Technology
डिजिटल प्रगति के दस साल
समावेशी और भविष्योन्मुखी भारत का निर्माण
Posted On: 30 JUN 2025 10:16AM
मुख्य बिन्दु
- इंटरनेट कनेक्शन 2014 के 25.15 करोड़ के आंकड़े से बढ़कर 2024 में 96.96 करोड़ हो गए।
- 4.74 लाख 5जी टॉवर लगाए गए, 99.6 प्रतिशत जिलों को कवर किया गया।
- अप्रैल 2025 में यूपीआई से 24.77 लाख करोड़ रुपये के 1,867.7 करोड़ लेन-देन दर्ज किए गए।
- डिजिलॉकर के 53.92 करोड़ उपयोगकर्ता हैं; उमंग 23 भाषाओं में 2,300 सेवाएं प्रदान करता है।
- डिजिटल अर्थव्यवस्था ने 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद में 11.74 प्रतिशत का योगदान दिया; 2024-25 में इसके 13.42 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
- भारतनेट ने 2.18 लाख ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा है।
|
डिजिटल इंडिया: सशक्तिकरण पर जोर

1 जुलाई 2025 को भारत डिजिटल इंडिया की यात्रा के 10 साल पूरे होने का उत्सव मनाएगा। 2015 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य प्रौद्योगिकी का उपयोग करके हर भारतीय का जीवन आसान बनाना है।
इस पहल ने देश के दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट की सुविधा पहुंचाने से लेकर सरकारी सेवाओं को ऑनलाइन उपलब्ध कराकर वास्तव में डिजिटल विभाजन को पाट दिया है। आज लोग महज कुछ क्लिक से स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बैंकिंग और अन्य सेवाओं का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
डिजिटल अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ रही है। इसने 2022-23 में राष्ट्रीय आय में 11.74 प्रतिशत का योगदान दिया है और 2024-25 तक इसके 13.42 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है। आईसीआरआईईआर द्वारा जारी स्टेट ऑफ इंडियाज डिजिटल इकोनॉमी रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत अब अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण के मामले में दुनिया में तीसरे स्थान पर है। 2030 तक, भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के देश की समग्र अर्थव्यवस्था में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान करने का अनुमान है, जो पारंपरिक क्षेत्रों की वृद्धि से अधिक होगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग और मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में नवाचारों से संचालित, डिजिटल इंडिया ने नए अवसर पैदा किए हैं और लाखों लोगों को सशक्त बनाया है। आज जब हम इस उपलब्धि के बारे में बात करते हैं, एक बात स्पष्ट है, डिजिटल इंडिया न केवल प्रौद्योगिकी को लोगों के करीब लाया है, बल्कि इसने लोगों को अवसर भी प्रदान किए हैं।
डिजिटल इंडिया के अंतर्गत प्रमुख फोकस क्षेत्र और सेवाएं


डिजिटल इंडिया यात्रा की प्रमुख उपलब्धियां

कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर
पिछले कुछ वर्षों में, डिजिटल इंडिया ने देश भर में मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया है। मोबाइल कनेक्टिविटी का विस्तार लगभग हर गांव तक हो गया है। पब्लिक इंटरनेट केंद्रों ने सभी तक इंटरनेट की पहुंच को संभव बनाया है। डिजिटल सेवाओं ने शासन को तीव्र और अधिक पारदर्शी बना दिया है। इन प्रयासों ने वास्तव में कनेक्टिविटी के मामले में भारत को जोड़ने की नींव रखी है।
दूरसंचार और इंटरनेट की पहुंच
भारत में कुल टेलीफोन कनेक्शन मार्च 2014 के 93.3 करोड़ के आंकड़े से बढ़कर अप्रैल 2025 में 120 करोड़ से अधिक हो गए तथा टेली-घनत्व अक्टूबर 2024 तक 75.23 प्रतिशत से बढ़कर 84.49 प्रतिशत हो गया।
मार्च 2014 और अक्टूबर 2024 के बीच शहरी कनेक्शन 555.23 मिलियन से बढ़कर 661.36 मिलियन और ग्रामीण कनेक्शन 377.78 मिलियन से बढ़कर 527.34 मिलियन हो गए।
इंटरनेट और ब्रॉडबैंड की पहुंच

इंटरनेट कनेक्शन मार्च 2014 के 25.15 करोड़ के आंकड़े से बढ़कर जून 2024 में 96.96 करोड़ हो गए, जिसमें 285.53 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
- ब्रॉडबैंड कनेक्शन मार्च 2014 के 6.1 करोड़ के आंकड़े से 1452 प्रतिशत बढ़कर अगस्त, 2024 में 94.92 करोड़ हो गए।
- दिसंबर 2024 तक देश के 6,44,131 गांवों में से 6,15,836 गांवों में 4जी मोबाइल कनेक्टिविटी है।
5जी और कनेक्टिविटी
2016 से, 4जी कवरेज तेज़ी से भारत के हर हिस्से में पहुंच गया। इसके बाद, अक्टूबर 2022 में 5जी लॉन्च हुआ, जिससे डिजिटल सेवाओं में और भी तेजी आई। 22 महीनों में, भारत ने 4.74 लाख 5जी टॉवर लगाए हैं। ये टॉवर 99.6 प्रतिशत जिलों को कवर करते हैं। 2023-24 में ही 2.95 लाख टॉवर लगाए गए हैं।

यह मजबूत मोबाइल नेटवर्क 2025 में 116 करोड़ उपयोगकर्ताओं को सपोर्ट करता है। 11 सालों में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में 285 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही, डेटा की लागत 2014 के ₹308 प्रति जीबी से घटकर 2022 में केवल ₹9.34 रह गई है, जिससे इंटरनेट सभी के लिए ज्यादा किफायती हो गया है।
भारतनेट: गांवों को इंटरनेट से जोड़ना
इस डिजिटल प्रयास का एक प्रमुख हिस्सा ग्रामीण भारत को जोड़ना रहा है। जनवरी 2025 तक भारतनेट ने 2.18 लाख से ज़्यादा ग्राम पंचायतों को हाई-स्पीड इंटरनेट से जोड़ा है। लगभग 6.92 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फ़ाइबर केबल बिछाई गई है, जिससे कई गांवों में इंटरनेट पहुंचा है।
डिजिटल वित्त और समावेशन
यूपीआई:

अप्रैल 2025 में ₹24.77 लाख करोड़ मूल्य के 1,867.7 करोड़ से अधिक यूपीआई लेन-देन किए गए। लगभग 460 मिलियन लोग और 65 मिलियन व्यापारी यूपीआई का उपयोग करते हैं। एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार, भारत ने 2023 में वैश्विक स्तर पर 49 प्रतिशत रियल-टाइम ट्रांजेक्शन का योगदान दिया। यूपीआई अब सात से अधिक देशों में उपयोग किया जा रहा है, जिससे वैश्विक स्तर पर डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिल रहा है।

आधार: प्रौद्योगिकी पर भरोसा
आधार-आधारित ई-केवाईसी प्रणाली ने बैंकिंग और सार्वजनिक सेवाओं दोनों में प्रक्रियाओं को आसान बनाने में मदद की है। इससे सत्यापन करने में तेजी आई है और कागजी कार्रवाई में कमी आई है तथा सभी क्षेत्रों में पारदर्शिता आई। अप्रैल 2025[1] तक 142 करोड़ आधार आईडी बनाई जा चुकी हैं।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी):
डीबीटी कल्याणकारी भुगतानों को सीधे वितरित करने और फर्जी लाभार्थियों को हटाने के लिए आधार का उपयोग करता है। इसने 2015 से मार्च 2023 के बीच सरकार को ₹3.48 लाख करोड़ से अधिक की बचत कराई। मई 2025 तक, डीबीटी के माध्यम से ₹44 लाख करोड़ हस्तांतरित किए जा चुके हैं। 5.87 करोड़ से अधिक अपात्र राशन कार्ड और 4.23 करोड़ डुप्लिकेट एलपीजी कनेक्शन रद्द किए गए, जिससे कल्याणकारी व्यवस्था अधिक लक्षित और पारदर्शी बन गई।
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ओएनडीसी):
ओएनडीसी को 2022 में लॉन्च किया गया। यह छोटे व्यवसायों को डिजिटल बाज़ारों में प्रवेश करने में मदद करता है। जनवरी 2025 तक, यह 616 से अधिक शहरों को कवर करता है और 7.64 लाख से ज़्यादा विक्रेताओं और सेवा प्रदाताओं को पंजीकृत कर चुका है।
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम):
गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस (जीईएम) को 2016 में लॉन्च किया गया। जीईएम सरकारी विभागों द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की ऑनलाइन खरीद को सक्षम बनाता है। जनवरी 2025 तक, जीईएम ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के केवल 10 महीनों में ₹4.09 लाख करोड़ का सकल व्यापारिक मूल्य (जीएमवी) दर्ज किया, जो कि पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। इस पर 1.6 लाख से अधिक सरकारी खरीदार और 22.5 लाख से ज़्यादा विक्रेता व सेवा प्रदाता हैं।
रणनीतिक तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाना
भारत वैश्विक नवाचार केंद्र बनने के लिए एआई और सेमीकंडक्टर जैसी उन्नत प्रौद्योगिकियों में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
इंडियाएआई मिशन:[2]
इंडियाएआई मिशन को 7 मार्च 2024 को स्वीकृत किया गया। इंडियाएआई मिशन का लक्ष्य पांच वर्षों में ₹10,371.92 करोड़ के बजट के साथ एक मजबूत और समावेशी एआई इकोसिस्टम का निर्माण करना है। यह कंप्यूटिंग तक पहुंच बनाने, नवाचार में सहायता प्रदान करने, डेटासेट में सुधार करने, स्टार्टअप को वित्तपोषित करने और एथिकल एआई का उपयोग सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। 30 मई 2025 तक, भारत की नेशनल कंप्यूटिंग पावर 34,000 जीपीयू से अधिक हो गई, जो एआई अवसंरचना विकास में एक प्रमुख उपलब्धि है।
इंडियाएआई मिशन के प्रमुख स्तंभ:
- इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर- स्वदेशी बड़े मल्टीमोडल मॉडल और डोमेन-विशिष्ट आधारभूत मॉडल विकसित और तैनात करता है।
- इंडियाएआई एप्लिकेशन डेवलपमेंट पहल - बड़े पैमाने पर सामाजिक और आर्थिक बदलाव के लिए स्केलेबल एआई समाधान को बढ़ावा देती है।
- एआईकोश प्लेटफ़ॉर्म- नवाचार को बढ़ावा देने के लिए डेटासेट, मॉडल, एआई सैंडबॉक्स परिवेश और उपकरणों के लिए एक एकीकृत केंद्र।
- इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता- सार्वजनिक-निजी भागीदारी (अब 34,000 जीपीयू को पार कर गया है) के माध्यम से 10,000 से अधिक जीपीयू के साथ एक स्केलेबल इकोसिस्टम का निर्माण करता है।
- इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग- नवीन परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण तक पहुंच में सुधार करके डीप-टेक एआई स्टार्टअप को बढ़ावा देता है।
- इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स- सभी स्तरों पर एआई शिक्षा का विस्तार करता है और श्रेणी 2 और श्रेणी 3 शहरों में डेटा और एआई लैब स्थापित करता है।
- सुरक्षित और विश्वसनीय एआई- उपकरण, चेकलिस्ट और गवर्नेंस फ्रेमवर्क के माध्यम से जिम्मेदारीपूर्ण और एथिकल एआई के विकास को सुनिश्चित करता है।

इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन:
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) का उद्देश्य एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जिससे भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। साथ ही सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले योजनाओं के कुशल व प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी के रूप में कार्य किया जा सके। ₹76,000 करोड़ के परिव्यय के साथ, यह मिशन स्थानीय चिप और डिस्प्ले विनिर्माण में सहायता प्रदान करता है। यह फ़ैब के लिए 50 प्रतिशत तक सहायता और चिप डिज़ाइन एवं उत्पादन के लिए प्रोत्साहन प्रदान करता है।
14 मई 2025 तक ₹1.55 लाख करोड़ की छह सेमीकंडक्टर परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। पांच इकाइयां निर्माणाधीन हैं। नवीनतम परियोजना एचसीएल और फॉक्सकॉन के बीच एक संयुक्त उद्यम है जो उत्तर प्रदेश के जेवर हवाई अड्डे के पास एक डिस्प्ले चिप इकाई का निर्माण करेगी।
सेमीकॉन इंडिया 2025[3]
'सेमीकॉन इंडिया 2025' का आयोजन इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन द्वारा प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सेमी और उद्योग संघों के साथ साझेदारी में किया जाएगा। इसका उद्देश्य इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन के विजन को आगे बढ़ाने के लिए वैश्विक स्तर पर सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में भारत को एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में स्थापित करना है।
ई-गवर्नेंस: नागरिकों को सशक्त बनाना, परिवर्तन को बढ़ावा
भारत में ई-गवर्नेंस ने सेवाओं को अधिक सुलभ, पारदर्शी और कुशल बनाकर नागरिकों के सरकार के साथ सहभागिता के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। मजबूत डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से इसने नागरिकों और अधिकारियों दोनों को सशक्त बनाया है, जिससे देश भर में शासन में आसानी हुई है।
- कर्मयोगी भारत + आईजीओटी: मिशन कर्मयोगी के तहत, यह प्लेटफॉर्म सिविल सेवकों को सही दृष्टिकोण, कौशल और ज्ञान के साथ प्रशिक्षित करता है। मई 2025 तक, 1.21[4] करोड़ से अधिक अधिकारी इस प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं, 2,588 पाठ्यक्रम और 3.24 करोड़ लर्निंग सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। यह ऑनलाइन, फेस-टू-फेस और मिश्रित शिक्षण फॉर्मेट को सपोर्ट करता है।
- डिजिलॉकर: 2015 में लॉन्च किया गया डिजिलॉकर नागरिकों को डिजिटल दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान करता है। जून 2025 तक, उपयोगकर्ताओं की संख्या 53.92 करोड़ [5] तक पहुंच गई। 2015 के सिर्फ 9.98 लाख की तुलना में 2024 में 2031.99 लाख उपयोगकर्ता (यूजर्स) ने साइन अप किया।
- उमंग: 2017 में लॉन्च किया गया, उमंग नागरिकों के लिए केंद्र से लेकर स्थानीय सरकार तक की सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक एकल मोबाइल प्लेटफ़ॉर्म है। जून 2025 तक, इस पर 8.34[6] करोड़ उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं और 597 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए हैं। यह ऐप 23 भारतीय भाषाओं में 2,300 सेवाएं प्रदान करता है।
भाषिणी– भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करती है
भाषिणी लोगों को उनकी भाषा में डिजिटल सेवाओं तक पहुंचने में मदद करती है। यह भाषा संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करती है। मई 2025 तक, भाषिणी 1,600 से अधिक एआई मॉडल और 18 भाषाओं से जुड़ी सेवाओं के साथ 35 से अधिक भाषाओं की सुविधा प्रदान करती है। यह आईआरसीटीसी, एनपीसीआई के आईवीआरएस सिस्टम और पुलिस दस्तावेज़ीकरण जैसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म में एकीकृत है, जिससे आवश्यक सेवाएं सभी के लिए अधिक समावेशी और सुलभ हो जाती हैं। 8.5 लाख से अधिक मोबाइल ऐप डाउनलोड के साथ, भाषिणी नागरिकों को उनकी पसंद की भाषा में डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से जुड़ने के लिए सशक्त बनाता है।

निष्कर्ष:
डिजिटल इंडिया ने एक दशक में, देश के डिजिटल परिदृश्य को नया आकार दिया है—गांवों को दुनिया से जोड़ा है, शासन को ज़्यादा पारदर्शी बनाया है, और विकास व नवाचार के लिए नए रास्ते खोले हैं। डिजिटल माध्यम से भुगतान करने के आंकड़े का रिकॉर्ड, इंटरनेट के तेज़ी से विस्तार और एआई व सेमीकंडक्टर में अग्रणी पहलों के साथ, भारत ने एक ऐसा डिजिटल इकोसिस्टम बनाया है जो समावेशी, स्केलेबल और भविष्योन्मुखी है।
चूंकि देश विकसित भारत के विजन के तहत आगे बढ़ रहा है, डिजिटल इंडिया अंतर को पाटने, नागरिकों को सशक्त बनाने और भारत को वैश्विक स्तर पर प्रौद्योगिकी में अग्रणी के रूप में उभरने में मदद करने में एक शक्तिशाली प्रेरक है। अगला दशक न केवल तीव्र विकास वाला होगा, बल्कि बड़े परिवर्तन वाला भी साबित होने वाला है और प्रौद्योगिकी एक मज़बूत, स्मार्ट और अधिक आत्मनिर्भर भारत की आधार बनेगी।
संदर्भ:
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय
पीआईबी बैकग्राउंडर्स
संचार मंत्रालय
ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स
वाणिज्य विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
वित्त मंत्रालय
पीडीएफ फाइल के लिए यहां क्लिक करें
****
एमजी/आरपीएम/केसी/एसके
(Backgrounder ID: 154808)
Visitor Counter : 735