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Energy & Environment

विश्‍व पर्यावरण दिवस 2025

अपने प्लास्टिक पदचिह्न कम करें

Posted On: 04 JUN 2025 2:11PM

"भारत प्लास्टिक कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देता है। हम जैव विविधता को समृद्ध करने के साथ-साथ निरन्‍तर विकास के लिए एकल उपयोग प्लास्टिक और सूक्ष्म प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के अपने प्रयासों में दृढ़ हैं।"  ~ प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी

संक्षिप्‍त विवरण

  • इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाएगा, जिसमें प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • 1973 से यूएनईपी के नेतृत्व में, यह पर्यावरणीय कार्य के लिए दुनिया का सबसे बड़ा मंच है।
  • भारत बेसल कन्वेंशन, जी-20 ओसाका विजन और हाई एम्बिशन गठबंधन के माध्यम से वैश्विक प्रयासों का समर्थन करता है।
  • प्लास्टिक कचरा नियम 2021 एकल-उपयोग वाली वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाता है और प्लास्टिक के थैलों को नियंत्रित करता है।
  • ईपीआर पोर्टल ने उत्पादकों को जवाबदेह बनाया; दिसम्‍बर 2024 तक 103 लाख टन प्लास्टिक कचरे का प्रसंस्करण किया गया
  • इंडिया प्लास्टिक चैलेंज और नेशनल एक्सपो प्लास्टिक के विकल्पों को बढ़ावा देते हैं।
  • प्लास्टिक पार्क और सीएसआईआर तकनीक कचरे को ईंधन और पुनर्चक्रण योग्य उत्पादों में बदल देती है।
  • स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण और शहरी प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
  • कमालपुर और त्रिची ने कम्पोस्टेबल बैग और कपड़े के थैले बनाने के अभियान में सफलता दिखाई।
  • भारत नीति, नवाचार और सार्वजनिक कार्रवाई के माध्यम से प्लास्टिक मुक्त भविष्य की ओर अग्रसर है।

परिचय

हर बार जब आप प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते हैं या प्लास्टिक का रैपर फेंकते हैं, तो उसका एक हिस्सा नदी, समुद्र या यहाँ तक कि आपके अपने शरीर में भी जा सकता है। पिछले कुछ वर्षों में, प्लास्टिक चुपचाप हमारी पृथ्‍वी के हर कोने में घुस गया है, गहरे समुद्र से लेकर हमारे द्वारा खाए जाने वाले भोजन और जिस हवा में हम साँस लेते हैं। यह विश्व पर्यावरण दिवस दुनिया के लिए हमारी पृथ्‍वी की रक्षा के लिए एक साथ आने का समय है। यह हर साल 5 जून को मनाया जाता है और इसका नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा किया जाता है।

(यूएनईपी)। 2025 में कोरिया गणराज्य वैश्विक समारोह की मेज़बानी कर रहा है। इस वर्ष यह दिवस प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करने पर केन्‍द्रित होगा।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने का वैश्विक आह्वान

1973 से संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के नेतृत्व में, विश्व पर्यावरण दिवस पर्यावरण जागरूकता के लिए सबसे बड़ा वैश्विक मंच है। 150 से ज़्यादा देशों में मनाया जाने वाला यह दिन लोगों को ज़रूरी पर्यावरणीय मुद्दों पर कार्य करने के लिए एकजुट करता है। इस साल, विश्व पर्यावरण दिवस यूएनईपी के #BeatPlasticPollution अभियान का समर्थन करता है, जो ग्रह की सबसे ज़्यादा ठीक की जा सकने वाली समस्याओं में से एक के वास्तविक समाधान पर केंद्रित है। यह अभियान सभी से आग्रह करता है कि वे प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से मना करें, उसे कम करें, उसका दोबारा इस्तेमाल करें, उसे रीसाइकिल करें और इस बात पर पुनर्विचार करें कि हम रोज़मर्रा की ज़िंदगी में प्लास्टिक का इस्तेमाल कैसे करते हैं।

प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना: भारत की वैश्विक प्रतिबद्धता

प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकट से लड़ने के लिए भारत ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और पहलों में भाग लेकर वैश्विक समुदाय के साथ हाथ मिलाया है। वैश्विक मंच पर भारत द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों पर आइए एक नज़र डालें:

1. बेसल, रॉटरडैम और स्टॉकहोम सम्‍मेलन (2019): मई 2019 में, भारत ने जिनीवा, स्विटज़रलैंड में इन तीन प्रमुख सम्मेलनों की संयुक्त बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लिया। भारत खतरनाक कचरे और रासायनिक उपयोग को नियंत्रित करने के वैश्विक प्रयासों का सक्रिय रूप से समर्थन करता है। इसने विकासशील देशों में ई-कचरे की डंपिंग का विरोध किया और सख्त वैश्विक नियमों की वकालत की। भारत ने प्लास्टिक कचरे को बेसल समझौते की पूर्व सूचित सहमति (पीआईसी) प्रक्रिया के अंतर्गत लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अवैध प्लास्टिक डंपिंग के खिलाफ वैश्विक साझेदारी को बढ़ावा देते हुए एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का समर्थन किया।

2. जी20 ओसाका ब्लू ओशन विजन (2019): 2 जुलाई 2019 को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और यूएनईपी ने जी20 ओसाका ब्लू ओशन विजन का स्वागत किया। 29 जून 2019 को जी20 नेताओं के घोषणापत्र के हिस्से के रूप में, भारत और अन्य सदस्य देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करने पर सहमति जताई। उन्होंने समुद्री प्लास्टिक कूड़े और माइक्रोप्लास्टिक को कम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई और 2050 तक महासागरों में कोई भी नया प्लास्टिक कचरा डालने से रोकने का लक्ष्य रखा।

3. प्रकृति और लोगों के लिए उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन (2021): भारत जनवरी 2021 में पेरिस में आयोजित वन प्लैनेट शिखर सम्मेलन के दौरान प्रकृति और लोगों के लिए उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन (एचएसी) में शामिल हुआ। इस वैश्विक पहल का लक्ष्य 2030 तक दुनिया की कम से कम 30 प्रतिशत भूमि और महासागरों की रक्षा करना है। यह प्लास्टिक प्रदूषण को कम करके और इकोसिस्‍टम को स्वस्थ रखकर जैव विविधता को मजबूत करने पर भी ध्यान केन्‍द्रित करता है।

प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन के लिए भारत की प्रमुख पहल

भारत ने प्लास्टिक कचरे के संकट से निपटने के लिए एक मजबूत कानूनी और नीतिगत ढांचा अपनाया है। कानूनों, सुधारों और मिशनों के माध्यम से, देश प्लास्टिक के जिम्मेदार उपयोग, पुनर्चक्रण और निपटान को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पर्यावरण (संरक्षण) कानून, 1986 के तहत कचरे के पर्यावरण के अनुकूल प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कचरा प्रबंधन नियमों को अधिसूचित किया है। ऐसा ही एक नियम प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 है, जो स्थिरता को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने के लिए प्लास्टिक कचरे पर नियमों को मजबूत करता है।

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के अंतर्गत प्रमुख प्रावधान:

🔹पहचाने गए एकल-उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध: कम उपयोगिता और अधिक कूड़ा फैलाने की क्षमता वाली वस्तुओं पर 1 जुलाई 2022 से प्रतिबंध है।

🔹पतले प्लास्टिक कैरी बैग पर प्रतिबंध: 120 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक बैग पर 31 दिसम्‍बर 2022 से प्रतिबंध है।

🔹हल्के नॉन-वोवन बैग पर प्रतिबंध: 60 जीएसएम (ग्राम प्रति वर्ग मीटर) से कम के नॉन-वोवन प्लास्टिक की थैलियों पर 30 सितम्‍बर 2021 से प्रतिबंध लगा दिया गया है।

🔹राज्य स्तरीय कार्रवाई: राष्ट्रीय नियमों के अतिरिक्त, कई राज्यों और केन्‍द्र शासित प्रदेशों ने एकल-उपयोग प्लास्टिक और प्‍लास्टिक की थैलियों पर आंशिक या पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए अपने स्वयं के आदेश और अधिसूचनाएं जारी की हैं।

प्लास्टिक का जिम्मेदाराना उपयोग और निपटान

भारत समर्पित पहलों के माध्यम से टिकाऊ प्लास्टिक प्रबंधन को बढ़ावा दे रहा है। इन प्रयासों का उद्देश्य प्रदूषण को कम करना, रीसाइक्लिंग का समर्थन करना और पर्यावरण के अनुकूल उद्योग के विकास को बढ़ावा देना है।

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर), 2022: वर्तमान में, प्लास्टिक पैकेजिंग पर केन्‍द्रीकृत ऑनलाइन विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) पोर्टल पर कुल 50,131 उत्पादक, आयातक और ब्रांड मालिक पंजीकृत हैं। अब तक 2840 प्लास्टिक कचरा प्रसंस्करणकर्ता पंजीकृत हुए हैं और दिसम्‍बर 2024 तक केन्‍द्रीकृत ईपीआर पोर्टल के माध्यम से 103 लाख टन कचरा संसाधित किया जा चुका है।

विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) का अर्थ है कि प्लास्टिक उत्पाद बनाने या बेचने वाली कंपनियों को खुद उत्‍पन्‍न किए गए प्लास्टिक कचरे का ध्यान रखना चाहिए। उपयोग के बाद इसे इकट्ठा करने, पुनर्चक्रण करने या सुरक्षित रूप से निपटाने की उनकी जिम्मेदारी है।

सुरक्षित खाद्य पैकेजिंग: एफएसएसएआई के खाद्य सुरक्षा और मानक (पैकेजिंग) नियम, 2018 प्लास्टिक सहित सुरक्षित खाद्य पैकेजिंग सामग्री के लिए मानक निर्धारित करते हैं। ये नियम सुनिश्चित करते हैं कि पैकेजिंग अच्छी विनिर्माण कार्य प्रणालियों का पालन करती है और मिलावट को रोकने के लिए सख्त प्रवासन सीमाओं को पूरा करती है।

टिकाऊ प्लास्टिक अर्थव्यवस्था का निर्माण

भारत आत्मनिर्भर चक्रीय अर्थव्यवस्था बनाने, प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने और रोजगार सृजन के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। उठाए गए प्रमुख कदम:

  1. नवाचार और उद्योग साझेदारी
  • टीडीबी-डीएसटी और एपीकेमी प्राइवेट लिमिटेड (2025): सर्कुलर प्लास्टिक और टिकाऊ रसायन बनाने के लिए शुद्ध पायरोलिसिस तेल का उत्पादन करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
  • डीडीए और दिल्ली नगर निगमों के साथ सीएसआईआर समझौता ज्ञापन (2019): सीएसआईआर द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग करके प्लास्टिक कचरे को डीजल और टाइल में बदलने के लिए एक संयंत्र स्थापित करना।
  • सीएसआईआर-आईआईसीटी, हैदराबाद: प्लास्टिक कचरे को ईंधन तेल, मोनोमर्स, हाइड्रोजन और ग्रीन प्लास्टिसाइज़र में परिवर्तित करता है। 5 निजी कंपनियों के साथ तकनीक साझा की गई।
  • टीडीबी ने स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके ई-कचरा और लिथियम-बैटरी रीसाइक्लिंग प्लांट को वित्त पोषित किया।
  1. अनुसंधान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा
  • सीएसआईआर निवेश: स्थिरता नवाचारों पर केन्‍द्रित 15 परियोजनाओं के लिए 3 वर्षों में ₹345 करोड़ स्वीकृत किए गए।
  • डीसीपीसी द्वारा 18 उत्कृष्टता केन्‍द्र (सीओई): पर्यावरण के अनुकूल, बायोडिग्रेडेबल और जैव-आधारित उत्पादों और प्लास्टिक रीसाइक्लिंग प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान।
  1. प्लास्टिक पार्क

प्लास्टिक पार्क प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन, रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने और रासायनिक उद्योग का समर्थन करने की भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। पेट्रोकेमिकल्स की नई योजना के तहत, भारत सरकार परियोजना लागत का 50 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान करती है, जिसकी अधिकतम सीमा प्रति परियोजना 40 करोड़ रुपये है। अब तक, विभिन्न राज्यों में 10 प्लास्टिक पार्क स्वीकृत किए गए हैं।

प्लास्टिक पार्क विशेष रूप से विकसित औद्योगिक क्षेत्र हैं जहाँ प्लास्टिक से संबंधित कई व्यवसाय एक ही स्थान पर एक साथ काम करते हैं। इन पार्कों में प्लास्टिक उत्पादों को बनाने, प्रसंस्करण और यहाँ तक कि रीसाइक्लिंग के लिए सही सुविधाएँ हैं। इसका उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल कार्य प्रणालियों को बढ़ावा देना है, जैसे प्लास्टिक का पुनः उपयोग और रीसाइक्लिंग, साथ ही स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना।

शहरी और ग्रामीण कचरा प्रबंधन को मजबूत बनाना

भारत ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से अपने स्वच्छता और कचरा प्रबंधन के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहा है। ये मिशन प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण और समुदाय के नेतृत्व वाली स्वच्छता पहल पर जोर देते हैं।

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण II

  • एसबीएम (जी) का दूसरा चरण 1 अप्रैल, 2020 से शुरू किया गया है।
  • प्लास्टिक सहित ग्रामीण कचरा प्रबंधन पर ध्यान केन्‍द्रित किया गया है।
  • प्लास्टिक कचरा प्रबंधन इकाइयों (पीडब्लूएमयू) के निर्माण के लिए प्रति ब्लॉक ₹16 लाख तक की पेशकश की गई है।
  • कई ब्लॉकों को शामिल करने के लिए क्लस्टर मोड में पीडब्लूएमयू स्थापित करने की अनुमति दी गई है।

स्वच्छ भारत मिशन शहरी 2.0

  • अक्टूबर 2021 में शुरू किए गए एसबीएम-यू 2.0 का उद्देश्य सभी शहरी स्थानीय निकायों के लिए 3-स्टार प्रमाणन के साथ "कचरा मुक्त शहर" बनाना है।
  • घर-घर से कचरा एकत्र करने, स्रोत पर अलग करने और नगरपालिका के ठोस कचरे के वैज्ञानिक प्रसंस्करण पर ध्यान केन्‍द्रित करता है।
  • 2021-2026 के लिए 1,41,678 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जिसका लक्ष्य प्लास्टिक में कमी, वायु प्रदूषण नियंत्रण और विरासत कचरा स्थलों का जैव-उपचार करना है।

स्थानीय नवाचारों से प्लास्टिक कचरे में कमी आएगी

भारत भर में स्थानीय निकाय प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए अभिनव, समुदाय-संचालित समाधानों के माध्यम से प्रभावशाली बदलाव ला रहे हैं। हाल ही में, त्रिपुरा में कमालपुर और तमिलनाडु में त्रिची ने एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक को टिकाऊ विकल्पों से बदलकर और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देकर प्रेरक उदाहरण पेश किए हैं।

कमालपुर, त्रिपुरा – प्लास्टिक के स्‍थान पर पर्यावरण अनुकूल बैग

कमालपुर नगर पंचायत ने एकल-उपयोग प्लास्टिक के स्थान पर बायोडिग्रेडेबल पॉलीमर, पीबीएटी से बने पर्यावरण अनुकूल कम्पोस्टेबल बैग का उपयोग किया है। सीआईपीईटी द्वारा प्रमाणित ये बैग 180 दिनों में पूरी तरह से गल जाते हैं।

त्रिची, तमिलनाडु – बाजार प्लास्टिक मुक्त हुए

बाजारों में एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक के निरंतर उपयोग से निपटने के लिए, त्रिची सिटी कॉरपोरेशन ने जीआईजैड (जर्मन सोसाइटी फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन) इंडिया के साथ मिलकर 2022 में प्रमुख किसान बाजारों में एक अभियान शुरू किया। उन्हें प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में शिक्षित किया और "थुनिप्पई तिरुविझाई" पहल के तहत पुन: उपयोग में आने वाले कपड़े के थैलों को बढ़ावा दिया। इस पहल की मदद से तेन्नुर ने एक साल में 2,200 किलोग्राम एसयूपी से परहेज किया। केके नगर ने 4 महीनों में 620 किलोग्राम बचाया। वोरैयूर ने 6 महीनों में 300 किलोग्राम कम किया।

ये उदाहरण दर्शाते हैं कि प्लास्टिक मुक्त, टिकाऊ शहरी भारत के निर्माण के लिए स्थानीय नवाचार और सार्वजनिक भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ भारत की लड़ाई पर्यावरणीय स्थिरता और वैश्विक सहयोग के प्रति गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने से लेकर सर्कुलर इकोनॉमी नवाचारों को बढ़ावा देने तक, देश स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली बदलाव ला रहा है। निरंतर सार्वजनिक भागीदारी, जिम्मेदार उद्योग कार्य प्रणालियों और सरकारी पहलों के साथ, भारत अपने प्लास्टिक पदचिह्न को कम करने और एक हरित भविष्य की रक्षा करने के लिए एक दृढ़ संकल्‍प मार्ग पर है।

संदर्भ

विश्‍व पर्यावरण दिवस 2025

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