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क्लासरूम से क्रिएशन लैब्स तक — एनईपी 2020 के तहत विद्यालय के स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहन
प्रविष्टि तिथि:
05 DEC 2025 11:10AM by PIB Delhi
मुख्य बिन्दु
- भारत सरकार के अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) के तहत स्थापित अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) का उद्देश्य देशभर के कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों में जिज्ञासा और नवाचार को बढ़ावा देना है।
- अक्टूबर 2025 तक, विद्यालयों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) स्थापित की जा चुकी हैं, जिनसे 1.1 करोड़ से अधिक छात्र जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त, वर्ष 2025–2026 के लिए 50,000 एटीएल स्थापित किए जाने की प्रक्रिया जारी है।
- अक्टूबर 2025 तक, एटीएल के माध्यम से देशभर में 16 लाख से अधिक नवाचार परियोजनाएँ विकसित की जा चुकी हैं।
परिचय
भारत की शिक्षा प्रणाली वर्तमान सरकार की परिवर्तनकारी पहलों के तहत तीव्र गति से विकसित हो रही है, जो देश के विविध शैक्षिक परिदृश्य और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को संबोधित कर रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 द्वारा रटकर पढ़ने की पद्धति से हटकर जिज्ञासा-आधारित शिक्षा पर दिए गए बल के परिणामस्वरूप पाठ्यक्रम और नीतिगत स्तर पर सुधार किए गए हैं। साथ ही, देशभर में अनेक पहलें लागू की गई हैं, जिनका उद्देश्य छात्रों में जिज्ञासा की भावना को प्रोत्साहित तथा विकसित करना और विद्यालय परिसरों में नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना है।
स्कूली शिक्षा में एक साधारण कक्षा में यह परिवर्तन स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, जहाँ ब्लैकबोर्ड, पाठ्य-पुस्तकों, रटकर याद करने और बोर्ड परीक्षाओं में शीर्ष स्थान पाने के लिए रहने वाले अत्यधिक दबाव की जगह अब स्मार्ट, डिजिटल रूप से समर्थित कक्षाओं द्वारा ली जाने लगी है। एआई-संचालित ऐप्स अब व्यक्तिगत सहायता प्रदान कर रहे हैं, छात्र सहयोगात्मक एआर उपकरणों की मदद से जलवायु-कार्य परियोजनाएँ बना रहे हैं, और वॉयस-आधारित जनरेटिव एआई एनसीईआरटी अध्यायों को ज़ोर से पढ़ने में सहायता कर रहा है। ये सभी आज की आधुनिक शिक्षा प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ हैं, और यह बदलाव हज़ारों कक्षाओं में दिखाई दे रहा है — जहाँ एनईपी 2020 रटकर सीखने के स्थान पर विश्लेषणात्मक और खेल-आधारित शिक्षा को बढ़ावा दे रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: रचनात्मक शिक्षण के माध्यम से ज्ञान का प्रसार
भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020), रटकर याद करने को ज्ञानार्जन की मूल पद्धति के रूप में स्पष्ट रूप से अस्वीकार करती है। यह दस्तावेज़ घोषित करता है कि पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति को आलोचनात्मक सोच, सृजनात्मकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, संवाद कौशल, सहयोग, समस्या-समाधान और नैतिक मूल्यों के विकास की दिशा में ले जाया जाना चाहिए।
प्रत्येक शिक्षार्थी की रचनात्मक क्षमता को उजागर करने और भविष्य के नेताओं को विकसित करने के लिए, एनईपी 2020 सभी चरणों में अनुभवात्मक और आनंदपूर्ण शिक्षण पद्धतियों को संस्थागत रूप देती है। दैनिक स्कूली जीवन में रचनात्मकता को शामिल करने के लिए मंत्रालय ने 10+2 संरचना को 5+3+3+4 डिज़ाइन से बदल दिया है। बुनियादी वर्ष (आयु 3–8 वर्ष) 100% खेल-आधारित हैं; मध्य विद्यालय में कला-एकीकृत और अनुभवात्मक अधिगम अनिवार्य है; माध्यमिक स्तर के छात्रों को कठोर स्ट्रीम प्रणाली से मुक्त किया गया है और उनके लिए प्रत्येक सेमेस्टर में कम से कम एक व्यावसायिक या नवाचार परियोजना पूरी करनी अनिवार्य है। अब प्रत्येक पाठ्यपुस्तक, प्रत्येक प्रश्नपत्र और कक्षा की प्रत्येक गतिविधि में केवल याददाश्त नहीं, बल्कि अनुप्रयोग और नवाचार को मापना अनिवार्य है। बोर्ड परीक्षाएँ, जो नए राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र (PARAKH) के अधीन हैं, वर्ष में दो बारदी जा सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, डिजिटल एकीकरण ने इस बदलाव को और तेज़ कर दिया है। पीएम ई-विद्या और DIKSHA जैसी पहलों के माध्यम से ऑनलाइन संसाधनों, वर्चुअल लैब्स और शिक्षक प्रशिक्षण प्लेटफॉर्म तक एकीकृत पहुँच उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे 25 करोड़ से अधिक स्कूली बच्चों तक लाभ पहुँचा है और कोविड-19 महामारी जैसे वैश्विक घटनाक्रमों से उत्पन्न व्यवधानों को कम किया गया है। केंद्रीय बजट 2025-26 ने इन प्रयासों को और मजबूत किया है, जिसमें शिक्षा के लिए 6.22% की वृद्धि के साथ कुल ₹1,28,650 करोड़ का प्रावधान किया गया है, जिसमें से ₹78,572 करोड़ विशेष रूप से स्कूली शिक्षा के लिए आवंटित किए गए हैं।
राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा द्वारा स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में पाठ्यक्रम में किए गए समग्र परिवर्तनों, अनुभवात्मक अधिगम पर केंद्रित शिक्षण पद्धति, तथा वास्तविक समझ और आत्मसात को दर्शाने वाली मूल्यांकन प्रणाली के अलावा, कई विशेष पहलें, योजनाएँ और कार्यक्रम भी लागू किए गए हैं जिनका उद्देश्य विद्यालयों में नवाचार और आलोचनात्मक चिंतन को बढ़ावा देना है।
अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम)
अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) उन प्रमुख पहलों में से एक है जिसने विद्यालय स्तर पर शिक्षा को परिवर्तित किया है, क्योंकि यह युवा मस्तिष्कों में रचनात्मक प्रोत्साहन को सक्षम बनाता है। अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), जिसे 2016 में नीति आयोग द्वारा शुरू किया गया था, देशभर में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को विकसित और प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार द्वारा की गई प्रमुख पहल है। विभिन्न कार्यक्रमों और नीतियों के माध्यम से एआईएम अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार को बढ़ावा देता है और हितधारकों को मंच उपलब्ध कराता है तथा सहयोग के अवसर प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य देश के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करना है। एआईएम के हस्तक्षेप स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों, निजी क्षेत्र और एमएसएमई क्षेत्र तक विस्तृत हैं। एआईएम के अंतर्गत कुछ प्रमुख कार्यक्रमों में निम्न शामिल हैं:
विद्यालयों में अटल टिंकरिंग लैब्स – इनके माध्यम से एआईएम विद्यालय स्तर पर रचनात्मकता और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित कर रहा है; अटल इन्क्यूबेशन सेंटर जो स्टार्ट-अप्स के फलने-फूलने के लिए विश्वस्तरीय पारिस्थितिकी तंत्र तैयार कर रहे हैं; अटल सामुदायिक नवाचार केंद्र जो देश के अल्प-सेवित/असेवित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए नवाचार की भावना को बढ़ावा दे रहे हैं; और मेंटर्स ऑफ चेंज जहाँ कुशल पेशेवर युवा एटीएल नवोन्मेषकों को निःशुल्क मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। एआईएम पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न घटक एआईएम इकोसिस्टम डेवलपमेंट प्रोग्राम (एईडीपी) के माध्यम से एक-दूसरे से जुड़े तथा प्रबंधित होते हैं। ये सभी कार्यक्रम मिलकर छात्रों को स्टूडेंट टिंकर से स्टूडेंट इनोवेटर और स्टूडेंट इनोवेटर से स्टूडेंट एंटरप्रेन्योर तक के विभिन्न चरणों में ले जाने का लक्ष्य रखते हैं।
अटल इनोवेशन मिशन की सभी पहलें उन्नत एमआईएस (मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम) और संवादपूर्ण डैशबोर्ड के माध्यम से रिअल टाइम में प्रणालीबद्ध रूप से ट्रैक और प्रबंधित की जाती हैं।
अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल)

अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) भारत के विद्यालयों में स्थापित समर्पित मेकरस्पेस हैं, जिनका उद्देश्य जिज्ञासा, रचनात्मकता, कल्पना और 21वीं सदी के लिए अनिवार्य कौशल, जैसे डिज़ाइन मानसिकता, कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, अनुकूलनशील अधिगम और भौतिक कंप्यूटिंग को बढ़ावा देकर नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहित करना है। ये लैब्स छात्रों को प्रोटोटाइप बनाने के उपकरणों तक सीधी पहुँच प्रदान करती हैं, जिसमें डीआईवाय इलेक्ट्रॉनिक किट्स, 3D प्रिंटर, सेंसर, रोबोटिक्स उपकरण और यांत्रिक उपकरण शामिल हैं, जिससे वे प्रयोग कर सकें, समाधान विकसित कर सकें और वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान खोज सकें। एटीएल का उद्देश्य ‘भारत में एक मिलियन बच्चों को नवोन्मेषक बनाना’ है। मुख्य गतिविधियों में सहयोगात्मक परियोजनाएँ और विद्यालय पाठ्यक्रम में एकीकरण शामिल हैं, जिससे STEM (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथेमेटिक्स) शिक्षा को बढ़ावा दिया जा सके और 6,200 से अधिक मेंटर्स ऑफ चेंज[7] से मार्गदर्शन प्राप्त हो सके। टिंकरिंग की अवधारणा को एक कदम और आगे बढ़ाते हुए, एटीएल ने एटीएल स्टूडेंट इनोवेटर प्रोग्राम (एसआईपी) भी लॉन्च किया है, जहाँ छात्र नवोन्मेषक अपने आइडियाज़ को विश्वस्तरीय अटल इन्क्यूबेशन सेंटर के प्रमाणित बिजनेस मेंटर्स के साथ विकसित करने का अवसर पाते हैं। छात्र हैकाथॉन, एटीएल मैराथन और टिंकरप्रेन्योरशिप जैसी विशेष गतिविधियों में भी भाग लेते हैं। एटीएल के प्रमुख कार्यक्रमों में वार्षिक एटीएल मैराथन शामिल है—यह एक राष्ट्रव्यापी नवाचार चुनौती है, जहाँ छात्र सस्टेनेबिलिटी और हैल्थकेयर जैसे विषयों पर प्रोटोटाइप प्रस्तुत करते हैं।
साल 2016 में अपनी स्थापना के बाद से, देशभर के विद्यालयों में 10,000 से अधिक एटीएल स्थापित किए जा चुके हैं, जिसमें विशेष रूप से अल्पसेवित क्षेत्रों, आकांक्षी जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुँच पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यह कार्यक्रम साझेदारियों के माध्यम से भी विस्तृत हुआ है, जिससे समान नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र को प्रेरणा मिली है, जबकि लैब उपकरणों को लगातार उन्नत किया जा रहा है, जिससे इनमें उभरती तकनीकों - जैसे एआई टूलकिट और IoT उपकरण शामिल किए जा सकें। नवंबर 2025 तक, देश के 35 राज्यों और 722 जिलों में 1.1 करोड़ से अधिक छात्र सक्रिय रूप से एटीएल से जुड़े हुए हैं।
इसके अतिरिक्त, 2025 से अगले पांच वर्षों में सरकारी विद्यालयों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) की स्थापना युवाओं में नवाचार और वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही है।
एटीएल के परिणाम बदलाव लाने वाले रहे हैं। छात्रों ने स्थानीय समस्याओं को हल करने वाले प्रोटोटाइप विकसित किए हैं, जैसे स्थायी कृषि उपकरण, स्वास्थ्य उपकरण और पर्यावरणीय समाधान, जिसके परिणामस्वरूप कई पेटेंट, स्टार्टअप और वैश्विक मान्यताएं प्राप्त हुई हैं। एटीएल मैराथन जैसे कार्यक्रमों के शीर्ष प्रदर्शनकर्ताओं ने इंटर्नशिप, मेंटरशिप और सम्मान प्राप्त किए हैं। इन प्रयासों ने हाशिए पर रह रहे छात्रों को सशक्त बनाया है और नवाचार मापदंडों में विद्यालयों के प्रदर्शन को बढ़ावा दिया है।गा टिंकरिंग डे 2025, जिसे अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग द्वारा 12 अगस्त 2025 को आयोजित किया गया, ने एक प्रमुख पहल के रूप में इतिहास रचते हुए प्रतिष्ठित इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में स्थान प्राप्त किया। यह एक ही दिन में छात्रों द्वारा की गई सबसे बड़ी टिंकरिंग गतिविधि के लिए नया विश्व रिकॉर्ड स्थापित करता है।

अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी): भारत के स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण
अटल इन्क्यूबेशन सेंटर विश्वस्तरीय बिजनेस इन्क्यूबेटर हैं, जो विश्वविद्यालयों, संस्थानों और कॉर्पोरेट्स में स्थापित किए गए हैं, जिससे नवोन्मेषी स्टार्टअप और महत्वाकांक्षी उद्यमियों को पोषित जा सके। एआईएम ने देशभर में 72 एआईसी संचालित किए हैं, जो स्टार्टअप्स को इंफ्रास्ट्रक्चर, मेंटरशिप, सीड फंडिंग, इंडस्ट्री नेटवर्क, लैब सुविधाएँ और सह-कार्यस्थल प्रदान करते हैं। इन केंद्रों ने 3,500 से अधिक स्टार्टअप्स को पोषित किया है, 32,000 से अधिक नौकरियाँ उत्पन्न की हैं, और स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी, वित्तीय प्रौद्योगिकी, शिक्षा प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष और ड्रोन तकनीक, एआर/वीआर, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में 1,000 से अधिक महिला-प्रधान उद्यमों को समर्थन दिया है।
अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स (एसीआईसी): असेवित और अल्पसेवित क्षेत्रों तक पहुँच
प्रौद्योगिकी-संचालित नवाचार को टियर-2/3 शहरों, आकांक्षी जिलों, आदिवासी, पहाड़ी और ग्रामीण क्षेत्रों तक लाने के लिए, एआईएम एक अनूठे सह-फंडिंग मॉडल के माध्यम से अटल कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स (एसीआईसी) स्थापित कर रहा है (इसमें ₹2.5 करोड़ तक का अनुदान एआईएम और इसके बराबर या इससे अधिक का अनुदान साझेदारों द्वारा दिया जाता है)। अब तक, देश के अल्प-सेवित हिस्सों में नवाचार के अवसरों को लोकतांत्रित करने के लिए 14 एसीआईसी स्थापित किए जा चुके हैं।
अटल न्यू इंडिया चैलेंजेज़ (एएनआईसी): राष्ट्रीय महत्व के उत्पाद और सेवा नवाचार को बढ़ावा देना
अटल न्यू इंडिया चैलेंज एआईएम का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य उन प्रौद्योगिकी-आधारित नवाचारों की पहचान करना, उनका वित्तपोषण तथा मार्गदर्शन करना है, जो महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और सामाजिक चुनौतियों को हल करते हैं। प्रोटोटाइप चरण में चयनित स्टार्टअप्स को 12–18 महीनों की अवधि के दौरान व्यापक व्यावसायीकरण समर्थन के साथ ₹1 करोड़ तक का अनुदान दिया जाता है। चरण 1 में 53 स्टार्टअप्स का समर्थन किया गया, जबकि चरण 2 में 88 स्टार्टअप्स को वित्तपोषण और मार्गदर्शन के लिए चुना गया है।
मेंटर ऑफ़ चेंज पहल: देशव्यापी मेंटरशिप नेटवर्क का निर्माण
अपने सभी कार्यक्रमों को सशक्त बनाने के लिए, एआईएम ने “मेंटर इंडिया – द मेंटर्स ऑफ चेंज” नामक देश के सबसे बड़े मेंटर एंगेजमेंट अभियानों में से एक की शुरुआत की। वर्तमान में उद्योग, शिक्षाविदों, गैर-सरकारी संगठनों और पब्लिक-प्राइवेट इकोसिस्टम से 6,200 से अधिक मेंटर पंजीकृत हैं, जो छात्रों और उद्यमियों को एआईएम की विभिन्न पहलों के तहत मार्गदर्शन, विशेषज्ञता और सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम) इसलिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह नवाचार को न तो एक अलग-थलग स्कूली गतिविधि मानता है और न ही एक बार होने वाली घटना; बल्कि यह विद्यालय के स्तर से शुरू होकर उच्च शिक्षा, अनुसंधान संस्थानों, स्टार्टअप और उद्योग तक बिना रुकावट चलने वाली एक निरंतर और पूर्ण नवाचार श्रृंखला तैयार करता है। अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) के माध्यम से कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को शुरुआती स्तर पर ही व्यवहारिक समस्या-समाधान, डिजाइन थिंकिंग और उभरती प्रौद्योगिकियों का अनुभव प्रदान कराया जाता है, जिससे जिज्ञासा उत्पन्न होती है और एक मेकर माइंडसेट विकसित होता है। इस आधार को आगे बढ़ाने के लिए एक सुव्यवस्थित व्यवस्था बनाई गई है: सबसे प्रतिभाशाली एटीएल छात्रों को विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स (एआईसी) से जोड़ा जा सकता है, जहां वे वास्तविक उत्पादों के प्रोटोटाइप विकसित कर सकते हैं; वहीं विश्वविद्यालय स्तर के श्रेष्ठ नवाचारों को इसी इकोसिस्टम के माध्यम से अटल न्यू इंडिया चैलेंज, कम्युनिटी इनोवेशन सेंटर्स और उद्योग साझेदारियों के जरिए स्केलिंग सपोर्ट मिलता है। उतना ही महत्वपूर्ण यह भी है कि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में विकसित नवाचारों को मेंटर ऑफ चेंज नेटवर्क और सहयोगात्मक परियोजनाओं के माध्यम से स्कूल इकोसिस्टम तक वापस पहुंचाया जाता है, जिससे अत्याधुनिक विचार जमीनी स्तर से ही अगली पीढ़ी को प्रेरित कर सकें। संक्षेप में, एआईएम स्कूल से उच्च शिक्षा, उद्यमिता और सामाजिक प्रभाव तक एक जीवंत और परस्पर जुड़ी नवाचार पाइपलाइन बनाता है — जिससे स्कूली स्तर पर जगाई गई जिज्ञासा “कभी-कभार होने वाले विज्ञान प्रोजेक्ट” तक सीमित न रह जाए, बल्कि भारत के भविष्य को आकार देने वाले समाधानों में बदल सके।
स्कूल स्तर की शिक्षा को केवल रटने वाली पद्धति से रचनात्मक और विश्लेषण-आधारित शिक्षण में बदलने वाली कई अन्य महत्वपूर्ण पहलें भी हैं। इनमें से कुछ प्रमुख पहलें निम्नलिखित हैं:
स्कूल इनोवेशन काउंसिल (एसआईसी):
स्कूल इनोवेशन काउंसिल (एसआईसी) शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (एमआईसी) द्वारा अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के सहयोग से 1 जुलाई 2022 को शुरू की गई एक प्रमुख पहल है। यह स्कूल के छात्रों और शिक्षकों में नवाचार, विचार-निर्माण, रचनात्मकता, डिज़ाइन थिंकिंग और उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला एक समग्र कार्यक्रम है, जो आउट-ऑफ-द-बॉक्स सोच और व्यवहारिक नवाचार गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। स्कूलों में एसआईसी को एक समर्पित परिषद के रूप में स्थापित किया जाता है जिसमें एक चेयरपर्सन (आमतौर पर प्रिंसिपल), संयोजक/गतिविधि समन्वयक, शिक्षक प्रतिनिधि (जिनमें प्रशिक्षित इनोवेशन एम्बेसडर और एक सोशल मीडिया कोऑर्डिनेटर शामिल होते हैं), विशेषज्ञ प्रतिनिधि (जैसे उद्यमी और उद्योग पेशेवर) और छात्र प्रतिनिधि शामिल होते हैं। एसआईसी कैलेंडर 2024-2025 में नेतृत्व वार्ताएं और नवप्रवर्तकों के साथ पैनल चर्चाएँ, समस्याओं की पहचान करने के लिए फील्ड विज़िट, समस्या समाधान कार्यप्रणालियों पर कार्यशालाएँ, बिजनेस मॉडल विकास और प्रोटोटाइप तथा प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट (पीओसी) को प्रदर्शित करने के लिए डेमो डे जैसी प्रमुख गतिविधियाँ शामिल हैं। स्कूलों को आधिकारिक एसआईसी पोर्टल पर पंजीकरण करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वे संसाधनों तक पहुँच प्राप्त कर सकें, रिपोर्ट जमा कर सकें और पाँच-स्टार क्रेडिट प्वाइंट प्रणाली के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर नवाचार उपलब्धियों की रैंकिंग के अनुसार स्टार रेटिंग अर्जित कर सकें।
सार्थकता और अपेक्षित परिणाम
एनईपी 2020 के समग्र, अनुभवात्मक और व्यावसायिक शिक्षण पर जोर को एसआईसी विचार-निर्माण और उद्यमिता को प्रोत्साहित करके समर्थन प्रदान करता है। यह छात्रों को 2047 की चुनौतियों — जैसे सतत् विकास और तकनीकी व्यवधान — के लिए तैयार करता है और अकादमिक जगत, उद्योग, उच्च शिक्षण संस्थानों तथा विशेषज्ञों को एक साथ लाकर रटकर सीखने से आगे बढ़कर, अर्जित ज्ञान का वास्तविक जीवन में अनुप्रयोग सुनिश्चित करता है। यह विशेष रूप से अल्पसेवित क्षेत्रों में महत्वपूर्ण है, जहां एसआईसी बूटकैंप और प्रशिक्षण कार्यक्रम स्टार्टअप संस्कृति और STEM कौशल विकसित करते हैं और आत्मनिर्भर भारत जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों के अनुरूप आगे बढ़ते हैं। यह स्कूल इनोवेशन एम्बेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसआईएटीपी) जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षक क्षमता को भी मजबूत करता है, जिससे कार्यान्वयन स्थायी बना रहता है।
स्कूल इनोवेशन एम्बेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसआईएटीपी)

स्कूल इनोवेशन एम्बेसडर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एसआईएटीपी) शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (एमआईसी) द्वारा एआईसीटीई, सीबीएसई और शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से शुरू की गई एक व्यापक अपस्किलिंग (कौशल उन्नयन) पहल है। विशेष रूप से स्कूली शिक्षकों के लिए डिज़ाइन किया गया यह कार्यक्रम 72 घंटे का गहन प्रशिक्षण प्रदान करता है, जिसमें पाँच मॉड्यूल शामिल हैं — डिज़ाइन थिंकिंग, बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर), विचार-निर्माण, उद्यमिता, समस्या समाधान कार्यप्रणालियाँ, स्टार्टअप इकोसिस्टम, नवाचार प्रबंधन और परियोजना हैंडहोल्डिंग। यह कार्यक्रम शिक्षकों को इनोवेशन एम्बेसडर में बदलता है, जो स्कूलों में नवाचार गतिविधियों का नेतृत्व कर सकें, प्रोटोटाइप विकास में छात्रों का मार्गदर्शन कर सकें और राष्ट्रीय चुनौतियों में भागीदारी को सुगम बना सकें।
सार्थकता और अपेक्षित परिणाम

एनईपी 2020 के सतत् पेशेवर विकास के विज़न को एसआईएटीपी सीधे पूरा करता है, क्योंकि यह स्कूल नेताओं और शिक्षकों के लिए नवाचार प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाता है। यह शिक्षकों को छात्रों को रचनात्मकता, आलोचनात्मक चिंतन और उद्यमशील मानसिकता को विकसित करने की क्षमता देकर जमीनी स्तर पर नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देता है। यह कार्यक्रम नीति और व्यवहार के बीच की दूरी को कम करता है, जिससे स्कूली छात्र रटकर सीखने के बजाय अनुभवात्मक और परियोजना-आधारित शिक्षा की ओर बढ़ सकें। शिक्षकों को फ़ैसिलिटेटर के रूप में प्रशिक्षित करके, एसआईएटीपी स्कूल इनोवेशन काउंसिल्स (एसआईसी) के निर्माण और अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) जैसी पहलों के एकीकरण का समर्थन करता है — जिससे नवाचार शिक्षा तक समान और व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने वाला एक स्केलेबल मॉडल तैयार हो सके, विशेषकर सरकारी और ग्रामीण स्कूलों में।
एसआईएटीपी के माध्यम से शिक्षकों को इनोवेशन एम्बेसडर के रूप में प्रमाणित किया गया है, जो अब हजारों छात्र-नेतृत्व वाले प्रोजेक्ट्स — विचार-निर्माण से लेकर प्रोटोटाइपिंग और पेटेंट दाखिल करने तक — में मार्गदर्शन कर रहे हैं। ये एम्बेसडर स्कूल के स्तर पर डेमो डे, हैकाथॉन और इनोवेशन चुनौतियों का नेतृत्व करते हैं, जिससे स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन और एटीएल मैराथन जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों में छात्रों की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
इंस्पायर (INSPIRE) अवॉर्ड्स – मानक (MANAK)
इनोवेशन इन साइंस परस्यूट फॉर इंस्पायर्ड रिसर्च (INSPIRE) योजना भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है। INSPIRE–MANAK (मिलियन माइंड्स ऑग्मेंटिंग नेशनल एस्पिरेशन एंड नॉलेज), जिसे DST द्वारा लागू किया जा रहा है, का उद्देश्य विज्ञान और सामाजिक समस्याओं को हल करने वाले एक मिलियन मौलिक विज्ञान आइडियाज़ पर कार्य करते हुए नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) के साथ मिलकर आगे बढ़ना है।

स्कूल व्यापक जागरूकता अभियानों, क्षेत्रीय कार्यशालाओं और भारत भर के ज़िला, राज्य और स्कूल स्तर के अधिकारियों की क्षमता निर्माण के बाद ई-एमआईएएस ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अधिकतम 5 सर्वश्रेष्ठ आइडियाज़ (कक्षा 11–12 से केवल विज्ञान शाखा से अधिकतम 2 आइडिया) किसी भी भारतीय भाषा में नामांकित करते हैं। कार्यक्रम चार सरल चरणों में आगे बढ़ता है: पहले चरण में 1 लाख आइडियाज़ का चयन किया जाता है और प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण के माध्यम से ₹10,000 की छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है; इसके बाद ज़िला-स्तरीय प्रदर्शनियों के माध्यम से 10,000 सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट चुने जाते हैं; फिर राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं द्वारा 1,000 विजेताओं का चयन किया जाता है जिन्हें कार्यशील प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए विशेषज्ञ मेंटरशिप प्रदान की जाती है; अंत में, सभी 1,000 नवाचारों को एक भव्य राष्ट्रीय प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया जाता है। परियोजनाओं का मूल्यांकन उनकी नवीनता, सामाजिक प्रभाव, पर्यावरणीय स्थिरता, उपयोगकर्ता के लिए अनुकूलता और तकनीकी योग्यता के आधार पर किया जाता है। शीर्ष 60 नवाचारों को राष्ट्रीय पुरस्कार, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ़) से उत्पाद विकास सहायता और फेस्टिवल ऑफ इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एफआईएनई) में प्रदर्शित होने का अवसर प्राप्त होता है।
सार्थकता और अपेक्षित परिणाम
INSPIRE एवॉर्ड्स – MANAK राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में अनुभवात्मक शिक्षण, आलोचनात्मक सोच और स्कूल पाठ्यक्रम में नवाचार को शामिल करने पर जोर दिए जाने की अपेक्षा के साथ पूरी तरह से मेल खाते हैं, जिससे समस्याओं का समाधान करने वाली मानसिकता का विकास हो सके। यह STEM शिक्षा में समानता को बढ़ावा देता है, स्थानीय समस्याओं के लिए देशज समाधान को प्रोत्साहित करके आत्मनिर्भर भारत का समर्थन करता है, छोटी उम्र से ही उद्यमिता को बढ़ावा देता है और 2047 तक भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र बनाने के लक्ष्य में योगदान देता है। यह योजना 36 से अधिक राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैली हुई है, जिसमें लगभग 720 जिले शामिल हैं। इसके अलावा, देशभर से 6 लाख से अधिक स्कूलों ने पंजीकरण कराया है और 600 से अधिक राष्ट्रीय विजेताओं का रिकॉर्ड है। छात्रों की भागीदारी 68 लाख से अधिक रही है।
हैकाथॉन और मैराथन
हैकाथॉन और इनोवेशन मैराथन एक बार होने वाली घटनाओं से विकसित होकर शक्तिशाली राष्ट्रीय मंच बन गए हैं, जो स्कूली छात्रों की जिज्ञासा को केंद्रित, वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान में बदलते हैं। ये बड़े पैमाने की चुनौतियाँ व्यापक नवाचार यात्रा में महत्वपूर्ण कनेक्टर्स के रूप में कार्य करती हैं, कक्षा में उत्पन्न विचारों को राष्ट्रीय प्रभाव वाले प्रोटोटाइप में बदलती हैं और युवा नवप्रवर्तकों के लिए अपने समाधान को बड़े स्तर पर ले जाने के स्पष्ट रास्ते तैयार करती हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व दो प्रमुख पहलों द्वारा किया जा रहा है: वार्षिक स्कूल इनोवेशन मैराथन और विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025.
स्कूल इनोवेशन मैराथन
स्कूल इनोवेशन मैराथन, जो 29 जुलाई 2024 को शुरू की गई थी, अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग के तहत एक वार्षिक पहल है, जिसे शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल (एमआईसी), एआईसीटीई और यूनिसेफ़ युवाह (UNICEF YuWaah) के सहयोग से आयोजित किया जाता है। यह अटल टिंकरिंग लैब्स वाले या बिना लैब्स वाले स्कूलों के लिए खुला है, और छात्रों को वास्तविक जीवन की सामुदायिक चुनौतियों से निपटने के काम में लगाता है, जिसमें विकसित भारत 2047 विज़न के अनुरूप नवाचारपूर्ण प्रोटोटाइप विकसित किए जाते हैं।

मैराथन में डिज़ाइन थिंकिंग, रोबोटिक्स और बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) पर केंद्रित क्षमता-विकास कार्यशालाएँ शामिल हैं, जो छात्रों को प्रभावशाली समाधान विकसित करने के कौशल से लैस करती हैं। व्यावहारिक शिक्षण (करके सीखना) और सहयोग को प्रोत्साहित करके, यह पहल रचनात्मकता और तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ावा देती है। यह समग्र दृष्टिकोण न केवल छात्रों की नवाचार क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें स्थायी और मापनीय समाधानों के माध्यम से अति-आवश्यक सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए भी तैयार करता है।
स्कूल इनोवेशन मैराथन के परिणाम ठोस और दूरगामी हैं, जो हर वर्ष सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाली टीमों को मान्यता देते हैं — 2024-25 सत्र के लिए 1000 टीमों और 2023-24 के लिए 500 टीमों को। भविष्य के नवप्रवर्तकों को पोषित करके, यह कार्यक्रम 2047 तक विकसित भारत के दीर्घकालिक विज़न में योगदान देता है।
विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025
विकसित भारत बिल्डाथॉन 2025 एक राष्ट्रीय स्तर का स्कूल-स्तरीय नवाचार हैकाथॉन है, जिसे शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (DoSEL) द्वारा अटल इनोवेशन मिशन (एआईएम), नीति आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के सहयोग से आयोजित किया जाता है। यह कक्षा 6–12 के छात्रों को चार विषयों — वोकल फॉर लोकल, आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी और समृद्धि — के आधार पर विचार-विमर्श और प्रोटोटाइप निर्माण के काम में लगाता है।
इस कार्यक्रम में स्कूलों में समकालिक लाइव नवाचार सत्र शामिल है, जिसमें प्रस्तुतियों का मूल्यांकन विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। इसे 23 सितंबर 2025 को लॉन्च किया गया था, जबकि पंजीकरण [https://vbb.mic.gov.in/](https://vbb.mic.gov.in/) पोर्टल के माध्यम से किए गए थे।
सार्थकता और परिणाम

यह कार्यक्रम युवा छात्रों में आत्मनिर्भरता, सतत् विकास और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है, जिससे वे राष्ट्रीय विकास में योगदान कर सकें, और यह विकसित भारत 2047 के उद्देश्य के अनुरूप है। यह स्कूल इनोवेशन मैराथन 2024 पर आधारित है और जमीनी स्तर पर नवाचार को प्रोत्साहित करता है, जिससे भारत को वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके।
बिल्डाथॉन जनवरी 2026 में समाप्त हो रही है और इसके परिणामों के साथ ही 1,000 से अधिक विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा। इसमें 1 करोड़ रुपये का पुरस्कार कोष शामिल है, जो 10 राष्ट्रीय स्तर के विजेताओं, 100 राज्य स्तर के विजेताओं और 1,000 जिला स्तर के विजेताओं में वितरित किया जाएगा। यह कार्यक्रम स्टूडेंट इनोवेटर प्रोग्राम (एसआईपी) और स्टूडेंट एंटरप्रेन्योरशिप प्रोग्राम (एसईपी) जैसी पहलों की सफलता, साथ ही संबंधित पहलों से प्राप्त पेटेंट और स्टार्टअप पर आधारित है।
निष्कर्ष: भारत के भविष्य के लिए एकीकृत शैक्षिक विरासत का निर्माण
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा प्रेरित भारत की स्कूली शिक्षा प्रणाली गहन परिवर्तन से गुजर रही है। विकसित भारत बिल्डाथॉन, स्कूल इनोवेशन मैराथन, अटल टिंकरिंग लैब्स, स्कूल इनोवेशन काउंसिल्स, एसआईएटीपी और INSPIRE एवॉर्ड्स – MANAK जैसी नवीन सरकारी पहलें सामूहिक रूप से, रटने पर आधारित शिक्षा से अनुभवात्मक, कौशल-आधारित शिक्षा की ओर बढ़कर, बदलाव ला रही हैं, जो आलोचनात्मक सोच, एआई सक्षमता, उद्यमिता और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, व्यवहारिक टिंकरिंग, शिक्षक अपस्किलिंग और वंचित क्षेत्रों तथा बालिकाओं को लक्ष्य करके तैयार किए गए समावेशी कार्यक्रमों को एकीकृत करके, इन प्रयासों ने लाखों छात्रों को इसमें शामिल किया, लाखों प्रोटोटाइप, पेटेंट और स्टार्टअप तैयार किए। इसने रिकॉर्ड तोड़ नवाचार कार्यक्रमों और सार्वभौमिक मौलिक साक्षरता लक्ष्यों जैसे ठोस परिणाम भी उत्पन्न किए हैं। बढ़ते वित्त पोषण और 2030 तक 100% सकल नामांकन दर (जीईआर) के लिए प्रतिबद्धता के साथ, भारत अपने युवाओं को वैश्विक नवप्रवर्तक के रूप में निर्णायक रूप से स्थापित कर रहा है, और 2047 तक विकसित भारत की राह प्रशस्त कर रहा है।
संदर्भ:
पत्र सूचना कार्यालय:
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1838743
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2098805
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2097864
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2170192
https://www.pib.gov.in/FactsheetDetails.aspx?id=150345&NoteId=150345&ModuleId=16
https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2178518
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https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2166700#:~:text=The%20Hon'ble%20Prime%20Minister,%2C%20Atal%20Innovation%20Mission%2C%20said
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1847064#:~:text=School%20Innovation%20Council%20(SIC)%2C,of%20the%20best%20prototypes%20etc
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https://static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2025/sep/doc2025928649601.pdf
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दूरदर्शन:
https://ddnews.gov.in/en/shaping-viksit-bharat-50000-atal-tinkering-labs-to-drive-innovation/
https://www.newsonair.gov.in/indias-largest-school-hackathon-viksit-bharat-buildathon-2025-begins-today/
अटल इनोवेशन मिशन:
https://aim.gov.in/pdf/Final-List-Top-1000-teams.pdf
https://www.aim.gov.in/pdf/Results-Top-500-Teams-ATL-Marathon-2023-24.pdf
https://aim.gov.in/atl.php
https://aim.gov.in/atl.php#:~:text=Impact%20created,Innovation%20Projects%20Created
https://atl.unisolve.org/#:~:text=Hear%20what%20our%20teacher%20and,for%20societal%20and%20humanitarian%20benefit%22
https://aim.gov.in/aim-ecosystem-development-program.php
https://aim.gov.in/overview.php
स्कूल इनोवेशन काउंसिल:
https://sic.mic.gov.in/aboutus
https://sicmicstadiag.blob.core.windows.net/sicwebsite/static/downloads/SIC-Guidelines-2024.pdf
https://sia.mic.gov.in/
अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद:
https://aicte.gov.in/downloads/initiatives/AICTE-VISION-MERGED.pdf
स्कूल इनोवेशन मिशन:
http://it.delhigovt.nic.in/writereaddata/Cir2024525900.pdf
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग:
https://www.inspireawards-dst.gov.in/UserP/award.aspx
https://www.inspireawards-dst.gov.in/
शिक्षा मंत्रालय:
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/NEP_Final_English_0.pdf
https://www.education.gov.in/sites/upload_files/mhrd/files/nep/Background_Notes_Thematic_Sessions.pdf
https://www.education.gov.in/shikshakparv/docs/Examination_and_Assessment_Reforms.pdf
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी):
https://www.ncert.nic.in/pdf/NCF_for_Foundational_Stage_20_October_2022.pdf
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पीके/केसी/पीके
(रिलीज़ आईडी: 2199240)
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