफॉल्ट की शुरुआती पहचान और समाधान का प्रावधान करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों (एससीबी) को मॉडल एजुकेशन लोन स्कीम (एमईएलएस) अपनाने की सलाह दी है, (पिछला संशोधन 21.3.2024 को हुआ)। यह योजना दूसरी बातों के अलावा, जरूरत-आधारित एजुकेशन लोन देती है और ₹7.50 लाख तक की लोन राशि के लिए कोई कोलैटरल सिक्योरिटी या थर्ड-पार्टी गारंटी की आवश्यकता नहीं है, बशर्ते वे केंद्रीय क्षेत्र की ब्याज सब्सिडी योजना (सीएसआईएस)/ शिक्षा ऋण हेतु क्रेडिट गारंटी निधि (सीजीएफएसईएल) के लिए पात्र हों।
पब्लिक सेक्टर बैंक (पीएसबी) भी अपने बोर्ड की ओर से मंजूर पॉलिसी के अनुसार, हर मामले के आधार पर ₹ 7.50 लाख से अधिक के बिना गारंटी वाले लोन देते हैं।
इसके अलावा, आरबीआई ने 12 अप्रैल, 2010 के सर्कुलर आरपीसीडी.एसएमईएंडएनएफएस.बीसी.क्रमांक 69/06.12.05 /2009-10 में, बिना गारंटी वाले लोन - एजुकेशनल लोन योजना के बारे में सलाह दी है कि बैंकों को ₹4 लाख तक के एजुकेशनल लोन के मामले में, अनिवार्य रूप से गारंटी सिक्योरिटी नहीं लेनी चाहिए।
इसके अतिरिक्त, पीएम विद्यालक्ष्मी योजना 06.11.2024 को लॉन्च की गई है, जो होनहार छात्रों को बैंकों के जरिए लोन देती है ताकि भारत के किसी भी युवा को वित्तीय समस्याओं के चलते अच्छी उच्च शिक्षा हासिल करने से रोका न जा सके। यह योजना देश के टॉप क्वालिटी हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (क्यूएचईआई) में एडमिशन पाने वाले होनहार छात्रों को एजुकेशन लोन देती है और इन क्यूएचईआई के होनहार छात्रों को एक आसान, पारदर्शी, छात्र-हितैषी एप्लीकेशन प्रोसेस के जरिए बिना किसी गारंटी या गारंटर के एजुकेशन लोन लेने में मदद करती है।
यह जानकारी वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में दी।
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पीके/केसी/एमएम/डीए
(रिलीज़ आईडी: 2204337)
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