Rural Prosperity
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
ग्रामीण संपर्क में वृद्धि
Posted On: 14 SEP 2025 12:37PM
मुख्य बिंदु
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- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अगस्त 2025 तक, कुल 1,91,282 ग्रामीण सड़कें, जिनकी लंबाई 8,38,611 किलोमीटर है, और 12,146 पुलों के निर्माण को मंजूरी दी गई है।
- अब तक 1,83,215 सड़कें, जिनकी लंबाई 7,83,727 किलोमीटर है और 9,891 पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है।
- सड़कों का निर्माण तीन स्तरीय गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के साथ कड़े तकनीकी मानकों के मुताबिक किया गया है।
- अगस्त 2025 तक, नई और हरित तकनीकों का उपयोग करके कुल 1,66,694 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी दी गई है, जिनमें से 1,24,688 किलोमीटर का निर्माण पहले ही हो चुका है।
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सड़कें ग्रामीण विकास का एक प्रमुख हिस्सा हैं, जो आर्थिक और सामाजिक सेवाओं तक पहुँच को बढ़ावा देती हैं, जिससे कृषि आय बढ़ती है और रोज़गार के अवसर पैदा होते हैं। यह गरीबी कम करने में भी अहम भूमिका निभाती है।
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में, बरबसपुर और कुर्ला में हर मानसून में आम ज़िंदगी मानो जीवन ठहर सी जाती थी। रोझन नाले पर बना पुराना पुल बाढ़ के पानी में डूब जाता था, जिससे करीब 2,000 ग्रामीणों, जिनमें से ज्यादातर अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों से थे, अस्पतालों, स्कूलों और बाज़ारों जैसी सुविधाओं से कट जाते थे। 2018-19 में, पीएमजीएसवाई-1 के तहत 181.86 लाख रुपये की लागत से एक पुल स्वीकृत किया गया था। 10-10 मीटर के सात हिस्सों से बना यह पुल, यह अब गाँव की जीवन रेखा की तरह काम कर रहा है। गाँव लौटने वाले प्रवासी श्रमिकों को प्रशिक्षित किया गया और उन्हें रोज़गार भी मिला, जिससे परियोजना को समय पर पूरा करते हुए लगभग 3,000 दिनों का रोज़गार सृजित हुआ।

बरबसपुर और कुर्ला के लोगों के लिए, यह पुल महज़ कंक्रीट और स्टील से कहीं बढ़कर है। इसका अर्थ है स्वास्थ्य सेवाओं तक सुरक्षित मार्ग, शिक्षा तक लगातार पहुँच, सुरक्षित आजीविका और ज़रूरत के समय सम्मान मिलना। इसने अलगाव को जुड़ाव में और कमज़ोरी को सशक्तिकरण में बदल दिया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) सरकार का एक प्रमुख ग्रामीण विकास कार्यक्रम है। इसे 25 दिसंबर, 2000 को ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क रहित बस्तियों को एक ही बारहमासी सड़क के ज़रिए पूरे साल सड़क संपर्क देने के मकसद से शुरू किया गया था, ताकि ग्रामीण आबादी की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके। पीएमजीएसवाई ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं तक पहुँच में खासा सुधार किया है, कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों में रोजगार पैदा किए हैं और किसानों को अपनी उपज के बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाया है।
हाल के वर्षों में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के लिए बजट आवंटन, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क संपर्क को मज़बूत करने पर सरकार के ज़ोर को दर्शाता है। चालू वित्त वर्ष 2025-26 के लिए, इस कार्यक्रम को 19,000 करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं, जो ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में सुधार, बारहमासी सड़क संपर्क सुनिश्चित करने और गाँवों में आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर मदद को दर्शाता है।
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पीएमजीएसवाई के अंतर्गत विभिन्न चरण और प्रगति
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अगस्त 2025 तक, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के सभी चरणों में 8,38,611 किलोमीटर लंबी कुल 1,91,282 ग्रामीण सड़कें और 12,146 पुल स्वीकृत किए गए हैं। इनमें से 7,83,727 किलोमीटर लंबी 1,83,215 सड़कें और 9,891 पुल पूरे हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना चरण-I
पहला चरण, जो 2000 में शुरू किया गया था, ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र संपर्करहित बस्तियों को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करने पर आधारित शुरुआती मुख्य कार्यक्रम था। 31 जुलाई 2025 तक, पीएमजीएसवाई-I के तहत देश भर में कुल 1,63,339 बस्तियों के लिए सड़क संपर्क कार्य स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से 1,62,818 (99.7%) का निर्माण हो चुका है।
पीएमजीएसवाई चरण-II (2013)
2013 में शुरू किया गया, चरण II मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क को मज़बूत करने पर केंद्रित था, ताकि लोगों, वस्तुओं और सेवाओं के परिवहन के एक प्रमुख प्रदाता के रूप में इसकी क्षमता बढ़ाई जा सके। इस कार्यक्रम ने उन चुनिंदा ग्रामीण सड़कों के आधुनिकीकरण को प्राथमिकता दी, जो आर्थिक गतिविधियों में मददगार थीं और ग्रामीण बाज़ारों और विकास केंद्रों को जोड़ने में अहम भूमिका निभाती थीं।
वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूईए)
आरसीपीएलडब्ल्यूईए 2016 में शुरू की गई थी। यह वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सड़क व्यवस्था और संपर्क में सुधार, सुरक्षा, पहुँच और विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई एक विशेष पहल है। इसका मकसद नौ राज्यों, आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश के 44 सबसे ज़्यादा प्रभावित वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) जिलों और आसपास के क्षेत्रों में सड़क अवसंरचना में सुधार करना है।
इस योजना के दो उद्देश्य हैं: सुरक्षा बलों द्वारा वामपंथी उग्रवाद-विरोधी अभियानों को सुचारू और प्रभावी बनाना, तथा बाज़ारों, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा तक बेहतर पहुँच प्रदान करके इन दूरस्थ और संवेदनशील इलाकों में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, जिससे अलगाव कम हो और समावेशी विकास को बढ़ावा मिले।
पीएमजीएसवाई चरण-III
पीएमजीएसवाई-III (2019) का मकसद सीधे मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों को मज़बूत करना, खेत से बाज़ार तक मज़बूत संपर्क बनाना और ग्रामीण कृषि बाज़ारों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों के साथ एकीकरण सुनिश्चित करना है। इस योजना को 1,25,000 किलोमीटर लंबे मौजूदा सीधे मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्कों के आधुनिकीकरण द्वारा मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क को और बेहतर बनाने के लिए शुरू किया गया था, जो बस्तियों को ग्रामीण कृषि बाज़ारों, उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों से जोड़ते हैं।
संपर्क में आने वाली सुविधाएँ (कुल 6.96 लाख):
- 1.38 लाख ग्रामीण कृषि बाज़ार
- 1.46 लाख शैक्षणिक केंद्र
- 82,000 चिकित्सा केंद्र
- 3.28 लाख परिवहन एवं अन्य सुविधा केंद्र
पीएमजीएसवाई चरण-IV
सरकार ने 11 सितंबर 2024 को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के चरण IV को मंज़ूरी दी, जिसका मकसद 25,000 संपर्करहित बस्तियों को बारहमासी सड़क संपर्क प्रदान करना है। इनकी पात्रता 2011 की जनगणना के जनसंख्या आंकड़ों पर आधारित है, जिसमें शामिल हैं:
- मैदानी क्षेत्रों में 500+ जनसंख्या
- पूर्वोत्तर और पहाड़ी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 250+
- विशेष श्रेणी के क्षेत्र, जिनमें जनजातीय (अनुसूची V) क्षेत्र, आकांक्षी जिले/ब्लॉक और रेगिस्तानी क्षेत्र शामिल हैं।
पीएमजीएसवाई के चौथे चरण में: -
- प्रस्तावित सड़क लंबाई: 62,500 किमी
- कार्यान्वयन अवधि: वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29
- कुल परिव्यय: 70,125 करोड़ रुपये


हरित प्रौद्योगिकियों के तहत सड़कों का निर्माण
पीएमजीएसवाई ग्रामीण सड़क निर्माण में स्थानीय, गैर-पारंपरिक और हरित प्रौद्योगिकियों के उपयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है। ग्रामीण सड़क निर्माण में नई और हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने से लागत कम करने में मदद मिलती है और साथ ही औद्योगिक तथा नगरपालिका अपशिष्ट का प्रभावी निपटान मुमकिन हो पाता है। पीएमजीएसवाई कई सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने में भी योगदान देता है, खास तौर पर गरीबी उन्मूलन से संबंधित लक्ष्यों को प्राप्त करने में।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के अंतर्गत, अगस्त 2025 तक, नई और हरित प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके कुल 1,66,694 किलोमीटर सड़क निर्माण को मंजूरी दी गई है, जिसमें से 1,24,688 किलोमीटर का निर्माण पहले ही हो चुका है, जो ग्रामीण सड़क विकास में सतत् और पर्यावरण-अनुकूल व्यवस्थाओं पर कार्यक्रम के ज़ोर को दर्शाता है, और जिससे स्थायित्व सुनिश्चित होता है और पर्यावरणीय प्रभाव भी कम होता है।
अंतिम छोर तक संपर्क प्राप्त करने के लिए अन्य पहलों के साथ एकीकरण
पीएमजीएसवाई-IV को दो लक्षित पहलों के साथ क्रियान्वित किया जा रहा है, जिनका मकसद पिछड़े और हाशिए पर स्थित क्षेत्रों में जनजातीय और अनुसूचित जाति की आबादी का समावेशी विकास सुनिश्चित करना है। विशिष्ट कार्यक्रमों के साथ समन्वय स्थापित करके, इस चरण का मकसद अंतिम छोर तक संपर्क का विस्तार करना, क्षेत्रीय असमानताओं को खत्म करना और उन समुदायों को विश्वसनीय सड़क सुविधाएं प्रदान करना है, जो पिछले काफी वक्त से वंचित रहे हैं।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए-जेजीयूए)
इस पहल का मकसद 17 संबंधित मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 25 लक्षित गतिविधियों के ज़रिए दूरस्थ और कमजोर क्षेत्रों में जनजातीय समुदायों का समग्र विकास करना है। पीएमजीएसवाई-IV, डीए-जेजीयूए पहल के एक भाग के रूप में सामाजिक अवसंरचना, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और आजीविका में कमियों को दूर करता है। इस योजना के तहत, 500 से अधिक जनसंख्या वाली तथा 50% या अधिक अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाली बस्तियों, या 2011 की जनगणना के अनुसार आकांक्षी जिलों में 250+ श्रेणी में 50+ अनुसूचित जनजाति जनसंख्या वाली बस्तियों को प्राथमिकता दी जाती है।
प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना (पीएम-अजय)
यह भारत सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में शुरू की गई एक व्यापक पहल है, जिसका मकसद अनुसूचित जातियों (एससी) का सामाजिक-आर्थिक उत्थान करना है। इस मकसदों को पूरा करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की पीएमजीएसवाई IV के अंतर्गत, 500 या उससे अधिक जनसंख्या वाली बस्तियों, जहाँ 40% या उससे अधिक निवासी अनुसूचित जाति के हैं, को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि समावेशी विकास और बुनियादी ढाँचे तथा अवसरों तक समान पहुँच पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन)
प्रधानमंत्री ने 18 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में रहने वाले 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) समुदायों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम जनमन) का शुभारंभ किया। इस मिशन का मकसद जनजातीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए बुनियादी सुविधाएँ प्रदान करना है, जिसमें सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पोषण तक बेहतर पहुँच, सड़क और दूरसंचार संपर्क, अविद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण और तीन वर्षों के भीतर स्थायी आजीविका के अवसर शामिल हैं। इन उद्देश्यों को 9 मंत्रालयों द्वारा कार्यान्वित 11 गतिविधियों के ज़रिए पूरा किया जा रहा है।
सरकार ग्रामीण विकास मंत्रालय के पीएमजीएसवाई के तहत एक समर्पित सड़क संपर्क घटक के साथ पीएम-जनमन को लागू कर रही है। कार्यक्रम के तहत 8,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कों के कुल लक्ष्य में से, विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की 2,636 बस्तियों को संपर्क प्रदान करने के लिए, 31.7.2025 तक 6,506 किलोमीटर तक की लंबी सड़क को मंजूरी दी गई है।
पीएमजीएसवाई में प्रौद्योगिकी का उपयोग
सरकार के व्यवस्थित उपायों के चलते पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता, स्थायित्व और स्थिरता में खासी तरक्की हुई है। सरकार उन्नत डिजिटल तकनीकों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए पीएमजीएसवाई के अंतर्गत सड़क परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करती है।
ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (ओएमएमएएस)
ओएमएमएएस सभी पीएमजीएसवाई कार्यों के कार्यान्वयन की वास्तविक समय के आधार पर निगरानी करता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन परियोजनाओं की भौतिक और वित्तीय प्रगति राज्यों को दिए गए समग्र लक्ष्यों के मुताबिक हो। इसके अलावा, पीएमजीएसवाई-III के अंतर्गत स्वीकृत प्रत्येक सड़क की निर्माण गतिविधियों के बेहतर प्रबंधन के लिए ओएमएमएएस के तहत परियोजना प्रबंधन सूचना प्रणाली (पीएमआईएस) भी विकसित की गई है।
ओएमएमएएस का उपयोग स्वतंत्र गुणवत्ता निगरानीकर्ताओं द्वारा मूल्यांकन के माध्यम से पीएमजीएसवाई परियोजनाओं की गुणवत्ता की निगरानी के लिए भी किया जाता है। यह वास्तविक समय की निगरानी की सुविधा देता है और ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढाँचा प्रदान करने में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है। राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर (एनक्यूएम) और राज्य गुणवत्ता मॉनिटर (एसक्यूएम) द्वारा किए गए निरीक्षणों को गुणवत्ता मॉनिटर द्वारा गुणवत्ता निगरानी प्रणाली (क्यूएमएस) मोबाइल एप्लीकेशन पर जियो-टैग्ड फोटोग्राफ के साथ अपलोड किया जाता है, जो ओएमएमएएस पोर्टल पर दिखाई देता है।
ई-मार्ग (ग्रामीण सड़कों का इलेक्ट्रॉनिक रखरखाव)
ई-मार्ग की शुरुआत दोष दायित्व अवधि के दौरान, सड़कों के रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करने और पीएमजीएसवाई सड़कों के नियमित रखरखाव को सुव्यवस्थित करने के लिए की गई है, जिसकी अवधारणा प्रदर्शन आधारित रखरखाव अनुबंधों (पीबीएमसी) पर आधारित है।
ठेकेदार को भुगतान अब ई-मार्ग के ज़रिए किया जाता है, जो सड़क की स्थिति, उसके क्रॉस-ड्रेनेज कार्यों और यातायात संपत्तियों पर आधारित है। भुगतान इस बात पर आधारित होता है कि ठेकेदार अनुबंध में परिभाषित प्रदर्शन मानकों या सेवा स्तरों का कितनी अच्छी तरह पालन करता है, न कि टुकड़ों में किए गए काम पर।
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) का उपयोग
सड़क निर्माण के दौरान पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, मई 2022 से पीएमजीएसवाई III कार्यों के निष्पादन के लिए ठेकेदार/पीआईयू द्वारा तैनात सभी वाहनों/मशीनों/उपकरणों पर जीपीएस सक्षम वाहन ट्रैकिंग सिस्टम (वीटीएस) स्थापित करना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे एक निर्धारित अवधि के लिए इस मशीनरी/उपकरण के उचित संचालन का आकलन करने में मदद मिलती है, जो निर्मित की जा रही सड़कों की निर्दिष्ट गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए बेहद ज़रुरी है।
मज़बूत तकनीकी मानक
सड़क निर्माण के लिए पर्यावरण-अनुकूल, हरित तथा टिकाऊ सामग्रियों तथा अत्याधुनिक निर्माण पद्धतियों एवं प्रौद्योगिकी को अपनाने को बढ़ावा दिया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम पद्धतियों और स्वदेशी अनुसंधान के नतीजों के आधार पर, भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) द्वारा नए मानक/दिशानिर्देश तैयार किए जाते हैं और ऐसी सामग्रियों एवं प्रौद्योगिकी के उपयोग को सरल बनाने के लिए आईआरसी के मौजूदा मानकों/दिशानिर्देशों में समय-समय पर संशोधन किया जाता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय/भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भी ऐसी पर्यावरण-अनुकूल सामग्रियों/प्रक्रियाओं के उपयोग पर नीतिगत दिशानिर्देश जारी किए हैं।
परीक्षण खंडों में इस्तेमाल के लिए नई/नवीन सामग्रियों/प्रक्रियाएं भी भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) द्वारा मान्यता प्राप्त है। आईआरसी मानकों/दिशानिर्देशों, अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ स्टेट हाईवे एंड ट्रांसपोर्टेशन ऑफिसर्स (एएएसएचटीओ), अमेरिकन सोसाइटी फॉर टेस्टिंग ऑफ मैटेरियल्स (एएसटीएम), यूरो कोड, ब्रिटिश कोड जैसे अंतर्राष्ट्रीय मानकों के साथ-साथ आईआरसी द्वारा मान्यता प्राप्त सभी सामग्रियों और प्रक्रियाओं को राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में अनुमति दी जाती है।
विभिन्न प्रकार की पर्यावरण-अनुकूल हरित और टिकाऊ सामग्री जैसे फ्लाई ऐश, स्लैग, निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट, लैंडफिल की निष्क्रिय सामग्री, अपशिष्ट प्लास्टिक, क्रम्ब रबर संशोधित बिटुमेन, मिलिंग एवं पुनर्चक्रण, जूट एवं कॉयर सहित भू-संश्लेषण, बांस क्रैश बैरियर, बायो-बिटुमेन, ढलान संरक्षण के लिए जैव-इंजीनियरिंग उपाय, ग्राउंड ग्रेनुलेटेड ब्लास्ट फर्नेस स्लैग आदि का उपयोग विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में उपलब्धता और उपयोग की व्यवहार्यता के आधार पर किया जाता है।
नवाचार एवं जलवायु के प्रति मज़बूती
सड़कों का जीवनकाल बढ़ाने और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए अपशिष्ट प्लास्टिक, कोल्ड मिक्स और पूर्ण गहराई पुनर्ग्रहण जैसी तकनीकों को बढ़ावा देना जैसे उपायों से जुलाई 2025 तक इन विधियों का उपयोग करके 1.24 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाई जा चुकी हैं।
त्रि-स्तरीय गुणवत्ता निगरानी
निर्मित ग्रामीण सड़कों की गुणवत्ता और स्थायित्व तय करने के लिए, एक त्रि-स्तरीय गुणवत्ता निगरानी प्रणाली लागू की गई है।
स्तर 1: कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा क्षेत्र-स्तरीय गुणवत्ता जाँच।
स्तर 2: स्वतंत्र राज्य गुणवत्ता निरीक्षकों (एसक्यूएम) द्वारा निरीक्षण।
स्तर 3: मंत्रालय द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय गुणवत्ता निरीक्षकों (एनक्यूएम) द्वारा आकस्मिक निरीक्षण। ऑनलाइन प्रबंधन, निगरानी और लेखा प्रणाली (ओएमएमएएस) के ज़रिए प्रगति और गुणवत्ता निरीक्षणों पर वास्तविक समय में नज़र रखी जाती है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) भारत की सबसे प्रभावशाली ग्रामीण विकास पहलों में से एक है, जो बेहतर संपर्क के लिए तमाम किस्म के अंतरालों को पाट रही है और देश के कुछ सबसे दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को सक्षम बना रही है। 2015 से, नवीन हरित प्रौद्योगिकियों, सख्त गुणवत्ता नियंत्रण और दीर्घकालिक रखरखाव पर ध्यान केंद्रित करके किए गए निवेशों के नतीजतन ग्रामीण सड़कों और हजारों पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है। इन बारहमासी संपर्कों ने बाज़ारों, स्कूलों और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच में सुधार किया है, आजीविका में इजाफा किया है और महिलाओं, युवाओं और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए अवसरों का विस्तार किया है। सतत् विकास लक्ष्यों के साथ तालमेल बिठाकर, पीएमजीएसवाई न केवल बुनियादी ढाँचे का निर्माण कर रहा है, बल्कि समावेशी विकास, पर्यावरणीय स्थिरता और गरीबी उन्मूलन को भी बढ़ावा दे रहा है, जिससे भारत की ग्रामीण परिवर्तन रणनीति की आधारशिला के रूप में इसकी भूमिका और मज़बूत होती है।
संदर्भ
पीआईबी
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2116219
लोकसभा
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1597_GCYSps.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AS238_ligHZc.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2568_vJp4qt.pdf?source=pqals
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https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1437_Fl1BGl.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1495_pcQPi4.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU2580_QDJDZp.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU1437_Fl1BGl.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU4206_JR3eR1.pdf?source=pqals
https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AU4307_u6Zeyk.pdf?source=pqals
पीएमजीएसवाई
https://www.civilapps.in/files/PMGSY/PMGSY-IV/1-Overview.pdf
https://pmgsy.nic.in/sites/default/files/circular/GuidelinesfirsttierQM.pdf
https://omms.nic.in/dbweb/
https://pmgsy.nic.in/sites/default/files/pmgsy_success_stories/Mandla%20MP.pdf
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