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पीएलआई योजना: भारत के औद्योगिक पुनर्जागरण का सशक्तिकरण

मैन्युफैक्चरिंग, रोजगार और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए एक बदलावकारी प्रयास

Posted On: 24 AUG 2025 9:55AM

प्रमुख बातें

  • पीएलआई योजना ने 14 प्रमुख क्षेत्रों में ₹1.76 लाख करोड़ का निवेश आकर्षित किया।
  • पीएलआई लाभार्थियों की ओर से की गई कुल बिक्री 2025 के मध्य तक ₹16.5 लाख करोड़ को पार कर गई है।
  • इस योजना के शुभारंभ के बाद से इसके तहत 12 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार निर्मित हुए हैं।

 

परिचय: भारत की विकास गाथा में एक नया अध्याय

 

कारखानों से लेकर नवाचारी प्रयोगशालाओं तक, भारत का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र एक मौन परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, जो नीतिगत अभिप्राय और औद्योगिक महत्वाकांक्षा से प्रेरित है। इस बदलाव के केंद्र में उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना है, जो जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग के योगदान को 25% तक बढ़ाने और दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं में अपनी जगह बनाने की भारत की महत्वाकांक्षा की आधारशिला है।

₹1.97 लाख करोड़ के प्रोत्साहन पर आउटले के साथ, यह योजना महज एक आर्थिक पैकेज से कहीं अधिक है। आज, 14 रणनीतिक क्षेत्रों में 806 आवेदनों को मंजूरी मिलने के साथ, यह योजना उद्योग जगत के अटूट भरोसे और व्यापक स्वीकृति को प्रतिबिंबित करती है।

यह योजना आत्मनिर्भर भारत जैसे राष्ट्रीय लक्ष्यों और भारत के $5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण के अनुरूप है। यह बड़े पैमाने पर घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को दोबारा जीवित करके मेक इन इंडिया आंदोलन को प्रोत्साहन देती है। यह मोबाइल फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देकर, तकनीक को अधिक सरल और किफायती बनाकर डिजिटल इंडिया को सशक्त बनाती है। यह भारत सेमीकंडक्टर मिशन के साथ भी निकटता से संबंधित है, जिसका उद्देश्य ₹76,000 करोड़ के पैकेज के सहयोग से, सेमीकंडक्टर निर्माण, डिस्प्ले निर्माण और चिप डिजाइन में निवेश के लिए आर्थिक मदद प्रदान करना है, जिससे वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखलाओं में भारत का एकीकरण सुदृढ़ हो सके।

 

पृष्ठभूमि: पीएलआई योजना की शुरुआत

 

भारत का सेवा क्षेत्र लंबे समय से अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करता रहा है और जीडीपी में 50% से अधिक का योगदान देता है। अधिक संतुलित और लचीले विकास के लिए, सरकार ने मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान केंद्रित किया: जो रोजगार, निर्यात और आत्मनिर्भरता का एक प्रमुख प्रेरक है। 2020 में, रणनीतिक क्षेत्रों में लक्षित, प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहनों के जरिए घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई थी।

पीएलआई योजना पहली बार अप्रैल 2020 में शुरू की गई, जिसकी शुरुआत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग और विशेष इलेक्ट्रॉनिक कलपुर्जों, महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री/ औषधि मध्यस्थों और सक्रिय दवा सामग्री और चिकित्सा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग से हुई थी। इसकी शुरुआती सफलता के बाद, इस योजना का आगे विस्तार कर अर्थव्यवस्था के 13 प्रमुख क्षेत्रों को शामिल करने के लिए किया गया, जिनमें फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल और ऑटो घटक, वस्त्र उत्पाद, श्वेत वस्तुएं और विशेष स्टील आदि शामिल हैं।

समय के साथ, इस योजना ने घरेलू और वैश्विक दोनों ही पक्षों की गहरी रुचि को आकर्षित किया, जिसके चलते इलेक्ट्रॉनिक्स, थोक दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और कपड़ा जैसे क्षेत्रों में कई परियोजनाओं को मंजूरी मिली। उदाहरण के तौर पर, फरवरी 2021 में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹15,000 करोड़ के आउटले के साथ फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी। इसी तरह, सितंबर 2021 में, ऑटोमोबाइल और ऑटो कलपुर्जों के उद्योग के लिए ₹25,938 करोड़ की पीएलआई योजना और ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जों के लिए 3 वर्ष के लिए ₹120 करोड़ के वित्त पोषण के साथ पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई।

नवंबर 2024 तक, पीएलआई योजना के अंतर्गत प्रतिबद्ध निवेश ₹1.61 लाख करोड़ तक पहुंच गया था। यह गति 2025 तक जारी रही, जिसमें 806 मंजूर किए गए आवेदनों के साथ वास्तविक निवेश लगभग ₹1.76 लाख करोड़ तक बढ़ गया इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़ा, दवा और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके, यह पहल वित्तीय प्रोत्साहनों को उत्पादन में बढ़ोतरी और बिक्री में बढ़ोतरी जैसे मापने योग्य परिणामों से जोड़ती है। यह प्रदर्शन-आधारित मॉडल केवल घरेलू और वैश्विक, दोनों ही कंपनियों से निवेश आकर्षित करता है, बल्कि व्यवसायों को अति आधुनिक तकनीकों को अपनाने और बड़े स्तर पर इकोनॉमी प्राप्त करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।

सेक्टर आधारित कवरेज: चिप से लेकर केमिकल तक

उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना निम्नलिखित 14 महत्वपूर्ण क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन और परफॉर्मेंस फ्रेमवर्क के साथ कवर करती है।

पीएलआई योजना के अंतर्गत शीर्ष प्रदर्शन करने वाले कुछ क्षेत्रों में शामिल हैं:

 

इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग

इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र, पीएलआई रणनीति के अंतर्गत एक प्रमुख सफलता की कहानी के तौर पर उभरा है, जिसे राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स नीति (एनपीई) 2019 जैसी पहलों के जरिए मिले मजबूत नीतिगत समर्थन से बल मिला है। इस नीतिगत आधार के साथ, पीएलआई ने वैश्विक ओईएम और भारतीय दिग्गजों, दोनों को अपनी ओर खींचा है, जिससे भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मूल्य श्रृंखला में आगे बढ़ा है। इसका प्रभाव शानदार रहा और उत्पादन में 146% की बढ़ोतरी हुई है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में ₹2.13 लाख करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में ₹5.25 लाख करोड़ हो गई है। पीएलआई योजना ने प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को अपना उत्पादन भारत में स्थानांतरित करने के लिए प्रोत्साहित किया है। इसके चलते, भारत एक प्रमुख मोबाइल फोन निर्माण देश बन गया है।

ऑटोमोबाइल और ऑटो कलपुर्जे

पीएलआई योजना के अंतर्गत, भारत ने ₹67,690 करोड़ मूल्य के प्रतिबद्ध निवेश आकर्षित किए। मार्च 2024 तक, ₹14,043 करोड़ का निवेश किया जा चुका है, जिससे 28,884 से अधिक रोजगार निर्मित हुए हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के तेजी से अपनाना और विनिर्माण (एफएएमई) पहल के अनुरूप सतत गतिशीलता को सहयोग और प्रोत्साहन देकर भारत को एक वैश्विक ईवी और स्वच्छ-तकनीक केंद्र बनाना है। यह योजना एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (एएटी) वाहनों की 19 श्रेणियों और एएटी इकाइयों की 103 श्रेणियों के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का प्रस्ताव करती है, जिससे एडवांस ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी उत्पादों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दिया जा सके और ऑटोमोटिव विनिर्माण मूल्य श्रृंखला में निवेश आकर्षित किया जा सके।

 

फूड प्रोसेसिंग

अक्टूबर 2024 तक पीएलआई योजना के अंतर्गत मंजूर किए गए 171 आवेदनों के साथ, फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में ₹8,910 करोड़ से अधिक का निवेश किया गया है, जिसमें ₹1,084 करोड़ की प्रोत्साहन राशि दी गई है। यह योजना पीएम सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम (पीएम-एफएमई) और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) जैसी पहलों का पूरक है, जिसका उद्देश्य प्रसंस्करण इकाइयों का आधुनिकीकरण, भारतीय खाद्य उत्पादों की ब्रांडिंग को बेहतर करना और मूल्यवान निर्यात को बढ़ाना है।

 

फार्मास्युटिकल दवाएं

किसी दौर में आवश्यक कच्चे माल के आयात पर अत्यधिक निर्भर रहने वाला भारत का फार्मा क्षेत्र अब दोबारा अपनी मजबूती प्राप्त कर रहा है। केंद्रित पीएलआई समर्थन की मदद से, देश एक शुद्ध आयातक (वित्त वर्ष 2021-22 में ₹1,930 करोड़ का घाटा) से थोक दवाओं का शुद्ध निर्यातक (वित्त वर्ष 2024-25 में ₹2,280 करोड़ का सरप्लस) बन गया है। शुरुआती तीन वर्ष में, पीएलआई के अंतर्गत फार्मा की बिक्री ₹2.66 लाख करोड़ को पार कर गई, जिसमें ₹1.70 लाख करोड़ का निर्यात शामिल है। मार्च 2025 तक इस क्षेत्र में कुल घरेलू मूल्य वर्धन 83.70% रहा है।

 

सौर पीवी मॉड्यूल

उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत, पीएलआई चरण I और II का लक्ष्य लगभग 48 गीगावॉट की पूर्णतः एकीकृत मैन्युफैक्चरिंग क्षमता का निर्माण करना है। इससे आयात पर निर्भरता कम होने, घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने और आत्मनिर्भर भारत तथा राष्ट्रीय सौर मिशन के दूरगामी लक्ष्यों के अंतर्गत भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूती मिलने की उम्मीद है। उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल के लिए पीएलआई योजना के अंतर्गत, ₹48,120 करोड़ के निवेश की प्रतिबद्धता जताई गई है, जिससे 30 जून, 2025 तक लगभग 38,500 प्रत्यक्ष रोजगार निर्मित होंगे।

 

सेमीकंडक्टर

चिप के माध्यम से चलने वाली दुनिया में, भारत अपनी सेमीकंडक्टर की साहसिक, रणनीतिक और भविष्य-केंद्रित कहानी लिख रहा है। भारत, जहां पर मंजूर की गई छः सेमीकंडक्टर परियोजनाएं पहले से ही विभिन्न चरणों में हैं, को अब ओडिशा, पंजाब और आंध्र प्रदेश में चार अतिरिक्त मैन्युफैक्चरिंग इकाइयों के लिए भी केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई है। भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के अंतर्गत ₹4,600 करोड़ के आउटले के साथ स्वीकृत इन परियोजनाओं से 2,034 कुशल पेशेवरों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने और व्यापक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिससे महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष रोजगार निर्माण होगा। 2030 तक एक आत्मनिर्भर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने के दृष्टिकोण के साथ, सरकार ने भारत सेमीकंडक्टर मिशन के अंतर्गत समर्पित प्रोत्साहन शुरू किया है, जो विस्तृत पीएलआई फ्रेमवर्क का पूरक हैं।

 

कपड़ा

देश में एमएमएफ परिधान, एमएमएफ फैब्रिक्स और तकनीकी वस्त्र उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए सितंबर, 2021 में 10,683 करोड़ रुपये के आउटले के साथ कपड़ों के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई थी, जिससे कपड़ा क्षेत्र को आकार और पैमाना हासिल करने और प्रतिस्पर्धा के योग्य बनाया जा सके। मानव निर्मित रेशे (एमएमएफ) का निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर लगभग ₹525 करोड़ (वित्त वर्ष 2023-24 में ₹499 करोड़ के मुकाबले) हो गया, जबकि तकनीकी कपड़ा निर्यात पिछले वर्ष के ₹200 करोड़ से बढ़कर ₹294 करोड़ हो गया। भारत सरकार विभिन्न योजनाओं/ पहलों के जरिए कपड़ा और परिधान निर्यात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहन दे रही है, जैसे कि राज्य और केंद्रीय करों और शुल्कों में छूट (आरओएससीटीएल) योजना, जो परिधान, वस्त्रों और मेड-अप के लिए शून्य-रेटेड निर्यात का सहयोग करती है, जबकि अन्य कपड़ा उत्पादों को निर्यात उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना के तहत कवर किया जाता है।

श्वेत वस्तुएं (एसी और एलईडी लाइटें)

अप्रैल 2021 में ₹6,238 करोड़ के आउटले के साथ शुरू की गई श्वेत वस्तुओं के लिए पीएलआई योजना का उद्देश्य भारत को एक असेंबली हब से एक उच्च-मूल्य वाले मैन्युफैक्चरिंग आधार में बदलना है। इसका लक्ष्य 2028-29 तक घरेलू मूल्यवर्धन को केवल 20-25% से बढ़ाकर 75-80% करना है। अब तक, ₹281.4 करोड़ का प्रोत्साहन वितरित किए जा चुका है, जिससे ऊर्जा-कुशल, वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी उपकरणों के लिए भारत के प्रयासों को बल मिला है। भारत ने एयर कंडीशनर के लिए कंप्रेसर, कॉपर ट्यूब, हीट एक्सचेंजर, मोटर और कंट्रोल असेंबली जैसे प्रमुख घटकों के साथ-साथ एलईडी सेगमेंट में एलईडी चिप पैकेजिंग, ड्राइवर, इंजन, लाइट मैनेजमेंट सिस्टम और कैपेसिटर के लिए मेटलाइज्ड फिल्म का स्थानीय उत्पादन शुरू कर दिया है। यह बदलाव आयात निर्भरता को काफी कम कर रहा है और घरेलू मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं को मजबूत कर रहा है।

 

अभी तक का प्रदर्शन

नवंबर 2024 तक, इस योजना ने ₹1.61 लाख करोड़ का प्रतिबद्ध निवेश आकर्षित किया था, जो अनुमान से कहीं अधिक था और भारत की नीतिगत दिशा में उद्योग जगत के मजबूत भरोसे को दर्शाता है। वास्तविक निवेश में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जो मार्च 2025 तक लगभग ₹1.76 लाख करोड़ तक पहुंच गई है, क्योंकि और भी परियोजनाएं मंजूर किए जाने से कार्यान्वयन के चरण पर पहुच गई हैं।

उत्पादन पर इसका प्रभाव शानदार रहा है। पीएलआई प्रतिभागियों की ओर से की गई कुल बिक्री ₹16.5 लाख करोड़ से अधिक रही, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव और टेक्सटाइल जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली बढ़ोतरी को प्रतिबिंबित करती है।

पीएलआई पहल एक प्रमुख रोजगार सृजनकर्ता के रूप में भी उभरी है, जिसने 12 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तैयार किए हैं, साथ ही टियर-2 और टियर-3 शहरों में अतिरिक्त पारिस्थितिकी तंत्र विकास को भी प्रोत्साहित किया है। जरूरी बात यह है कि इस योजना ने देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की एक नई लहर को उत्प्रेरित किया है, जिससे उभरते वैश्विक परिदृश्य में भारत उच्च-मूल्य वाली मैन्युफैक्चरिंग के लिए एक पसंदीदा गंतव्य के तौर पर स्थापित हुआ है।

 

औद्योगिक विकास को गति देने के एक सशक्त प्रयास के तौर पर, सरकार ने 2025-26 में पीएलआई योजना के अंतर्गत प्रमुख क्षेत्रों के लिए बजट आवंटन में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि होती है।

पीएलआई योजना से भारत के एमएसएमई इकोसिस्टम पर व्यापक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। प्रत्येक क्षेत्र की प्रमुख इकाइयों से संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में नए सप्लायर और वेंडर नेटवर्क विकसित करने की उम्मीद है, और इन सहायक इकाइयों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एमएसएमई क्षेत्र से उभरेगा।

 

इस योजना से क्षेत्र-विशिष्ट क्लस्टरों, जैसे गुजरात में डिस्प्ले फैब और सेमीकंडक्टर पार्क, सूरत में एमएमएफ क्लस्टर, तथा आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में चिकित्सा उपकरण पार्क, का विकास भी हुआ है।

 

 

निष्कर्ष

कभी आयात पर बहुत अधिक निर्भर रहने से लेकर अब वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में एक गंभीर दावेदार के तौर पर उभरने तक, भारत की औद्योगिक यात्रा एक बदलावकारी अध्याय में प्रवेश कर चुकी है और पीएलआई योजना इसका एक प्रमुख हिस्सा है। ₹1.76 लाख करोड़ से अधिक के निवेश और उत्पादन, निर्यात और रोजगार निर्माण में वास्तविक लाभ के साथ, पीएलआई एक नीतिगत साधन से संरचनात्मक परिवर्तन के उत्प्रेरक के तौर पर विकसित हुई है।

उभरते क्षेत्रों का सहयोग करके, नवाचार को प्रोत्साहन देकर और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को घर में स्थापित करके, यह योजना केवल कारखानों को नया रूप दे रही है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को भी नया रूप दे रही है। प्रमुख उद्योगों का सहयोग करके, निर्यात आधारित उत्पादन को प्रोत्साहित करके और एडवांस तकनीकों को अपनाने को प्रोत्साहन देकर, पीएलआई योजनाएं रणनीतिक रूप से भारत के मैन्युफैक्चरिंग आधार को मजबूत कर रही हैं।

संदर्भ:

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय

पीएलआई योजना पर पीआईबी -बुकलेट

पीआईबी बैकग्राउंडर

पीआईबी प्रेस विज्ञप्ति

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

वित्त मंत्रालय

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय

नागरिक उड्डयन मंत्रालय

रसायन और उर्वरक मंत्रालय

इन्वेस्ट इंडिया

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

वस्त्र मंत्रालय

भारी उद्योग मंत्रालय

व्यय प्रोफाइल 2025-2026

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नीति आयोग

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