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Social Welfare

विश्व पर्यटन दिवस

पर्यटन और सतत् परिवर्तन

Posted On: 26 SEP 2025 10:41PM

"पर्यटन क्षेत्र में अनेक लोगों के जीवन में समृद्धि लाने की क्षमता है। हमारी सरकार भारत के पर्यटन क्षेत्र से जुड़े बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करती रहेगी, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अतुल्य भारत के अद्भुत अनुभवों का आनंद ले सकें।"

-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मुख्य बातें

  • भारत में अगस्त 2025 तक लगभग 56 लाख विदेशी पर्यटकों और 303.59 करोड़ घरेलू पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया।
  • स्वदेश दर्शन और स्वदेश दर्शन 2.0 के तहत, रामायण, बौद्ध, तटीय और जनजातीय सर्किट सहित विभिन्न विषयगत सर्किटों में 110 परियोजनाएँ विकसित की गई हैं।
  • वित्तीय वर्ष 2024-25 में, सतत् और उत्तरदायी पर्यटन (एसएएससीआई) पहल के तहत, 23 राज्यों में 40 परियोजनाओं को 3295.76 करोड़ रुपए की लागत से 100% केंद्रीय वित्त पोषण के साथ मंजूरी प्रदान की गई।

 

परिचय

पर्यटन एक गतिशील क्षेत्र है, जो सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आर्थिक विकास और वैश्विक संपर्क को बढ़ाता है। यह लोगों और स्थानों के बीच एक सेतु का काम करता है और क्षेत्र की विरासत, विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य को प्रदर्शित करता है।

विश्व पर्यटन दिवस 2025 का विषय, "पर्यटन और सतत् परिवर्तन" है, जो सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा देने में पर्यटन की ताकत पर ज़ोर देता है। इसे प्राप्त करने के लिए विकास से कहीं अधिक की ज़रुरत है। इसमें सुशासन, रणनीतिक योजना, प्रभावी निगरानी और दीर्घकालिक स्थिरता के मुताबिक स्पष्ट प्राथमिकताएँ होना भी ज़रुरी है।

मलेशिया 27 से 29 सितंबर तक मेलाका शहर में विश्व पर्यटन दिवस और विश्व पर्यटन सम्मेलन (डब्ल्यूटीसी) 2025 की मेज़बानी करेगा।

इतिहास और महत्व

हर साल 27 सितंबर को मनाया जाने वाला विश्व पर्यटन दिवस संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (यूएनडब्ल्यूटीओ) की एक पहल है। यह 1970 में यूएनडब्ल्यूटीओ के क़ानूनों को अपनाने की स्मृति में मनाया जाता है और देशों के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और वैश्विक सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को आगे बढ़ाने में, पर्यटन क्षेत्र की भूमिका पर ज़ोर देता है। इसे पहली बार 1980 में मनाया गया था।

भारत में पर्यटन

पर्यटन प्रमुख आर्थिक क्षेत्रों में से एक है, जो निर्यात में योगदान देता है और वैश्विक समृद्धि को भी बढ़ावा देता है। पिछले दशक में, भारत सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ाने और इसमें क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कई परिवर्तनकारी पहल की हैं, ताकि यह आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और सांस्कृतिक कूटनीति के लिए एक शक्ति के रूप में क्षमताओं का एहसास कर सके। जून 2025 तक, भारत में आगमन करने वाले पर्यटकों की संख्या 16.5 लाख थी, जबकि भारत से बाहर यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या 84.4 लाख थी। इससे भारत को 51,532 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय खाता सांख्यिकी 2025 के अनुमान के अनुसार, पर्यटन क्षेत्र ने 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 15.73 लाख करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो कुल अर्थव्यवस्था का 5.22 प्रतिशत है। साथ ही, पीरियडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के अनुसार, इस क्षेत्र में 3.69 करोड़ प्रत्यक्ष और 4.77 करोड़ अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए, जो कुल रोजगार का 13.34 प्रतिशत है।

सरकार के "विकास" और "विरासत" के एजेंडे के अनुरूप इन पहलों ने, इस क्षेत्र को पैमाने, समावेशिता और स्थिरता के संदर्भ में दोबारा परिभाषित किया है। कुछ प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  • भारत में अगस्त 2025 तक लगभग 56 लाख विदेशी पर्यटकों का आगमन (एफटीए) दर्ज किया गया।
  • भारत में अगस्त 2025 तक 303.59 करोड़ घरेलू पर्यटक आए।
  • वर्ष 2025 (अप्रैल तक) के दौरान भारत में चिकित्सा उद्देश्यों के लिए आने वाले विदेशी पर्यटकों (एफटीए) की कुल संख्या 1,31,856 है, जो इस अवधि के दौरान कुल एफटीए का लगभग 4.1% है।

स्वदेश दर्शन योजना

 

पर्यटन मंत्रालय ने 2014-15 में देश भर में थीम आधारित पर्यटन सर्किट विकसित करने के लिए स्वदेश दर्शन योजना (एसडीएस) शुरू की थी। चिन्हित विषयों के अंतर्गत 5,290.30 करोड़ रुपए की 76 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें से 75 परियोजनाएँ भौतिक रूप से पूरी हो चुकी हैं।

  • इस योजना को साल 2023 में स्वदेश दर्शन 2.0 (एसडी 2.0) के रूप में नया रूप दिया गया है, ताकि पर्यटक और गंतव्य-केंद्रित नज़रिया अपनाने वाले स्थायी पर्यटन स्थलों का विकास किया जा सके।

  • एसडी 2.0 के तहत, पिछले दो सालों में मंत्रालय ने 2,108.87 करोड़ रुपए की 52 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
  • इस योजना के अंतर्गत शामिल कुछ स्थलों में शामिल हैं
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह (तटीय परिपथ): लॉन्ग आइलैंड, रॉस स्मिथ द्वीप, नील द्वीप-हैवलॉक द्वीप, बाराटांग द्वीप-पोर्ट ब्लेयर का विकास
  • बिहार (बौद्ध परिपथ): बौद्ध सर्किट का विकास- बोधगया में कन्वेंशन सेंटर का निर्माण
  • अरुणाचल प्रदेश (पूर्वोत्तर सर्किट): भालुकपोंग-बोमडिला और तवांग का विकास
  • असम (वन्यजीव सर्किट): मानस-प्रोबितोरा-नामेरी-काजीरंगा-डिब्रू-सैखोवा का विकास
  • छत्तीसगढ़ (जनजातीय सर्किट): जशपुर-कुंकुरी-मैनपाट-कमलेशपुर-महेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोंडागांव-नाथियानवागांव-जगदलपुर-चित्रकूट-तीर्थगढ़ का विकास
  • हिमाचल प्रदेश (हिमालयी सर्किट): हिमालयी सर्किट का विकास: कियारीघाट, शिमला, हाटकोटी, मनाली, कांगड़ा, धर्मशाला, बीर, पालमपुर, चंबा
  • पुडुचेरी (हेरीटेज सर्किट): फ्रेंको-तमिल गाँव, कराईकल, माहे और यनम का विकास
  • उत्तराखंड (इको सर्किट): टिहरी झील और उसके आसपास के क्षेत्रों को नए गंतव्य, टिहरी ज़िलों के रूप में विकसित करने के लिए इको-टूरिज्म, साहसिक खेलों और संबद्ध पर्यटन संबंधी बुनियादी ढाँचे का एकीकृत विकास।

स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत शामिल कुछ स्थल

क्रम संख्या

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

स्वीकृति वर्ष

गंतव्य

अनुभव का प्रकार

स्वीकृत लागत

(करोड़ रुपये)

अधिकृत राशि (करोड़ रुपये)

 

1

बिहार (पूर्व)

2024-25

बोधगया

आध्यात्मिक/कल्याण - बौद्ध ध्यान एवं अनुभव केंद्र

165.44

16.54

2

हिमाचल प्रदेश (उत्तर)

2024-25

ऊना (माँ चिंतपूर्णी)

तीर्थयात्रा/मंदिर विकास - माँ चिंतपूर्णी देवी मंदिर

56.26

5.62

3

कर्नाटक (दक्षिण)

2023-24

हंपी

विरासत/समुदाय - यात्री नुक्कड़ की स्थापना

25.63

2.56

4

लक्षद्वीप (द्वीप)

2024-25

बंगाराम

तटीय/अवकाश - बंगाराम में पर्यटक अनुभव का संवर्धन

81.18

8.11

5

मेघालय (पूर्वोत्तर)

2023-24

सोहरा

साहसिक/प्रकृति - मेघालय युग की गुफाओं का अनुभव

32.45

3.24

6

पंजाब (उत्तर-पश्चिम)

2023-24

अमृतसर

सांस्कृतिक/सीमा - अटारी में सीमा पर्यटन अनुभव

25.90

2.59

 

स्वदेश दर्शन कार्यक्रम के ही एक हिस्से, चुनौती-आधारित गंतव्य विकास (सीबीडीडी) योजना के अंतर्गत, पर्यटन मंत्रालय ने चार प्रमुख विषयों पर 42 गंतव्यों का चयन किया है:

  • संस्कृति और विरासत
  • आध्यात्मिक और पर्यावरण-पर्यटन
  • अमृत धरोहर
  • जीवंत ग्रामीण कार्यक्रम

विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के प्रस्तावों और योजना के दिशानिर्देशों के अनुसार, पर्यटन मंत्रालय ने देश भर में 36 परियोजनाओं को मंजूरी दी है। सीबीडीडी योजना के तहत स्वीकृत इन परियोजनाओं का कार्यान्वयन, राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है, जिनकी पूर्णता की समय सीमा मार्च 2026 निर्धारित की गई है।

सीबीडीडी योजना के अंतर्गत शामिल कुछ परियोजनाएँ इस प्रकार हैं -

क्रम संख्या

राज्य/संघ राज्य क्षेत्र

स्वीकृति वर्ष

परियोजना का नाम

विषय

स्वीकृत लागत (करोड़ रुपये)

अधिकृत राशि (करोड़ रुपये)

 

1

छत्तीसगढ़

2024-25

मयाली बगीचा का इको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में विकास

इकोटूरिज्म और अमृत धरोहर स्थल

9.97

0.99

2

गुजरात

2024-25

हरसिद्धि तट, पोरबंदर में पवित्र महासागर रिट्रीट

आध्यात्मिक पर्यटन

24.66

2.47

3

मणिपुर

2024-25

मणिपुर की प्राचीन राजधानी, लंगथबल कोनुग का विकास

संस्कृति और विरासत

24.69

2.47

4

नागालैंड

2024-25

सोलफुल ट्रेल्स: इम्पुर हेरिटेज एक्सपीरियंस, इम्पुर गांव

आध्यात्मिक पर्यटन

24.94

2.50

5

पंजाब

2024-25

हेरिटेज स्ट्रीट - शांति और सद्भाव का प्रतीक, श्री आनंदपुर साहिब

आध्यात्मिक पर्यटन

24.90

2.49

6

तेलंगाना

2024-25

निज़ाम सागर, कामारेड्डी पर इको-टूरिज्म परियोजना का विकास

इकोटूरिज्म और अमृत धरोहर स्थल

9.98

0.99

 

तीर्थयात्रा पुनरुद्धार तथा आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (प्रशाद) योजना

पर्यटन मंत्रालय ने तीर्थस्थलों पर पर्यटकों की सुविधा, पहुँच, सुरक्षा और स्वच्छता में सुधार के लिए 2014-15 में तीर्थयात्रा पुनरुद्धार एवं आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (प्रशाद) की शुरुआत की।

  • प्रशाद एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, जिसका वित्तपोषण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। इसमें परियोजनाओं का चयन सांस्कृतिक महत्व, पर्यटकों की संख्या और विकास क्षमता के आधार पर किया जाता है, ताकि सभी राज्यों का प्रतिनिधित्व हो सके। स्थिरता और सामुदायिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय हितधारकों के परामर्श से योजनाएँ तैयार की जाती हैं।

  • अगस्त 2025 तक, 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाली 54 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनकी स्वीकृत सहायता राशि 1168 करोड़ रुपए से अधिक है।
  • इस योजना का मकसद एकीकृत, समावेशी और सतत् विकास के ज़रिए तीर्थ/विरासत शहर की आत्मा को संरक्षित करना भी है, जो स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगा।
  • इस योजना के तहत पुनर्विकास किए गए कुछ स्थल हैं -
  • त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, त्रिपुरा का विकास
  • श्री चामुंडेश्वरी देवी मंदिर, कर्नाटक में तीर्थयात्रा सुविधाओं का विकास
  • पटना साहिब, बिहार में विकास
  • सोमनाथ, गुजरात में सैरगाह का विकास
  • जम्मू और कश्मीर में हजरतबल तीर्थस्थल का विकास,
  • मध्य प्रदेश में अमरकंटक का विकास

देखो अपना देश पहल

  • पर्यटन मंत्रालय ने देश में घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जनवरी 2020 में 'देखो अपना देश' पहल शुरू की।
  • इस पहल के तहत, मंत्रालय वेबिनार, क्विज़, प्रतिज्ञा, सेमिनार, पर्यटन प्रचार कार्यक्रम, परिचयात्मक दौरे, रोड शो, वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सहित विभिन्न गतिविधियों के ज़रिए भारत के पर्यटन स्थलों और उत्पादों को बढ़ावा देता है।
  • इसके अलावा, मंत्रालय ने नागरिकों को शामिल करने और देश भर में उनके पसंदीदा पर्यटन स्थलों की पहचान करने के लिए 'देखो अपना देश पीपुल्स चॉइस' पोल शुरू किया है।

 

जीवंत ग्राम कार्यक्रम (वीवीपी-I) और वीवीपी-II कार्यक्रम

गृह मंत्रालय के तहत 15 फरवरी 2023 को शुरू किया गया जीवंत ग्राम कार्यक्रम-I (वीवीपी-I), अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और लद्दाख के 19 जिलों में उत्तरी सीमा के निकट 46 ब्लॉकों में चुनिंदा गाँवों के विकास के लिए की गई एक केंद्रीय पहल है।

यह कार्यक्रम पर्यटन, सांस्कृतिक विरासत, कौशल विकास और उद्यमिता को बढ़ावा देकर आजीविका के अवसर पैदा करने वाले हस्तक्षेपों के लिए विशिष्ट गाँवों को लक्षित करता है।

जीवंत ग्राम कार्यक्रम-II (वीवीपी -II) को केंद्र सरकार द्वारा 2 अप्रैल 2025 को एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में अनुमोदित किया गया था, जिसका कुल बजट वित्तीय वर्ष 2028-29 तक 6,839 करोड़ रुपये है।

  • इसका मकसद अंतर्राष्ट्रीय भूमि सीमाओं (आईएअलबी) से सटे ब्लॉकों में स्थित चुनिंदा रणनीतिक गाँवों का विकास करना है, जिसमें वीवीपी-I के तहत पहले से शामिल उत्तरी सीमा क्षेत्र शामिल नहीं हैं।
  • ये गांव अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर (यूटी), लद्दाख (यूटी), मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित हैं।

पूंजी निवेश के लिए राज्यों को विशेष सहायता (एसएएससीआई)

  • वैश्विक स्तर पर एक प्रतिष्ठित पर्यटन केंद्र विकसित करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय द्वारा जुलाई 2025 में एसएएससीआई योजना शुरू की गई थी।
  • एसएएससीआई योजना के साथ, केंद्र का मकसद प्रतिष्ठित स्थलों के व्यापक विकास और संपूर्ण पर्यटन अनुभव विकसित करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • इस योजना के तहत परियोजनाओं का चयन स्थल से संपर्क, मौजूदा पर्यटन व्यवस्था, वहन क्षमता, उपयोगिताओं की उपलब्धता और अन्य कारकों के आधार पर किया गया है और इन्हें दो वर्षों के भीतर पूरा किया जाना है।
  • सरकार 31 मार्च 2026 तक परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करेगी, जबकि स्वीकृत परियोजनाओं का कार्यान्वयन और प्रबंधन संबंधित राज्य सरकारों के अधीन होगा।
  • पूर्ण केंद्रीय वित्त पोषण के साथ 3295.76 करोड़ रुपए की 40 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई। इन परियोजनाओं से स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलने और कारीगरों एवं समुदाय के लिए अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण (सीबीएसपी) योजना

 

  • मंत्रालय अपनी सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण (सीबीएसपी) योजना के माध्यम से, पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र में व्यक्तियों के कौशल और रोजगार क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिसमें स्थानीय समुदायों, महिलाओं और जनजातीय समूहों पर खास जोर दिया जाता है।
  • इस योजना के तहत, मंत्रालय ने पर्यटन मित्र/पर्यटन दीदी पहल शुरू की है, जिसका मकसद पर्यटन से जुड़ी भूमिकाओं में स्थानीय समुदायों और महिलाओं को सशक्त बनाना है।

अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल और अतुल्य भारत कंटेंट हब

अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल, एक पर्यटक-केंद्रित, वन-स्टॉप डिजिटल समाधान है, जिसे भारत आने वाले पर्यटकों के यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पोर्टल यात्रियों को उनकी यात्रा के हर चरण में, स्थलों की खोज और शोध से लेकर योजना बनाने, बुकिंग करने, यात्रा करने और वापस लौटने तक, ज़रुरी जानकारी और सेवाएँ प्रदान करता है।

  • अतुल्य भारत डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (आईआईडीपी) ने 2024 में 294.76 करोड़ घरेलू पर्यटकों के आगमन का रिकॉर्ड बनाया।
  • यह पोर्टल वीडियो, चित्र और डिजिटल मानचित्र जैसी मल्टीमीडिया सामग्री का उपयोग करके गंतव्यों, आकर्षणों, शिल्प, त्योहारों, यात्रा डायरी, यात्रा कार्यक्रम आदि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है।
  • प्लेटफार्म का 'बुक योर ट्रैवल' फीचर उड़ानों, होटलों, कैब, बसों और स्मारकों की बुकिंग की सुविधा प्रदान करता है, जिससे यात्रियों की पहुँच बेहतर होती है।

  • इसके अलावा, एक एआई-संचालित चैटबॉट एक वर्चुअल असिस्टेंट के रूप में कार्य करता है, जो यात्रियों के सवालों का जवाब देता है और उन्हें रीयल-टाइम जानकारी प्रदान करता है।

2024 में विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर, पर्यटन मंत्रालय ने नए सिरे से तैयार किए गए अतुल्य भारत डिजिटल पोर्टल (www.incredibleindia.gov.in ) पर अतुल्य भारत कंटेंट हब का शुभारंभ किया।

  • अतुल्य भारत कंटेंट हब एक डिजिटल संग्रह है, जो भारतीय पर्यटन से संबंधित उच्च-गुणवत्ता वाली तस्वीरें, फ़िल्में, ब्रोशर और न्यूज़लेटर उपलब्ध कराता है।
  • यह टूर ऑपरेटरों, पत्रकारों, छात्रों, शोधकर्ताओं, फिल्म निर्माताओं, लेखकों, इन्फ्लुएंसर्स, कंटेंट निर्माताओं, सरकारी अधिकारियों और राजदूतों सहित विविध हितधारकों को सेवाएँ प्रदान करता है।
  • नए डिजिटल पोर्टल के एक हिस्से के तौर पर, इसका मकसद मीडिया, टूर ऑपरेटरों और ट्रैवल एजेंटों सहित वैश्विक पर्यटन उद्योग के लिए आसान पहुँच प्रदान करना है। यह कंटेंट पर्यटन मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, संस्कृति मंत्रालय और अन्य के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।

निधि पोर्टल के अंतर्गत एक भारत, एक पंजीकरण पहल

घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों ही प्रकार के पर्यटकों को बेहतर सेवाओं और अनुभवों प्रदान करने के लिए, पर्यटन मंत्रालय अपनी स्वैच्छिक योजना "अतुल्य भारत होमस्टे प्रतिष्ठान" के अंतर्गत, ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों सहित देश भर में होमस्टे सुविधाओं में पूरी तरह से संचालित कमरों का वर्गीकरण करता है। मंत्रालय द्वारा जारी मौजूदा दिशानिर्देशों के आधार पर होमस्टे को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: 1. स्वर्ण श्रेणी 2. रजत श्रेणी।

  • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश, 5-6 गाँवों के समूह में प्रति गाँव 5-10 होमस्टे लागू करने के लिए अधिकतम 5 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त कर सकते हैं, बशर्ते वे 01.07.2025 को जारी दिशानिर्देशों के अनुसार पात्रता रखते हों।
  • भारत सरकार ने 2025-26 के बजट घोषणा में होमस्टे के लिए मुद्रा ऋण हेतु कोलेटरल-मुक्त संस्थागत ऋण की भी घोषणा की, ताकि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों सहित देश भर में होमस्टे की स्थापना को सहायता और प्रोत्साहन दिया जा सके, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले।

 

जनजातीय पर्यटन सर्किट का विकास

पर्यटन मंत्रालय ने जनजातीय मामलों के मंत्रालय के परामर्श से, पर्यटन मंत्रालय की स्वदेश दर्शन योजना के तहतजनजातीय होम स्टेपरियोजना शुरू की है। इस पहल का मकसद जनजातीय क्षेत्रों की पर्यटन क्षमता का दोहन करते हुए, जनजातीय समुदायों को वैकल्पिक आजीविका के अवसर प्रदान करना है। इस पहल में जनजातीय परिवारों और गाँवों को निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना शामिल है:

  • ग्रामीण समुदाय की ज़रुरतों के लिए 5 लाख रुपए तक
  • प्रत्येक परिवार के लिए दो नए कमरों के निर्माण हेतु 5 लाख रुपए तक
  • प्रत्येक परिवार के लिए मौजूदा कमरों के नवीनीकरण हेतु 3 लाख रुपए तक

एमआईसीई पर्यटन को बढ़ावा

पर्यटन मंत्रालय ने देश के बैठक, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनी (एमआईसीई) क्षेत्र के विस्तार के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई है। मंत्रालय इसे पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है और देश में एमआईसीई उद्योग के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति और रोडमैप भी तैयार किया है।

  • भारत मंडपम, यशोभूमि और जियो वर्ल्ड सेंटर जैसे प्रतिष्ठित स्थलों और अतुल्य भारत अभियान के तहत एमआईसीई को प्राथमिकता दिए जाने के साथ, सरकार का लक्ष्य खासकर दक्षिण भारत में, कम से कम 10 भारतीय शहरों को वैश्विक एमआईसीई गंतव्यों के रूप में विकसित करना है।

वैश्विक एमआईसीई उद्योग के 2030 तक 870 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 1.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। भारत इसमें एक महत्वपूर्ण और तेजी से विस्तार करने वाला भागीदार है। वर्तमान में, 850 बिलियन अमेरिकी डॉलर के वैश्विक एमआईसीई बाजार में भारत की हिस्सेदारी केवल 5% है।

 

विशिष्ट पर्यटन उप-क्षेत्रों का विकास

  • उत्सव पर्यटन - केंद्र सरकार ने 'उत्सव पोर्टल' शुरू किया है, जो एक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म है और जिसे पूरे भारत में त्योहारों, आयोजनों और लाइव दर्शनों को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका मकसद विभिन्न क्षेत्रों को वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय स्थलों के रूप में प्रचारित करके पर्यटन को बढ़ावा देना है।
  • साहसिक पर्यटन - देश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्वतारोहण/ट्रैकिंग के लिए 120 से अधिक नई पर्वत चोटियाँ खोली गई हैं।
  • विवाह पर्यटन - पर्यटन मंत्रालय ने भारत को वैश्विक स्तर पर एक शीर्ष विवाह स्थल के रूप में प्रचारित करने के लिए "इंडिया सेज़ आई डू" अभियान शुरू किया है। यह डिजिटल मार्केटिंग, वेबसाइट, सोशल मीडिया, इन्फ्लुएंसर्स और एक्टिवेशन का उपयोग करता है। 'वेड इन इंडिया' विवाह पर्यटन को बढ़ावा देने की एक और पहल है।
  • क्रूज पर्यटन- राष्ट्रीय जलमार्गों पर नदी क्रूज यात्राओं में 2024-25 में 19.4% की वृद्धि हुई। क्रूज भारत मिशन के तहत 2027 तक 14 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में 51 नए क्रूज सर्किट की योजना बनाई गई है। भारत सरकार ने क्रूज पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई पहलों को लागू किया है, जिसमें क्रूज भारत मिशन भी शामिल है, जिसे 2024 में शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम का मकसद क्रूज पर्यटन में देश की विशाल क्षमता का लाभ उठाना है।

इस पहल का मकसद क्रूज़ पर्यटन का वैश्विक केंद्र बनने के भारत के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना और देश को अग्रणी वैश्विक क्रूज़ गंतव्य के रूप में बढ़ावा देना है। क्रूज़ इंडिया मिशन तीन चरणों में लागू किया जाएगा, जो 1 अक्टूबर 2024 से 31 मार्च 2029 तक चलेगा।

तीर्थयात्रा पर्यटन - सरकार धार्मिक स्थलों पर बुनियादी ढाँचे में सुधार करके प्रशाद और स्वदेश दर्शन जैसी योजनाओं के ज़रिए तीर्थयात्रा पर्यटन का विकास कर रही है। हाल में उठाए गए कदमों में पुनर्विकसित त्रिपुरा सुंदरी मंदिर का उद्घाटन और 2024-25 के बजट में 50 नए स्थलों का प्रस्ताव शामिल है, जो विकास के लिए आध्यात्मिक पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करता है।

चिकित्सा पर्यटन - केंद्रीय बजट 2025-26 इसे विकास के प्रेरक के रूप में रेखांकित करता है। निजी क्षेत्र और "हील इन इंडिया" पहल के साथ साझेदारी करके, यह एक वैश्विक स्वास्थ्य सेवा केंद्र बनेगा। इसकी योजना शीर्ष विशेषज्ञता, आधुनिक बुनियादी ढाँचे और आयुर्वेद तथा योग जैसी पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ अंतरराष्ट्रीय रोगियों को आकर्षित करने और किफायती, गुणवत्तापूर्ण देखभाल प्रदान करने की है।

 

निष्कर्ष

 

पिछले कुछ सालों में भारत में पर्यटन का विकास उल्लेखनीय रहा है, जिसने देश की अर्थव्यवस्था और उसकी वैश्विक छवि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। विरासत स्थलों से लेकर आधुनिक बुनियादी ढाँचे तक, भारत के विविध आकर्षण हर साल लाखों पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। देखो अपना देश, प्रशाद और स्वदेश दर्शन जैसी पहलों ने पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित किया है और घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह की यात्राओं को बढ़ावा दिया है। इसके साथ ही बुनियादी ढाँचे के विकास, डिजिटल परिवर्तन और सांस्कृतिक संरक्षण पर सरकार के ध्यान ने हमारे देश को एक विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। यह वृद्धि केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की सॉफ्ट पावर को भी और मज़बूत करती है।

 

संदर्भ

 

पर्यटन मंत्रालय:

https://tourism.gov.in/sites/default/files/2025-07/Quarterly%20%20Tourism%20Snapshot%20Jan-Mar%202025.pdf

प्रेस सूचना ब्यूरो:

https://www.pib.gov.in/FeaturesDeatils.aspx?id=154724&NoteId=154724&ModuleId=2

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2101371

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2153611

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2159117

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2060272

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