• Skip to Content
  • Sitemap
  • Advance Search
Farmer's Welfare

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

“श्वेत क्रांति का सम्मान”

Posted On: 25 NOV 2025 3:31PM

परिचय

भारत के पोषण परिदृश्य में दूध केंद्रीय स्थान रखता है, जो उच्च गुणवत्ता वाले पशु प्रोटीन और कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम और अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों जैसे आवश्यक पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित होने वाले रूपों में प्रदान करता है। अक्सर एक लगभग संपूर्ण भोजन माना जाने वाला दूध, सभी आयु समूहों में वृद्धि, हड्डियों के स्वास्थ्य और जीवन शक्ति का समर्थन करता है।

भारत लगातार दुनिया के अग्रणी दूध उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है, जो वैश्विक उत्पादन में लगभग एक-चौथाई का योगदान करता है। पिछले 11 वर्षों में, भारत के डेयरी क्षेत्र में 70 प्रतिशत की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में लगभग 5 प्रतिशत का योगदान देता है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को सीधा रोजगार प्रदान करता है (राष्ट्रीय लेखा सांख्यिकी के अनुसार)। इसके अलावा, महिला किसान उत्पादन और संग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जिससे डेयरी समावेशी और लिंग-उत्तरदायी विकास के लिए एक मजबूत माध्यम बन जाता है।

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस हर साल 26 नवंबर को डॉ. वर्गीस कुरियन की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें भारत में "श्वेत क्रांति का जनक" माना जाता है। यह दिन उन लाखों किसानों को सम्मानित करता है, जिनकी प्रतिबद्धता दूध उत्पादन में देश के नेतृत्व को बनाए रखती है और एक लचीले, समावेशी और पोषण की दृष्टि से सुरक्षित भविष्य की ओर इसकी यात्रा को मजबूत करती है।

भारत के डेयरी क्षेत्र का ऐतिहासिक मार्ग

1950 और 1960 के दशक के दौरान भारत में दूध की कमी थी और यह आयात पर निर्भर था। स्वतंत्रता के बाद के पहले दशक में, दूध उत्पादन की सीएजीआर 1.64% दर्ज की गई थी, जो 1960 के दशक के दौरान गिरकर 1.15% हो गई थी। यह तब था जब देश में दुनिया की सबसे बड़ी पशु आबादी मौजूद थी।

भारत में आधुनिक डेयरी आंदोलन आनंद सहकारी मॉडल की सफलता पर आधारित था, जो सरदार वल्लभभाई पटेल, महात्मा गांधी और त्रिभुवनदास पटेल जैसे नेताओं के मार्गदर्शन में फला-फूला। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की स्थापना 1965 में की गई और वर्गीस कुरियन को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया। बोर्ड का मिशन आनंद सहकारी मॉडल को पूरे भारत में दोहराना और किसानों को मजबूत, ग्राम-स्तरीय दुग्ध उत्पादक समितियों में संगठित करना था।

अमूल के अग्रदूत, खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की उपलब्धियों पर आधारित होकर, एनडीडीबी ने 1970 में ऑपरेशन फ्लड की शुरुआत की। इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण दूध उत्पादन को बढ़ाना और एक सुव्यवस्थित प्रणाली विकसित करना था जिसने दूध-समृद्ध क्षेत्रों में सहकारी समितियों को प्रमुख शहरी बाजारों में कुशलतापूर्वक दूध की आपूर्ति करने में सक्षम बनाया।

इस पहल ने भारत को दूध की कमी वाले राष्ट्र से दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक में बदल दिया। डेयरी विकास में इसके महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्रभाव और योगदान को पहचानते हुए, एनडीडीबी को 1987 में संसद के एक अधिनियम द्वारा राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में नामित किया गया था।

 

 

A diagram of a dairy developmentAI-generated content may be incorrect.

भारत की दुग्ध अर्थव्यवस्था में परिवर्तन: प्रगति का एक दशक

  • पिछले एक दशक में, भारत के डेयरी क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दूध उत्पादन 2014-15 में 146.30 मिलियन टन से बढ़कर 2023-24 में 239.30 मिलियन टन हो गया है, जो 63.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी 124 ग्राम से बढ़कर 471 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन हो गई है।
  • भारत की डेयरी अर्थव्यवस्था गाय, भैंस, मिथुन और याक सहित 303.76 मिलियन मवेशियों पर टिकी हुई है। 2014 और 2022 के बीच, मवेशियों की उत्पादकता (किलोग्राम/वर्ष) में 27.39 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो विश्व स्तर पर सबसे अधिक वृद्धि है और वैश्विक औसत $13.97\%$ से काफी ऊपर है।
  • भेड़ (74.26 मिलियन) और बकरियाँ (148.88 मिलियन) महत्वपूर्ण योगदान देना जारी रखती हैं, खासकर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में, जहाँ वे दूध उत्पादन का समर्थन करती हैं। दुधारू पशुओं की संख्या 86 मिलियन से बढ़कर 112 मिलियन हो गई है, जबकि स्वदेशी गाय नस्लों से दूध का उत्पादन 29 मिलियन टन से बढ़कर 50 मिलियन टन हो गया है।

यह सफलता राष्ट्रीय गोकुल मिशन और पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) जैसी पहलों से प्रेरित है, जो प्रजनन को बढ़ाने, आनुवंशिक गुणवत्ता में सुधार करने और पशु स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद के साथ एथनोवेटेरिनरी मेडिसिन (ईवीएम) का एकीकरण (समावेशन) एंटीबायोटिक दवाओं के टिकाऊ, कम लागत वाले विकल्प प्रदान करता है, जिससे पशुधन के समग्र स्वास्थ्य और लचीलेपन में वृद्धि होती है।

A blue and white advertisement with cows in a penAI-generated content may be incorrect.

 

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत प्रगति

पशुपालन और डेयरी विभाग 2014 से राष्ट्रीय गोकुल मिशन को लागू कर रहा है जिसका उद्देश्य स्वदेशी मवेशियों और भैंसों की नस्लों का संरक्षण और विकास करना, मवेशियों की आनुवंशिक क्षमता में सुधार करना तथा दूध उत्पादन और समग्र उत्पादकता को बढ़ाना है।

मार्च 2025 में, पशुधन क्षेत्र के विकास में तेजी लाने के लिए इस मिशन को संशोधित किया गया था। यह अब विकास कार्यक्रम योजना के एक केंद्रीय क्षेत्र के घटक के रूप में कार्य करता है, जिसमें ₹1,000 करोड़ का अतिरिक्त आवंटन किया गया है, जिससे 15वें वित्त आयोग चक्र (2021 से 2026) की अवधि के लिए कुल परिव्यय ₹3,400 करोड़ हो गया है।

संशोधित मिशन पिछली गतिविधियों पर आधारित है, जबकि वीर्य स्टेशनों को मजबूत करने, कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क का विस्तार करने, और लिंग-क्रमित वीर्य  और त्वरित सुधार कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक प्रजनन को बढ़ावा देने पर अधिक जोर देता है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के माध्यम से, भारत स्वदेशी मवेशी नस्लों का संरक्षण कर रहा है और आनुवंशिक विविधता में सुधार कर रहा है। अब तक, 56 मिलियन से अधिक किसानों का समर्थन करते हुए, 92 मिलियन से अधिक पशुओं को लाभ पहुँचाया गया है।

कृत्रिम गर्भाधान: कृत्रिम गर्भाधान दुधारू पशुओं की दूध की पैदावार और उत्पादकता को बढ़ाने के लिए सबसे प्रभावी साधनों में से एक बना हुआ है। वर्तमान में, भारत में प्रजनन योग्य दुधारू पशुओं में से लगभग 33 प्रतिशत को इस विधि के माध्यम से कवर किया जाता है, जबकि 70 प्रतिशत पशुओं को अभी भी अज्ञात आनुवंशिक योग्यता वाले सामान्य सांडों द्वारा गर्भाधान कराया जाता है। वर्ष 2024-25 में, देश भर में कुल 565.55 लाख कृत्रिम गर्भाधान किए गए, जो वैज्ञानिक प्रजनन पद्धतियों के विस्तार में एक महत्वपूर्ण वृद्धि है।

राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी): राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के तहत, किसानों के द्वार पर मुफ्त गर्भाधान सेवाएं प्रदान की जाती हैं। अगस्त 2025 तक, इस कार्यक्रम ने 9.16 करोड़ पशुओं तक पहुँच बनाई है और 14.12 करोड़ गर्भाधान किए हैं, जिससे 5.5 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ हुआ है। उन्नत प्रजनन कार्यों का समर्थन करने के लिए, 22 आईवीएफ प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं, और 10 मिलियन से अधिक सेक्स सॉर्टेड वीर्य की खुराकें  उत्पादित की गई हैं, जिनमें से 70 लाख खुराकें पहले ही उपयोग की जा चुकी हैं। इसने किसानों को मादा बछड़ों का अधिक अनुपात प्राप्त करने और भविष्य के दूध उत्पादन को मजबूत करने में मदद की है।

मैत्री: ग्रामीण क्षेत्रों में प्रजनन सेवाओं को करीब लाने के लिए, प्रशिक्षित मल्टीपर्पज एआई टेक्नीशियंस, जिन्हें मैत्री के नाम से जाना जाता है, को तैनात किया गया है। ये तकनीशियन 3 महीने का प्रशिक्षण लेते हैं और आवश्यक उपकरणों के लिए ₹50,000 तक का अनुदान प्राप्त करते हैं, और अंततः सेवा राजस्व के माध्यम से आत्मनिर्भर बन जाते हैं। पिछले चार वर्षों में, 38,736 मैत्री को शामिल किया गया है और वे घर-घर पशु चिकित्सा और प्रजनन सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

संतति परीक्षण: सांडों का वैज्ञानिक मूल्यांकन संतति परीक्षण के माध्यम से किया जाता है, जो उनकी बेटियों के प्रदर्शन के आधार पर उनके आनुवंशिक मूल्य का आकलन करता है। 2021 और 2024 के बीच, 4,111 के लक्ष्य के मुकाबले 3,747 संतति-परीक्षणित सांडों का उत्पादन किया गया, और किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले दुधारू पशुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 132 नस्ल गुणन फार्मों को मंजूरी दी गई है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत प्रगति (एनपीडीडी

2014-2015 से, दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, साथ ही खरीद, प्रसंस्करण और विपणन के लिए संगठित प्रणालियों का विस्तार करने हेतु राष्ट्रव्यापी स्तर पर राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस योजना ने सहकारी संघों, यूनियनों और उत्पादक कंपनियों से जुड़े उत्पादकों का समर्थन करने वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण और मजबूती में मदद की है।

जुलाई 2021 में इस योजना को पुनर्गठित/पुनर्संरेखित किया गया है, जिसका कार्यान्वयन 2021-22 से 2025-26 तक निम्नलिखित दो घटकों के साथ किया जा रहा है:

(i) एनपीडीडी का घटक 'ए' राज्य सहकारी डेयरी संघों/जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों/एसएचजी /दुग्ध उत्पादक कंपनियों/किसान उत्पादक संगठनों के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना या उन्नयन, गुणवत्तापूर्ण दूध परीक्षण उपकरण साथ ही प्राथमिक शीतलन सुविधाओं को स्थापित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

(ii) एनपीडीडी योजना का घटक 'बी', जिसे "सहकारिता के माध्यम से डेयरी" कहा जाता है, का उद्देश्य किसानों की संगठित बाजारों तक पहुँच बढ़ाना, आधुनिक डेयरी प्रसंस्करण सुविधाओं और विपणन बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना और उत्पादक-स्वामित्व वाले संस्थानों की क्षमता को मजबूत करके दूध और डेयरी उत्पादों की बिक्री में वृद्धि करना है।

सहकारी डेयरी नेटवर्क

समय के साथ, 31,908 डेयरी सहकारी समितियों का गठन या पुनरुद्धार किया गया है, जिससे 17.63 लाख नए दुग्ध उत्पादक जुड़े हैं और दैनिक दूध खरीद में 120.68 लाख किलोग्राम की वृद्धि हुई है। कार्यक्रम के परिणामस्वरूप 61,677 ग्राम दुग्ध परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना हुई है, लगभग 6,000 थोक दुग्ध कूलर स्थापित किए गए हैं जिनकी कुल शीतलन क्षमता 149.35 लाख लीटर है, और उन्नत मिलावट पहचान तकनीकों के साथ 279 डेयरी संयंत्र प्रयोगशालाओं का उन्नयन किया गया है। राज्य की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वर्ष के दौरान 1,804 नई डेयरी सहकारी समितियाँ पहले ही बनाई जा चुकी हैं, जिससे 37,793 दुग्ध उत्पादकों के लिए अवसर पैदा हुए हैं।

अक्टूबर 2025 में इस पहल के तहत कई प्रमुख बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया था। इनमें मेहसाणा, इंदौर और भीलवाड़ा में नए दुग्ध पाउडर और यूएचटी (अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर) संयंत्र, साथ ही तेलंगाना के करीमनगर में एक ग्रीनफील्ड डेयरी प्लांट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में ₹219 करोड़ के कुल निवेश के साथ एक एकीकृत डेयरी प्लांट और पशु आहार इकाई के लिए नींव का काम शुरू हो गया है। भारत के सहकारी डेयरी क्षेत्र में 22 दुग्ध महासंघ, 241 जिला यूनियन, 28 विपणन डेयरियाँ, और 25 दुग्ध उत्पादक संगठन (एमपीओ) शामिल हैं। वे मिलकर 2.35 लाख गाँवों को सेवा प्रदान करते हैं और 1.72 करोड़ डेयरी किसानों को जोड़ते हैं, जिससे उचित मूल्य और कुशल दूध प्रसंस्करण सुनिश्चित होता है।

महिलाएँ इस इकोसिस्टम के केंद्र में बनी हुई हैं, जिनमें डेयरी कार्यबल का लगभग 70 प्रतिशत और सहकारी सदस्यों का 35 प्रतिशत शामिल हैं। एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज के तहत 48,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियाँ और 16 पूर्ण-महिला एमपीओ लगभग 35,000 गाँवों में 12 लाख उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करती हैं। आंध्र प्रदेश का पूर्ण-महिला श्रीजा दुग्ध उत्पादक संगठन  सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में उभरा है, जिसने शिकागो में विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन से डेयरी इनोवेशन अवार्ड जीता है।

डेयरी क्षेत्र में नए जीएसटी सुधार

भारत के डेयरी क्षेत्र को एक बड़ा प्रोत्साहन मिला जब 3 सितंबर 2025 को हुई अपनी बैठक में 56वीं जीएसटी परिषद ने दूध और दुग्ध उत्पादों पर कर सुसंगतिकरण के एक व्यापक सेट को मंजूरी दी। यह निर्णय डेयरी उद्योग के लिए जीएसटी दरों के सबसे व्यापक संशोधनों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है, यह सुनिश्चित करता है कि कई व्यापक रूप से उपभोग किए जाने वाले उत्पाद अब या तो कर से मुक्त हैं या 5% के दायरे में रखे गए हैं।

संशोधित दरें, जो 22 सितंबर 2025 से लागू हुईं, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में पर्याप्त राहत प्रदान करती हैं। अल्ट्रा-हाई टेम्परेचर (यूएचटी) दूध और प्री-पैकेज्ड पनीर अब कर-मुक्त हैं। मक्खन, घी, डेयरी स्प्रेड, पनीर (चीज़), गाढ़ा दूध (कंडेंस्ड मिल्क) और दूध-आधारित पेय पदार्थों जैसी वस्तुओं को 12 प्रतिशत स्लैब से हटाकर 5 प्रतिशत स्लैब में कर दिया गया है। आइसक्रीम, जिस पर पहले 18 प्रतिशत जीएसटी लगता था, उसे भी घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त, दूध के डिब्बों (मिल्क कैन) पर अब 12 प्रतिशत के बजाय 5 प्रतिशत कर लगता है।

इस सुधार से उत्पादकों और उपभोक्ताओं दोनों पर वित्तीय बोझ कम करके डेयरी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने की उम्मीद है। 8 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवार, जिनमें से कई छोटे, सीमांत या भूमिहीन किसान शामिल हैं जो अपनी आजीविका के लिए डेयरी फार्मिंग पर निर्भर हैं, उन्हें घटी हुई कर संरचना से सीधा लाभ होगा। कम कर संरचना से परिचालन लागत कम होने, मिलावट पर अंकुश लगने और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में भारतीय डेयरी उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की भी संभावना है।

डेयरी विकास के लिए चल रहे राष्ट्रीय प्रयास

 

श्वेत क्रांति 2.0

श्वेत क्रांति 2.0  के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का शुभारंभ 19 सितंबर 2024 को हुआ, जिसके बाद 25 दिसंबर 2024 को इसे औपचारिक रूप से लागू किया गया। यह डेयरी सहकारिताओं को मजबूत करने, रोजगार के अवसरों का विस्तार करने और संगठित डेयरी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए एक नए राष्ट्रीय प्रयास का संकेत देता है। यह कार्यक्रम 2024–25 से 2028–29 तक 5 वर्षों के लिए चलेगा, जिसके दौरान सहकारिताओं द्वारा दूध की खरीद बढ़कर 1,007 लाख किलोग्राम प्रतिदिन होने का अनुमान है।

इस पहल की एक केंद्रीय विशेषता 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों के निर्माण के माध्यम से सहकारी नेटवर्क का विस्तार करना है। ये समितियाँ उन गाँवों में स्थापित की जाएंगी जो अभी भी संगठित डेयरी प्रणाली से बाहर हैं, जिसमें महिला किसानों को शामिल करने पर विशेष जोर दिया जाएगा। इस विस्तार के साथ-साथ, 46,422 मौजूदा डेयरी सहकारी समितियों को बेहतर सेवाएँ प्रदान करने और उनके सदस्यों की आय में सुधार करने के लिए मजबूत किया जाएगा।

श्वेत क्रांति 2.0 स्थिरता और कुशल संसाधन उपयोग पर भी एक मजबूत ध्यान केंद्रित करता है। तीन विशेष बहु-राज्य सहकारी समितियाँ (एमएससीएस) स्थापित की जा रही हैं। एक पशु आहार, खनिज मिश्रण और अन्य आवश्यक इनपुट की आपूर्ति करेगी। दूसरी जैविक खाद के उत्पादन का समर्थन करेगी और बायोफर्टिलाइज़र तथा बायोगैस का उत्पादन करने के लिए गाय के गोबर और कृषि अवशेषों के वैज्ञानिक उपयोग को बढ़ावा देगी, जिससे प्राकृतिक खेती और सर्कुलर इकोनॉमी में योगदान मिलेगा। तीसरी मरे हुए पशुओं की खाल, हड्डियाँ और सींग का संगठित और पर्यावरणीय रूप से जिम्मेदार तरीके से प्रबंधन करेगी।

साबर डेयरी की नई इकाई से सहकारी विकास को प्रोत्साहन

केन्द्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री ने 3 अक्टूबर 2025 को हरियाणा के रोहतक में साबर डेयरी संयंत्र का उद्घाटन किया। लगभग ₹350 करोड़ की लागत से निर्मित, यह सुविधा अब दही, छाछ और योगर्ट के उत्पादन के लिए समर्पित देश का सबसे बड़ा संयंत्र है। इसे दुग्ध उत्पादकों का समर्थन करने के लिए विकसित किया गया है और यह हरियाणा को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) की डेयरी उत्पादों की पूरी मांग को पूरा करने में सक्षम बनाएगा।

उद्घाटन के दौरान, यह बात रेखांकित की गई कि साबर डेयरी, जो गुजरात में एक सहकारी पहल के रूप में शुरू हुई थी, ने अब 9 राज्यों में अपने परिचालन का विस्तार किया है और किसानों के लिए नए रास्ते खोलना जारी रखा है। यह जिस सहकारी आंदोलन का प्रतिनिधित्व करती है, उसने 35 लाख महिलाओं को सशक्त बनाया है, जो अकेले गुजरात में सालाना ₹85,000 करोड़ का कारोबार करती हैं।

रोहतक संयंत्र को पर्याप्त उत्पादन क्षमता के साथ डिज़ाइन किया गया है, ताकि प्रतिदिन 150 मीट्रिक टन दही, 10 मीट्रिक टन योगर्ट, 3 लाख लीटर छाछ और 10,000 किलोग्राम मिठाइयों का उत्पादन किया जा सके। इस पैमाने के उत्पादन से राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश और बिहार सहित अन्य राज्यों में किसानों की आय बढ़ने और सहकारी डेयरी नेटवर्क के मजबूत होने की उम्मीद है।

भारत के डेयरी परिदृश्य का विस्तार एवं भविष्य की संभावनाएं

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के सितंबर 2025 के मासिक डैशबोर्ड के अनुसार, मजबूत घरेलू मांग, प्रजनन प्रथाओं में सुधार और अनुकूल नीतियों के कारण आने वाले वर्षों में भारत का दूध उत्पादन लगातार बढ़ने की उम्मीद है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता  और सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसे उन्नत उपकरणों के बढ़ते उपयोग ने किसानों को पशुओं के समूह की गुणवत्ता में सुधार करके और उत्पादकता बढ़ाकर ज्यादा उत्पादन प्राप्त करने में मदद की है। दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक के रूप में अपनी स्थिति को दर्शाते हुए, भारत से 2025-26 में वैश्विक दूध आपूर्ति में लगभग 32 प्रतिशत का योगदान करने की उम्मीद है। एपीडा के डेयरी (सितंबर 2025) के मासिक डैशबोर्ड के अनुसार, 2026 के लिए अनुमान है कि राष्ट्रीय दूध उत्पादन 242 मिलियन टन होगा। देश में मवेशियों की आबादी भी लगातार बढ़ रही है, जो 2024 में 35 प्रतिशत से बढ़कर 2025 में 36 प्रतिशत हो गई है, जो इसके डेयरी क्षेत्र के दीर्घकालिक लचीलेपन को मजबूत करता है।

भारत का लक्ष्य 2028-29 तक अपनी दूध प्रसंस्करण क्षमता को 100 मिलियन लीटर तक बढ़ाना है, जो वर्तमान स्तर 660 लाख लीटर प्रतिदिन से काफी अधिक है। पशुधन पहल  के माध्यम से व्यापक पशुधन डेटा संकलित किया जा रहा है, जो बेहतर योजना और लक्षित हस्तक्षेपों का समर्थन करेगा। नस्ल सुधार में काफी प्रगति हो रही है, और मवेशियों को खुरपका और मुंहपका रोग तथा ब्रुसेलोसिस  से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान चल रहे हैं। ये टीके मुफ्त प्रदान किए जा रहे हैं, जिसका राष्ट्रीय लक्ष्य 2030 तक इन दोनों बीमारियों को खत्म करना है। इन संयुक्त प्रयासों से उत्पादकता बढ़ने, मूल्य श्रृंखला मजबूत होने और निकट भविष्य में भारत को दूध के एक प्रमुख निर्यातक के रूप में उभरने की स्थिति में आने की उम्मीद है। संशोधित राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) के तहत, 2025-26 में 21,902 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए ₹407.37 करोड़ का वित्तीय परिव्यय है। इसमें से ₹211.90 करोड़ भारत सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा है।

 

डेयरी क्षेत्र में उत्कृष्टता का सम्मान

पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार 2025 की घोषणा की गई है, जो पशुधन और डेयरी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को मान्यता देते हैं। इन पुरस्कारों को 26 नवंबर 2025 को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर प्रदान किया जाएगा, जो भारतीय डेयरी क्षेत्र के लिए उनके प्रतीकात्मक महत्व को रेखांकित करता है।

यह पुरस्कार स्वदेशी मवेशियों या भैंसों का पालन करने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसानों, शीर्ष प्रदर्शन करने वाली डेयरी सहकारी समितियों या दुग्ध उत्पादक संगठनों, और कुशल कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को सम्मानित करेंगे। पहली दो श्रेणियों में विजेताओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए क्रमशः ₹5 लाख, ₹3 लाख और ₹2 लाख प्राप्त होंगे। इस मान्यता का उद्देश्य डेयरी समुदाय के भीतर उत्कृष्टता, नवाचार और समर्पण को बढ़ावा देना है, जबकि भारत के सतत और समावेशी डेयरी विकास के मिशन को आगे बढ़ाना है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 2025 आणंद में रखी गई सहकारी नींव से लेकर विश्व के अग्रणी दूध उत्पादक के रूप में भारत के डेयरी क्षेत्र के वर्तमान स्थान तक के विकास को दर्शाता है। ऑपरेशन फ्लड के माध्यम से हासिल की गई प्रगति, डेयरी सहकारिताओं के मजबूत होने और निरंतर सरकारी समर्थन के परिणामस्वरूप कुल दूध उत्पादन में पर्याप्त वृद्धि हुई है, प्रति व्यक्ति उपलब्धता बढ़ी है और दुधारू पशुओं की उत्पादकता में सुधार हुआ है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम जैसे कार्यक्रमों ने वैज्ञानिक प्रजनन की पहुँच का विस्तार किया है, पशु स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया है और डेयरी बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है।

महिला-नेतृत्व वाली सहकारिताओं, बड़े पैमाने के उत्पादक संगठनों और अमूल तथा साबर डेयरी जैसे प्रमुख डेयरी संस्थानों का बढ़ता महत्व इस क्षेत्र की समावेशिता और इसके बढ़ते आर्थिक प्रभाव को रेखांकित करता है। जीएसटी परिषद के तहत किए गए सुधार, बढ़ी हुई प्रसंस्करण क्षमता और श्वेत क्रांति 2.0 का फोकस एक मजबूत और अधिक टिकाऊ डेयरी प्रणाली के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है। जैसा कि देश राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मनाता है, यह उन किसानों और सहकारिताओं को मान्यता देता है जिनके प्रयास एक लचीली, उत्पादक और भविष्योन्मुखी डेयरी अर्थव्यवस्था को आकार देना जारी रखते हैं।

 

संदर्भ

मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय

https://dahd.gov.in/sites/default/files/2025-05/Annual-Report202425.pdf

 

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड

https://www.nddb.coop/sites/default/files/pdfs/NDDB_AR_2023_24_Eng.pdf

 

एपीडा

https://apeda.gov.in/sites/default/files/2025-10/MIC_Monthly_dashboard_Dairy_30102025.pdf

पीआईबी प्रेस विज्ञप्ति

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2077029

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2174456

https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=155298&ModuleId=3

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2172880

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2152462

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2112693

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2178028

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2188432

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2163730

 

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2077736

 

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2190731

 

https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2031242

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

*****

पीके/केसी/एसके

(Backgrounder ID: 156199) आगंतुक पटल : 46
Provide suggestions / comments
इस विज्ञप्ति को इन भाषाओं में पढ़ें: English , Kannada
Link mygov.in
National Portal Of India
STQC Certificate