Energy & Environment
सौर ऊर्जा में उछाल : नेट जीरो फ्यूचर की ओर भारत की साहसिक छलांग
Posted On: 19 AUG 2025 5:25PM
" ग्रीन फ्यूचर, नेट जीरो" केवल दिखावटी शब्द नहीं हैं, बल्कि ये भारत की आवश्यकता और प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं, जो इसे नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश और नवाचार के लिए सर्वोत्तम गंतव्य बनाते हैं।[1]
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
18 अगस्त, 2025
- भारत स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता के मामले में विश्व स्तर पर चौथे, पवन ऊर्जा मामले में चौथे और सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरे स्थान पर है (अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी आरई सांख्यिकी 2025)
- भारत ने 1,08,494 गीगावाट घंटा सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जो जापान के 96,459 गीगावाट घंटा से अधिक है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है।
- वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत की सोलर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता 38 गीगावाट से बढ़कर 74 गीगावाट हो गई।
- भारत की कुल स्थापित विद्युत क्षमता 484.82 गीगावाट में नवीकरणीय ऊर्जा का योगदान अब 50.07 प्रतिशत है - यह सीओपी26 की प्रतिबद्धता है जो 2030 के लक्ष्य से पांच वर्ष पहले ही प्राप्त हो गई है।

सिर्फ़ एक दशक पहले, भारत का सौर ऊर्जा परिदृश्य अपनी प्रारंभिक अवस्था में था, जहां सोलर पैनल केवल कुछ छतों और रेगिस्तानों में ही दिखते थे। आज, देश इतिहास रचने की ओर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। भारत आधिकारिक तौर पर जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सौर ऊर्जा उत्पादक देश बन गया है। अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (आईआरईएनए) के अनुसार, भारत ने 1,08,494 गीगावाट घंटा सौर ऊर्जा उत्पादन किया और जापान (96,459 गीगावाट घंटा) से आगे निकल गया।
भारत की संचयी सौर ऊर्जा क्षमता जुलाई 2025 तक 119.02 गीगावाट थी। इसमें जमीन पर स्थापित सौर संयंत्रों से 90.99 गीगावाट, ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सिस्टम से 19.88 गीगावाट, हाइब्रिड परियोजनाओं से 3.06 गीगावाट और ऑफग्रिड सौर प्रतिष्ठानों से 5.09 गीगावाट शामिल है, जो नवीकरणीय ऊर्जा के विस्तार के लिए देश के विविध दृष्टिकोण को दर्शाता है।
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति, राष्ट्रीय नेतृत्व में देश की केंद्रित नीतियों और रणनीतिक योजना को दर्शाती है। सीओपी26 में किए गए संकल्प के अनुसार, 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन बिजली क्षमता के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस प्रतिबद्धता को भारत के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन और इसके व्यापक जलवायु लक्ष्यों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की सौर क्षमता में रिकॉर्ड वृद्धि
भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में स्थित है, जहां कर्क रेखा कई राज्यों से होकर गुजरती है। इससे देश में सौर ऊर्जा उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय महाद्वीप की कुल सौर ऊर्जा क्षमता 748 गीगावाट है। राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में देश की सबसे अधिक सौर ऊर्जा क्षमता है, जो उन्हें भारत के स्वच्छ ऊर्जा विकास के प्रमुख चालक बनाती है।
क्षेत्र
|
उच्च क्षमता वाले प्रमुख राज्य
|
उत्तरी और पश्चिमी
|
राजस्थान, गुजरात
|
दक्षिणी और मध्य
|
कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश
|
पूर्वी और अन्य
|
महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा
|
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता जुलाई 2025 तक 4,000 प्रतिशत बढ़ गई थी और देश की कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 227 गीगावाट तक पहुंच गई थी। जम्मू-कश्मीर का पल्ली गांव एक उल्लेखनीय उदाहरण बन गया, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर चलने के कारण भारत की पहली कार्बन-न्यूट्रल पंचायत के रूप में उभरा। भविष्य की ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए ऊर्जा भंडारण और नई तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना और प्रधानमंत्री कुसुम योजना जैसी सरकारी योजनाएं, घरों और किसानों को स्वच्छ सौर ऊर्जा अपनाने में मदद करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
घरेलू सौर विनिर्माण को बढ़ावा
भारत के सौर विनिर्माण क्षेत्र में सोलर मॉड्यूल, सोलर पीवी सेल और सिल्लियां एवं वेफ़र जैसे प्रमुख घटक शामिल हैं। देश में इनका उत्पादन घरेलू अर्थव्यवस्था को सहारा देता है और आयात पर निर्भरता कम करता है। केवल एक वर्ष में, सोलर मॉड्यूल विनिर्माण क्षमता लगभग दोगुनी हो गई। मार्च 2024 में जहां यह क्षमता 38 गीगावाट थी, मार्च 2025 में बढ़कर 74 गीगावाट हो गई है। इसी प्रकार, सोलर पीवी सेल विनिर्माण 9 गीगावाट से बढ़कर 25 गीगावाट हो गया। एक बड़ी उपलब्धि भारत की पहली सिल्लियां-वेफ़र विनिर्माण संयंत्र (2 गीगावाट) का शुभारंभ था, जिसने संपूर्ण सौर आपूर्ति श्रृंखला को और मज़बूत किया।
घरेलू क्षमता में यह तीव्र वृद्धि सरकारी नीतियों के कारण है। भारत में निर्मित सौर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने रूफटॉप सोलर प्रोग्राम, पीएम-कुसुम और दूसरी सीपीएसयू स्कीम जैसी योजनाओं के तहत परियोजनाओं के लिए भारत में निर्मित पैनल और सेल का उपयोग अनिवार्य कर दिया है। इस बदलाव को और प्रभावी बनाने के लिए, आयातित सोलर सेल और मॉड्यूल पर अप्रैल 2022 में एक मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) लागू किया गया। इससे आयात महंगा हो जाता है और भारतीय विकल्पों के उपयोग और स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा मिलता है तथा विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होती है।

सौर ऊर्जा के क्षेत्र में प्रमुख पहल:
सरकार ने देश भर में सौर ऊर्जा को अपनाने और विकास को बढ़ावा देने के लिए कई प्रमुख पहल शुरू की हैं।
- पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना

प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना 75,021 करोड़ रुपए की एक केंद्रीय योजना है, जिसका उद्देश्य एक करोड़ भारतीय परिवारों को छत पर सौर पैनल लगाकर हर महीने 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली प्रदान करना है। सरकार 1 किलोवाट के लिए 30,000 रुपए, 2 किलोवाट के लिए 60,000 रुपए और 3 किलोवाट या उससे अधिक क्षमता वाले रूफटॉप सोलर सिस्टम के लिए 78,000 रुपए की सब्सिडी प्रदान करती है। अगर कोई परिवार इस सिस्टम को लगवाने के लिए लोन भी लेता है, तो भी वह मासिक लोन ईएमआई चुकाने के बाद हर साल बिजली के बिलों पर लगभग 15,000 रुपए की बचत कर सकता है।
पीएम सूर्य घर के लिए आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है:

- पीएम-कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान)
पीएम-कुसुम योजना किसानों को डीज़ल के बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करने में सहायता करती है। किसान नए सौर पंप लगाने या पुराने पंपों को सौर ऊर्जा में बदलने के लिए 30 प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं। वे अपनी ज़मीन पर 2 मेगावाट तक के सौर ऊर्जा संयंत्र भी लगा सकते हैं और स्थानीय डिस्कॉम को बिजली बेचकर पैसा कमा सकते हैं। यह योजना राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा संचालित की जाती है। इसका उद्देश्य भारत में किसानों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है, साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) के हिस्से के रूप में 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से विद्युत शक्ति की स्थापित क्षमता के हिस्से को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता का सम्मान करना है।
सरकार बिजली ग्रिड से जुड़े बड़े सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना के लिए ‘सोलर पार्कों और अल्ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं का विकास’ नामक एक योजना चला रही है जिसका लक्ष्य मार्च 2026 तक 40 गीगावाट बिजली उत्पादन करना है। अब तक 13 राज्यों में लगभग 39,323 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 53 सोलर पार्क स्वीकृत किए जा चुके हैं। इनमें से 18 पार्क (10,856 मेगावाट) पूरी तरह विकसित हो चुके हैं, जहां 10,756 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं पहले से ही कार्यरत हैं। 8 पार्कों (10,043 मेगावाट) में 3140 मेगावाट क्षमता की अन्य सौर परियोजनाएं चल रही हैं। कुल मिलाकर, 26 सोलर पार्कों में 13896 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू हो चुकी हैं, जबकि शेष पार्कों का विकास अभी भी जारी है। भारत में स्वच्छ ऊर्जा का विकास, कार्बन उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ जीवन में बदलाव भी ला रहा है। बड़े सौर पार्क अब कम लागत वाली बिजली प्रदान करते हैं जबकि गुजरात और तमिलनाडु में पवन ऊर्जा संयंत्र शाम की बिजली की ज़रूरतों को पूरा करते हैं। जैव ऊर्जा परियोजनाएं रोज़गार सृजन के ज़रिए ग्रामीण आय को बढ़ावा दे रही हैं।
- पीएम जनमन: सौर विद्युतीकरण के माध्यम से पीवीटीजी समुदायों को सशक्त बनाना
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 9 मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों के माध्यम से शुरू किया गया था। इस मिशन और धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीए जेजीयूए) के तहत एक प्रमुख पहल नई सौर ऊर्जा योजना है जिसका उद्देश्य 18 राज्यों में आदिवासी और पीवीटीजी बस्तियों में एक लाख गैर-विद्युतीकृत घरों का विद्युतीकरण करना है जो दूरदराज के जनजातीय क्षेत्रों में समावेशी विकास और टिकाऊ ऊर्जा पहुंच को बढ़ावा देता है।12
- सोलर पीवी विनिर्माण क्षमता में वृद्धि13
वर्ष 2014 के बाद भारत की सोलर पीवी सेल बनाने की क्षमता लगभग 21 गुना बढ़ गई है। 2014 में 1.2 गीगावाट से बढ़कर मार्च 2025 तक यह लगभग 25 गीगावाट हो गई है। इसी प्रकार, सौर पीवी मॉड्यूल बनाने की क्षमता 34 गुना से अधिक बढ़ गई है, जो 2014 में 2.3 गीगावाट से बढ़कर मार्च 2025 तक लगभग 78 गीगावाट हो गई है।
- फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट्स :
मध्य प्रदेश स्थित ओंकारेश्वर फ्लोटिंग सोलर पार्क, एशिया के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर पार्कों में से एक है जिसकी नियोजित क्षमता 600 मेगावाट है। इसकी लागत 330 करोड़ रुपए है जिसमें केंद्र सरकार 49.85 करोड़ रुपए का सहयोग प्रदान करेगी। ये सौर परियोजनाएं भूमि को बचाने और अधिक कुशलता से कार्य करने के लिए जलाशयों पर स्थापित की जाती हैं।14

एग्रीवोल्टाइक्स सोलर पैनलों का उपयोग करते हैं और उनके नीचे खेती की अनुमति देते हैं जिससे भूमि उपयोग और किसानों की आय में वृद्धि होती है। दिल्ली में सनमास्टर प्लांट और जोधपुर में आईसीएआर द्वारा स्थापित 105 किलोवाट की प्रणाली जैसी परियोजनाएं स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाती हैं।15

भारत का वैश्विक सौर नेतृत्व: आईएसए और ओएसओडब्ल्यूओजी
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए): वर्ष 2015 में सीओपी21 में भारत और फ्रांस द्वारा शुरू किया गया अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, सौर ऊर्जा के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्यरत 100 से अधिक देशों का एक वैश्विक गठबंधन है। इसका लक्ष्य 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर का निवेश जुटाना, प्रौद्योगिकी और वित्तपोषण लागत को कम करना और किफायती सौर समाधानों को बढ़ावा देना है। अल्प विकसित देशों और लघु द्वीपीय विकासशील राज्यों पर विशेष ध्यान केंद्रित करते हुए, यह गठबंधन लागत-प्रभावी और परिवर्तनकारी ऊर्जा समाधानों के माध्यम से निम्न-कार्बन विकास को बढ़ावा देना चाहता है।17
एक सूर्य-एक विश्व-एक ग्रिड (ओएसओडबल्यूजी): वर्ष 2018 में आईएसए असेंबली में भारत द्वारा शुरू की गई 'एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड' (ओएसओडब्ल्यूओजी) पहल, इस विचार के तहत एक वैश्विक सौर ग्रिड की कल्पना करती है कि 'सूर्य कभी अस्त नहीं होता।' आईएसए के नेतृत्व में, इसका उद्देश्य दक्षिण एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक के क्षेत्रों में सौर संसाधनों को जोड़ना है जिसके लिए अध्ययन और रूपरेखाएं पहले से ही चल रही हैं।
भारत का नवीकरणीय क्षेत्र: एक अवलोकन
भारत का ऊर्जा क्षेत्र, बिजली उत्पादन के लिए कई अलग-अलग स्रोतों का उपयोग करता है। इनमें कोयला, गैस, लिग्नाइट, डीज़ल जैसे जीवाश्म ईंधन के साथ-साथ सौर, पवन, जलविद्युत, परमाणु और बायोमास जैसे गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत भी शामिल हैं। भारत की कुल बिजली क्षमता अब लगभग 485 गीगावाट तक पहुंच गई है। इसमें से 242 गीगावाट तापीय ऊर्जा, 116 गीगावाट सौर ऊर्जा और 51.6 गीगावाट पवन ऊर्जा से आती है। यह स्वच्छ ऊर्जा और बेहतर ऊर्जा सुरक्षा की दिशा में भारत के मजबूत कदम को दर्शाता है।18
पिछले 11 वर्षों में, भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। सीओपी26 में निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता तक पहुंचने के लिए कार्य कर रहा है।
जून 2025 तक, भारत ने 242.8 गीगावाट गैर-जीवाश्म ईंधन स्थापित क्षमता स्थापित कर ली है जिसमें 233.99 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है। यह अब देश की कुल बिजली क्षमता 484.82 गीगावाट का 50.07 प्रतिशत है। अकेले नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन लगभग तीन गुना बढ़ गया है जो 2014 में 76.37 गीगावाट से बढ़कर 2025 में 233.99 गीगावाट हो गया है। यह एक स्वच्छ और टिकाऊ भविष्य की ओर एक मजबूत कदम को दर्शाता है।19

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड 29.52 गीगावाट अक्षय ऊर्जा जोड़ी, जिससे कुल स्वच्छ ऊर्जा क्षमता पिछले वर्ष 190.57 गीगावाट से बढ़कर 220.10 गीगावाट हो गई। यह प्रगति भारत को प्रधानमंत्री द्वारा निर्धारित ‘पंचामृत’ जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म क्षमता के अपने लक्ष्य के करीब लाती है।20
भारत विश्व स्तर पर स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में चौथे स्थान पर, पवन ऊर्जा क्षमता मामले में चौथे स्थान पर तथा सौर ऊर्जा क्षमता में तीसरे स्थान पर है (आईआरईएनए आरई सांख्यिकी 2025 के अनुसार)।21
भारत की नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि: 2014–2025
भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत और जैव ऊर्जा शामिल हैं, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और सतत विकास को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता मार्च 2014 में 76.37 गीगावाट से बढ़कर जून 2025 में 233.99 गीगावाट हो गई है। यह लगभग तीन गुना वृद्धि को दर्शाता है।22
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 4.15 गीगावाट पवन ऊर्जा जोड़ी। इसके साथ ही कुल स्थापित क्षमता बढ़कर 51.6 गीगावाट हो गई।
भारत, स्थापित 52.14 गीगावाट (31 जुलाई 2025 तक) के साथ तटीय पवन ऊर्जा में विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है और 30.10 गीगावाट कार्यान्वयन के अधीन है।23 अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक पवन ऊर्जा से 83.35 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ जो कुल बिजली उत्पादन का 4.56 प्रतिशत है। देश में पवन ऊर्जा क्षमता 1164 गीगावाट और वार्षिक विनिर्माण क्षमता 18 गीगावाट है। अपतटीय पवन ऊर्जा विकास राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति (2015) द्वारा निर्देशित है जिसमें नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय भारत के 7600 किलोमीटर लंबे समुद्र तट पर परियोजनाओं के लिए नोडल मंत्रालय है।24
भारत में 11.60 गीगावाट जैव ऊर्जा क्षमता (ऑफ-ग्रिड और अपशिष्ट-से-ऊर्जा से 0.55 गीगावाट सहित) और लघु जलविद्युत से 5.10 गीगावाट क्षमता है जिसमें 0.46 गीगावाट निर्माणाधीन है।25 इसके समर्थन के लिए, राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम (2021-2026) को 1715 करोड़ रुपए के बजट के साथ शुरू किया गया, जिसमें निम्नलिखित घटकों के तहत देश भर में जैव ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना के लिए केंद्रीय वित्तीय सहायता की पेशकश की गई।26
- अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम (शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्टों/अवशेषों से ऊर्जा पर कार्यक्रम)
- बायोमास कार्यक्रम (ब्रिकेट्स और पेलेट्स के विनिर्माण को समर्थन देने और उद्योगों में बायोमास (गैर-खोई) आधारित सह-उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना)
- बायोगैस कार्यक्रम (छोटे (प्रतिदिन 1 एम3 से 25 एम3 बायोगैस) और मध्यम आकार के बायोगैस संयंत्रों की स्थापना को बल देने के लिए कार्यक्रम, अर्थात प्रतिदिन 25 एम3 से 2500 एम3 बायोगैस उत्पादन)
जैव ईंधन (इथेनॉल) सम्मिश्रण
भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता है। पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण जून 2022 के 10 प्रतिशत से बढ़कर फरवरी 2025 तक 17.98 प्रतिशत हो गया। सरकार का लक्ष्य, पहले के 2030 के तय सीमा से पहले 2025-26 तक 20 प्रतिशत मिश्रण प्राप्त करना है।27 यह सब्सिडी, कम जीएसटी और दीर्घकालिक खरीद समझौतों के माध्यम से समर्थित है। बायोमास से बने इथेनॉल और बायोडीज़ल प्रमुख जैव ईंधन हैं जो परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने में मदद करते हैं।28
भारत में 25 मेगावाट तक की जलविद्युत परियोजनाओं को लघु जलविद्युत परियोजनाएं कहा जाता है। 7,133 स्थलों से देश की 21.1 गीगावाट की क्षमता है। इनमें से अधिकांश पहाड़ी राज्यों में हैं।29 भारत में पहले से ही 5.11 गीगावाट क्षमता स्थापित है और अधिक क्षमता का विकास किया जा रहा है। बड़ी जलविद्युत और पंप भंडारण परियोजनाएं भी बढ़ रही हैं जिनमें 133.4 गीगावाट जलविद्युत और 181.4 गीगावाट पंप भंडारण क्षमता है।30 सरकार टैरिफ सहायता और ट्रांसमिशन शुल्क माफी जैसे लाभों के साथ इन्हें मदद पहुंचाती है।
सौर या पवन ऊर्जा का उपयोग करके पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करके ग्रीन हाइड्रोजन बनाया जाता है। यह इस्पात और परिवहन जैसे उद्योगों में जीवाश्म ईंधन की जगह लेगा और दीर्घकालिक स्वच्छ ऊर्जा भंडारण प्रदान करेगा। ग्रीन हाइड्रोजन की मांग तेज़ी से बढ़ रही है क्योंकि यह परिवहन, जहाजरानी और इस्पात उत्पादन जैसे कई क्षेत्रों में उत्सर्जन और प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकता है। यह वाहनों में पेट्रोल और डीजल की जगह ले सकता है, जो हानिकारक उत्सर्जन के बड़े कारण हैं। कारखानों में, हरित हाइड्रोजन का उपयोग अमोनिया, मेथनॉल और इस्पात जैसी चीज़ें बनाने के लिए किया जा सकता है, जो अब जीवाश्म ईंधन पर बहुत अधिक निर्भर हैं। यह ऊर्जा का भंडारण भी कर सकता है और सौर एवं पवन ऊर्जा के लिए बैकअप के रूप में कार्य कर सकता है जिससे स्वच्छ ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।31
नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन, भारत सरकार ने कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और भारत को ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक अग्रणी बनाने के लिए शुरू किया था। 2030 तक, इसका लक्ष्य हर साल 50 लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है जिससे 8 लाख करोड़ रूपए का निवेश आएगा, 6 लाख रोज़गार सृजित होंगे और जीवाश्म ईंधन के आयात में 1 लाख करोड़ रूपए की बचत होगी। यह मिशन उत्पादन, पायलट परियोजनाओं, इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माण, कौशल प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे और अनुसंधान पर केंद्रित है और इस्पात, परिवहन तथा उर्वरक क्षेत्रों में जीवाश्म ईंधन के स्थान पर अन्य ईंधनों का उपयोग करने की योजना है।32 इसे आगे बढ़ाने के लिए बंदरगाह, पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओपीएसडब्ल्यू) द्वारा तीन प्रमुख बंदरगाहों अर्थात् कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन बंदरगाहों की पहचान ग्रीन हाइड्रोजन हब के रूप में विकसित करने के लिए की गई है।33
- केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 16 जुलाई, 2025 को 2030 तक भारत के 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता लक्ष्य की प्रतिबद्धता को दोहराया। कैबिनेट ने एनएलसी इंडिया लिमिटेड को अपनी नवीकरणीय शाखा, एनएलसी इंडिया रिन्यूएबल्स लिमिटेड (एनआईआरएल) को मज़बूत करने के लिए 7,000 करोड़ रूपए की छूट को मंज़ूरी दे दी। इस कदम से बड़ी सौर और पवन परियोजनाओं को गति मिलेगी और एनआईआरएल का वर्तमान 2 गीगावाट से 2030 तक 10 गीगावाट और 2047 तक 32 गीगावाट तक विस्तार होगा जो भारत के सीओपी26 और नेटज़ीरो लक्ष्यों को साकार करने में मदद करेगा।34
- भारत 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पांच प्रमुख प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।35
- बेहतर अनुबंध: निवेशकों को आकर्षित करने के लिए दीर्घकालिक बिजली सौदे।
- मजबूत ग्रिड: निरंतर विद्युत आपूर्ति के लिए आधुनिक ग्रिड और बैटरी भंडारण।
- मेक इन इंडिया: सौर पैनलों और पवन टर्बाइनों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना।
- स्मार्ट भूमि उपयोग: तैरते सौर ऊर्जा तथा खेतों पर सौर ऊर्जा के साथ भूमि का बुद्धिमानी से उपयोग करना।
- आसान वित्तपोषण: स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराना।
|
स्वच्छ ऊर्जा की ओर भारत का तेज़ी से बढ़ता रुख़, पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में भारत को समय से पहले ही आगे ले जा रहा है। गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता के विकास में तेज़ी लाकर, भारत ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा रहा है, कोयले के आयात को कम कर रहा है, रोज़गार सृजन कर रहा है और विश्वसनीय बिजली आपूर्ति को मज़बूत कर रहा है। यह प्रगति जलवायु परिवर्तन के ख़िलाफ़ वैश्विक लड़ाई में भारत की अग्रणी भूमिका को रेखांकित करती है।36
पेरिस समझौते को 2015 में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) के तहत अपनाया गया था।37 पेरिस समझौते के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) के तहत, भारत ने 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत कम करने की प्रतिबद्धता जताई है और 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा संसाधनों से 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य अब निर्धारित समय से पहले पूरा हो रहा है।38
निष्कर्ष
भारत ग्रीन फ्यूचर की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है। 100 गीगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य पार करने के बाद, देश 2030 तक 500 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा और 2070 तक नेट-ज़ीरो ऊर्जा तक पहुंचने की राह पर है। बड़े सौर पार्क, रूफटॉप सोलर और प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना जैसी परियोजनाएं घरों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं।
भारत ने एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल कर ली है। देश की स्थापित बिजली क्षमता का 50 प्रतिशत अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है, जो पेरिस समझौते के लक्ष्य से पांच साल पहले ही हासिल हो गया है। यह दर्शाता है कि विकास और स्थिरता साथ-साथ चल सकते हैं। पिछले एक दशक में भारत की ऊर्जा यात्रा आत्मनिर्भरता, स्थिरता और नवाचार की दिशा में एक रणनीतिक बदलाव को दर्शाती है। ग्रीन हाइड्रोजन से लेकर सौर छतों, ग्रामीण विद्युतीकरण से लेकर डिजिटल खरीद तक, हर पहल सभी के लिए समावेशी, सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करती है। जैसे-जैसे देश आगे बढ़ रहा है, इसकी संतुलित और दूरदर्शी ऊर्जा रणनीति, आर्थिक विकास और एक स्थायी भविष्य को शक्ति प्रदान करती रहेगी।
संदर्भ
मुख्यमंत्री कार्यालय गुजरात
https://cmogujarat.gov.in/en/latest-news/pm-shri-narendra-modi-inaugurates-4th-global-renewable-energy-investors-2024-summit-and
इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन
https://www.ibef.org/news/india-becomes-third-largest-solar-energy-generator-union-minister-of-new-and-renewable-energy-mr-pralhad-joshi
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय
https://mnre.gov.in/en/physical-progress/
https://mnre.gov.in/en/production-linked-incentive-pli/
https://mnre.gov.in/en/notice/new-solar-power-scheme-for-pvtg-habitation-villages-under-pm-janman/
https://mnre.gov.in/en/wind-overview/
https://mnre.gov.in/en/off-shore-wind/
https://mnre.gov.in/en/hydrogen-overview/
https://mnre.gov.in/en/small-hydro-overview/
https://pmkusum.mnre.gov.in/#/लैंडिंग
पीआईबी
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2117501
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2143701
https://www.pib.gov.in/PressNoteDetails.aspx?NoteId=154545&ModuleId=3
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2090177
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2120941
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2120729
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2113234
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2129952
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2079832
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2145148
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2144627
https://www.pib.gov.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=175438
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1795071
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2147982
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2100603
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1909955
https://www.pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=1983203
https://www.pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=2010674
भारतीय राष्ट्रीय पोर्टल
https://www.india.gov.in/spotlight/pm-kusum-pradhan-mantri-kisan-urja-suraksha-evam-utthaan-mahabhiyan-scheme
भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा फाउंडेशन
https://www.agrivoltaics.in/news
नीति आयोग
https://iced.niti.gov.in/energy/fuel-sources/solar/potential
अमेरिकी ऊर्जा विभाग
https://www.energy.gov/eere/bioenergy/biofuel-basics
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
https://isa.int/about_uss
पीडीएफ फाइल के लिए यहां क्लिक करें
****
पीके/केसी/बीयू/एसके
(Backgrounder ID: 155064)
Visitor Counter : 2