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2 से 597: एकलव्य स्कूल के बच्चे देश की कठिनतम परीक्षाओं में सफल

Posted On: 13 NOV 2025 10:53AM by PIB Delhi

भारत के दूरदराज आदिवासी गावों में अवस्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) ने एक बड़ा कीर्तिमान स्थापित किया है। वर्ष 2024 -25 में इन स्कूलों के करीब 597 छात्रों ने देश की अत्यंत प्रतियोगी मानी जाने वाली जेईई मेन और जेईई एडवांस तथा नीट की परीक्षा में रिकार्ड सफलता हासिल की है। यह एक बड़ी उछाल है क्योंकि इन स्कूलों से उपरोक्त परीक्षाओं में सफल होने वाले छात्रों की संख्या वर्ष 2022-23 में केवल 2 हुआ करती थी । इन स्कूलों की यह उपलब्धि इस बात को दर्शाती है की कैसे लक्ष्य आधारित शिक्षा के प्रसार के जरिये भारत की अत्यंत उपेक्षित आदिवासी जनजातियों के जीवन में बदलाव और उन्हें बेहतर अवसर प्रदान किया जा सकता है। गौरतलब है की बारहवीं क्लास तक शिक्षा प्रदान करने वाले देश के कुल 230 एकलव्य आदर्श विद्यालयों मे 101 विद्यालयों के छात्रों ने उपरोक्त परीक्षाओं में यह सफलता हासिल की है।

इसमें एक उदाहरण हिमाचल प्रदेश की बसपा घाटी के सांगला गांव के जतिन नेगी का है। इस आदिवासी छात्र ने हिमालय इलाके के गांव की कपकपाती ठंड और बिजली आपूर्ति के अभाव के बावजूद जेईईएडवांस उत्तीर्ण कर आल इंडिया रैंकिंग में 421वा स्थान हासिल किया। अभी यह लड़का आईआईटी जोधपुर का छात्र है। इसी तरह दूसरा उदाहरण गुजरात के खपाटिया गांव की लड़की पदवी ऊर्जस्वी बेन अमृतभाई का है, इस लड़की ने प्रदेश के बरटांड़ स्थित एकलव्य विद्यालय में पढ़कर नीट की परीक्षा उत्त्तीर्ण की। यह लड़की जूनागढ़ स्थित जीएमईआरएस मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल से एमबीबीएस कर रही है। यानी इसका डॉक्टर बनने का सपना जल्द ही साकार हो जायेगा।

ये सारी कहानी एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों से मिले जीवन बदलने वाले अवसरों की कहानी है जिसने सैकड़ो आदिवासी बच्चो की तक़दीर बदली।

वर्ष (2024-25) में एकलव्य विद्यालय के छात्र जिन्होंने जेईईमेंस, आईआईटी-एडवांस और नीट की परीक्षा  उत्तीर्ण की-

क्रम संख्या

राज्य

जेईईमेंस

जेईई एडवांस

नीट

1

आंध्र प्रदेश

17

1

0

2

छत्तीसगढ़

17

3

18

3

गुजरात

37

3

173

4

हिमाचल प्रदेश

3

1

7

5

झारखण्ड

6

0

0

6

कर्नाटक

7

0

0

7

मध्य प्रदेश

51

10

115

8

महाराष्ट्र

7

2

7

9

ओडिशा

10

4

0

10

तेलंगाना

60

10

24

11

उत्तर प्रदेश

1

0

0

12

उत्तराखंड

3

0

0

 

कुल

219

34

344

वर्षवार तुलनात्मक प्रदर्शन (विगत 3 शैक्षणिक वर्ष के दौरान )

वर्ष

आईआईटी - जेईई

नीट

2024–2025

219

344

2023–2024

16

6

2022–2023

2

 

क्या हैं आईआईटी- जेईई और नीट परीक्षाएं?

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान यानी आईआईटी बड़ी ही प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान हैं जहाँ इंजीनियरिंग और तकनीकी शिक्षा प्रदान की जाती है। संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी जेईई एक राष्ट्रीय स्तर की इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा है जो दो चरणों में पूरा होती है जो जेईई मेन और जेईई एडवांस कहलाती हैं। जेईई मेन एक जाँच परीक्षा है जिसमे उन उम्मीदवारों का चयन होता है जो जेईई एडवांस की परीक्षा में बैठने लायक होते है। इस परीक्षा में चयनित छात्रों को आईआईटी में एडमिशन मिलता है। समूचे देश में करीब 23 आईआईटी संस्थान हैं।

इसी तरह नेशनल एलिजिबिलिटी सह इनट्रेंस टेस्ट यानी एनईईटी (नीट) भी एक सामान्य परीक्षा है जिसमे देश भर के मेडिकल कालेजों में एडमिशन के लिए छात्र चयनित होते है।

एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूल (ईएमआरएस)

आदिवासी मामलो के मंत्रालय द्वारा स्थापित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय आदिवासी वर्ग के विद्यार्थियों को बेहद गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करते हैं। ये विद्यालय आदिवासी बच्चो को उच्च और पेशेवर शिक्षा में बड़े अवसर देने के साथ साथ अनेकानेक क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करते हैं।

गौरतलब है समूचे देश में 485 एकलव्य आवासीय विद्यालय कार्यरत हैं जिसमे वर्ष 2024-25 में करीब 1,38,336 छात्र नामांकित हैं। वैसे देश में एकलव्य विद्यालय की कुल स्वीकृत संख्या 722 है जिसके लिए कुल 68,418 लाख रुपये का कोष जारी किया गया है। संविधान के आर्टिकल 275 (1) के तहत आदिवासी मामलों के मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों को प्रदत्त अनुदान राशि का इस्तेमाल स्कूल भवन के निर्माण और इसके नियमित खर्च के लिए दिया जाता है। आदिवासी समुदाय के कल्याण के लिए भारतीय संविधान में उल्लिखित समेकित कोष से हर वर्ष अनुदान राशि प्रदान की जाती है।

गौरतलब है कि ईएमआरएस योजना की शुरुआत वर्ष 1997-98 में की गई थी। वर्ष 2018 -19 के केंद्रीय बजट में भारत सरकार ने एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय यानी ईएमआरएस को लेकर घोषणा करते हुए ये कहा की पचास प्रतिशत से ज्यादा तथा बीस हज़ार आदिवासी आबादी वाले वाले हर प्रखंड में यह स्कूल स्थापित किया जायेगा। इस क्रम में संविधान के आर्टिकल 275 (1) के तहत देश में स्वीकृत 288 एकलव्य विद्यालय के अतिरिक्त 440 और एकलव्य विद्यालयों की स्थापना प्रस्तावित की गयी। यानी कुल मिलाकर 728 एकलव्य विद्यालयों की स्थापना का मार्ग देश में प्रशस्त हुआ।

अभी 31 जुलाई 2025 तक देश में कुल 722 एकलव्य विद्यालय स्वीकृत किये गए हैं जिनमे 485 विद्यालय अभी कार्यशील हैं।

एकलव्य विद्यालयों का विस्तार स्थानीय आदिवासी समुदाय के बच्चों को सीधे तौर पर उच्च स्तर की मुफ्त शैक्षणिक व्यवस्था प्रदान करने में काफी मददगार साबित हुआ है। इनमे बच्चे सीबीएसई पाठ्यक्रम की पढाई बिलकुल अपने परिवेश में प्राप्त करने का अनमोल अवसर प्राप्त करते हैं। इन स्कूलों में सभी सुविधाओं से सुसज्जित छात्रावास, क्लास रूम, प्रयोगशाला और खेल सुविधाएं दी गयी हैं।

एकलव्य विद्यालय आदिवासी बच्चो के सम्पूर्ण विकास की सारी परिस्थितियां जिसमे शैक्षणिक , शारीरिक और गैर पाठ्यक्रम गतिविधियां शामिल हैं उन्हें प्रदान करता है। बच्चे यहाँ मुफ्त की शिक्षा के अलावा पौष्टिक भोजन, स्वास्थ्य देखभाल और कॅरियर परामर्श इस तरह की प्राप्त करते हैं जिससे की वे उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के काबिल बन सके। एकलव्य विद्यालय के जरिये प्रदत्त इन उपायों से कुल मिलाकर आदिवासी बच्चों का शैक्षणिक विकास तो होता ही है साथ साथ उनका सामाजिक समावेशीकरण भी होता है। आदवासी समुदाय के आर्थिक और सामाजिक उत्थान का कार्य भी सुनिश्चित होता है।

हाल के वर्षों में एकलव्य विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या तथा इनके समेकित विकास हेतु धन आबंटन में भी निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है।

एकलव्य विद्यालय के विकास से हासिल परिणाम

जतिन नेगी इन कई छात्रों में एक है जिसे इस शैक्षणिक सुविधा से काफी लाभ मिला। इसने 2017 में जब नीचर स्थित एकलव्य विद्यालय में एडमिशन लिया तो वह कक्षा 6 का छात्र था।

चित्र 1- नेगी, हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले के सांगला गांव का है जो वृहत हिमालय में तिब्बत की सीमा के नजदीक है। तस्वीर सांगला से बीस किलोमीटर दूर छितकुल गांव का है। 

सुदूर इलाके में रहने वाले जतिन नेगी की पढाई जाड़े के महीनो में जब भारी बर्फ़बारी होती थी तो उससे लगातार बाधित होती रहती थी. जतिन नेगी बताता है की इस दौरान उसके गांव में दो दो महीने के लिए बिजली गायब हो जाती थी तब रात में सोलर लैंप के प्रकाश में पढाई करना पड़ता था। इस दौरान बाहरी दुनिया से लोगो के संपर्क का एकमात्र माध्यम बस स्टेशन पर स्थित पब्लिक माइक्रोफोन हुआ करता था। 

नेगी एकलव्य विद्यालय के छात्रावास में रहकर अपने शिक्षक से गाइडेंस पाकर अपने स्कूल रुटीन को व्यवस्थित किया। वह बताता है की मुझे धीरे धीरे यह पता चला की यह पूरी दुनिया कैसे कैसे चलती है।

नेगी ने एकलव्य विद्यालय में पढाई के प्रति अपनी रूचि विकसित की। स्कूल के शिक्षको ने नेगी और अन्य छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं का सामना करने के लिए मानसिक रूप से तैयार किया। नेगी बताते हैं की बोर्ड परीक्षा की तैयारी करने के परम्परागत तरीके अपनाने के बजाये उनके शिक्षकों ने प्रतियोगी परीक्षा की मनोवृति विकसित की। नेगी बताते हैं हमें अपनी क्षमता और तैयारी की ग्रेडिंग और अंक का पूरा ब्योरा दिया जाता था। इससे हमारी क्षमता निरंतर उन्नत होती चली गयी। इस पर हमारी निरंतर और अनुशासित तरीके से की गयी तैयारी से हमारे सीखने का दायरा बढ़ता गया।

नेगी के पिता तभी गुजर गए जब वह बारहवीं कक्षा में था। पिता की मृत्यु के बाद नेगी सदमे में चला गया था। इससे उसकी पढाई प्रभावित हुई पर पढाई में अच्छा करने के लिए उसे संघर्ष करना पड़ा। एकलव्य स्कूल के शिक्षकों ने नेगी को उसकी परेशानी से उबरने में काफी मदद की। नेगी ने साल 2025 की परीक्षा में बैठने के लिए एक साल अपने को ड्रॉप कर अपने को पढाई में पूरा फोकस किया और अंततः 2025 की परीक्षा पास कर ली। नेगी बताते हैं की घर पर मुश्किल परिस्थिति के बावजूद अपनी पढाई पर वह एकाग्रचित रहा। सुबह छह बजे नाश्ता लेकर पूरे दिन पढाई करता था और रात को 2 बजे सोने के लिए जाता था। नेगी बताते हैं की यही मेरा रोज का रूटीन था। जब भी मुझे कोई संदेह होता था अपने टीचर से पूछता था।

जब नेगी ने इंजीनियरिंग की यह कठिन परीक्षा पास की और आल इंडिया 421 रैंक लाया तब उसका सारा परिवार और समुदाय के लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा। नेगी बताते हैं कि इसके समुदाय के अधिकतर लोगों ने यहाँ तक कि आईआईटी का नाम भी नहीं सुना था। नेगी का कहना है कि उसकी इस सफलता से सभी समुदाय के लोगो को अपने सपनों को कैसे अंजाम दिए जाये, इस बात की प्रेरणा मिलेगी। जब इस तरह के उपेक्षित समुदाय से एक व्यक्ति सफल होता है तो दूसरे उससे प्रेरित होते है, सीखते हैं और खुद कठोर मेहनत करने का अपने आप में जज्बा पैदा करते हैं।

पदवी उर्जस्विबेन अमृतभाई भी कड़ी मेहनत में विश्वास करती है। गुजरात के खपाटिया नामक छोटे गांव की यह बालिका अपनी दो बहनों में से एक है। वह कहती है की मेरे गांव वाले मेरे माँ बाप को कहते थे की तुम्हे कोई बेटा नहीं है, आखिर तुम्हारी बेटियां क्या कर पाएंगी?

अमृतभाई बताती है की नॉन गुजराती माध्यम से पढाई करने में उसे काफी संघर्ष करना पड़ा। पर सौभाग्य से एकलव्य विद्यालय के शिक्षकों से उसे सहायता मिली। शिक्षकों ने उसका लगातार उत्साहवर्धन किया। जब इस लड़की ने नीट की परीक्षा में 11926 वा रैंक हासिल किया तो उसमें इस बात का भरोसा जगा की कि शिक्षा और कड़ी मेहनत से किसी में कुछ भी बदलाव लाया जा सकता है। उर्जस्विबेन का मानना है की शिक्षा लोगो को सामाजिक बाधा और भेदभाव समाप्त करने में सबसे बड़ी मददगार है। अभी यह छात्रा जीएमईआरएस मेडिकल कालेज जूनागढ़ से एमबीबीएस कर रही है और आगे चलकर लोगों को सस्ता इलाज करने का इरादा रखती है।

ऊर्जस्वी बताती है की मैं गांव के लोगों को ये बात बताना चाहती हूँ कि लड़कियां भी अपने सपने को पूरा कर सकती हैं।

 

देश में समान शिक्षा के कानून और संवैधानिक प्रावधान

भारत में समान शिक्षा प्रदान करने को लेकर संविधान में स्पष्ट प्रावधान दर्ज़ है जिसे कई नए कानूनी प्रावधानों के जरिये भी और सशक्त बनाया गया है। इस बाबत दर्शायी गई पहल समाज के सभी तरह के बच्चो को गुणवत्ता परक शिक्षा हासिल करने और अपना भविष्य संवारने का परिवेश प्रदान करता है जिससे कमजोर सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों को दीर्घ काल में किसी तरह से मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।

संवैधानिक रुपरेखा

भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक सिद्धांतो के जरिये एक ऐसी वैधानिक संरचना निर्मित की गई है जिससे सरकार को समाज के कमजोर वर्ग के शैक्षिक और आर्थिक हितों को मुहैया करने हेतू अपनी दखल देने का अधिकार मिल जाता है।

संविधान के आर्टिकल 46 में वर्णित नीति निर्देशक सिद्धांत के अंतर्गत यह कहा गया है की राज्य समाज के कमजोर वर्गों खासकर अनुसूचित जाती व जनजाति के शैक्षिक और आर्थिक हितों को प्रोत्साहित करेगा और उन्हें हर तरह के शोषण और सामाजिक अन्याय से बचाएगा।

संविधान के आर्टिकल 15 के कलौज (4 ) और (5 ) में वर्णित मौलिक अधिकारों में भी यह कहा गया है की समाज के शैक्षिक और सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए राज्य विशेष प्रावधान करेगा। इस विशेष प्रावधान के अंतर्गत इस वर्ग के छात्रों को सभी सरकारी और निजी शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन एक सीमा तक आरक्षित किया गया है। हालाँकि अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को इस प्रावधान से बरी रखा गया है। ये प्रावधान संविधान की धारा 29 के क्लॉज (2 ) का अपवाद माना जा सकता है जिसमे यह कहा गया है कि किसी भी नागरिक को राजकीय या राजकीय सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों में केवल धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के आधार पर एडमिशन देने से मना नहीं किया जा सकता।

विधेयक

उपरोक्त संवैधानिक प्रावधानों के आधार पर संसद द्वारा केंद्रीय शैक्षिक संस्थान प्रवेश आरक्षण विधेयक 2006 पारित किया गया जिसने बाद में एडमिशन आरक्षण कानून 2006 का रूप लिया। यह ऐतिहासिक कानून केंद्र सरकार के सभी व सहायता प्राप्त शैक्षिक संस्थानों में एडमिशन में आरक्षण की व्यवस्था करता है। इसमें अनुसूचित जाती को 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 7.5 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग के लिए 27 प्रतिशत एडमिशन आरक्षित रखा गया है।

यह कानून केंद्र सरकार द्वारा संचालित और सहायता प्राप्त आईआईटी, एनआईआईटी, आईआईएम और केंद्रीय मेडिकल संस्थानों सहित सभी प्रमुख शिक्षा संस्थानों में लागू होता है। इससे सम्बंधित सरकार की सभी गतिविधियां समय समय पर पेश नए विधेयकों और न्यायिक व्याख्याओं के जरिये उत्प्रकटित हुआ करती है।

एकलव्य विद्यालयों के जरिये विशेष शैक्षिक सहायता

आदिवासी छात्रों के लिए गठित राष्ट्रीय शैक्षिक सोसाइटी (एनईएसटीएस) जो आदिवासी मामलो के मंत्रालय के तहत कार्यरत एक स्वायत्त संस्था है। इस संस्था को एकलव्य विद्यालयों के संचालन, प्रबंधन और आदिवासी छात्रों के लिए बनायी योजनाओं के क्रियान्यवन तथा राज्य स्तर पर एकलव्य आदर्श विद्यालय सोसाइटी के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए बनाया गया है।

एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में अध्ययनरत आदिवासी छात्रों के शैक्षिक प्रोत्साहन की विभिन्न योजनाएं और विशेष पहल

पहल

फोकस क्षेत्र

मुख्य ब्योरा

उच्च अध्ययन केंद्र

आईआईटी- जेईई

और नीट तैयारी

3 केंद्र स्थापित (भोपाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश); 2 एनजीओ के साथ ऑफलाइन कोचिंग का समझौता

डिजिटल शिक्षण

नीट व आईआईटी- जेईई तैयारी

 

नीट और आईआईटी की तैयारी के लिए डिजिटल ट्यूशन जो पूर्व के नवोदयन फाउंडेशन और पी ए सी इ आईआईटी और मेडिकल द्वारा दी जाएगी

आई हब दिव्य संपर्क पहल

विज्ञान व प्रौद्योगिकी

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और आईआईटी रुड़की के संयुक्त प्रयास से एकलव्य विद्यालय के आदिवासी छात्रों के लिए अनुभव केंद्र /लैब

समर्पित डीटीएच टीवी चैनल

पाठ्यक्रम और प्रतियोगी सामग्री

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशनल टेक्नोलॉजी के साथ सहयोग जो कक्षा 9 से 12 के छात्रों को पठन सामग्री उपलब्ध कराएगा

स्मार्ट क्लास बुनियादी सुविधा

डिजिटल लर्निंग

लर्निंग अनुभव को विस्तारित करने हेतू ईआरएनईटी (ERNET, MeitY;) के साथ सहयोग कर स्मार्ट क्लास स्थापित करने

कौशल विकास लैब

वोकेशनल कौशल विकास

स्कूलों में वोकेशनल स्किल और भविष्य में रोजगार प्राप्त करने हेतु स्कूल में लैब स्थापित करने

अमेजन भावी इंजीनियर कार्यक्रम

कम्प्यूटर विज्ञान शिक्षा

करीब 187 एकलव्य विद्यालयों के 178 शिक्षकों के क्षमता उन्नयन का कार्य

संकल्प परियोजना

वोकेशनल कौशल प्रशिक्षण

प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना 4.0 के तहत वोकेशनल स्किल लैब स्थापित करने और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण कार्य यानि टीओटी हेतू

साइबर सिक्योरिटी प्रोग्राम

एआर/वीआर और साइबर सुरक्षा

ए आर और साइबर सुरक्षा के शिक्षकों के क्षमता निर्माण के लिए

सीबीएसई स्किल लैब

कौशल विकास

14 एकलव्य विद्यालयों में स्थापित, 50 और विद्यालयों में स्थापना का अगला लक्ष्य

अटल टिंकरिंग लैब

एसटीइएम और नवप्रवर्तन

26 लैब और स्थापित जिसमे एस टी इ एम् उपकरण लगाए गए है। इसमें ए आई, इलेक्ट्रॉनिक्स, थ्री डी प्रिंटर्स का शिक्षण

सीबीएसई लिंक्ड स्किल कोर्सेज

वोकेशनल शिक्षा

सीबीएसई से स्वीकृत सूची से माध्यमिक स्तर और उच्च माध्यमिक स्तर पर 2-2 चयनित कौशल विकास विषयों में निर्देश जारी

तलाश ट्राइबल एप्टीट्यूड लाइफ स्किल एन्ड सेल्फ एस्टीम हब

कैरियर गाइडेंस और परामर्श

वेब पोर्टल के माध्यम से डिजिटल साइकोमेट्रिक परीक्षण; 7 मुख्य क्षेत्रों में योग्यता के आधार पर करियर कार्ड और वैयक्तिकृत मार्ग; एनसीईआरटी की "तमन्ना" से प्रेरित; यूनिसेफ के परामर्श से विकसित; जीवन कौशल और आत्म-सम्मान मॉड्यूल

 

सन्दर्भ:-

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