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Global Affairs

भारत की वैश्विक पहचान

Posted On: 18 JUN 2025 9:13AM

परिचय

भारत पिछले 11 वर्षों में एक मजबूत वैश्विक नेतृत्व के रूप में उभरा है। यह देश महत्वाकांक्षा को कार्रवाई के साथ जोड़ने वाली साहसिक पहलों से प्रेरित है। भारत ने जलवायु समाधानों का समर्थन करने से लेकर एआई गवर्नेंस का नेतृत्व करने तक, अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय चर्चा को आकार दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व ने इन प्रयासों को जिम्मेदारी और समावेशिता के साथ स्थापित किया है, जिससे भारत की आवाज़ को वैश्विक मंचों पर दृढ़ता से रखना सुनिश्चित हो सका।

 

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भारत की जी-20 में अध्यक्षता ने ग्लोबल साउथ पर प्रकाश डाला और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के शुभारंभ सहित ठोस परिणाम दिए। भारत ने कूटनीति के माध्यम से, मानवीय सहायता के माध्यम से या रणनीतिक रक्षा के माध्यम से प्रभाव और आत्मनिर्भरता की एक नई कहानी गढ़ी है।

Reserved: तथ्यों पर एक नजर:भारत ने 60 शहरों में 1 लाख से अधिक प्रतिनिधियों के साथ 200 से अधिक जी 20 बैठकों की मेजबानी की।भारत ने 99 देशों को 30.12 करोड़ कोविड वैक्सीन खुराक भेजी, जिसमें 1.51 करोड़ अनुदान के रूप में शामिल हैं।India hosted 200+ G20 meetings in 60 cities with 1 Lakh+ delegatesIndia sent 30.12 croreCOVID vaccine doses to 99 countries, including 1.51 crore as grants.

 

पहलों के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व

 

भारत ने पिछले 11 वर्षों में, प्रभावशाली पहलों के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व के रूप में कदम रखा है, जो परिकल्पना को कार्यान्वयन के साथ जोडता है। चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, ऊर्जा परिवर्तन हो, सार्वजनिक स्वास्थ्य हो या कृत्रिम बुद्धिमत्ता हो, भारत ने प्रत्येक क्षेत्र में बातचीत को आगे बढ़ाया है और ऐसे गठबंधन तैयार किए हैं, जिन्होंने राष्ट्र की प्राथमिकताओं को वैश्विक चर्चा के केंद्र में रखा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत का दृष्टिकोण दायित्वपूर्ण और समावेश पर आधारित रहा है, जिसने सदैव राष्ट्रीय हित को व्यापक मानवीय ढांचे के भीतर रखा है। इन पहलों ने भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए और अपनी महत्वपूर्ण आवाज़ को बुलंद करते हुए एक नई वैश्विक व्यवस्था को आकार देने में सहायता की है।

 

जी-20 अध्यक्षता: 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' का समर्थन करना

1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक भारत की जी-20 की अध्यक्षता वैश्विक कूटनीति में एक निर्णायक अध्याय को चिह्नित करती है। 9-10 सितंबर 2023 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित 18वें जी-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन में 20 सदस्य देश, नौ आमंत्रित देश और 14 अंतर्राष्ट्रीय संगठन सम्मिलित हुए। भारत ने 60 शहरों में 200 से अधिक बैठकों का आयोजन किया, जिसमें एक लाख से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत की जी-20 अध्यक्षता का विषय "वसुधैव कुटुम्बकम" भारत के सभ्यतागत लोकाचार और वैश्विक सहयोग की इच्छा को प्रदर्शित करता है।

यूक्रेन संघर्ष जैसे वैश्विक मुद्दों पर गहरे मतभेदों के बावजूद, जी-20 नेताओं का नई दिल्ली घोषणापत्र को सर्वसम्मति से अपनाना एक प्रमुख उपलब्धि थी। इस उपलब्धि ने सर्वसम्मति बनाने वाले के रूप में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और वैश्विक अनिश्चितता के बीच नेतृत्व करने की उसकी क्षमता को प्रदर्शित किया।

पेरिस में आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस एक्शन समिट: वैश्विक एआई मानकों को स्वरूप प्रदान करना

प्रधानमंत्री मोदी ने 10 फरवरी 2024 को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के साथ पेरिस में आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की। शिखर सम्मेलन में दायित्वपूर्ण और समावेशी एआई विकास पर उच्च स्तरीय चर्चा हुई। इस सम्मेलन में विज्ञान दिवस और कल्चरल वीक एंड सहित कार्यक्रमों की एक सप्ताह तक चली श्रृंखला आयोजित की गई।

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एलिसी पैलेस में आयोजित उच्च स्तरीय सम्मेलन में विश्व के नेता, अंतरराष्ट्रीय संगठन और उद्योग जगत की शीर्ष हस्तियां सम्मिलित हुईं। इस शिखर सम्मेलन में भारत के सह-नेतृत्व ने उभरती प्रौद्योगिकियों में उसके बढ़ते प्रभाव और प्रौद्योगिकी प्रगति को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ जोड़ने पर उसके प्रभाव को प्रदर्शित किया।

वैक्सीन मैत्री: मानवता सर्वप्रथम, सदैव

भारत ने कोविड-19 संकट के दौरान अपनी मानव-केंद्रित कूटनीति के प्रमाण के रूप में वैक्सीन मैत्री पहल शुरू की। जनवरी 2021 से, भारत ने 99 देशों और दो संयुक्त राष्ट्र निकायों को 30.12 करोड़ से अधिक वैक्सीन खुराक की आपूर्ति की है।

इसमें 50 से अधिक देशों को उपहार में दी गई 1.51 करोड़ खुराकें और कोवैक्स व्यवस्था के माध्यम से 5.2 करोड़ खुराकें शामिल हैं। भारत की त्वरित और बड़े पैमाने पर सहायता ने वैश्विक स्वास्थ्य के लिए एक विश्वसनीय भागीदार और ग्लोबल साउथ के एक सहानुभूतिपूर्ण देश के रूप में इसकी छवि को मज़बूत किया।

 

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन: स्वच्छ ग्रह को शक्ति प्रदान करना

पेरिस में सीओपी-21 में प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद द्वारा 30 नवंबर 2015 को शुरू किया गया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) भारत का प्रमुख जलवायु कार्रवाई प्रयास है। 120 सदस्य और हस्ताक्षरकर्ता देशों के साथ, आईएसए का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का निवेश जुटाना है। गुरुग्राम में मुख्यालय वाला यह भारत में स्थित पहला अंतर्राष्ट्रीय अंतर-सरकारी निकाय है। 3-6 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित 7वें सत्र में, आईएसए ने वंचित क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की तेजी से तैनाती पर बल दिया। इसने नवाचारों, वित्तपोषण व्यवस्था और सीमा पार सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे भारत वैश्विक सौर परिवर्तन में सबसे आगे रहा।

भारत प्रथम सहायक के रूप में: संकट के समय में एक स्तंभ

भारत ने पिछले पाँच वर्षों में 150 से अधिक देशों को मानवीय सहायता और आपदा राहत प्रदान की है। इसने महामारी से लेकर प्राकृतिक आपदाओं तक के संकटों से निपटने के लिए चिकित्सा दल, राहत सामग्री और विशेषज्ञ जनशक्ति तैनात की है। जुलाई 2021 में, विदेश मंत्रालय ने राष्ट्रीय एजेंसियों और विदेशी सरकारों के साथ समन्वय करने के लिए त्वरित कार्रवाई इकाई की स्थापना की। भारत ने क्वाड जैसे बहुपक्षीय समूहों के माध्यम से भी अपना समर्थन बढ़ाया है। ये प्रयास केवल भारत की क्षमताओं को दर्शाते हैं बल्कि एक दायित्वपूर्ण शक्ति के रूप में उसके कर्तव्य की भावना को भी प्रदर्शित करते हैं।

क्षेत्रीय और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करना

Text Box: Fast Facts:India’s Voice of Global South Summit drew 100+ countries in each of three editions.India launched the IMEC and Global Biofuels Alliance at the G20 Summit.

पिछले 11 वर्षों में भारत की विदेश नीति ने सिद्धांत, व्यावहारिकता और राष्ट्रीय हित के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन को दर्शाया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने भारत को वैश्विक मंच पर मजबूती से स्थापित किया है, स्थायी साझेदारी का निर्माण किया है और रणनीतिक स्वायत्तता की रक्षा की है। चाहे वह निकटतम पड़ोस हो या व्यापक हिंद-प्रशांत, चाहे बहुपक्षीय मंचों पर हो या ग्लोबल साउथ के साथ जुड़ाव में, भारत ने स्पष्टता और उद्देश्य के साथ बात की है। हर पहल, गठबंधन और शिखर सम्मेलन ने वैश्विक शांति और विकास में सार्थक योगदान देते हुए भारतीय लोगों के हितों को सबसे पहले रखा है।

 

पड़ोसी प्रथम नीति

भारत की 'पड़ोसी प्रथम' नीति ने क्षेत्रीय संबंधों के लिए एक साहसिक, दूरदर्शी दृष्टिकोण को आकार दिया है। यह नीति भूटान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव, म्यामां, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ मजबूत भौतिक, डिजिटल और सांस्कृतिक संबंधों को प्राथमिकता देती है। यह सम्मान, संवाद, शांति और समृद्धि के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित है। भारत ने उच्च-स्तरीय बुनियादी ढांचे से लेकर स्थानीय विकास परियोजनाओं तक समर्थन दिया है।

भूटान में जलविद्युत और संपर्क परियोजनाएँ, श्रीलंका, नेपाल, म्यामां और बांग्लादेश में विकास साझेदारी परियोजनाएँ और अफ़गानिस्तान को मानवीय सहायता द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने और लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में किए गए कार्य हैं। भारत ने उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं के अंतर्गत नेपाल में अस्पताल और स्कूल भी बनाए हैं। श्रीलंका और मालदीव में रक्षा सहयोग और समुद्री साझेदारी प्रगाढ हुई है। म्यामां के लिए, भारत ने सहायता और बुनियादी ढाँचा सहयोग दोनों को बढ़ाया है। यह नीति परामर्शात्मक, गैर-पारस्परिक और परिणाम-केंद्रित बनी हुई है।

 

एक्ट ईस्ट नीति

एक्ट ईस्ट नीति, को वर्ष 2014 में लुक ईस्ट पॉलिसी में परिवर्तित किया गया था। इस नीति ने दक्षिण-पूर्व एशिया और हिंद-प्रशांत तक भारत की पहुंच का विस्तार किया है। यह नीति आसियान को अपने मूल रूप से ध्यान में रखते हुए, आर्थिक साझेदारी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सुरक्षा संबंधों को बढ़ावा देती है।

भारत ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, क्वाड और आसियान प्लस रक्षा मंत्रियों की बैठक जैसे प्रमुख क्षेत्रीय मंचों में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए मजबूत द्विपक्षीय संबंध बनाए हैं। प्रमुख ध्यान - फिजिकल, डिजिटल और लोगों पर केंद्रित व्यापक संपर्क पर बना हुआ है। इस नीति के माध्यम से, भारत ने इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करते हुए अपने हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण को गति प्रदान की है।

 

ग्लोबल साउथ के साथ जुड़ाव

ग्लोबल साउथ में भारत का नेतृत्व साझा इतिहास और समान आकांक्षाओं में निहित है। भारत ने विकास साझेदारी, वित्तीय सहायता और क्षमता निर्माण के माध्यम से साथी विकासशील देशों को मूर्त रूप से समर्थन दिया है। जनवरी और नवंबर 2023 तथा अगस्त 2024 में आयोजित वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के तीन संस्करणों ने दक्षिणी देशों की उपस्थिति को बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाया। प्रत्येक संस्करण में 100 से अधिक देशों की भागीदारी ने भारत की विश्वसनीयता के बारे में बहुत बातचीत की।

प्रधानमंत्री मोदी ने मार्च 2025 में मॉरीशस में महासागर सिद्धांत का शुभारंभ किया, जिसने क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति के भारत के लक्ष्य को मजबूत किया। ग्लोबल साउथ देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसे क्षेत्रों में परियोजनाओं को छात्रवृत्ति और कौशल विकास सहायता के साथ कार्यान्वित किया जा रहा है।

 

वैश्विक भागीदारी

भारत की वैश्विक कूटनीति ने बहुपक्षीय और बहुदेशीय मंचों पर सामरिक भागीदारी के माध्यम से आकार लिया है। ब्रिक्स में, भारत ने वैश्विक व्यवस्था को अधिक प्रतिनिधि और बहुध्रुवीय बनाने के लिए काम किया है। क्वाड के माध्यम से, भारत हिंद-प्रशांत में सुरक्षा और आर्थिक ढांचे को स्वरूप दे रहा है। भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा समझौते को पूरा करने में सहायता की और वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन के गठन का नेतृत्व किया।

ये प्रमुख उपलब्धि केवल भारत के नेतृत्व को दर्शाते हैं, बल्कि जटिल वैश्विक मुद्दों पर आम सहमति बनाने की उसकी क्षमता को भी दर्शाते हैं। हर जुड़ाव में, देश ने संप्रभुता, सुरक्षा और अपने नागरिकों के हितों को अपनी कूटनीति के केंद्र में रखा है।

 

नए दूतावास और वाणिज्य दूतावास

वर्ष 2014 से 2024 के बीच भारत ने दुनिया भर में 39 नए दूतावास और वाणिज्य दूतावास खोले हैं। अब इनकी कुल संख्या 219 हो गई है। इस विस्तार ने भारत की वैश्विक उपस्थिति और पहुंच को और अधिक मजबूत किया है। प्रत्येक मिशन राष्ट्रीय हित पर सरकार के स्पष्ट फोकस को दर्शाता है।

यह विकास और सुरक्षा के साधन के रूप में कूटनीति को दिए जाने वाले महत्व को भी दर्शाता है। बढ़ती पहचान ने व्यापार को बढ़ावा देने, संबंधों को प्रगाढ करने और विदेशों में भारतीय नागरिकों का समर्थन करने में सहायता की है। यह उद्देश्यपूर्ण, दृढ़ और दूरदर्शी कूटनीति है, जो सदैव राष्ट्र को सर्वोपरि रखती है।

 

रणनीतिक वैश्विक संबंधों में प्रगति

भारत की विदेश गतिविधियाँ गतिशीलता और उद्देश्य के एक नए चरण में प्रवेश कर चुकी हैं, जो रणनीतिक स्वायत्तता और बहुपक्षीय सहयोग के प्रति इसकी प्रतिबद्धता से प्रेरित है। हाल के वर्षों में, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, फ्रांस और सऊदी अरब जैसी प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ संबंध अधिक प्रगाढ, अधिक साकार और भविष्योन्मुखी हुए हैं। रक्षा और व्यापार से लेकर प्रौद्योगिकी और लोगों के बीच संबंधों तक, ये साझेदारियाँ वैश्विक मंच पर एक प्रमुख नेतृत्व के रूप में भारत की उभरती भूमिका को दर्शाती हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका

भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हितों के बढ़ते सम्मिलन के आधार पर एक "वैश्विक रणनीतिक साझेदारी" के रूप में विकसित हुए हैं। पिछले ग्यारह वर्षों में भारत के अमेरिका के साथ संबंध एक उच्च-विश्वास और भविष्य-केंद्रित साझेदारी में विकसित हुए हैं। राष्ट्रपति डॉनल्ड जे. ट्रम्प की मेजबानी में 13 फरवरी 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वाशिंगटन की आधिकारिक यात्रा ने इस जुड़ाव में एक नया अध्याय शुरू किया। अमेरिका-भारत कॉम्पैक्ट (सैन्य भागीदारी, त्वरित वाणिज्य और प्रौद्योगिकी के लिए अवसरों को उत्प्रेरित करना) के शुभारंभ ने रक्षा, व्यापार और प्रौद्योगिकी में गहन सहयोग की दिशा में एक मजबूत प्रतिक्रिया का संकेत दिया। "मिशन 500" के अंतर्गत, दोनों पक्षों का लक्ष्य वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 बिलियन डॉलर करना है और 2025 की शरद ऋतु तक एक व्यापक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की योजना है। प्रमुख रक्षा साझेदारी के लिए एक नए दस-वर्षीय ढांचे की घोषणा के साथ रक्षा संबंधों को और मजबूत किया गया। भारत की सशस्त्र सेनाओं को सी-130जे, सी-17, पी-8आई, अपाचे और एमक्यू-9बी जैसे अत्याधुनिक अमेरिकी प्लेटफार्मों के शामिल होने से लाभ मिलना जारी है।

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रूसी संघ

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पिछले ग्यारह वर्षों में रूस के साथ भारत के संबंध और भी प्रगाढ और अधिक साकार हुए हैं। एक विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में, रूस भारत की विदेश नीति के केंद्र में है। अंतर-सरकारी आयोग जैसे संस्थागत ढांचों के माध्यम से नियमित जुड़ाव होता है, जो व्यापार, प्रौद्योगिकी, रक्षा और संस्कृति में सहयोग को संभालता है। दिसंबर 2021 में आयोजित पहली 2+2 वार्ता एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच शिखर वार्ता के साथ-साथ विदेश और रक्षा मंत्री की बैठक शामिल है। रक्षा सहयोग सरल खरीद से लेकर संयुक्त उत्पादन और अनुसंधान तक फैल गया है, जिसमें एस-400 प्रणाली, टी-90 टैंक, एसयू-30 एमकेआई जेट और ब्रह्मोस मिसाइल जैसे प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं।

फ्रांस

भारत और फ्रांस के बीच दीर्घकालिक और विश्वसनीय साझेदारी है जो साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान और बहुपक्षवाद में विश्वास पर आधारित है। ये संबंध सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, जलवायु और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित हैं। हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के निमंत्रण पर 10 से 12 फरवरी 2025 तक फ्रांस की यात्रा की। साथ में, उन्होंने आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस एक्शन समिट की सह-अध्यक्षता की, जिसमें 30 राष्ट्राध्यक्षों, 57 मंत्रियों, 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और 41 व्यापारिक अग्रजों ने भाग लिया। शिखर सम्मेलन ने "इंक्लूसिव एंड सस्टेनेबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर पीपल एंड द प्लेनेट" घोषणा को अपनाया और सार्वजनिक हित के लिए एआई प्लेटफॉर्म और इनक्यूबेटर का शुभारंभ किया गया। भारत अगले शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा। पेरिस और मार्सिले में द्विपक्षीय वार्ता ने सुरक्षा, ग्रह और लोगों के इर्द-गिर्द निर्मित क्षितिज वर्ष 2047 की रूपपरेखा के अंतर्गत सहयोग को आगे बढ़ाया। रक्षा एक प्रमुख स्तंभ बना हुआ है, जिसमें 36 राफेल जेट को भारतीय वायु सेना में शामिल करना गहरे विश्वास और सहयोग का प्रतीक है। इससे पहले, जुलाई 2023 में, प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में फ्रांस की यात्रा की थी।

ब्रिटेन

भारत-ब्रिटेन व्यापक रणनीतिक साझेदारी सभी क्षेत्रों में मजबूत हुई है। भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) और दोहरा अंशदान सम्मेलन का हाल ही में संपन्न होना हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख उपलब्धि है, जो प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग की विशाल संभावनाओं को खोलेगा। प्रौद्योगिकी, रक्षा और सुरक्षा, स्वास्थ्य तथा बुनियादी ढांचे के वित्तपोषण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण पहल की गई है, जिसमें प्रौद्योगिकी और सुरक्षा पहल तथा ब्रिटेन-भारत अवसंरचना वित्तपोषण सेतु शामिल हैं। साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय शीघ्र ही भारत में अपना परिसर खोल रहा है और ब्रिटेन के कई अन्य विश्वविद्यालय भारत में अपने परिसर खोलने की योजना बना रहे हैं। इसके साथ ही मैनचेस्टर और बेलफास्ट में हाल ही में हमारे दो नए वाणिज्य दूतावासों के शुरू होने से हमारे शैक्षिक और लोगों के बीच संबंध और मजबूत हुए हैं।

यूरोपीय संघ

भारत और यूरोपीय संघ, दो सबसे बड़े लोकतंत्र, खुले बाजार की अर्थव्यवस्थाएं और बहुलवादी समाज 2004 से एक रणनीतिक साझेदारी कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 137 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि सेवाओं का व्यापार (2023) लगभग 53 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। नियमित भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनों से अलग, दोनों पक्षों ने एक व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) - व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा के क्षेत्र में रणनीतिक महत्व पर चर्चा करने के लिए एक समर्पित मंच की भी स्थापना की है। उल्लेखनीय रूप से, यह भारत के लिए किसी भी भागीदार के साथ पहला ऐसा मंच है और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ टीटीसी के बाद यूरोपीय संघ के लिए दूसरा। फरवरी 2025 में यूरोपीय संघ के आयुक्तों के समूह की भारत की पहली यात्रा द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख उपलब्धि थी, जिसमें नेतृत्व स्तर पर बातचीत के अलावा 20 से अधिक मंत्रिस्तरीय बैठकों के साथ विभिन्न क्षेत्रों पर चर्चा शामिल थी।

मध्य पूर्व

भारत के मध्य पूर्व के साथ संबंध रणनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जुड़ाव से प्रेरित होकर काफी मजबूत हुए हैं। सऊदी अरब के साथ, संबंध वर्ष 1947 से हैं और 22 अप्रैल 2025 को जेद्दा में रणनीतिक साझेदारी परिषद की बैठक के दौरान और मजबूत हुए, जिसकी सह-अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने की। प्रमुख विकासों में रक्षा और सांस्कृतिक सहयोग पर नई मंत्रिस्तरीय समितियाँ और निवेश पर उच्च-स्तरीय कार्य बल द्वारा प्रगति शामिल है, जिसमें दो रिफाइनरियों की योजनाएँ शामिल हैं। सऊदी अरब में 2.65 मिलियन से अधिक की संख्या में भारतीय समुदाय दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी बना हुआ है।

वर्ष 1972 में स्थापित भारत-यूएई संबंध ब्रिक्स और आई2यू2 जैसे व्यापार और रणनीतिक प्लेटफार्मों पर प्रगाढ हुए हैं। मई 2022 से प्रभावी व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) ने वित्त वर्ष 2020-21 में द्विपक्षीय व्यापार को 43.3 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 2023-24 में 83.7 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया है। गैर-तेल व्यापार 57.8 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुंच गया, जो वर्ष 2030 तक 100 बिलियन अमरीकी डॉलर के लक्ष्य का समर्थन करता है। सीईपीए के अंतर्गत जारी किए गए लगभग 2.4 लाख सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन के जरिए 19.87 बिलियन अमरीकी डॉलर का निर्यात संभव हुआ।

नियमित उच्च स्तरीय संपर्क और मजबूत रक्षा सहयोग के साथ भारत-कतर संबंध प्रगाढ हुए हैं। दोनों पक्षों ने व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते की संभावनाएं तलाशने और वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कतर में क्यूएनबी के बिक्री केन्द्रों पर भारत के एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के शुभारंभ का भी स्वागत किया, जिसे पूरे देश में लागू करने की योजना है।

 

सीमाओं से परे समर्थन

पिछले 11 वर्षों में भारत की विदेश नीति विदेशों में अपने नागरिकों की सुरक्षा पर केंद्रित रही है। जब भी भारतीयों को किसी तरह का खतरा हुआ है, चाहे वह संघर्ष, संकट या प्राकृतिक आपदा हो, सरकार ने तुरंत और दृढ़ संकल्प के साथ काम किया है। लाखों भारतीयों को समय पर और अच्छी तरह से समन्वित प्रयासों के माध्यम से सुरक्षित स्वदेश लाया गया है। यह दृष्टिकोण राष्ट्र और उसके लोगों को आगे रखने की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

राहत और निकासी अभियान

पिछले 11 वर्षों में विदेश नीति के प्रति भारत का दृष्टिकोण केवल कूटनीति और संवाद का प्रतीक रहा है, बल्कि विदेशों में अपने नागरिकों की सुरक्षा दांव पर होने पर निर्णायक कार्रवाई के लिए भी पहचाना जा रहा है। संघर्ष, संकट या आपदा के समय, सरकार ने तेज़ गति, करुणा और सटीकता के साथ काम किया है। राहत और निकासी के प्रयास "राष्ट्र प्रथम" नीति के परिभाषित उदाहरण बन गए हैं। चाहे वह महामारी हो, राजनीतिक उथल-पुथल हो या प्राकृतिक आपदा, भारत अपने लोगों को सुरक्षित और तेजी से घर वापस लाया है।

कुछ प्रमुख निकासी मिशन का विवरण यहां दिया गया है:

वंदे भारत मिशन

कोविड-19 महामारी के दौरान शुरू किया गया यह मिशन वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े प्रत्यावर्तन प्रयासों में से एक है। मई 2020 और मार्च 2022 के बीच 3.20 करोड़ लोगों (उतरने-1.60 करोड़ और चढ़ने-उतरने-1.60 करोड़) को सुविधा प्रदान की गई। एयर बबल व्यवस्था के अंतर्गत वाणिज्यिक और चार्टर्ड दोनों उड़ानों ने सुनिश्चित किया कि फंसे हुए भारतीय और विदेशी नागरिक अपने घरों को लौट सकें।

 

चीन से सुरक्षित लाना (2020)

वर्ष 2020 की शुरुआत में कोविड-19 महामारी की शुरुआत में, भारत ने चीन के वुहान से 637 भारतीय नागरिकों और मालदीव के 7 नागरिकों को निकालने के लिए तेजी से काम किया। शुरुआती कार्रवाई ने संभावित जोखिमों को रोकने में सहायता की और त्वरित संकट प्रबंधन का प्रदर्शन किया।

 

ऑपरेशन देवी शक्ति

वर्ष 2021 में अफ़गानिस्तान में हालात बिगड़ने के बाद भारत ने 669 लोगों को निकालने के लिए मानवीय मिशन चलाया। इनमें 448 भारतीय और 206 अफ़गान नागरिक शामिल थे, जिनमें अफ़गान हिंदू और सिख समुदाय के सदस्य भी शामिल थे। भारतीय वायु सेना और एयर इंडिया की छह उड़ानों का उपयोग करके पंद्रह विदेशी नागरिकों को भी बचाया गया। इसके अतिरिक्त, सरकार ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पाँच पवित्र स्वरूपों की वापसी सुनिश्चित की, जिन्हें एक अलग उड़ान पर बड़ी श्रद्धा के साथ वापस लाया गया।

 

ऑपरेशन गंगा

फरवरी और मार्च 2022 में, सरकार ने यूक्रेन संघर्ष के दौरान बड़े पैमाने पर भारतीय विद्यार्थियों को निकालकर त्वरित्क कार्रवाई की। कुल 18,282 नागरिकों को 90 उड़ानों के ज़रिए बचाया गया, जिनमें से 76 वाणिज्यिक उड़ानें और 14 भारतीय वायुसेना की उड़ानें शामिल थीं। पूरे ऑपरेशन को भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित किया गया, ताकि विद्यार्थियों और परिवारों पर कोई वित्तीय बोझ पड़े।

 

ऑपरेशन कावेरी

जब 2023 में सूडान में संघर्ष छिड़ा, तो भारत ने तुरंत ऑपरेशन कावेरी शुरू किया। भारतीय वायुसेना की 18 उड़ानों, 20 वाणिज्यिक उड़ानों और 5 भारतीय नौसेना के जहाजों की आवाजाही का उपयोग करके 136 विदेशी नागरिकों सहित कुल 4,097 लोगों को वापस लाया गया। इस अभियान के तहत चाड, मिस्र, इथियोपिया और दक्षिण सूडान जैसे पड़ोसी देशों से ज़मीनी रास्ते से 108 भारतीय नागरिकों को निकालने में भी कामयाबी मिली।

 

ऑपरेशन अजय

वर्ष 2023 में इजरायल में संघर्ष के बीच, भारत ने एक बार फिर कार्रवाई की। ऑपरेशन अजय के अंतर्गत, छह विशेष उड़ानों से 1,343 लोगों को वापस लाया गया। इसमें 1,309 भारतीय नागरिक, 14 भारतीय मूल के विदेशी नागरिक (ओसीआई) कार्ड धारक और 20 नेपाली नागरिक शामिल थे।

 

ऑपरेशन इंद्रावती

मार्च 2024 में हैती में नागरिक अशांति फैल गई। भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत ऑपरेशन इंद्रावती शुरू किया। हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके सत्रह भारतीय नागरिकों को सुरक्षित रूप से डोमिनिकन गणराज्य ले जाया गया, जो भारत की जन-केंद्रित विदेश नीति में एक और सफलता थी।

भारतीय समुदाय कल्याण कोष (आईसीडब्ल्यूएफ)

वर्ष 2009 में स्थापित भारतीय समुदाय कल्याण कोष विदेशों में रहने वाले भारतीयों के लिए जीवन रेखा बन गया है। वर्ष 2014 से अब तक इस कोष के ज़रिए 3,42,992 लोगों की सहायता की जा चुकी है। यह आपातकालीन स्थितियों के दौरान ज़रूरतमंद लोगों की सहायता करता है, चाहे वे फंसे हुए हों, घायल हों या कानूनी या वित्तीय परेशानी का सामना कर रहे हों।

इस कोष ने संघर्ष क्षेत्रों और आपदा प्रभावित क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर निकासी में भी सहायता की है। वर्ष 2017 में, इसके दिशा-निर्देशों को इसके दायरे को व्यापक बनाने और भारतीय मिशनों को तेज़ी से कार्रवाई करने के लिए अधिक सुगम बनाने के लिए संशोधित किया गया था। पिछले 11 वर्षों में, आईसीडब्ल्यूएफ एक ऐसी विदेश नीति का मज़बूत प्रतीक बन गया है जो नागरिकों को सबसे आगे रखती है।

मोबिलिटी और प्रवास साझेदारी की व्यवस्था

वर्ष 2014 से 2025 के बीच भारत ने सऊदी अरब, फ्रांस, यूएई, जापान, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी सहित 18 देशों के साथ मोबिलिटी और प्रवास साझेदारी व्यवस्था पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों से अनगिनत भारतीय नागरिकों के लिए विदेशों में रोजगार के अवसर खुले हैं, जिससे काम और कुशल प्रवास के लिए सुरक्षित, साकार और पारस्परिक रूप से लाभकारी रास्ते सुनिश्चित हुए हैं।

 

Text Box: Fast Facts:On May 7, 2025, India struck 9 terror camps across Pakistan and PoJKTerrorist incidents in J&K fell from 228 in 2018 to 28 in 2024Naxal violence fell 81% since 2010

आतंकवाद निरोध और आंतरिक सुरक्षा

 

पिछले ग्यारह वर्षों में आंतरिक सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी अभियानों के प्रति भारत का दृढ़ और स्पष्ट दृष्टिकोण राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखने के सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। सीमाओं पर सटीक सैन्य हमलों से लेकर भीतरी विद्रोही नेटवर्क को रणनीतिक रूप से ध्वस्त करने तक, भारत ने अतीत की झिझक को दूर कर दिया है। अब एक स्पष्ट सिद्धांत कार्रवाई का मार्गदर्शन करता है, जो त्वरित, निर्णायक और खुफिया जानकारी द्वारा समर्थित है। अनुच्छेद 370 को हटाने, नक्सलवाद के खिलाफ अभियान और उच्च तकनीक रक्षा में नई क्षमताओं के साथ, भारत आज पहले से कहीं अधिक सुरक्षित और आत्मनिर्भर है। अप्रैल 2025 में एक आतंकी हमले के लिए भारत की त्वरित और सटीक सैन्य कार्रवाई, ऑपरेशन सिंदूर ने इस संकल्प को और अधिक प्रदर्शित किया। ये सफलताएँ राजनीतिक इच्छाशक्ति, सैन्य शक्ति और देश को आगे रखने की गहरी आस्था का परिणाम हैं।

 

सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक

भारत ने अतीत के संयम के दृष्टिकोण से हटकर, 28-29 सितंबर 2016 को सर्जिकल स्ट्राइक करके उरी में 18 सैनिकों पर हुए आतंकवादी हमले का जवाब दिया। इन हमलों ने नियंत्रण रेखा के पार आतंकवादियों और उनके संरक्षकों को भारी नुकसान पहुंचाया। कुछ साल बाद, 14 फरवरी 2019 को, पुलवामा आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान मारे गए। भारत ने तेज़ कार्रवाइ की। 26 फरवरी 2019 को, एक खुफिया-नेतृत्व वाले ऑपरेशन में, बालाकोट हवाई हमलों में वरिष्ठ कमांडरों सहित बड़ी संख्या में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को मार गिराया गया। लक्षित केंद्र नागरिक क्षेत्रों से दूर थे और इसका नेतृत्व जैश प्रमुख आतंकी मसूद अजहर का बहनोई मौलाना यूसुफ अजहर कर रहा था। इन पूर्व-प्रतिक्रियात्मक कार्रवाइयों ने दुनिया को दिखाया कि भारत अब आतंकवाद के माध्यम से छद्म युद्ध को सहन नहीं करेगा।

 

ऑपरेशन सिंदूर

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अप्रैल 2025 में, पहलगाम में नागरिकों पर एक क्रूर आतंकवादी हमले के बाद, भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में नौ आतंकवादी शिविरों पर सटीक जवाबी हमले किए गए। सटीक खुफिया जानकारी के आधार पर काम करते हुए भारतीय सेना ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार किए बिना प्रमुख खतरों को बेअसर करने के लिए ड्रोन हमलों, गोला-बारूद और बहुस्तरीय हवाई रक्षा का उपयोग किया। जब पाकिस्तान ने 7-8 मई को कई भारतीय शहरों और ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, तो इन्हें तेजी से रोक दिया गया, जिससे भारत की नेट-सेंट्रिक वारफेयर प्रणाली और एकीकृत काउंटर-यूएएस (मानव रहित हवाई प्रणाली) ग्रिड की प्रभावशीलता का पता चला।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में सीमा पार आतंकवाद पर भारत की दृढ़ नीति और पाकिस्तान के प्रति उसके दृष्टिकोण को दोहराया। उन्होंने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है और संवाद, निवारण और रक्षा के संबंध में स्पष्ट लाल रेखाओं को रेखांकित किया। उनके संबोधन के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

 

  • आतंकवादी हमलों का कड़ा जवाब: भारत पर किसी भी आतंकवादी हमले का उचित और निर्णायक जवाब दिया जाएगा, चाहे अपराधी कहीं से भी सक्रिय हों।

 

  • परमाणु ब्लैकमेल बर्दाश्त नहीं: भारत परमाणु हमले की धमकियों से नहीं डरेगा और आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले जारी रखेगा।

 

  • आतंकवादी तत्वों के बीच कोई भेद नहीं: आतंक के मास्टरमाइंड और प्रायोजकों के बीच कोई भेद नहीं किया जाएगा, दोनों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।

 

  • किसी भी वार्ता में आतंकवाद पहले होगा: पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत, यदि होगी भी, तो केवल आतंकवाद या पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर के मुद्दे पर ही केंद्रित होगी।

 

  • संप्रभुता पर कोई समझौता नहीं: प्रधानमंत्री ने घोषणा की, "आतंकवाद और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते, आतंक और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते तथा पानी और रक्त एक साथ नहीं बह सकते," जिससे आतंकवादी खतरों के बीच सामान्य संबंधों के द्वार पूरी तरह बंद हो गए।

 

अनुच्छेद 370 का निरस्तीकरण और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन

5 अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 और 35-ए को हटाने को मंजूरी दे दी, जो दशकों पुराने असंतुलन को दूर करने वाला ऐतिहासिक कदम था। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अन्य क्षेत्रों के बराबर लाया गया और 890 से अधिक केंद्रीय कानून लागू किए गए। 205 राज्य कानूनों को निरस्त किया गया और 130 कानूनों को भारत के संविधान के अनुरूप संशोधित किया गया।

तब से, इस क्षेत्र में विकास की गति तेज़ हो गई है। वाल्मीकि, दलित और गोरखा जैसे वंचित समूहों को अब पूरे अधिकार प्राप्त हैं। शिक्षा का अधिकार और बाल विवाह अधिनियम जैसे कानून अब इस क्षेत्र के सभी नागरिकों की रक्षा करते हैं। इसका प्रभाव स्पष्ट है: वर्ष 2018 में आतंकवादी घटनाओं की संख्या 228 से घटकर 2024 में सिर्फ़ 28 रह गई है, जो एकीकरण और शांति के बीच एक मज़बूत संबंध को दर्शाता है।

 

नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई

वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध बहुआयामी दृष्टिकोण ने ऐतिहासिक सफलताएं हासिल की हैं। वर्ष 2010 में 126 प्रभावित जिलों से, अप्रैल 2024 तक यह संख्या घटकर सिर्फ़ 38 रह गई है। सबसे ज़्यादा प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 रह गई है, और हताहतों की संख्या 30 साल के सबसे निचले स्तर पर है। हिंसा की घटनाओं में तेज़ी से कमी आई है, जो वर्ष 2010 में 1,936 घटनाओं से घटकर 2024 में 374 हो गई है, यानी इसमें 81 प्रतिशत की गिरावट आई है। इसी अवधि में मौतों में 85 प्रतिशत की कमी आई है।

केवल वर्ष 2024 में 290 नक्सलियों को मार गिराया गया, 1,090 को गिरफ्तार किया गया और 881 ने आत्मसमर्पण किया। मार्च 2025 में हाल ही में हुए प्रमुख अभियानों में बीजापुर में 50 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, सुकमा में 16 नक्सलियों को मार गिराया गया और कांकेर तथा बीजापुर में 22 नक्सलियों को मार गिराया गया। विशेष केंद्रीय सहायता और लक्षित विकास के माध्यम से निरंतर समर्थन के साथ, सरकार 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।

 

Text Box: Fast Facts:Defence production hit ₹1.27 lakh crore in 2023–24, up 174% since 2014–15.Defence exports rose to ₹23,622 crore in 2024–25 from ₹686 crore in 2013–14.

रक्षा शक्ति का निर्माण

 

पिछले ग्यारह वर्षों में, भारत ने आत्मनिर्भरता और वैश्विक कद पर बल देते हुए अपनी रक्षा क्षमताओं को फिर से परिभाषित किया है। विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता से स्वदेशी रक्षा निर्माण में एक प्रमुख देश बनने की ओर बदलाव वर्तमान सरकार की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और रणनीतिक नीति सुधारों के बल पर, देश ने केवल अपनी सीमाओं को सुरक्षित किया है, बल्कि दुनिया भर में अपने रक्षा पहचान का भी विस्तार किया है। यह वृद्धि मेक इन इंडिया, रिकॉर्ड-तोड़ निर्यात, बड़े पैमाने पर खरीद सौदों और औद्योगिक गलियारों के माध्यम से बुनियादी ढाँचे के विकास से प्रेरित है। भारत अब 100 से अधिक देशों को रक्षा उत्पाद निर्यात कर रहा है, स्वदेश में ही विश्व स्तरीय प्रणालियों का उत्पादन कर रहा है और अपने सशस्त्र बलों का तेजी से आधुनिकीकरण कर रहा है।

 

स्वदेशी रक्षा उत्पादन में वृद्धि

भारत ने वित्त वर्ष 2023-24 में अपना अब तक का सबसे अधिक रक्षा उत्पादन हासिल किया, जिसका कुल मूल्य 1,27,434 करोड़ रुपये रहा। यह 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये से 174 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।

हल्के लडाकू विमान तेजस, अर्जुन टैंक, आकाश मिसाइल प्रणाली, एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर और कई नौसैनिक जहाजों जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म ने इस सफलता में योगदान दिया है। यह वृद्धि केंद्रित नीतियों और आत्मनिर्भरता के लिए एक मजबूत प्रयास द्वारा संचालित है।

 

रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि

वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने 23,622 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात का आंकडा दर्ज किया, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 686 करोड़ रुपये था। निजी क्षेत्र ने 15,233 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जबकि डीपीएसयू ने 8,389 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42.85 प्रतिशत अधिक है।

उसी वर्ष देश को 1,700 से अधिक निर्यात के आदेश प्राप्त हुए। भारत अब बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलीकॉप्टर, टॉरपीडो और गश्ती नौकाओं जैसे विविध उत्पादों का निर्यात करता है। वर्ष 2023-24 में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया इनके शीर्ष खरीदार थे। वर्ष 2029 तक निर्यात में 50,000 करोड़ रुपये तक पहुँचने के लक्ष्य के साथ, भारत रक्षा विनिर्माण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में खुद को मजबूती से स्थापित कर रहा है।

 

सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां

सरकार ने पाँच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियाँ जारी की हैं जो आयात को सीमित करती हैं और स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहित करती हैं। इन सूचियों के अंतर्गत 5,500 से अधिक वस्तुएँ शामिल हैं, जिनमें से 3,000 का फरवरी 2025 तक स्वदेशीकरण कर दिया गया है। सूचियों में बुनियादी घटकों से लेकर रडार, रॉकेट, तोपखाने और हल्के हेलीकॉप्टर जैसी उन्नत प्रणालियाँ शामिल हैं। इस साकार प्रयास ने यह सुनिश्चित किया है कि अब देश के भीतर ही महत्वपूर्ण क्षमताएँ निर्मित की जा रही हैं।

 

रक्षा औद्योगिक गलियारे

उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो समर्पित रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं। इन गलियारों ने 8,658 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आकर्षित किया है और 253 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें फरवरी 2025 तक 53,439 करोड़ रुपये की अनुमानित निवेश क्षमता है। दोनों राज्यों में 11 विषयों में फैले ये केंद्र भारत को रक्षा विनिर्माण महाशक्ति में बदलने के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचा और प्रोत्साहन प्रदान कर रहे हैं।

वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड रक्षा अनुबंध

रक्षा मंत्रालय ने 2024-25 में 2,09,050 करोड़ रुपये मूल्य के 193 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए - जो किसी एक वर्ष में अब तक का सबसे अधिक है। इनमें से 177 अनुबंध घरेलू उद्योग को दिए गए, जिनकी कीमत 1,68,922 करोड़ रुपये थी।

यह भारतीय निर्माताओं को प्राथमिकता देने और देश के भीतर रक्षा इकोसिस्टम को मजबूत करने की दिशा में एक स्पष्ट बदलाव दर्शाता है। स्वदेशी खरीद पर ध्यान केंद्रित करने से रोजगार सृजन और तकनीकी उन्नति को भी प्रोत्साहन मिला है।

 

रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडैक्स)

अप्रैल 2018 में शुरू किए गए रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडैक्स) ने रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में नवाचार और प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक जीवंत इकोसिस्टम को बढ़ावा दिया है। एमएसएमई, स्टार्टअप, व्यक्तिगत इनोवेटर्स, आरएंडडी संस्थानों और शिक्षाविदों को शामिल करके, आईडैक्स ने अत्याधुनिक तकनीकों के विकास का समर्थन करने के लिए 1.5 करोड़ रुपये तक का अनुदान प्रदान किया है। अपने प्रभाव को मजबूत करते हुए, सशस्त्र बलों ने आईडैक्स-समर्थित स्टार्टअप और एमएसएमई से 2,400 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की 43 वस्तुएँ खरीदी हैं, जो रक्षा तैयारियों के लिए स्वदेशी नवाचार में बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।

iDEX Maritime ISR and Underwater Communications Challenges ...

रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को और बढ़ाने के लिए, वर्ष 2025-26 के लिए आईडैक्स को 449.62 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें इसकी उप-योजना आईडैक्स के साथ अभिनव प्रौद्योगिकियों के विकास को बढ़ावा देना (एडीआईटीआई) शामिल है। फरवरी 2025 तक 549 मामले सुलझा लिए गए हैं, जिनमें 619 स्टार्टअप और एमएसएमई शामिल हैं, और 430 आईडैक्स अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

 

समुद्री सुरक्षा

भारत की समुद्री रणनीति सतर्कता, त्वरित कार्रवाई और सक्रिय क्षेत्रीय जुड़ाव पर केंद्रित है। लंबी तटरेखा और प्रमुख शिपिंग मार्गों की सुरक्षा के साथ, भारतीय नौसेना राष्ट्रीय और आर्थिक हितों की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। प्रधानमंत्री के महासागर के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, भारत महासागरों में सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा देता है। पिछले एक वर्ष में, पश्चिमी अरब सागर में समुद्री डकैती और बढ़ते खतरों के जवाब में, भारतीय नौसेना ने 35 से अधिक जहाजों को तैनात किया, 1,000 से अधिक बोर्डिंग ऑपरेशन किए और 30 से अधिक घटनाओं का जवाब दिया। इन प्रयासों से 520 से अधिक लोगों की जान बचाई गई और 5.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के माल ले जाने वाले 312 व्यापारी जहाजों के लिए सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित हुआ।

भारत की प्रतिबद्धता रक्षा से भी आगे है। यह मानवीय और आपदा राहत मिशनों के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में एक विश्वसनीय प्रथम सहायता प्रदानकर्ता बना हुआ है। सितंबर 2024 में, भारत ने टाइफून यागी के बाद लाओस, वियतनाम और म्यांमार की सहायता करने के लिए ऑपरेशन सद्भाव शुरू किया। अप्रैल 2025 में, इसने दस अफ्रीकी देशों के साथ ‘अफ्रीका भारत प्रमुख समुद्री जुड़ाव’ (एआईकेईवाईएमई) अभ्यास की मेज़बानी की, जिससे समुद्री संबंध मज़बूत हुए और क्षेत्रीय चुनौतियों के लिए साझा प्रतिक्रियाएँ मिलीं। भारत का समुद्री दृष्टिकोण समावेशी कूटनीति के साथ मज़बूत नौसैनिक उपस्थिति को संतुलित करता है, जिससे एक सुरक्षित और सहयोगी हिंद-प्रशांत क्षेत्र का निर्माण होता है। 

 

निष्कर्ष

पिछले 11 वर्षों में भारत की यात्रा एक आत्मविश्वास से भरी वैश्विक शक्ति के रूप में इसके परिवर्तन को दर्शाती है। जी-20 अध्यक्षता से लेकर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन तक, रणनीतिक पहलों के माध्यम से, भारत ने उद्देश्य और व्यावहारिकता के साथ नेतृत्व किया है। मानवीय सहायता, क्षेत्रीय साझेदारी और आतंक-रोधी प्रयासों के प्रति इसकी प्रतिबद्धता एक ऐसे राष्ट्र को दर्शाती है जो वैश्विक स्थिरता में योगदान करते हुए अपने देशवासियों को सबसे आगे रखता है। रक्षा उत्पादन से लेकर तकनीकी नवाचार तक, आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करके, भारत ने अपनी संप्रभुता और वैश्विक प्रतिष्ठा को मजबूत किया है। साहसिक नेतृत्व और समावेशी कूटनीति का यह युग भारत को एक संतुलित, समृद्ध विश्व व्यवस्था को आकार देने में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में स्थापित करता है।

संदर्भ:

Bharat’s Global Footprint

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विश्लेषक 17/ सरकार के 11 वर्षों पर सीरीज                                                                                                              

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