Farmer's Welfare
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025
Posted On: 02 AUG 2025 10:59 AM
समृद्धि के लिए सहयोग: विकसित भारत 2047 का मार्ग प्रशस्त करना
सहकारिता भारत की विरासत का अभिन्न अंग रहा है। छोटी-छोटी चीज़ें या सीमित संसाधन भी, एकजुट होकर, महत्वपूर्ण नतीजे हासिल कर सकते हैं।
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
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मुख्य बातें
- भारत में 8.44 लाख से ज़्यादा सहकारी समितियाँ हैं, जिनके 30 करोड़ से ज़्यादा सदस्य हैं।
- राष्ट्रीय सहकारिता नीति का मकसद सहकार-से-समृद्धि के ज़रिए 2047 के विकासशील भारत के लिए सहकारी समितियों को प्रेरक घटक बनाना है।
- इसका मुख्य उद्देश्य कानूनी सुधारों, डिजिटलीकरण और वित्तीय सशक्तिकरण पर है।
- यह नीति महिलाओं, युवाओं, अनुसूचित जातियों/अनुसूचित जनजातियों की समावेशी भागीदारी को बढ़ावा देती है।
- यह नीति स्वच्छ ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन और प्रौद्योगिकी जैसे नए क्षेत्रों में सहकारी समितियों के विस्तार का भी सुझाव देती है।

प्रस्तावना
राष्ट्रीय सहकारिता नीति (एनसीपी) 2025, 2047 तक "विकसित" बनने के राष्ट्र के लक्ष्य को पूरा करने के लिए, भारत के सहकारी क्षेत्र को पुनर्जीवित करने हेतु एक रणनीतिक रोडमैप पेश करती है। सहकार-से-समृद्धि के मूल सिद्धांतों पर आधारित, इस नीति का मकसद भारत की सहकारी परंपरा की अनूठी शक्तियों का निर्माण करना, आर्थिक लोकतंत्रीकरण को बढ़ावा देना और सामूहिक भागीदारी के ज़रिए ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का उत्थान करना है।
- भारत में 8.44 लाख से ज़्यादा सहकारी समितियाँ हैं, जिनमें 2 लाख ऋण सहकारी समितियाँ और 6 लाख गैर-ऋण सहकारी समितियाँ शामिल हैं, जो आवास, डेयरी, मत्स्य पालन आदि क्षेत्रों में फैली हुई हैं।
- 30 करोड़ से ज़्यादा सदस्यों के साथ, सहकारी समितियाँ, खासतौर पर ग्रामीण भारत में, एक प्रमुख सामाजिक-आर्थिक प्रेरक बनी हुई हैं।
भारत में दुनिया की एक-चौथाई से ज़्यादा सहकारी समितियाँ हैं।
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सहकारी समिति क्या है?
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सहकारी समिति व्यक्तियों का एक स्वायत्त संघ है, जो संयुक्त स्वामित्व वाले और लोकतांत्रिक रूप से सदस्य-नियंत्रित उद्यम के ज़रिए अपनी सामान्य आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक ज़रुरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से एकजुट होते हैं।
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ऋण और गैर-ऋण सहकारी समितियों के बीच अंतर
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पहलू
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ऋण सहकारी समितियाँ
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गैर-ऋण सहकारी समितियाँ
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कार्य
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ऋण और बचत जैसी वित्तीय सेवाएँ प्रदान करना।
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कृषि सलाह, आवास आदि जैसी वस्तुएँ/सेवाएँ प्रदान करना।
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उदाहरण
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पैक्स, शहरी सहकारी बैंक।
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डेयरी, विपणन, उपभोक्ता, आवास सहकारी समितियाँ।
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भारतीय सहकारी आंदोलन, एक सदी से भी ज़्यादा वक्त से ज़मीनी ऱऱस्तर पर सामाजिक-आर्थिक उत्थान के मकसद से एक सहभागी, जन-नेतृत्व वाले विकास मॉडल का अग्रदूत रहा है। भारत में सहकारी समितियाँ मूल सहकारी सिद्धांतों से संचालित होती हैं और इनका स्वामित्व सदस्यों के पास होता है, इनका संचालन भी सदस्यों द्वारा ही होता है और ये सदस्यों के लाभ के लिए होती हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ और नई नीति की ज़रुरत
2002 में तैयार की गई पिछली सहकारी नीति, वैश्वीकरण, डिजिटलीकरण और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के चलते आए बड़े बदलावों के कारण अब पुरानी साबित हो रही थी।
इन घटनाक्रमों को ध्यान में रखते हुए, सहकारिता मंत्रालय (जिसकी स्थापना 2021 में हुई) ने सितंबर 2022 में एक नई नीति तैयार करने की पहल की।
श्री सुरेश प्रभु के नेतृत्व में एक 48 सदस्यीय समिति ने 4 क्षेत्रीय कार्यशालाओं और 17 बैठकों में हितधारकों के साथ परामर्श किया और वर्तमान नीति का मसौदा तैयार करने के लिए कुल 648 सुझाव एकत्र किए। समिति में सभी स्तरों और क्षेत्रों के राष्ट्रीय/राज्य सहकारी संघों और समितियों के सदस्य, संबंधित केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों/विभागों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधि शामिल थे।
विज़न, मिशन और उद्देश्य
दृष्टिकोण
'सहकार-से-समृद्धि' के दृष्टिकोण का पालन करते हुए, सतत् सहकारी विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर, 2047 तक 'विकसित' बनने की भारत की सामूहिक महत्वाकांक्षा में अहम योगदान देना।
मिशन
एक ऐसा सक्षम कानूनी, आर्थिक और संस्थागत ढाँचा तैयार करना, जो ज़मीनी स्तर पर सहकारी आंदोलन को मज़बूत और गहन बनाएगा और सहकारी उद्यमों को पेशेवर रूप से प्रबंधित, पारदर्शी, प्रौद्योगिकी-सक्षम, जीवंत और उत्तरदायी आर्थिक संस्थाओं में बदलने में मदद करेगा, ताकि जनता द्वारा उत्पादन को मदद मिल सके।

रणनीतिक स्तंभ
नीति छह मिशन स्तंभों और 16 उद्देश्यों पर आधारित है:
1. आधार को मज़बूत करना - कानूनी सुधार, बेहतर प्रशासन, वित्तीय मदद तक पहुँच, डिजिटलीकरण।
2. जीवंतता को बढ़ावा देना - व्यावसायिक व्यवस्था तंत्र का निर्माण, निर्यात और ग्रामीण समूहों का विस्तार।
3. सहकारी समितियों को भविष्य के लिए तैयार करना - प्रौद्योगिकी एकीकरण, पेशेवर प्रबंधन, सहकारी स्टैक।
4. समावेशिता को बढ़ावा देना और पहुँच को गहरा करना - सहकारी नेतृत्व वाले समावेशी विकास और सहकारी समितियों को एक जन आंदोलन के रूप में बढ़ावा देना।
5. नए और उभरते क्षेत्रों में प्रवेश - बायोगैस, स्वच्छ ऊर्जा, भंडारण, स्वास्थ्य सेवा, आदि।
6. सहकारी विकास के लिए युवा पीढ़ी को आकार देना - पाठ्यक्रम, प्रशिक्षण, रोजगार कार्यालय।
नीति की मुख्य विशेषताएँ
विधायी और संस्थागत सुधार
- पारदर्शिता, स्वायत्तता और व्यापार में सुगमता बढ़ाने के लिए राज्यों को सहकारी कानूनों (सहकारी समिति अधिनियम और नियम) में संशोधन के लिए प्रोत्साहित करना।
- पंजीयक कार्यालयों के डिजिटलीकरण और रीयल-टाइम सहकारी डेटाबेस को बढ़ावा देना।
- संस्थागत तंत्रों के माध्यम से कमज़ोर सहकारी समितियों को पुनर्जीवित करना।
वित्तीय सशक्तिकरण
- त्रि-स्तरीय प्राथमिक कृषि ऋण समितियों, जिला केंद्रीय सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक ऋण संरचना का संरक्षण और संवर्धन।
- सहकारी बैंकों और वृहद संगठनों (जैसे राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम) को बढ़ावा देना।
- सहकारी बैंकों को सरकारी कार्यों को संभालने में सक्षम बनाना।
व्यावसायिक व्यवस्था तंत्र का विकास
- विकास इंजन के रूप में बहुउद्देशीय पैक्स के साथ आदर्श सहकारी गाँव।
- राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को कम से कम एक आदर्श सहकारी गाँव विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- ग्रामीण आर्थिक समूहों (जैसे, शहद, मसाले, चाय) का विकास करना।
- 'भारत' ब्रांड के अंतर्गत ब्रांडिंग को बढ़ावा देना।
आदर्श सहकारी ग्राम
आदर्श सहकारी ग्राम एक आत्मनिर्भर ग्रामीण इकाई है, जो आजीविका और उत्पादकता बढ़ाने के लिए सहकारी-नेतृत्व वाले, परिवार-केंद्रित दृष्टिकोण के ज़रिए विकसित की जाती है।
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भविष्य की तैयारी और प्रौद्योगिकी
- कृषि-स्टैक और डेटाबेस के साथ एकीकृत एक राष्ट्रीय 'सहकारी स्टैक' विकसित करना।
- डिजिटल कॉमर्स के लिए खुला नेटवर्क (ओएनडीसी) और सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) प्लेटफ़ॉर्म एकीकरण को बढ़ावा देना।
- सहकारी इनक्यूबेटरों और उत्कृष्टता केंद्रों के ज़रिए अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
डिजिटल कॉमर्स के लिए खुला नेटवर्क (ओएनडीसी)
ओएनडीसी, भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा डिजिटल कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करने के मकसद से शुरू की गई एक परिवर्तनकारी पहल है। अप्रैल 2022 में शुरू की गई ओएनडीसी का मकसद, डिजिटल या इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के सभी पहलुओं के लिए खुले नेटवर्क को बढ़ावा देना है।
सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM)
जीईएम भारत में सार्वजनिक खरीद के लिए एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है। यह पहल 9 अगस्त 2016 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा सरकारी खरीदारों के लिए एक खुला और पारदर्शी खरीद मंच बनाने के मकसद से शुरू की गई थी।
समावेशिता के उपाय
- सहकारी समितियों में युवाओं, महिलाओं, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और दिव्यांगजनों की सक्रिय भागीदारी।
- लैंगिक प्रतिनिधित्व और पारदर्शी शासन के लिए आदर्श उपनियम।
- स्कूलों और कॉलेजों में सहकारी जागरूकता अभियान।
आदर्श उपनियम
साधारण भाषा में आदर्श उपनियम एक प्रतिनिधि नमूना हैं, और एक बहु-राज्य सहकारी समिति के उपनियमों को बनाने के लिए एक मार्गदर्शिका हैं।
क्षेत्रीय विविधीकरण
- नए और उभरते क्षेत्रों में सहकारी समितियों को बढ़ावा देना, जैसे:
क) नवीकरणीय ऊर्जा,
ख) अपशिष्ट प्रबंधन,
ग) स्वास्थ्य और शिक्षा,
घ) मोबाइल-आधारित एग्रीगेटर सेवाएँ (जैसे, प्लंबर, टैक्सी चालकों के लिए),
ङ) जैविक और प्राकृतिक खेती,
च) बायोगैस और इथेनॉल उत्पादन, आदि।
- युवा-उन्मुख क्षमता निर्माण
- उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में सहकारी-केंद्रित पाठ्यक्रम विकसित करना।
- एक राष्ट्रीय डिजिटल सहकारी रोजगार कार्यालय का निर्माण करना।
- युवाओं में वित्तीय और डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना।
- गुणवत्तापूर्ण सहकारी शिक्षकों और संसाधन व्यक्तियों की भर्ती करना।
कार्यान्वयन और निगरानी

एक मज़बूत बहु-स्तरीय कार्यान्वयन संरचना प्रस्तावित की गई है:
- नीति के प्रभावी और समयबद्ध कार्यान्वयन के लिए तकनीकी परियोजना प्रबंधन इकाई के सहयोग से सहकारिता मंत्रालय के तहत कार्यान्वयन प्रकोष्ठ।
- समग्र मार्गदर्शन, अंतर-मंत्रालयी समन्वय और आवधिक नीति समीक्षा आदि के लिए केंद्रीय सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में सहकारिता नीति पर राष्ट्रीय संचालन समिति का गठन किया जाएगा।
- राज्यों के साथ समन्वय, कार्यान्वयन संबंधी बाधाओं का समाधान, आवधिक निगरानी और मूल्यांकन आदि के लिए केंद्रीय सहकारिता सचिव की अध्यक्षता में नीति कार्यान्वयन और निगरानी समिति।
- समय-सीमा के साथ एक विस्तृत कार्य योजना अभी जारी की जानी है।
निष्कर्ष
राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का मकसद, सहकारी संस्थाओं को विकास के समावेशी और विकेन्द्रीकृत इंजन के रूप में मज़बूत करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करना है। यह लोकतांत्रिक भागीदारी को आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता के साथ जोड़ती है, जिसका मकसद सहकारी मूल्यों को आधुनिक प्रथाओं के साथ एकीकृत करके लाखों लोगों का उत्थान करना है। यह नीति न केवल पारंपरिक सहकारी क्षेत्रों को पुनर्जीवित करती है, बल्कि ऊर्जा, तकनीक और सेवाओं के क्षेत्र में नए आयाम भी खोलती है, जिससे सहकारी संस्थाएँ साल 2047 तक, भारत के आर्थिक विकास का 'दूसरा इंजन' बन जाएँगी।
संदर्भ
सहकारिता मंत्रालय
https://cooperatives.gov.in/en
https://crcs.gov.in/model_bye_laws
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1907564
https://www.cooperation.gov.in/sites/default/files/2025-07/NCP%28Eng%29_23Jul2025_v5_Final.pdf
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2090097
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2107510
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