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Infrastructure

परिवहन संपर्क-सुविधा के साथ समृद्ध बिहार का निर्माण   

Posted On: 22 AUG 2025 3:44PM

मुख्य बातें

22 अगस्त 2025 को, प्रधानमंत्री ने 1,870 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित 8.15 किलोमीटर लंबे औंटा-सिमरिया पुल परियोजना का उद्घाटन किया।

2011-12 से राज्य की अर्थव्यवस्था में 3.5 गुनी वृद्धि हुई है, जिसे सड़क,रेलवे, हवाई संपर्क और ऊर्जा में निवेश से गति मिली है।

वार्षिक रेलवे निवेश 1,132 करोड़ रुपये (2009-14) से बढ़कर 2025-26 में 10,066 रुपये करोड़ हो गया है। 

बिहार: परिवर्तन के मार्ग पर

 

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग-31 पर 8.15 किलोमीटर लंबे औंटा-सिमरिया पुल परियोजना का उद्घाटन किया, जिसमें गंगा नदी पर 1,870 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित 1.86 किलोमीटर लंबा छह लेन का पुल भी शामिल है। लगभग सात दशक पुराने राजेंद्र सेतु के समानांतर निर्मित इस नए पुल ने पटना जिले के मोकामा और बेगूसराय के बीच सीधा संपर्क स्थापित किया है, जिससे भारी वाहनों की यात्रा दूरी 100 किलोमीटर तक कम हो गई है। परिवहन को सुगम बनाने के अलावा, यह प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर के सम्मानित तीर्थ स्थल और जन्मस्थान सिमरिया धाम तक पहुँच को भी बेहतर बनाता है, समुदायों को जोड़ता है और आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास को बढ़ावा देता है। 

इस ऐतिहासिक परियोजना का उद्घाटन बिहार में जारी परिवर्तन के व्यापक प्रयासों को प्रतिबिंबित करता है, जो राज्य भर में परिवहन-संपर्क और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बड़ी अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश द्वारा संचालित है। 2011-12 से इसकी अर्थव्यवस्था 3.5 गुनी बढ़ गई है और 2023-24 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 8.54 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, राज्य में हाल के वर्षों में ऐतिहासिक बदलाव हो रहे हैं।

पिछले एक दशक में, बिहार के हर गाँव तक सड़क, बिजली और नल से जल-आपूर्ति की सुविधा पहुँच गयी है। सरकारी पहलों ने किफायती आवास, स्वच्छता, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य सेवा और खाद्य सुरक्षा के माध्यम से जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है।

केंद्र सरकार ने बिहार को प्राथमिकता देते हुए अपनी वित्तीय सहायता को 2004-14 के 2.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2014-24 के दौरान 9.23 लाख करोड़ रुपये कर दिया, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर विकास परियोजनाएँ संभव हुईं हैं। इस विकास को आगे बढ़ाते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 18 जुलाई, 2025 को बिहार के मोतिहारी में 7,000 करोड़ रुपये से अधिक के विकास कार्यों का शिलान्यास और लोकार्पण किया।

 

बिहार, जिसे कभी विकास की चुनौती माना जाता था, अब समावेशी विकास का एक शानदार  उदाहरण बनकर उभर रहा है। अवसंरचना विकास की इस लहर से नए आर्थिक अवसर खुलने और भारत के समग्र विकास को गति मिलने की उम्मीद है।

बिहार में अवसंरचना विकास: एक बड़ा कदम

पिछले 10 वर्षों में बिहार में अवसंरचना में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें सड़क, रेलवे, पुल, हवाई यात्रा और ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने की परियोजनाएँ शामिल हैं। सड़कों और पुलों के विकास के लिए 4 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाएँ आवंटित की गई हैं, साथ ही रेलवे अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये और विमानन से संबंधित परियोजनाओं के लिए 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 

सड़क और राजमार्ग विकास: अर्थव्यवस्थाओं और समुदायों को जोड़ना

बिहार ने पिछले कुछ वर्षों में सड़क और राजमार्ग अवसंरचना में उल्लेखनीय प्रगति की है। राज्य के लगभग 90% राष्ट्रीय राजमार्ग अब दो लेन या उससे अधिक चौड़े हैं, जिससे क्षेत्रीय परिवहन-संपर्क में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पिछले पाँच वर्षों में, 850 किलोमीटर से अधिक 4-लेन और उससे अधिक चौड़े राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया गया है (उच्च गति वाले  गलियारों को छोड़कर), जिसने बेहतर आवागमन, आर्थिक विकास और यात्रा सुगमता में योगदान दिया है।

अगस्त 2025 में, प्रधानमंत्री ने लगभग 1,900 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित एनएच-31 के चार-लेन वाले बख्तियारपुर-मोकामा खंड का उद्घाटन किया, जिससे भीड़भाड़ और यात्रा अवधि में कमी आयेगी तथा यात्री आवागमन एवं माल ढुलाई में वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, एनएच-120 के बिक्रमगंज-दावथ-नवानगर-डुमरांव खंड को पक्की सहायक सड़कों के साथ दो-लेन सड़क में उन्नत किया गया है, जिससे ग्रामीण संपर्क में सुधार हुआ है और स्थानीय समुदायों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा हुए हैं।

इससे पहले, 18 जुलाई 2025 को, प्रधानमंत्री ने एनएच-319 के आरा बाईपास के चार लेन के निर्माण कार्य की आधारशिला रखी थी, जो आरा-मोहनिया एनएच-319 और पटना-बक्सर एनएच-922 को जोड़ता है। प्रधानमंत्री ने 820 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित एनएच-319 के पररिया-मोहनिया तक चार लेन वाले खंड का भी उद्घाटन किया था। यह खंड एनएच-319 का हिस्सा है, जो आरा शहर को एनएच-02 (स्वर्णिम चतुर्भुज) से जोड़ता है और माल और यात्री यातायात में सुधार करता है।

इसके अलावा, एनएच-333सी पर सरवन से चकाई तक पक्की सहायक सड़क के साथ दो लेन वाली सड़क का विकास किया गया। इस सड़क ने माल और लोगों की आवाजाही को सुगम बनाया है तथा यह बिहार और झारखंड के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती है।

बिहार में प्रमुख सड़क अवसंरचना परियोजनाएँ

1. ग्रीनफील्ड पटना-आरा-सासाराम गलियारा (एनएच-119ए)

120.10 किलोमीटर की लंबाई वाले ग्रीनफील्ड पटना-आरा-सासाराम गलियारे को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने मंज़ूरी दे दी है। यह परियोजना हाइब्रिड वार्षिकी विधि (हाइब्रिड एन्युइटी मोड, एचएएम) के तहत 3,712.4 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से विकसित की जा रही है। इस गलियारे का उद्देश्य एसएच-2, एसएच -12, एसएच-81 और एसएच -102 सहित विभिन्न राज्य राजमार्गों पर यातायात की भीड़ को कम करना है। यह एनएच-19, एनएच -319, एनएच -922, एनएच -131जी और एनएच-120 जैसे प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ भी जुड़ जाएगा।

यह परियोजना दो हवाई अड्डों, चार रेलवे स्टेशनों और पटना स्थित अंतर्देशीय जल टर्मिनल को जोड़कर परिवहन संपर्क-सुविधा को बढ़ाएगी। इससे लगभग 48 लाख मानव-दिवस रोज़गार सृजित होने और माल एवं यात्रियों की आवाजाही में उल्लेखनीय सुधार होने की उम्मीद है।

2. अन्य उच्च-मूल्य की सड़क अवसंरचना परियोजनाएँ

बिहार के परिवहन अवसंरचना को मज़बूत करने के लिए कई प्रमुख सड़क परियोजनाएँ शुरू की गई हैं:

एनएच-22 के पटना-गया-डोभी खंड को चार लेन का बनाने का कार्य 5,520 करोड़ रुपये की लागत से पूरा हो चुका है।

एनएच-119ए को चार लेन का बनाने और एनएच-319बी व एनएच-119डी को छह लेन का बनाने का कार्य भी प्रगति पर है।

नदी-पार संपर्क बढ़ाने के लिए बक्सर और भरौली के बीच गंगा नदी पर एक नए पुल का निर्माण किया जा रहा है।

ये पहल अगली पीढ़ी के अवसंरचना निर्माण के प्रति राज्य की दृढ़ प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करती हैं, जो न केवल कस्बों और गाँवों को जोड़ती है, बल्कि लोगों को अवसरों, बाज़ारों और सेवाओं से भी जोड़ती है। प्रत्येक नई परियोजना के साथ, बिहार पूर्वी भारत में एक लॉजिस्टिक्स और परिवहन संपर्क केंद्र बनने की ओर एक कदम और आगे बढ़ रहा है।

बिहार में रेलवे: पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ गति से विकास

भारतीय रेलवे ने बिहार में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे परिवहन संपर्क-सुविधा और क्षमता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 2014-25 के दौरान, बिहार में पूरी तरह या आंशिक रूप से मौजूद औसतन 172.6 किलोमीटर नए रेल-मार्ग चालू किए गए, जो 2009 और 2014 के बीच बनाए गए 63.6 किलोमीटर से 2.5 गुना ज़्यादा है। केवल 2023-24 में, बिहार में 361 किलोमीटर नए रेल-मार्ग चालू किए गए। बिहार के लिए वार्षिक रेल बजट परिव्यय में लगभग नौ गुनी वृद्धि हुई है, जो 2009-2014 के दौरान प्रति वर्ष 1,132 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025 में 10,066 करोड़ रुपये हो गया है।

यात्री सुविधा बढ़ाने के लिए, 2014 से अब तक 115 नई रेल शुरू की गई हैं और 300 से ज़्यादा जोड़ी रेलों को अतिरिक्त ठहराव दिए गए हैं। बिहार में कृषि परिवहन को बढ़ावा देने के लिए पहली किसान रेल भी शुरू की गई। ये प्रयास बिहार की रेल अवसंरचना के आधुनिकीकरण और शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर परिवहन संपर्क सुनिश्चित करने पर सरकार के विशेष ध्यान को प्रतिबिंबित करते हैं।

ज़मीनी स्तर पर यह बदलाव बिहार की रेल अवसंरचना के विस्तार में सबसे ज़्यादा दिखाई देता है। नई लाइनों और विद्युतीकरण से लेकर दोहरीकरण और आधुनिक पुलों तक, राज्य भर में कई प्रमुख परियोजनाएँ पूरी हुई हैं, जिनसे परिवहन संपर्क सुविधा में उल्लेखनीय सुधार हुआ है और आर्थिक क्षमता को बढ़ावा मिला है। हाल के वर्षों में बिहार में पूरी की गयी कुछ सबसे प्रभावी परियोजनाएँ नीचे सूचीबद्ध हैं, जो राज्य में पूरी तरह या आंशिक रूप से मौजूद हैं: 

क्रम.सं.

परियोजना

लागत (करोड़ रुपये में)

1

अररिया-गलगलिया नई लाइन (111 किलोमीटर)

4,415

2

पटना पुल (40 किमी)

3,555

3

मुंगेर पुल (19 किमी)

2,774

4

सकरी-लौकहा बाजार-निर्मली एवं सहरसा-फारबिसगंज आमान परिवर्तन (206 किमी)

2,113

5

रामपुरहाट-मंदारहिल नई लाइन और रामपुरहाट मुरारई-तीसरी लाइन (160 किमी)

1,500

6

किउल-गया दोहरीकरण (123 किमी)

1,200

7

जयनगर-दरभंगा-नरकटियागंज एवं नरकटियागंज भिखना टोरी आमान परिवर्तन (295 किमी)

1,193

8

हाजीपुर-बछवारा दोहरीकरण (72 किमी)

930

9

कोसी पुल (22 किमी)

516

10

बख्तियारपुर फ्लाईओवर (4 किमी)

402

11

वाल्मिकीनगर-सुगौली-मुजफ्फरपुर और सुगौली-रक्सौल रेलवे विद्युतीकरण (240 किमी)

351

12

कोसी नदी पर पुल सहित कटारेहा-कुर्सेला पैच दोहरीकरण (7 किमी)

222

13

करोता पाटनेर-मनकथा - सतही त्रिकोण (8 किमी)

129

14

किऊल-तिलैया रेलवे विद्युतीकरण (87 किलोमीटर)

105

 

चालू और आगामी रेल परियोजनाएँ

बिहार की रेल अवसंरचना मल्टी-ट्रैकिंग, नई लाइनों और आधुनिक रेलों के माध्यम से तेज़ी से बदल रही है। राज्य एक प्रमुख रेल केंद्र के रूप में उभर रहा है, क्षेत्रीय संपर्क में सुधार कर रहा है, भीड़भाड़ कम कर रहा है और यात्री सुविधाओं में वृद्धि कर रहा है।

निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाएँ हैं जो पूर्णतः या आंशिक रूप से बिहार में मौजूद हैं:

 

क्रम.सं.

परियोजना

लागत (करोड़ रुपये में)

1

सोननगर - पतरातू मल्टीट्रैकिंग (291 किलोमीटर)

5148

2

पीरपैंती-जसीडीह नई लाइन (97 किलोमीटर)

2140

3

नेओरा-दनियावां-बिहारशरीफ–बारबीघा-शेखपुरा नई लाइन (166 किमी)

2200

4

गंगा नदी पर पुल के साथ विक्रमशिला-कटारिया नई लाइन (26 किमी)

2090

5

हाजीपुर-सगौली नई लाइन (151 किलोमीटर)

2087

6

कोडरमा-तिलैया नई लाइन (65 किमी)

1626

7

अररिया-सुपौल नई लाइन (96 किलोमीटर)

1605

8

खगड़िया-कुशेश्वरस्थान नई लाइन (42 किलोमीटर)

1511

9

मुजफ्फरपुर-सगौली दोहरीकरण (101 किमी)

1465

10

रामपुर डुमरा - ताल-राजेन्द्र पुल-अतिरिक्त पुल एवं दोहरीकरण (14 किमी)

1677

11

सगौली-वाल्मीकिनगर दोहरीकरण (110 किमी)

1280

12

सकरी-हसनपुर नई लाइन (76 किलोमीटर)

735

13

समस्तीपुर-दरभंगा दोहरीकरण (38 किमी)

624

14

सीतामढ़ी -शिवहर नई लाइन (28 किलोमीटर)

567

15

बरौनी-बछवाड़ा तीसरी और चौथी लाइन (32 किमी)

124

 

अमृत ​​भारत स्टेशन योजना: यात्री अनुभव में बदलाव

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत, देश भर के 1,337 रेलवे स्टेशनों को पुनर्विकास के लिए चुना गया है, जिनमें बिहार के 98 स्टेशन शामिल हैं। राज्य में इस योजना के तहत निरंतर प्रगति देखी गई है, जहाँ पीरपैंती और थावे स्टेशनों पर पहले चरण का कार्य पूरा हो चुका है। सहरसा, सलौना, लखीसराय, गया और मुजफ्फरपुर जैसे प्रमुख स्थानों पर भी पुनर्विकास गतिविधियाँ चल रही हैं, जिनका उद्देश्य यात्री सुविधाओं को बढ़ाना और स्टेशन अवसंरचना का आधुनिकीकरण करना है।

रेल मंत्रालय ने रेलवे स्टेशनों के दीर्घकालिक, चरणबद्ध पुनर्विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य बेहतर पहुँच, परिभ्रमण क्षेत्र, प्रतीक्षालय, शौचालय, लिफ्ट/एस्केलेटर, प्लेटफ़ॉर्म सतह-निर्माण, स्वच्छता, मुफ़्त वाई-फ़ाई, स्थानीय उत्पादों के लिए कियोस्क (एक स्टेशन एक उत्पाद), आधुनिक सूचना प्रणाली, कार्यकारी लाउंज और दिव्यांगजन-अनुकूल सुविधाओं जैसी यात्री सुविधाओं को बढ़ाना है। यह योजना स्टेशनों को शहरी अवसंरचना के साथ एकीकृत करने, सतत विकास को बढ़ावा देने और स्टेशनों को भविष्य के शहरी केंद्रों में बदलने पर भी केंद्रित है।

 

आधुनिक रेल सेवाएँ बिहार को बदल रही हैं

अवसंरचना उन्नयन के अलावा, बिहार में प्रीमियम रेल सेवाओं में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। प्रधानमंत्री ने 22 अगस्त 2025 को दो महत्वपूर्ण रेल सेवाओं को झंडी दिखाकर रवाना किया। गया और दिल्ली के बीच अमृत भारत एक्सप्रेस, जो आधुनिक सुविधाओं, आराम और सुरक्षा के साथ यात्री सुविधा में सुधार करेगी। वैशाली और कोडरमा के बीच बौद्ध सर्किट रेल, जो क्षेत्र के प्रमुख बौद्ध स्थलों पर पर्यटन और धार्मिक यात्रा को बढ़ावा देगी।

वर्तमान में पूरे भारत में परिचालित 144 वंदे भारत एक्सप्रेस सेवाओं में से, 20 सेवाएँ बिहार के स्टेशनों पर चल रही हैं, जो या तो राज्य से शुरू होती हैं, या राज्य में समाप्त होती हैं। राज्य नमो भारत रैपिड रेल के माध्यम से भी जुड़ा हुआ है, जिसकी 4 में से 2 परिचालन सेवाएँ बिहार में कार्यरत हैं। ये विकास बिहार के लोगों को तेज़, आधुनिक और आरामदायक रेल यात्रा प्रदान करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

रेलवे त्योहार से जुड़ी यात्रा के लिए सहयोग प्रदान कर रहा है और आध्यात्मिक संपर्क को बढ़ावा दे रहा है

भारतीय रेलवे दुर्गा पूजा, दिवाली और छठ के दौरान त्योहार से जुड़ी यात्रा के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारतीय रेलवे ने घोषणा की है कि चालू वर्ष में दिवाली और छठ के दौरान 12,000 से अधिक विशेष ट्रेनें चलाई जाएँगी। बिना किसी परेशानी के वापसी यात्रा सुनिश्चित करने के लिए, विशेष उपाय किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, 13 से 26 अक्टूबर के बीच यात्रा करने वाले और 17 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच वापसी करने वाले यात्रियों को वापसी टिकटों पर 20% की छूट मिलेगी। इस कदम से त्योहार के मौसम में बड़ी संख्या में यात्रियों को लाभ मिलने की उम्मीद है।

पिछले साल, 1 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच, 4,521 विशेष ट्रेनों से 65 लाख यात्रियों ने यात्रा की थी। बिहार में विशेष रूप से महत्वपूर्ण छठ पर्व के अवसर पर, त्योहार से पहले प्रतिदिन औसतन 175 विशेष ट्रेनें और वापसी के दौरान 160 से अधिक ट्रेनें चलीं, जिनमें से अधिकांश समस्तीपुर और दानापुर मंडलों से होकर गुज़रीं। कुल मिलाकर, 6.85 करोड़ यात्रियों ने बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड की यात्रा की, जो त्योहारों के मौसम में रेलवे के महत्वपूर्ण सहयोग को रेखांकित करता है।

प्रधानमंत्री ने 18 जुलाई 2025 को बिहार की अपनी यात्रा के दौरान, सीतामढ़ी से अयोध्या तक एक नई रेल-लाइन के विकास की भी घोषणा की, जिससे चंपारण के श्रद्धालु दर्शन के लिए अयोध्या जा सकेंगे और इस क्षेत्र में आध्यात्मिक संपर्क को और बढ़ावा मिलेगा।

हवाई संपर्क: बिहार के हवाई मार्ग का विस्तार

पटना हवाई अड्डे ने 2014-2024 के दौरान सालाना 3 करोड़ यात्रियों, 83,000 टन माल ढुलाई और 24,026 विमानों की आवाजाही दर्ज की। यह राज्य में आधुनिक, कुशल और समावेशी अवसंरचना की ओर बदलाव को दर्शाता है।

पटना हवाई अड्डे पर एक नए टर्मिनल का उद्घाटन किया गया है, जिसकी वार्षिक क्षमता 1 करोड़ यात्रियों को संभालने की है।

दरभंगा हवाई अड्डा अब चालू हो गया है, जो दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे प्रमुख शहरों के लिए सीधी हवाई संपर्क सुविधा प्रदान करता है।

बिहटा हवाई अड्डा 1,400 करोड़ रुपये के निवेश के साथ वर्तमान में निर्माणाधीन है, जिसका उद्देश्य पटना हवाई अड्डे पर भीड़भाड़ कम करना और क्षेत्रीय हवाई अवसंरचना का विस्तार करना है।

विद्युत एवं ऊर्जा क्षेत्र: विश्वसनीय एवं सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना

प्रधानमंत्री ने अगस्त 2025 में लगभग 6,880 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित बक्सर ताप विद्युत संयंत्र (660x1 मेगावाट) का भी उद्घाटन किया। यह परियोजना बिहार की विद्युत उत्पादन क्षमता को बढ़ाएगी, ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगी और क्षेत्र में बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने में मदद करेगी। ये विकास राज्य के पारंपरिक ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने के व्यापक प्रयासों का हिस्सा हैं, साथ ही दीर्घकालिक सतत विकास के लिए स्वच्छ, नवीकरणीय स्रोतों की ओर क्रमिक बदलाव को भी बढ़ावा दे रहे हैं।

राज्य की अन्य परियोजनाओं में शामिल हैं:

1. ताप विद्युत विस्तार- औरंगाबाद में नबीनगर सुपर ताप विद्युत परियोजना, चरण-II (3×800 मेगावाट) 29,930 करोड़ रुपये के निवेश के साथ निर्माणाधीन है। इससे 1,500 मेगावाट बिजली पैदा होगी, जो बिहार और पूर्वी भारत की बिजली जरूरतों को पूरा करेगी।

2. नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा

कजरा में एक सौर पार्क और पीएम-कुसुम पहल सौर-आधारित कृषि ऊर्जा को सुगम बना रही हैं।

नवीकरणीय कृषि फीडरों की शुरूआत बेहतर कृषि उत्पादकता और सतत बिजली आपूर्ति सुविधा सुनिश्चित करती है।

भविष्य का विजन: विकसित भारत के लिए विकसित बिहार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बिहार को आधुनिक अवसंरचना और समावेशी विकास के एक जीवंत केंद्र के रूप में देखते हैं। यह राज्य बिजली, सड़क, रेल और हवाई परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में एकीकृत विकास के माध्यम से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। इस विजन को पीएम-कुसुम, पीएम-किसान सम्मान निधि, मखाना बोर्ड की स्थापना और खाद्य प्रसंस्करण संस्थानों के निर्माण जैसी लक्षित कल्याणकारी योजनाओं से समर्थन मिल रहा है, जिनका उद्देश्य किसानों और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना है। ग्रामीण विकास, रोजगार सृजन और किसानों की आय बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है, जो विकसित भारत की ओर यात्रा में बिहार को एक प्रमुख स्तंभ बनाने के व्यापक विजन के अनुरूप है।

पिछले 11 वर्षों में, देश भर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4 करोड़ से ज़्यादा घरों का निर्माण किया गया है, जिनमें बिहार के लगभग 60 लाख घर शामिल हैं। मोतिहारी ज़िले में लगभग 3 लाख परिवारों को पक्के घर मिले हैं। एक दिन में, इस क्षेत्र के 12,000 से ज़्यादा परिवारों को उनके नए घरों की चाबियाँ मिलीं, जो ज़मीनी स्तर पर कल्याणकारी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को दर्शाता है।

बिहार के लिए सरकार का दृष्टिकोण केंद्रीय बजट 2025-26 में परिलक्षित होता है;

मखाना बोर्ड

मखाना के उत्पादन, प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन और विपणन में सुधार के लिए मखाना बोर्ड की स्थापना की घोषणा की गई। इससे इन गतिविधियों में शामिल लोगों को किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के अंतर्गत संगठित करने में मदद मिलेगी। बोर्ड प्रशिक्षण देगा, मार्गदर्शन प्रदान करेगा और संबंधित सरकारी योजनाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने में मदद करेगा।

खाद्य प्रसंस्करण के लिए समर्थन

पूर्वी क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों को मज़बूत करने के लिए बिहार में एक राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान की स्थापना। इससे किसानों को मूल्य संवर्धन के माध्यम से अधिक आय अर्जित करने में मदद मिलेगी और युवाओं के लिए कौशल, उद्यमिता और रोज़गार के अवसर उपलब्ध होंगे।

आईआईटी पटना में क्षमता विस्तार

आईआईटी पटना में छात्रावासों सहित अवसंरचना का विस्तार किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में, भारत भर में आईआईटी में छात्रों की कुल संख्या 65,000 से बढ़कर 1.35 लाख हो गई है। 2014 के बाद स्थापित पाँच आईआईटी में अतिरिक्त सुविधाओं से 6,500 और छात्रों को लाभ होगा।

पश्चिमी कोशी नहर परियोजना (मिथिलांचल)

पश्चिमी कोशी नहर ईआरएम परियोजना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है, जिससे मिथिलांचल क्षेत्र में 50,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती करने वाले किसानों को लाभ होगा।

केंद्रीय बजट 2024-25 में बिहार के लिए प्रमुख घोषणाएँ

1. पूर्वोदय

सरकार ने बिहार सहित पूर्वी राज्यों के विकास के लिए 'पूर्वोदय' योजना तैयार करने की घोषणा की है। यह योजना अवसंरचना, मानव संसाधन विकास और आर्थिक अवसरों पर केंद्रित है, ताकि इस क्षेत्र को विकसित भारत के लिए विकास का इंजन बनाया जा सके।

2. गया औद्योगिक केंद्र

अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के अंतर्गत गया में एक औद्योगिक केंद्र की घोषणा की गई। यह बिहार में उद्योग को बढ़ावा देगा और सांस्कृतिक विरासत को आधुनिक अर्थव्यवस्था से जोड़ेगा, जो "विकास भी, विरासत भी" के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है।

3. धार्मिक और सांस्कृतिक विकास

राजगीर को एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए एक व्यापक योजना की घोषणा की गई।

गया में विष्णुपद मंदिर गलियारे और महाबोधि मंदिर गलियारे को काशी विश्वनाथ गलियारे के अनुरूप विकसित किया जाएगा।

नालंदा को एक पर्यटन केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा और नालंदा विश्वविद्यालय को उसके प्राचीन स्वरूप में पुनर्जीवित किया जाएगा।

निष्कर्ष

बिहार का अवसंरचना परिवर्तन; परिवहन संपर्क सुविधा, सतत विकास और समावेशी विकास की दिशा में एक निर्णायक कदम को रेखांकित करता है। रेल, सड़क, ऊर्जा और विमानन क्षेत्र की ऐतिहासिक परियोजनाओं के साथ, बिहार न केवल पूर्वी क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे देश के संदर्भ में एक विकास इंजन के रूप में उभरने के लिए तैयार है। इन पहलों से आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय मानदंडों पर गुणात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिससे समृद्धि और विकास के एक नये युग की शुरुआत होगी।

संदर्भ

प्रधानमंत्री कार्यालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2145752

https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2145426

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2158337

रेल मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2067967

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=2132621

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/183/AU3884_Wvbh8J.pdf?source=pqals

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2071341

https://sansad.in/getFile/loksabhaquestions/annex/185/AS41_Dn2uN3.pdf?source=pqals

https://www.pib.gov.in/PressReleseDetail.aspx?PRID=2158988

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय

https://sansad.in/getFile/annex/267/AU3625_DTPEYV.pdf

आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए)

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2116186

वित्त विभाग, बिहार सरकार

https://state.bihar.gov.in/finance/cache/12/07-Mar 25/SHOW_DOCS/Economic%20Survey%20Final%2022.02.2025%20%20English_11zon.pdf  

वित्त मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2098516

आईबीईएफ

https://www.ibef.org/uploads/states/infogrphics/large/bihar-infographic-june-2024.pdf

सहकारिता मंत्रालय

https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2116822

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पीके/ केसी/ जेके / डीए              

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