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Economy

महंगाई में कमी से परिवारों को मिली राहत

घटती कीमतों से तीसरी तिमाही में जेब में बोझ घटा

Posted On: 01 AUG 2025 5:55PM
  • भारत की जीडीपी 2030 तक $7.3 ट्रिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
  • भारत में महंगाई नरम पड़ने के साथ, सीपीआई महंगाई 2.10% पर है (जनवरी 2019 के बाद निम्नतम स्तर)
  • व्यापार घाटे में 9.4% की गिरावट आई है, जो अर्थव्यवस्था में मजबूती का संकेत है।
  • वित्त वर्ष 2024-25 भारत का कुल निर्यात 824.9 बिलियन डॉलर के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया।
  • भारत का सेवाएं निर्यात वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 10.93% से बढ़ा।

 

परिचय

 

बढ़ती कीमतें आमतौर पर घर के बजट को हिला देती हैं, और परिवार महीने के खर्च को लेकर चिंतित रहते हैं। लेकिन महंगाई के हालिया आंकड़ों ने लोगों को राहत दी है। कीमतें नरम पड़ी हैं, लोगों की जेब पर बोझ कम हुआ है, और परिवार को कुछ सुकून मिला है। यह उस समय हो रहा है, जब भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है, और निर्यात बढ़ रहा है और नए अवसर पैदा हो रहे हैं।

 

2030 तक, भारत $7.3 ट्रिलियन की अनुमानित जीडीपी के साथ विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने को तैयार है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, जो महंगाई के असर को हटाने के बाद 2024-25 में अर्थव्यवस्था 6.5% की दर से बढ़ी है, जो कि देश के प्रति ध्यान खींचता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने 2025-26 में भी ये गति जारी रहने का अनुमान जताया है। यह गति मजबूत घरेलू मांग, युवा और ऊर्जावान जनसंख्या और स्थिर आर्थिक रिफॉर्म की वजह से है।

निर्यात की प्रगति की इस यात्रा में बड़ा अहम भूमिका रही है। विश्व बैंक आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में, निर्यात ने भारत की जीडीपी में 21.2% का योगदान दिया, जो कि देश के आर्थिक विस्तार में व्यापार की भूमिका को रेखांकित करता है। देश की जीडीपी बढ़ने से आमतौर पर महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि डिमांड बढ़ती है और सप्लाई घटती है, लेकिन उत्पादकता बढ़ाने, निवेश और पैसों की सप्लाई के प्रबंधन करने के सरकार के केंद्रित प्रयासों के चलते, लंबी अवधि की जीडीपी में सुधार हुआ है और महंगाई अपने लक्ष्य के अंदर है।

 

कीमतों में आई कमी

 

भारत की महंगाई की स्थिति में सुधार नजर रहा है जून 2025 में, भारत की महंगाई में साफ गिरावट नजर रही है, जो खरीदने का सामर्थ्य बढ़ने, परिवारों को सुकून और अर्थव्यवस्था में स्थिरता का संकेत देता है। भारत में, महंगाई के दो संकेतक हैं, डब्ल्यूपीआई और सीपीआई।

  • थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई), जो थोक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में औसत बदलाव को मापता है, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अनुसार, में जून 2025 में, बीते साल के मुकाबले –0.13% की मामूली गिरावट दर्ज की गई। डब्ल्यूपीआई की प्राइमरी आर्टिकल्स, ईंधन और ऊर्जा विनिर्मित उत्पादों के थोक भाव के आधार पर गणना की जाती है। डब्ल्यूपीआई में कमी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं, खनिज तेल, साधारण धातु के विनिर्माम, क्रूड तेल और प्राकृतिक गैस की कीमतें घटने की वजह से आई है। डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर भी जून 2025 में घटकर -0.26% पर गई। यह खाद्य कीमतों में नरमी आने का सूचक है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) लोगों के रोजमर्रा के दौरान खरीदी जाने वाली वस्तुएं जैसे खाद्य और पेय पदार्थ, कपड़े और चप्पलें, ईंधन और बिजली इत्यादि की कीमतों में होने वाले बदलाव के आधार पर मापा जाता है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की ओर से जारी किया गया आंकड़ा दर्शाता है कि जून 2025 में महंगाई घटकर 2.10% पर गई, जो कि जनवरी 2019 के बाद से निम्नतम स्तर है। आरबीआई की 4% की लक्ष्य सीमा तय की है, जिसमें ±2% का टॉलरेंस स्तर (यानी 2% से 6% के बीच) है। ये बड़ी गिरावट अनुकूल माहौल और खाद्य महंगाई में गिरावट के चलते आई हो सकती है। सालाना आधार पर खाद्य महंगाई में जून 2024 के मुकाबले, जून 2025 में -1.06% की गिरावट आई है, जो कि जनवरी 2019 के बाद निम्नतम स्तर है, जो कि परिवारों के लिए राहत की खबर है। सब्जियों, दालों संबंधी उत्पादों, मीट और मछली, अनाज संबंधी उत्पादों, चीनी और मिठाई, दूध संबंधी उत्पादों और मसालों की कीमतों में गिरावट का इसमें योगदान है।

महंगाई को नियंत्रित करने में सहायक कारक

 

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में 1378.25 एलएमटी के मुकाबले 2024-25 में चावल उत्पादन बढ़कर 1490.74 एलएमटी हो गया, और गेहूं का उत्पादन 1175.07 एलएमटी हो गया, जो कि बीते साल के मुकाबले 42.15 एलएमटी अधिक है। उत्पादन में यह सुधार कृषि धान कीमतों में गिरावट की एक बड़ी वजह बना।

जमा किए अनाज को खुला बाजार बिक्री योजना (घरेलू) के माध्यम से खुले बाजार में रणनीतिक बिक्री के तहत कीमतें नियंत्रित करने और सप्लाई प्रबंधन में मदद मिली। कम आपूर्ति की अवधि के दौरान आयात और निर्यात की सुविधा, स्टॉक सीमा का कार्यान्वयन और 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय (और मानक कटौती के साथ वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 12.75 लाख रुपये) को आयकर से छूट देकर लोगों की डिस्पोजेबल आय में बढ़ोतरी जैसे उपायों ने भी महंगाई को नियंत्रित करने में योगदान दिया।

रेपो दर, जो सेंट्रल बैंक की मौद्रिक नीति पहल है, ने भी महंगाई पर असर डाला है। यह वह दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक सेंट्रल बैंक से पैसा उधार लेते हैं। रेपो दर में बढ़ोतरी से उधार लेने की कीमत बढ़ती है, जिस वजह से कम उधार लिया जाता है, खर्च घटता है, डिमांड घटती है और महंगाई घटती है। महंगाई कम करने के लिए, आरबीआई ने रेपो दर को 4% से बढ़ाकर 6.5% कर दिया और इसे जनवरी 2025 तक बरकरार रखा जिस वजह से महंगाई दर में गिरावट आई। विकास को रफ्तार देने और महंगाई में व्यापक गिरावट के लिए, आरबीआई ने महंगाई नियंत्रण को संतुलित करने के लिए रेपो दर को घटाकर 5.5% पर कर दिया है।

डब्ल्यूपीआई और सीपीआई में संयुक्त रूप से आई नरमी बताती है कि महंगाई देश थोक और खुदरा स्तर पर कम हो रही है, जिससे सप्लाई चेन पर कीमतों का दबाव घटा है और उपभोक्ता वस्तुओं और सेवाओं पर कम खर्च कर रहे हैं।

निर्यात में भारत की प्रगति: वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही

 

नरम होती महंगाई के माहौल में, भारत का निर्यात लगातार प्रगति कर रहा है, जो कि अर्थव्यवस्था के मजबूत होने और वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने को प्रतिबिंबित करता है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2025–26 (अप्रैल-जून 2025) की पहली तिमाही के अनुसार, कुल निर्यात 210.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा, जो कि बीते साल के मुकाबले 5.94% की बढ़ोतरी दर्ज करता है, जबकि आयात में केवल 4.38% की बढ़ोतरी रही। इससे व्यापार घाटे में 9.4% की गिरावट आई, जो कि बीते साल 22.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर से सुधकर 20.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। यह दर्शाता है कि भारत ने बीते साल के मुकाबले इस साल में दूसरे देशों को अधिक उत्पाद और सेवाएं बेचीं, जो कि बेहतर निर्यात प्रदर्शन और नियंत्रित आयात की ओर इशारा करता है। यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत है, जो कि भारतीय उत्पादों और सेवाओं की बेहतर वैश्विक मांग, वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा और निर्यात से शानदार आय को दर्शाता है।

इस प्रगति में भारत के सेवा निर्यात का एक बड़ा योगदान रहा, जो कि वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही में 98.13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो कि बीते साल के मुकाबले 10.93% अधिक है। बीते साल के मुकाबले, अप्रैल-जून 2025 में गैर-पेट्रोलियम के निर्यात में 5.98% और, गैर-रत्न और आभूषण के निर्यात में 7.23% की बढ़ोतरी हुई।

इलेक्ट्रॉनिक्स वस्तुएं, चाय, जूट विनिर्माण, मीट, दुग्ध और मुर्गीपालन, अन्य अनाज में जून 2025 में निर्यात में बढ़ोतरी दर्ज की गई। मेक इन इंडिया पहल के साथ, देश स्वयं के इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग का निर्माण कर रहा है, जो बड़ा निवेश आकर्षित कर रहा है और स्थानीय उत्पादन बढ़ा रहा है। फलस्वरूप, भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात तेजी से बढ़ रहा है।

आयात प्रगति बीते एक साल में धीमी पड़ी है, जो दाल, न्यूजप्रिंट, गोल्फ, आवागमन उपकरण, कोयला, कोक और ब्रिकेट और अन्य में दिखाई पड़ी है। सरकार की पहलों जैसे दालों में आत्मनिर्भरता का मिशनजिसमें तूर, उड़द और मसूर पर विशेष ध्यान केंद्रित करने से देश में दालों के आयात में कमी होने में मदद मिली है।

कुल मिलाकर, भारत का निर्यात प्रदर्शन एक दशक लंबी ऊपर की ओर जाती हुई दिशा को दर्शाता है, जो मजबूत निर्यात सेवा और इलेक्ट्रॉनिक्स रक्षा उत्पादों की विस्तृत होती बहुमूल्य विनिर्माण क्षमता पर आधारित है। आरबीआई के सेवा व्यापार आंकड़ों के मुताबिक, भारत का कुल निर्यात  वित्त वर्ष 2024–25 में 824.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उच्चतम स्तर तक पहुंच गया, जो कि बीते साल 778.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर  के मुकाबले 6.01% का उछाल है।

 

निर्यात में यह निरंतर तेजी के साथ-साथ घटता व्यापार घाटा, भारत की बाहरी क्षेत्र में मजबूत प्रगति और तन्यकशीलता को रेखांकित करता है, जो वैश्विक व्यापार परिदृश्य में इसे एक महत्त्वपूर्ण खिलाड़ी के तौर पर पोजीशन करता है।

 

भारत के निर्यात परिदृश्य को मजबूत करती प्रमुख सरकारी पहलें

विदेशी व्यापार और निर्यात को प्रोत्साहन

 

  • नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023: निर्यात प्रोत्साहन, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और -कॉमर्स उच्च-तकनीकी उत्पादों जैसे उभरते क्षेत्रों पर केंद्रित है। निर्यातकों को लंबित प्राधिकरणों के निपटान में मदद के लिए वन-टाइम एमनेस्टी योजना शुरू की गई है।
  • निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों की छूट (आरओडीटीईपी) तथा राज्य केंद्रीय लेवी और करों की छूट (आरओएससीटीएल) योजनाएं: निर्यातकों को कर और शुल्क प्रतिपूर्ति प्रदान करती हैं, जिससे फार्मास्यूटिकल्स, रसायन और इस्पात जैसे क्षेत्रों को लाभ होता है।
  • निर्यात केंद्र के तौर पर जिले: प्रत्येक जिले में उच्च क्षमता वाले उत्पादों की पहचान की जाती है तथा इंफ्रास्ट्रक्चर और बाजार संपर्क उपलब्ध कराया जाता है।
  • निर्यात के लिए व्यापार इंफ्रास्ट्रक्चर योजना (टीआईईएस) और बाजार पहुंच पहल (एमएआई): निर्यात में बढ़ोतरी के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और मार्केटिंग प्रयासों में सहयोग करना।

 

इंफ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स

 

  • राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) और पीएम गतिशक्ति: इसका उद्देश्य जीआईएस आधारित योजना के माध्यम से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करना और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
  • उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं: सरकार ने 2025-26 में पीएलआई योजना के अंतर्गत प्रमुख क्षेत्रों के लिए बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है, जिससे घरेलू विनिर्माण को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी हार्डवेयर, ऑटोमोबाइल और ऑटो कलपुर्जे, टेक्स्टाइल आदि जैसे कई क्षेत्रों में बजट आवंटन में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई है।
  • दुबई में भारत मार्ट: जीसीसी, अफ्रीकी और सीआईएस बाजार में एमएसएमई प्रदान करने के साथ किफायती पहुंच उपलब्ध कराता है।

 

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और डिजिटल पहल

 

  • अनुपालन एवं गैर-अपराधीकरण सुधार: मार्च 2025 तक सरकार ने 42,000 से अधिक अनुपालन को हटा दिया है, तथा 2014 से अब तक 3700 से अधिक कानूनी प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण किया जा चुका है। जन विश्वास अधिनियम 2023 में 180 से अधिक कानूनी प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण किया गया।
  • राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्लूएस): अनुमोदन को सरल बनाती है, जिससे बिजनेसेज को 670 केंद्रीय अनुमोदनों और 6880 राज्य अनुमोदनों के लिए आवेदन करने की अनुमति मिलती है।
  • ट्रेड कनेक्ट -प्लेटफॉर्म: निर्बाध व्यापार सुविधा के लिए 17 लाख से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं को भारतीय मिशनों और निर्यात परिषदों से जोड़ता है।
  • एमएसएमई निर्यातकों को सहायता: अप्रैल, 2025 में एमएसएमई मंत्रालय ने 65 निर्यात सुविधा केंद्र (ईएफसी) स्थापित करके निर्यात संवर्धन हेतु एक समर्पित सहायता प्रणाली स्थापित की है। ये ईएफसी एमएसएमई को उनके निर्यात को बेहतर कर, उन्हें एनबीएफसी, नए फिनटेक स्टार्ट-अप आदि जैसे वित्तीय संस्थानों से जोड़ने और प्रतिस्पर्धी दरों पर क्रेडिट प्राप्त करने आदि के लिए उपलब्ध विभिन्न योजनाओं और सहायताओं की जानकारी फैलाकर सहायता करते हैं।

 

निष्कर्ष

 

कीमतों में नरमी और बढ़ता निर्यात दर्शाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर विकास पथ पर अग्रसर है और परिवारों को राहत दे रही है। मजबूत मांग, युवा ऊर्जा और निरंतर रिफॉर्म के साथ, भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आत्मविश्वास से बढ़ रहा है, जिससे उसके लोगों के लिए स्थिरता और नए अवसर सुनिश्चित हो रहे हैं। आत्मनिर्भरता और वैश्विक व्यापार के विस्तार पर ध्यान केंद्रित करने से आने वाले सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति और मजबूत होगी।

 

संदर्भ

  • पीआईबी बैकग्राउंडर्स

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154840&ModuleId=5

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154840&ModuleId=3

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154660#:~:text=India%2C%20the%20world's%20fourth%2Dlargest,%25%20in%202025%2D26).

  • विश्व बैंक

https://data.worldbank.org/indicator/NE.EXP.GNFS.ZS?locations=IN

  • वित्त मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2146815

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2108360

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144453

  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2132263

  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144511 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2132688

  • वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144870

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2126119

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2107825

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144453

https://www.trade.gov.in/pages/home

  • नीति आयोग

https://www.niti.gov.in/sites/default/files/2025-07/Trade-Watch-Quarterly.pdf

  • इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2115171

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2118323

  • उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग

https://www.nsws.gov.in/

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