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Social Welfare

काशी तमिल संगमम 4.0

ज्ञान परंपराओं, संस्कृतियों और समुदायों को फिर से जोड़ना

Posted On: 01 DEC 2025 11:00AM
 

प्रमुख विशेषताएं

  • काशी तमिल संगमम 4.0, 2 दिसम्‍बर, 2025 को शुरू हो रहा है, जो तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्‍कृतिक और सभ्‍यतागत सम्‍पर्क को आगे बढ़ाएगा।
  • यह संस्‍करण “लेट्स लर्न तमिल – तमिल करकलम” पर आधारित है, जिसमें तमिल भाषा सीखने और भाषा की एकता को संगमम के केन्‍द्र में रखा गया है।
  • प्रमुख कार्यक्रम में तमिल करकलम (वाराणसी के स्कूलों में तमिल पढ़ाना), तमिल करपोम (काशी क्षेत्र के 300 छात्रों के लिए तमिल सीखने का स्टडी टूर), और ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान (तेनकासी से काशी तक सभ्‍यतागत मार्ग का पता लगाना) शामिल हैं।
  • इस वर्ष का संगमम रामेश्वरम में एक विशालसमापन समारोह के साथ खत्म होगा, जो काशी से तमिलनाडु तक संस्‍कृति के उद्भव और विकास को सांकेतिक तौर पर पूरा करेगा।

एक पुराने रिश्ते को नये रुप में रखना: काशी तमिल संगमम क्या है?

 

 

Source: Kashi Tamil Sangamam website

काशी तमिल संगमम एक ऐसे रिश्ते का जश्न है जो सदियों से भारतीय कल्पना में बसा हुआ है। अनगिनत तीर्थयात्रियों, विद्वानों और साधकों के लिए, तमिलनाडु और काशी के बीच का सफ़र कभी भी सिर्फ़ शारीरिक तौर पर आने-जाने का रास्ता नहीं था - यह विचारों, सोच, भाषाओं और जीवित परंपराओं का एक आंदोलन था। संगमम इसी भावना से प्रेरित है, एक ऐसे बंधन को ज़िंदा करता है जिसने पीढ़ियों से भारत के सांस्कृतिक माहौल को शांतिपूर्वक आकार दिया है।

जब भारत अपनी आज़ादी के 75 साल पूरे होने परपूरे देश में आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाए जाने के महत्‍व के बारे में गहराई और गंभीरता से सोच रहा था और अपनी सभ्यतागत विरासत की गहराई को फिर खोज रहा था – संगमम देश को जोड़ने वाली सांस्कृतिक निरंतरता को फिर से पक्का करने के लिए एक उद्देश्‍यपूर्ण कोशिश के तौर पर सामने आया। आत्‍मविश्‍लेषण और भारत की स्‍थायी शक्ति का जश्‍न मनाने की इसी भावना के साथ, काशी तमिल संगमम ने एक पुराने जुड़ाव को सामने लाने के लिए एक राष्‍ट्रीय मंच दिया, जिसने सदियों से आध्यात्मिक सोच, कलात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान के आदान-प्रदान को रास्ता दिखाया है।

यह पहल एक भारत श्रेष्ठ भारत के सार को दर्शाती है, जो लोगों को अपनी संस्कृति से परे संस्कृतियों की समृद्धि को समझने और उसकी सराहना करने के लिए प्रोत्साहित करती है। शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित, आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय प्रमुख ज्ञान भागीदार के रूप में कार्य कर रहे हैं, और रेलवे, संस्कृति, पर्यटन, कपड़ा और युवा कार्य और खेल सहित दस मंत्रालयों और उत्तर प्रदेश सरकार की भागीदारी के साथ, काशी तमिल संगमम दोनों क्षेत्रों के छात्रों, कारीगरों, विद्वानों, आध्यात्मिक गुरूओं, शिक्षकों और सांस्कृतिक परम्‍पराओं को संरक्षित करने के लिए सभी को एक साथ लाता है, जिससे उनके बीच विचारों, सांस्कृतिक कार्य प्रणालियों और पारंपरिक ज्ञान का आदान-प्रदान होता है। संगमम के प्रत्येक संस्करण में तमिलनाडु के छात्र, शिक्षक, कारीगर, विद्वान, आध्यात्मिक नेता और सांस्कृतिक चिकित्सक एक सप्ताह से दस दिनों के लिए काशी आते थे, जिसके दौरान वे काशी के मंदिरों, तमिल संबंध वाले सभी केंद्रों और अयोध्या और प्रयागराज जैसे पड़ोसी क्षेत्रों का दौरा करते थे।

काशी तमिल संगमम 4.0: ‘तमिल कारकलम’ – आइए तमिल सीखें

काशी तमिल संगमम 4.0 इस बढ़ते सांस्‍कृतिक संगम का अगला अध्‍याय है, जो इसकी सीमा और महत्‍वाकांक्षा दोनों को बढ़ाएगा। 2 दिसम्‍बर 2025 को शुरू होने वाला यह संस्‍करण पूर्व के संगमम का सारांश बनाए रखेगा, साथ ही भाषा सीखने और शैक्षणिक आदान-प्रदान पर ज़्यादा ज़ोर देगा। कार्यक्रम रामेश्वरम में एक समापन समारोह के साथ खत्म होगा, जो काशी – जो उत्तर भारत के सबसे पवित्र केन्‍द्रों में से एक है – से तमिल अध्‍यात्‍मिक विरासत की सबसे पवित्र जगहों में से एक तक के सफ़र को एक तरह से पूरा करेगा। यह उत्तर से दक्षिण के आर्क संगमम की असली भावना को दिखाता है: दो जीवंत संस्‍कृतियों के भूगोलों के बीच एक सेतु।

काशी तमिल संगमम 4.0 का दिल इसकी विषय वस्‍तु, चलो तमिल सीखें – तमिल करकलम” में है। यह संस्‍करण तमिल भाषा अध्‍ययन को अपनी कल्‍पना के केन्‍द्र में रखता है, और इस विश्वास को आगे बढ़ाता है कि सभी भारतीय भाषाएँ एक साझा भारतीय भाषा परिवार का हिस्सा हैं। विषय वस्‍तु एक आसान लेकिन दमदार संदेश देती है: भाषाई विविधता सांस्कृतिक एकता को मज़बूत करती है। इस साल का संस्‍करण एक मज़बूत शैक्षणिक केन्‍द्र भी पेश करता है, जिसमें भाषा-आधारित सांस्कृतिक लेन-देन और युवाओं की भागीदारी पर ज़ोर दिया गया है। यह काशी क्षेत्र के छात्रों को तमिल भाषा में डूबने और तमिलनाडु की समृद्ध विरासत को सीधे अनुभव करने के मौके देकर, सांस्कृतिक एकता के विचार को प्रतीकों से परे ले जाता है।

इस विशाल कल्‍पना को ध्यान में रखते हुए, तमिलनाडु से 1,400 से अधिक प्रतिनिधि काशी में होने वाले कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। ये प्रतिनिधि सात बड़ी श्रेणियों में आते हैं – छात्र, अध्‍यापक, लेखक और मीडिया प्रोफेशनल्स, कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लोग, पेशेवर और कारीगर, महिलाएं, और अध्‍यात्मिक विद्वान। उनके शामिल होने से यह पक्का होता है कि विषय वस्‍तु की भावना समाज के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचे, जिससे काशी तमिल संगमम 4.0 का असर सबको साथ लेकर चलने वाला और दूर तक पहुंचने वाला हो।

काशी तमिल संगमम 4.0: प्रमुख पहलें

उत्तर प्रदेश में छात्रों को तमिल पढ़ाना – “आइए तमिल सीखें – तमिल करकलम

इस संस्‍करण की एक खास पहल तमिल अध्‍ययन का लर्निंग का संरचित परिचय है, खासकर काशी इलाके में।

  • वाराणसी के स्कूलों में डीबीएचपीएसप्रचारकों समेत 50 हिंदी जानने वाले तमिल अध्‍यापक तैनात किए जाएंगे।
  • उत्तर प्रदेश आने से पहले वे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ क्लासिकल तमिल (सीआईसीटी) में ट्रेनिंग लेंगे।
  • प्रत्‍येक अध्‍यापक30छात्रों के बैच के लिए अल्‍पकालिक स्पोकन तमिल मॉड्यूल चलाएगा, जिसमें बेसिक बातचीत, उच्चारण और अल्फाबेट शामिल होंगे।
  • इस पहल के ज़रिए कुल 1,500 छात्र शुरुआती तमिल सीखेंगे।
  • बीएचयूका तमिल विभाग, सीआईआईएलमैसूर, आईआरसीटीसीऔर वाराणसी एडमिनिस्ट्रेशन कोऑर्डिनेशन और लॉजिस्टिक्स में मदद कर रहे हैं।

यह पहल तमिलनाडु के बाहर तमिल सीखने को बढ़ाने और भाषाई समावेश को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

तमिलनाडु की यात्रा करते हुए तमिल सीखें – स्टडी टूर प्रोग्राम

उत्तर प्रदेश में तमिल शिक्षण को पूरा करना काशी क्षेत्र के युवाओं के लिए बड़े पैमाने पर शैक्षणिक बदलाव है।

  • उत्तर प्रदेश के 300 कॉलेज छात्र 2 दिसम्‍बर, 2025 से 10 बैच में तमिलनाडु जाएंगे।
  • वे सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ क्लासिकल तमिल (सीआईसीटी) चेन्नई में एक ओरिएंटेशन में शामिल होंगे, जिसके बाद राज्य भर के बड़े संस्‍थानों में तमिल भाषा की कक्षा और सांस्‍कृतिक सत्र होंगे।
  • प्रत्‍येक संस्‍थानछात्रों की मेजबानी करेगा, विषय कोऑर्डिनेटर प्रदान करेगा और ऐतिहासिक तमिल-काशी सम्‍पर्क से जुड़ी जगहों पर स्टडी टूर आयोजित करेगा।
  • सभी छात्रों को भागीदारी प्रमाणपत्र मिलेगा।

संस्थानों की सूची:

बैच संख्या

संस्थान का नाम

1 और 2

आईआईटी मद्रास (2 बैचों के छात्र)

3

पॉन्डिचेरी सेंट्रल विश्वविद्यालय

4

गांधीग्राम ग्रामीण संस्थान, डीम्ड विश्वविद्यालय, दिन्दुगल

5

भारतीय विद्या भवन

6

श्री शंकरा कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, एनाथुर, कांचीपुरम

7

श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती महाविद्यालय, कांचीपुरम

8

कोंगुनाडु कला एवं विज्ञान महाविद्यालय, कोयंबटूर

9

शास्त्र विश्वविद्यालय, थंजावुर

10

गणदीपत्य तुलसी जैन इंजीनियरिंग कॉलेज (जीटीईसी), वेल्लोर

 

यह कार्यक्रम सुनिश्चित करता है कि उत्तर भारत के युवा सीखने वालों को तमिल भाषा, विरासत और आज के सांस्‍कृतिकतौर-तरीकों से सीधा संपर्क मिले।

ऋषि अगस्त्य वाहन अभियान (SAVE)

केटीएस 4.0 की सबसे खास पहलों में से एक अगस्त्य अभियान है, जो तमिल और भारतीय परंपरा में गहराई से जुड़े एक सभ्यतागत रास्ते को दिखाता है।

  • यह अभियान 2 दिसम्‍बर 2025 को तेनकासी (तमिलनाडु) से शुरू होगा और 10 दिसम्‍बर 2025 को काशी पहुंचेगा।
  • यह ऋषि अगस्त्य से जुड़े पौराणिक रास्ते पर चलेगा, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली में तमिलनाडु के योगदान को दिखाता है।
  • यह यात्रा पांडियन शासक आदि वीर पराक्रम पांडियन की विरासत का भी सम्मान करती है, जिन्होंने सांस्कृतिक एकता का संदेश फैलाने के लिए उत्तर की यात्रा की और एक शिव मंदिर बनवाया, जिससे तेनकासी (“दक्षिण काशी”) का नाम पड़ा।
  • अपने मार्ग में, यह अभियान चेर, चोल, पांड्या, पल्लव, चालुक्य और विजयनगर काल के सभ्यतागत संबंधों को दिखाता है।
  • यह पारम्‍परिक तमिल साहित्य, सिद्ध चिकित्सा और साझा विरासत परंपराओं के बारे में जागरूकता को भी बढ़ावा देता है।

यह अभियान तमिलनाडु और काशी के बीच विचारों, संस्कृति और आध्यात्मिक शिक्षा के गहरे ऐतिहासिक आंदोलन का प्रतीक है।

1.0 से 4.0 तक: काशी तमिल संगमम की यात्रा

2022 में अपनी शुरुआत के बाद से, काशी तमिल संगमम तमिलनाडु और काशी के बीच एक संरचित सांस्‍कृति और शैक्षणिक जुड़ाव के तौर पर विकसित हुआ है। हर संस्‍करण ने क्यूरेटेड डेलीगेशन, थीमैटिक फोकस एरिया, एकेडमिक बातचीत और हेरिटेज एक्सपीरियंस के ज़रिए अपना दायरा बढ़ाया है, जिससे दोनों इलाकों के बीच सभ्‍यतागत रिश्ते लगातार मज़बूत हुए हैं।

काशी तमिल संगमम 1.0 (नवम्‍बरदिसम्‍बर2022)

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 2022 में काशी तमिल संगमम का पहला संस्‍करण शुरू किया था, जिसने सांस्‍कृतिक सेतु की नींव रखी, जो बाद के संस्‍करणों के ज़रिए और मज़बूत होता जाएगा।पहला संस्‍करण, जो 16 नवम्‍बर से 15 दिसम्‍बर 2022 तक हुआ था, वह तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्‍कृतिक रिश्तों को बड़े और रोमांचक अनुभवों की विशेषता के साथ लोगों के सामने लाया।

मुख्‍य बातें:

 

  • तमिलनाडु से 12अलग-अलग समूहों में - छात्र, अध्‍यापक, कारीगर, किसान, लेखक, धर्म गुरू, पेशेवर और सांस्‍कृतिक प्रैक्टिशनर्स—के 2,500से अधिक भागीदार
  • वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या को कवर करने वाले आठ दिन के क्यूरेटेड टूर।
  • काशी में मुख्य सांस्‍कृतिक और आध्‍यात्मिक स्‍थानों: काशी विश्वनाथ मंदिर, केदार घाट, सारनाथ और तमिल हेरिटेज पॉकेट्स का दौरा।
  • महाकवि सुब्रमण्यम भारती के पुश्तैनी घर का दौरा और शहर में तमिल बोलने वाले समुदायों के साथ बातचीत।
  • बीएचयूमें रोज़ाना सांस्‍कृतिक कार्यक्रम जिनमें तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के कलाकार शामिल हुए।
  • हथकरघा, हस्‍तशिल्‍प, ओडीओपी उत्‍पाद, किताबें और परम्‍परागत खाने की प्रदर्शनियां।
  • शैक्षणिक सत्र, लेक्चर-डेमोस्ट्रेशन्स और सामुदायिक बातचीत जिनमें तमिलनाडु और काशी के बीच ऐतिहासिक और साहित्यिक संबंधों की खोज की गई।

इस पहले संस्‍करण ने संगमम का मॉडल बनाया—जो विरासत, संस्कृति, स्कॉलरशिप और सीधे लेन-देन के ज़रिए लोगों को एक साथ लाता है—और इसके बाद के सभी संस्‍करणों के लिए एक मज़बूत नींव रखी।

काशी तमिल संगमम 2.0 (दिसम्‍बर2023)

17 से 30 दिसम्‍बर 2023तक वाराणसी के नमो घाट पर आयोजित काशी तमिल संगमम के दूसरे संस्‍करण ने उद्घाटन समारोह में स्थापित सांस्कृतिक आदान-प्रदान के पैमाने और गहराई को बढ़ाया।

स्रोत एक भारत श्रेष्‍ठ भारत रिपोर्ट, एमओई

 

केटीएस 2.0की मुख्य बातें

  • तमिलनाडु से सात अलग-अलग श्रेणियों के 1,435 प्रतिनिधियों ने वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या को कवर करते हुए आठ दिन के टूर में हिस्सा लिया, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ और सुब्रमण्यम भारती के घर जैसे बड़े आध्यात्मिक और तमिल विरासत वाले जगहों के दौरे भी शामिल थे।

स्रोत :एक भारत श्रेष्‍ठ भारत रिपोर्ट, एमओई

स्रोत :एक भारत श्रेष्‍ठ भारत रिपोर्ट, एमओई

 

  • इस संस्‍करण में माननीय प्रधानमंत्री के भाषण का पहली बार रियल-टाइम तमिल ट्रांसलेशन पेश किया गया, जिससे प्रतिनिधियों तक आसानी से जानकारी पहुंच सकी।
  • नमो घाट पर रोज़ाना होने वाले सांस्‍कृतिक कार्यक्रम में दोनों राज्यों के शास्‍त्रीय, लोक और आधुनिक कार्यक्रम हुए, साथ ही सात विषयों वाले शैक्षणिक सत्र भी हुए, जिसमें एक खास अगस्त्य जयंती सत्र भी शामिल था।
  • हथकरघा, हस्‍तशिल्‍प, ओडीओपी उत्‍पाद, किताबें और क्षेत्रीय पकवानों की एक विशाल प्रदर्शनी में ₹22 लाख की बिक्री हुई और 2 लाख से ज़्यादालोग आए।
  • मज़बूत डिजिटल फुटप्रिंट, 8.5 करोड़ नागरिकों (ब्रांड24) तक अभियान की पहुंच और आधिकारिक केटीएससोशल मीडिया हैंडल पर 2.5 लाख इंटरैक्शन के साथ कुल 8 मिलियन (80 लाख) पहुंच।

काशी तमिल संगमम 3.0 (फरवरी 2025)

स्रोत :आकशवाणी समाचार


15 से 24 फरवरी 2025 तक हुए काशी तमिल संगमम के तीसरे संस्‍करण ने तमिलनाडु और काशी के बीच सांस्कृतिक और बौद्धिक संबंधों को और गहरा किया, और विषय वस्‍तु पर ज़्यादा ध्यान दिया।

केटीएस 3.0 की मुख्‍य बातें

  • ऋषि अगस्त्य पर एक खास विषय पर ध्‍यान केन्द्रित, जिसमें साहित्य, भाषा विज्ञान, दर्शन और भारतीय ज्ञान परंपराओं में उनके योगदान को दिखाने वाली प्रदर्शनियां और चर्चाएं हुई।
  • वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण जगहों का दौरा, जिसमें प्रयागराज में महाकुंभ मेला 2025 और नयाराम मंदिर शामिल है, जिससे प्रतिनिधियों ने एक गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक अनुभव लिया।
  • एनईपी 2020 के भारतीय ज्ञान परम्‍पराओं पर ज़ोर देने के साथ, प्राचीन तमिल ज्ञान सिस्टम को आधुनिक अनुसंधान, नये अविष्‍कारों और आधुनिक शिक्षा से जोड़ने वाले वर्कशॉप, सेमिनार और बहुविषयकसत्र।
  • अलग-अलग समूहों – छात्रों, अध्‍यापकों, लेखकों, कलाकारों, उद्यमियों, मिलकर काम करने वाली महिलाओं का समूह, डीबीएचपीएसप्रचारकों और युवा अविष्‍कारकों – की भागीदारी, जिससे एक-दूसरे के यहां सार्थक आदान-प्रदान और गहरा सामुदायिक सम्‍पर्क बन सके।

केटीएस 3.0 ने संगमम की भूमिका को एक ऐसे प्लेटफॉर्म के रूप में मजबूत किया जहां परम्‍परा और आधुनिकता मिलती है, जिससे सीखने, बातचीत और साझा सांस्कृतिक अनुभव के माध्यम से तमिलनाडु और काशी के बीच सभ्यता की निरंतरता को मजबूत किया गया।

काशी-तमिल संबंध को मजबूत करना: एक स्थायी सांस्कृतिक निरंतरता

अपने चार संस्‍करणों में, काशी तमिल संगमम ने दिखाया है कि जब सांस्‍कृतिक लेन-देन असल में अनुभव से जुड़ा होता है, तो यह कैसे बदलाव लाता है।

स्रोत :काशी तमिल संगमम वेबसाइट

 

प्रत्‍येक संस्‍करण ने इस सफ़र में एक अलग पहलू जोड़ा है: केटीएस 1.0 का बड़े पैमाने पर सांस्‍कृतिक जुड़ाव, केटीएस 2.0में लोगों की बढ़ी हुई भागीदारी और विषय वस्‍तु पर आधारित जुड़ाव, और केटीएस 3.0का ज्ञान पर आधारित, ऋषि अगस्त्य पर केन्‍द्रित बातचीत। केटीएस 4.0के साथ, संगमम तमिल भाषा सीखने को सबसे आगे रखकर एक नए दौर में आ रहा है, जिससे तमिल करकलम, तमिल कारपोम और संरचित स्टडी टूर के ज़रिए दो-तरफ़ा भाषाई जुड़ाव मुमकिन हो रहा है।

ये संस्‍करण मिलकर दिखाते हैं कि संगमम कैसे एक यादगार प्रोग्राम से आगे बढ़कर एक निरन्‍तर चलने वाला सांस्‍कृतिक मार्गबन गया है। प्रतिनिधि काशी के घाटों और मंदिरों में तमिल विरासत को फिर से खोजते हैं; उत्तर प्रदेश के छात्र तमिलनाडु का सीधा अनुभव करते हैं; अध्‍यापक नए सीखने वालों को तमिल सिखाते हैं; और दोनों इलाकों के समुदाय साहित्‍य, शिल्‍प, भोजन और साझा आध्‍यात्मिक परम्‍पराओं से जुड़ते हैं।

कुल मिलाकर यह सफ़र एक भारत श्रेष्ठ भारतकीप्रमुख कल्‍पना को दिखाता है, जहाँ एक-दूसरे की भाषाओं, परम्‍पराओं और नज़रियों से जान-पहचान के ज़रिए राष्‍ट्रीय एकता मज़बूत होती है। पुराने रिश्तों की फिर से खोज – जिसे अगस्त्य अभियान जैसी पहलों के ज़रिए उजागर किया गया है – और स्कूलों, यूनिवर्सिटीज़ और सांस्‍कृतिक स्‍थानों परआधुनिक अध्‍ययन का स्‍थान बनाना, साल भर सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान, भाषा की समझ और युवाओं की भागीदारी पर ईबीएसबीके ज़ोर को दिखाता है।

जैसे-जैसे काशी तमिल संगमम 4.0एक नए भाषाई और शैक्षणिक फोकस के साथ सामने आ रहा है, यह इस विचार को और मज़बूत करता है कि सांस्कृतिक समझ लगातार बातचीत से बनती है। विरासत को बढ़ावा देकर, भाषा सीखने को बढ़ावा देकर, और लोगों के बीच अच्छे संपर्क को मुमकिन बनाकर, संगमम आज एक लंबे समय तक चलने वाली सांस्कृतिक निरंतरता के तौर पर खड़ा है—यह तमिलनाडु और काशी के बीच हमेशा रहने वाले रिश्ते को और गहरा कर रहा है और साझा सभ्यता के अनुभव के ज़रिए भारत की एकता को और मज़बूत कर रहा है।

संदर्भ:

https://kashitamil.iitm.ac.in/home

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2192810

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2187556

https://x.com/PIB_India/status/1992118405592441194

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1980376

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/feb/doc2025214502301.pdf

https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/jun/doc202562561301.pdf

https://blogs.pib.gov.in/blogsdescrI.aspx?feaaid=81

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2192810#:~:text=Sage%20Agasthya%20Vehicle%20Expedition%20from,Kashi%20on%2010th%20December%202025.

https://kashitamil.bhu.edu.in/index.html

https://www.pmindia.gov.in/en/image-gallery/

 

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