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6G के साथ विकसित भारत का निर्माण

4G आत्मनिर्भरता से 6G वैश्विक नेतृत्व तक

Posted On: 26 OCT 2025 1:59PM

परिचय

भारत सरकार 6G प्रौद्योगिकियों को उन्‍नत करने के उद्देश्य से कई रणनीतिक पहलों के माध्यम से देश को अगली पीढ़ी की कनेक्टिविटी की ओर ले जा रही है। किफ़ायत, स्‍थायित्‍व और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित, भारत का 6G विज़न स्वदेशी नवाचार, उन्नत अनुसंधान एवं विकास और वैश्विक सहयोग के माध्यम से समाज को सशक्त बनाने पर केंद्रित है। उद्योग, शिक्षा जगत और अनुसंधान संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ, भारत स्‍वयं को भविष्य की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्‍थापित कर रहा है, जो 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण के व्यापक राष्ट्रीय लक्ष्य के अनुरूप है।

6G क्या है?

6G, या छठी पीढ़ी की वायरलेस प्रौद्योगिकी, 5G से अगली होगी और इंटरनेट कनेक्शन को काफ़ी तेज़ और सुचारू बनाएगी। यह 5G की तुलना में उच्च रेडियो आवृत्तियों का उपयोग करेगी, जिससे यह लगभग बिना किसी देरी के एक बार में ही बहुत बड़ा डेटा भी संभाल सकेगी।

6G का लक्ष्य केवल एक माइक्रोसेकंड में सूचना भेजना और प्राप्त करना है, जो 5G के प्रतिक्रिया समय से 1,000 गुना तेज़ है। इसका मतलब है लगभग शून्य अंतराल (लैग) के साथ तत्काल कनेक्शन, जो दूरस्थ चिकित्सा सर्जरी, स्मार्ट रोबोटिक्स और रीयल-टाइम गेमिंग जैसी चीज़ों के लिए उपयोगी होगा।

6G नेटवर्क उन्नत इमेजिंग, सटीक लोकेशन ट्रैकिंग और जीवंत वर्चुअल अनुभव जैसी सुविधाओं को भी बेहतर बनाएगा। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के साथ मिलकर, यह इतना स्मार्ट हो जाएगा कि डेटा को कहाँ संग्रहीत, संसाधित और साझा करना है, यह स्वचालित रूप से तय कर सकेगा, जिससे प्रौद्योगिकी हर जगह अधिक कुशल और प्रतिक्रियाशील बन जाएगी।

भारत का 6G विजन: भारत को वैश्विक दूरसंचार नवप्रवर्तक के रूप में स्थापित करना

भारत 6G विज़न घोषणापत्र का उद्देश्य भारत को उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकियों का एक अग्रणी आपूर्तिकर्ता बनाना है, जो विकसित भारत के उद्देश्यों के अनुरूप है। 5G का तेज़ी से प्रसार और घरेलू स्तर पर अपनाया जाना भारत के 6G विज़न की नींव रख रहा है, जिससे देश भावी दूरसंचार नवाचार में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित हो रहा है। 6G विज़न किफ़ायत, स्‍थायित्‍व और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है।

22 मार्च, 2023 को "भारत 6G विजन" दस्तावेज़ जारी किया गया, जिसमें भारत को साल 2030 तक 6G प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और कार्यान्‍वयन में अग्रणी योगदानकर्ता के रूप में देखा गया। सरकार ने देश में 6G प्रौद्योगिकी के विकास को सुगम बनाने के लिए निम्नलिखित पहलें की हैं:

  • देश में अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 6G टीएचजेड टेस्टबेड और एडवांस ऑप्टिकल कम्युनिकेशन टेस्टबेड नामक दो टेस्टबेड को वित्तपोषित करना
  • देश में क्षमता निर्माण और 6G-रेडी शैक्षणिक और स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए वित्त वर्ष 2023-24 में भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में 100 5G प्रयोगशालाओं को मंजूरी
  • 6G प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक रोडमैप के अनुरूप अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 6G नेटवर्क पारिस्थितिकी तंत्र पर 104 अनुसंधान प्रस्तावों को मंजूरी

भारत 6G अलायंस (B6GA) भारतीय उद्योग, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, शिक्षा जगत, राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थानों और मानक संगठनों की एक पहल है। सरकार और उद्योग द्वारा समर्थित, यह उन्नत संचार प्रौद्योगिकियों के लिए एक आत्मनिर्भर, विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने हेतु स्वदेशी 6G अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देता है। अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं और मल्टी-चिप मॉड्यूल, SoCs और उन्नत IoT अनुप्रयोगों पर नवाचार के फोकस के साथ, भारत का लक्ष्य वैश्विक 6G आंदोलन का नेतृत्व करना है। B6GA एक उद्योग-नेतृत्व वाला निकाय है, जिसे सरकार द्वारा सुविधा प्रदान की जाती है, जो सार्वजनिक/निजी कंपनियों, शिक्षा जगत, अनुसंधान संस्थानों और मानक विकास संगठनों सहित प्रौद्योगिकी क्षेत्र के हितधारकों को एक सहयोगी मंच प्रदान करता है। भारत 6G अलायंस ने 6G के विभिन्न डोमेन, जैसे स्पेक्ट्रम, प्रौद्योगिकी, अनुप्रयोग, हरित तथा स्‍थायित्‍व और उपयोग के मामलों पर सात कार्य समूहों का गठन किया है।

वैश्विक संचार के भविष्य को पुनर्परिभाषित करने की दिशा में एक कदम बढ़ाते हुए, भारत 6G एलायंस ने NextG एलायंस (अमेरिका), 6G IA (यूरोप), 6G फ्लैगशिप ओउलू यूनिवर्सिटी (फिनलैंड), 6G फोरम दक्षिण कोरिया, XGMF जापान, NGMN एलायंस, 5G ACIA, UKI FNI, UK TIN, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) और 6G ब्रासील (ब्राज़ील) जैसे अग्रणी अनुसंधान गठबंधनों के साथ सहयोगात्मक अनुसंधान और मानकीकरण हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रीय तालमेल का उपयोग करने के लिए इसका TSDSI और NASSCOM के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) है। 6G अनुसंधान गठबंधनों के साथ ये समझौता ज्ञापन लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं सहित सुरक्षित और विश्वसनीय दूरसंचार प्रौद्योगिकी के विकास को और सक्षम बनाएंगे।

भारत का 6G मिशन

भारत का 6G  लक्ष्य अगली पीढ़ी के वायरलेस संचार में वैश्विक अग्रणी बनने के महत्वाकांक्षी विज़न से शुरू हुआ। इस विज़न ने नवोन्मेषकों, शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और नीति निर्माताओं के एक गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र के उद्भव को प्रेरित किया है, जो सभी कनेक्टिविटी को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित हैं। जैसे-जैसे यह मिशन अपने अगले चरण की ओर आगे बढ़ रहा है, ध्यान पिछली उपलब्धियों से आगे निकलने, प्रौद्योगिकीय नवाचार को और गहन करने और यह सुनिश्चित करने पर केंद्रित होता जा रहा है कि 6G न केवल भारत को लाभान्वित करे बल्कि यहीं से उत्पन्न हो। सहयोग और साझा उद्देश्य के माध्यम से, भारत वैश्विक डिजिटल भविष्य में नेतृत्व के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

इंडिया मोबाइल कांग्रेस, 2025 में ध्‍यान का केंद्र भारत

इंडिया मोबाइल कांग्रेस (आईएमसी) 2025 के दौरान आयोजित अंतर्राष्ट्रीय 6G संगोष्ठी 2025, अगली पीढ़ी की संचार प्रौद्योगिकियों की ओर भारत की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। इस कार्यक्रम में दूरसंचार नवाचार, स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास, और वैश्विक डिजिटल नेतृत्व में देश की बढ़ती ताकत पर प्रकाश डाला गया।

भारत की प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता को आगे बढ़ाना

भारत के मेड-इन-इंडिया 4G स्टैक को इसकी प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता और निर्यात की तैयारी की दिशा में देश की एक महत्‍वपूर्ण उपलब्धि के रूप में प्रदर्शित किया गया। यह स्वदेशी विकास 'इंडिया 6G विज़न 2030' की नींव रखता है, जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए तैयार, सुरक्षित और विस्तारयोग्य दूरसंचार नेटवर्क बनाना है।

भारत के 6G रोडमैप में वर्ष 2035 तक राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र द्वारा लगभग 1.2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। देश का लक्ष्य वैश्विक 6जी पेटेंट्स में 10% हिस्सेदारी प्राप्त करना है, जो दूरसंचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत के नवाचार के केंद्र के रूप में उभरने को दर्शाता है। इसके समानांतर, उपग्रह संचार बाजार के वर्ष 2033 तक तीन गुना बढ़ने का अनुमान है, जिससे भारत का अंतरिक्ष-आधारित कनेक्टिविटी पारिस्थितिकी तंत्र मज़बूत होगा।

विशेष ध्‍यान सहयोग और समावेशिता पर

संगोष्ठी में एक समावेशी और किफायती वैश्विक 6G ढाँचे को आकार देने के लिए अधिक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास और शिक्षा जगत, उद्योग और सरकारों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया। एक स्वदेशी दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर ज़ोर दिया गया, जिसे हाल ही में हुई प्रगति, जैसे कि देश भर में एक लाख स्वदेशी 4G टावरों की स्थापना, द्वारा समर्थित किया गया है, जो अगली पीढ़ी के नेटवर्क के लिए एक मज़बूत बुनियादी ढाँचा विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

इस मार्गदर्शक विज़न में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता होने से परे निकलकर अब 6G क्रांति में सह-निर्माता और सह-नेता बन रहा है, जो घरेलू और वैश्विक, दोनों ही स्‍तरों की जरूरतों के लिए संचार के भविष्य को आकार दे रहा है।

प्रमुख घोषणाएँ और जारी किए गए श्‍वेतपत्र

इस कार्यक्रम में भारत की 6G तैयारी में तेजी लाने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण परिणाम प्रस्‍तुत किए गए:

  • 6G सिद्धांतों पर एक संयुक्त घोषणा 10 अक्टूबर, 2025 को जारी की गई।
  • भारत 6G एलायंस ने दो समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए: एक NASSCOM के साथ और दूसरा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के साथ, जिससे 6G और संबद्ध प्रौद्योगिकियों में सहयोगात्मक अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
  • भारत 6G एलायंस ने चार श्वेतपत्र भी जारी किए, जो इस क्षेत्र के लिए रणनीतिक दिशा प्रदान करते हैं:
  • भारत में 6G के लिए स्पेक्ट्रम रोडमैप
  • अगली पीढ़ी के दूरसंचार को सशक्त बनाना
  • एआई और नेटवर्क का 5G तक विकास
  • आरएफ सेंसिंग के लिए 6G आर्किटेक्चर, सुरक्षा और एक्सपोज़र फ्रेमवर्क
  • नई दिल्ली घोषणा

    अंतर्राष्ट्रीय भारत 6G संगोष्ठी 2025 में, भारत 6G, 6G-IA, ATIS’ Next G अलायंस और अन्य सहित अग्रणी वैश्विक गठबंधनों ने 6G को वैश्विक सार्वजनिक वस्तु के रूप में आकार देने के लिए एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया।

    नई दिल्ली घोषणापत्र में पुष्टि की गई है कि 6G नेटवर्क को इस प्रकार डिजाइन किया जाएगा:

    • विश्वसनीय और सुरक्षित
    • लचीला और भरोसेमंद
    • मुक्‍त और अंतर-संचालनीय
    • समावेशी और किफायती
    • चिरस्‍थायी और वैश्विक रूप से कनेक्‍टेड

    स्थलीय और गैर-स्थलीय (उपग्रह, उच्च-ऊंचाई वाले प्लेटफ़ॉर्म) नेटवर्क के एकीकरण के माध्यम से ऊर्जा दक्षता और सार्वभौमिक कवरेज पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्थिरता को केंद्र में रखा गया है। घोषणापत्र निरंतर कौशल विकास की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है और सभी हितधारकों, सरकारों, उद्योग और शिक्षा जगत से मिलकर काम करने का आह्वान करता है, जिससे 6G समाजों का उत्थान करे और कोई भी पीछे न छूटे।

    अंतर्राष्ट्रीय 6G संगोष्ठी 2025 ने वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देते हुए स्वदेशी दूरसंचार क्षमताओं को आगे बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। नवाचार, किफ़ायत और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, भारत अपने 'भारत 6G विज़न 2030'[1] के अनुरूप एक कनेक्टेड, आत्मनिर्भर और भविष्य के लिए तैयार 6G पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।

     

    भविष्य के लिए तैयार 6G दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र के लिए सरकार की पहलें

    भारत अगली पीढ़ी के दूरसंचार क्षेत्र में नवाचार, सहयोग और कौशल को बढ़ावा देने वाली पहलों के माध्यम से 6G-रेडी पारिस्थितिकी तंत्र की ओर बढ़ रहा है। ये प्रयास अत्याधुनिक समाधानों को सक्षम बनाने के लिए स्वदेशी अनुसंधान, उद्योग-अकादमिक साझेदारी और स्टार्टअप समर्थन पर केंद्रित हैं।

  • शैक्षणिक संस्थानों में 100 5G प्रयोगशालाएँ: 6G-रेडी नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण
  • उन्नत दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में कौशल, अनुसंधान और प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने देश भर के शैक्षणिक संस्थानों में 100 5G प्रयोगशालाएँ स्थापित की हैं। इनके प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं:

    • छात्रों और शैक्षणिक समुदाय में 5G प्रौद्योगिकियों में दक्षता और सहभागिता का निर्माण करना।
    • 5G वातावरण का उपयोग करने वाले छात्रों के लिए यूजी और पीजी स्तर पर परियोजनाओं को सक्षम करना।
    • 5G उपयोग के मामलों पर विचार करने और उन्हें विकसित करने के लिए अकादमिक-उद्योग सहभागिता को प्रोत्साहित करना।
    • संस्थान के आसपास स्टार्टअप्स और एमएसएमई के लिए 5G परीक्षण सेटअप तक स्थानीय पहुंच प्रदान करना।
    • भारतीय शिक्षा जगत और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को 6G के लिए तैयार करना।
  • दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ): दूरसंचार में स्वदेशी अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा
  • 1 अक्टूबर 2022 को शुरू की गई दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना का उद्देश्य 6G प्रौद्योगिकियों सहित दूरसंचार में नवाचार और अनुसंधान एवं विकास में तेजी लाना है।

    मुख्य बातें:

    • दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि योजना को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को सक्षम करने के लिए दूरसंचार उत्पादों और समाधानों के प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, व्यावसायीकरण में शामिल घरेलू कंपनियों और संस्थानों के लिए अधिसूचित किया गया है।
    • इस योजना का उद्देश्य दूरसंचार प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) और नवाचार को वित्तपोषित करना, भारत में दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ाने के लिए शिक्षा, स्टार्ट-अप, एमएसएमई, अनुसंधान संस्थानों और उद्योग के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है।
    • टीटीडीएफ योजना के तहत 30 सितंबर, 2025 तक 5G और 6G से संबंधित 310.6 करोड़ रुपये की कुल 115 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इन अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं की अवधि 1 से 5 वर्ष तक है। ये परियोजनाएँ वर्तमान में विकास के प्रारंभिक चरण में हैं।
  • भारत 6G एलायंस: वैश्विक 6G नेतृत्व के लिए एक एकीकृत राष्ट्रीय प्रयास
  • भारत 6G विज़न को आगे बढ़ाने के लिए, भारत ने उद्योग, शिक्षा जगत, स्टार्टअप्स, अनुसंधान संस्थानों और मानकीकरण निकायों को एक साथ लाने के लिए भारत 6G एलायंस की शुरुआत की। यह गठबंधन स्वदेशी नवाचार को सक्षम बनाने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

    • जुलाई 2025 तक, गठबंधन में 80 से अधिक सदस्य संगठन हैं, जिनमें 30 से अधिक स्टार्टअप शामिल हैं।
    • ज्ञान के वैश्विक आदान-प्रदान और संयुक्त विकास को बढ़ावा देने के लिए अंतर्राष्ट्रीय 6G गठबंधनों के साथ कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए
    • इसका लक्ष्‍य विश्व को जीवन का उच्च-स्‍तरीय अनुभव देने के लिए सर्वव्यापी, बुद्धिमान और सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करना है।
    • इसका उद्देश्य ग्रामीण-शहरी विभाजन को पाटना और वैश्विक डिजिटल समावेशन को सक्षम बनाना है।
    • अवधारणा के प्रमाण के लिए विचार चरण, जिसके बाद भारत और वैश्विक समुदाय के लिए प्रौद्योगिकी समाधानों को कार्यान्वित किया जाएगा।
  • आईआईआईटी-बी में प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र: 6G-रेडी प्रौद्योगिकियों में अग्रणी
  • अंतर्विषयी साइबर-भौतिक प्रणालियों पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के अंतर्गत, आईआईआईटी बैंगलोर में एक प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र स्थापित किया गया है, जिसका ध्यान उन्नत संचार प्रणालियों पर केंद्रित है, जो भविष्य के 6G नेटवर्क को आकार देगा।

    • यह केंद्र उन्नत संचार प्रणालियों के लिए समर्पित है, जो वर्तमान और भविष्य की राष्ट्रीय आवश्यकताओं और अंतर्राष्ट्रीय रुझानों को संबोधित करता है।
    • कवरेज, क्षमता और सेंसिंग को बढ़ाने के लिए पुन: विन्यास योग्य बुद्धिमान सतहों और ओ-आरएएन विशाल एमआईएमओ का विकास।
    • मुख्य फोकस क्षेत्रों में 5G-एडवांस्‍ड (5G+) तथा 6G प्रणालियों और नेटवर्क के लिए प्रौद्योगिकी निर्माण ब्लॉकों को डिजाइन और विकसित करना शामिल है।
    • स्वदेशी अनुसंधान को प्राथमिकता दी जाती है, जिससे बौद्धिक संपदा (आईपी) का सृजन होता है, जैसे वाणिज्यिक अनुप्रयोगों के लिए उत्पाद आईपी।
    • उत्पाद-आधारित नवाचार को बढ़ावा देने और आगामी 5G-एडवांस्‍ड और 6G मानकों में समावेशन को सुविधाजनक बनाने के लिए पेटेंट (आईपीआर) उत्पन्न करने पर जोर।

    ये सभी पहलें मिलकर एक सुरक्षित, समावेशी और भविष्य-प्रतिरोधी (भविष्य की किसी भी संभावित समस्या या बदलाव के लिए तैयार) डिजिटल बुनियादी ढाँचे को आकार दे रही हैं, जो न केवल वैश्विक 6G दौड़ में भारत के नेतृत्व को मज़बूत करेगा, बल्कि सभी के लिए सूचना, कनेक्टिविटी और सेवाओं तक समान पहुँच को भी बढ़ावा देगा। स्टार्टअप्स को सशक्त बनाकर, प्रतिभाओं को पोषित करके और वैश्विक साझेदारियों को मज़बूत करके, भारत एक कनेक्‍टेड, आत्मनिर्भर और डिजिटल रूप से समावेशी भविष्य की नींव रख रहा है।

    निष्कर्ष

    अगली पीढ़ी की दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के प्रति भारत की खोज आत्मनिर्भरता, नवाचार और वैश्विक सहयोग के विज़न से प्रेरित है। अंतर्राष्ट्रीय भारत 6G संगोष्ठी 2025 में हुई चर्चाओं और घोषणाओं ने एक सुरक्षित, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के लिए देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। भारत 6G एलायंस, दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास कोष जैसी पहलों और वैश्विक अनुसंधान संस्थानों के साथ सक्रिय साझेदारियों के माध्यम से,  भारत लगातार एक प्रौद्योगिकी अपनाने वाले देश से एक प्रौद्योगिकी निर्माता और मानक-निर्धारक देश बनने की ओर बढ़ रहा है।

    ये रणनीतिक पहलें न केवल घरेलू दूरसंचार पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करेंगी, बल्कि भारत को वैश्विक 6G ढाँचे में एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में भी स्थापित करेंगी। किफ़ायत, स्थायित्व और सर्वव्यापकता पर निरंतर ज़ोर यह सुनिश्चित करेगा कि भारत की प्रौद्योगिकीय प्रगति समाज के हर वर्ग को लाभान्वित करे और साथ ही देश के 2047 तक विकसित भारत बनने के विज़न को भी बल मिले।

    संदर्भ

    टेकटार्गेट: https://www.techtarget.com/searchnetworking/definition/6G

    संचार मंत्रालय:

    भारत 6G एलायंस:

    · https://bharat6galliance.com/bharat6G/public/assets/report/document_79664556.pdf

    · https://bharat6galliance.com/bharat6G/public/assets/report/B6GA-Annual-Report-2024-25.pdf

     

    विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग: https://comet.iiitb.ac.in/wp-content/uploads/2024/10/IIITB-COMET-Brochure-3.pdf

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